लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-21

(Lagi Lund Ki Lagan Mai Chudi Sabhi Ke Sang- Part 21)

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सुहाना की बात पर हम दोनों ने उसे गांड और चूत दोनों के मजे साथ साथ लेने पर बधाई दी।
सुहाना हँसने लगी।
फिर रितेश बोला- मेरा गिफ्ट?
सुहाना बोली- उसको मैं भूली नहीं हूँ।

तभी मैं बोल पड़ी- सुहाना, अगर आप चाहे तो मैं-रितेश और टोनी और मीना एक कपल नोएडा के हैं, हम लोग स्वैपिंग करते हैं।
सुहाना बोल पड़ी- ये स्वैपिंग क्या होता है?

तो मैंने सुहाना को बताया कि इस खेल में कपल्स होते हैं, एक मर्द दूसरे की बीवी से उसके सामने ही सेक्स करता है यानि की अदला बदली कर के!

सुहाना- इसका मतलब तुम भी रितेश के सामने दूसरे मर्द से चुदवाती हो?
मैं- हाँ, शुरू शुरू में अच्छा नहीं लगा पर अब मजा आता है। अगर तुम चाहो तो तुम भी आशीष के साथ मेरे ग्रुप में शामिल हो सकती हो, बहुत मजा आयेगा।
‘चलो देखते हैं, मुझे तो ये बड़ा डेयरिंग खेल लग रहा है, पता नहीं आशीष मानेगा या नहीं!’

फिर बाकी इधर उधर की बात होने लगी और फिर सुहाना ने यह कहकर फोन काट दिया कि एक दो दिन में वो फोन करेगी।

सुहाना की कहानी सुनकर हम दोनों काफी उत्तेजित हो चुके थे तो फोन कटते ही रितेश ने मुझे पटक दिया, मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया और तेज तेज चोदने लगा।

थोड़ी देर बाद वो डिस्चार्ज हो गया और मेरे ऊपर लेट गया।
रितेश हाँफ रहा था।

वो फिर मेरे से अलग हुआ तो मेरी उंगली अपने आप ही मेरी चूत की तरफ चली गई और हम दोनों की जो मिक्स मलाई मेरी चूत से बाहर आ रही थी, उसको उंगली पर लेकर उसका स्वाद लेने लगी।
मेरी देखा देखी रितेश भी अपनी उंगली से मिक्स मलाई को चाटने लगा।

हम दोनों का कोटा पूरा हो चुका था, अब मुझे इंतजार था कि रात में रितेश के साथ उसकी बहन की चुदाई को देख कर आनन्द लेने का।
फिर मुझे ऑफिस वाला प्रोपोजल याद आया तो रितेश ने कहा- मैं अपने ऑफिस में जाकर बात करता हूँ। अगर छुट्टी मिल जायेगी तो हम दोनों कलकत्ता में हनीमून मनायेंगे।

उसके बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और नीचे आ गये।
रितेश घर के बाकी सदस्यों के साथ बात कर रहा था जबकि मैं और नमिता शाम के खाने की तैयारी में लग गये थे।

चूंकि घर के सभी सदस्य बड़े से छोटे तक चाहते थे कि मैं घर में गाउन ही पहन कर रहूँ तो फिर मैंने भी मन में ठान लिया था कि अब मैं घर में मटकते हुए चलूँगी ताकि सबको मेरी मटकती हुई गाण्ड का भी मजा मिले।

हम लोग खाना बना ही रहे थे कि अचानक बाबूजी ने सबको बुलाया और करीब 20-22 रिश्तेदारो के आने की खबर दी जो मुझसे मिलने कल ही आ रहे हैं और मुझसे पूछने लगे कि दो दिन रहेंगे, तुम्हें तो ऐतराज तो नहीं है।
मैं न भी कैसे करती।

रितेश मेरे पास आया और बोला- लो दो दिन के लिये फिर मुश्किल हो गई तो आज रात तैयार हो जा, तेरी खूब गांड और चूत चोदूँगा। मुझे भी क्या चाहिए था, रितेश का लंड ही तो चाहिये था।

खाना खाते खाते यह तय हुआ कि जितनी लेडीज आयेंगी वो ऊपर मेरे और नमिता के कमरे में रहेंगी और जेन्टस हॉल में तथा विजय और रितेश के कमरे में रहेंगे।

चूंकि सासू मां ने पहले से ही मना कर दिया कि कोई भी उनके कमरे में नहीं रहेगा तो बस उनसे यही कहा गया कि यदि मेहमानों की सख्या अधिक हुई तो मैं और नमिता ही उनके कमरे में रात को सोयेंगे।
सासू मां इस बात पर मान गई।

हम लोग खा-पीकर एक बार फिर सब अपने अपने कमरे में चले गये।
कमरे में पहुँचते ही मैंने हल्की सी रोशनी की ताकि देखने वाले देख सकें।

मैं जैसे ही अपना गाउन उतराने लगी तो देखा कि रितेश नंगा खड़ा है, मुझे देखकर मुस्कुराते हुए कहा- यार अपना कमरा अपना ही होता है, कोई रोक टोक नहीं।

मैंने अपना गाउन उतारा और रितेश की बांहो में अपने को समेट लिया।
तभी मुझे हल्की सी आवाज दरवाजे के बन्द होने की आई, इसका मतलब था कि अमित और नमिता दोनों ऊपर आ गये हैं और उन्होंने ही दरवाजा बंद किया है।

उसी समय मैंने रितेश से थोड़ी उँची आवाज में कहा- रितेश, आज 69 की पोजिशन करके तुम मेरी चूत चाटो और मैं तुम्हारे लंड को चूसूँ, लेकिन खड़े वाली 69 की पोजिशन!

चूंकि रितेश भी काफी हृष्ट-पुष्ट था तो वो तैयार हो गया।
मेरी नजर खिड़की पर ही थी जहाँ पर नमिता और अमित दोनों खड़े होकर हमे देख रहे थे।

रितेश ने मुझे उठाया और हवा में ही मुझे उल्टा कर दिया, मेरा मुंह उसके लंड पर आ गया। अब हमारी पोजिशन काफी रोचक थी और शायद बाहर से देखने वालों के लिये भी।
मैं रितेश के लंड को चूस रही थी, रितेश मेरी चूत का रसास्वादन कर रहा था।
काफी थ्रिल था।

थोड़ी देर बाद रितेश ने मुझे अपनी गोद से उतारा और मुझे घोड़ी बनने का इशारा किया।
मैंने जानबूझ कर खिड़की की दीवार से अपने को सपोर्ट दिया, मैं देखना चाहती थी कि नमिता को कैसा लग रहा है। खिड़की की एक तरफ नमिता और दूसरी तरफ अमित छुप कर अन्दर के नजारे का मजा ले रहे थे।

रितेश ने मेरी गांड में थूक लगाया और एक झटके में अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर पेल दिया।
‘उईईई ईईईई मां… मादरचोद हमेशा इसी तरह से मेरी गांड मारोगे कि कभी प्यार से भी?’
‘अरे बहन की लौड़ी, जब तेरी गांड ही इतनी मस्त है तो मैं अपने को कैसे रोकूँ?’
‘तो यह बात है- तुमको सिर्फ मेरी गांड ही मस्त लगती है चूत नहीं?’
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रितेश बोला- नहीं डार्लिंग, चूत तो तुम्हारी दुनिया की सबसे मस्त चूत है। इतनी चूत चोदी, लेकिन जब तक तेरी चूत न चोदूँ तो मजा नहीं आता है। आज तो पूरी रात मेरा लंड तुम्हारी चूत और गांड की सेवा करेगा। क्योंकि कल से फिर दो तीन दिन के लिये अपना मिलन जरा मुश्किल है।
कहकर वो जोर-जोर से मेरी चूत और गांड का बाजा बजाने लगा और साथ ही साथ मेरे चूतड़ पर कसकर तड़ी मारता और जोर-जोर से मेरी चूची को मसलता।
दर्द के कारण मेरे मुंह से सीत्कार निकल जाती।

इधर वो दोनों मेरी बात को सुनकर एक दूसरे को कमरे में चलने का इशारा कर रहे थे लेकिन मेरी नजर में ना आ जायें इसलिये वो वहीं रूके रहे।

तब तक रितेश मेरी कायदे से बजा चुका था और चिल्ला रहा था- मैं झड़ने वाला हूँ!
उसको सुनकर मैं तुरन्त ही नीचे बैठ गई और उसके लंड को अपने मुँह में लेकर उसके माल को जैसा कि आप सभी समझ गये होंगे, लेकर मैंने क्या किया होगा।

इधर मुझे दौड़ने की आवाज आई और यही दौड़ने की आवाज रितेश ने भी सुनी।
वो बोला- आकांक्षा, ऐसा लगा कि कोई दौड़ रहा है।

मैं जानती थी कि दौड़ने वाले कौन है लेकिन मैंने रितेश को टाल दिया, मैं चाहती थी कि आज रितेश भी चुदाई को लाईव देखे, मैं जानती थी कि अगर मैं रितेश को अमित और नमिता की चुदाई देखने के लिये कहूँगी तो हो सकता है वो मना कर दे।
इसलिये मैं बोली- रितेश, आओ छत पर चलें।

कहानी जारी रहेगी।
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