पोर्न स्टोरी : मेरी पहली चूत चुदाई के हसीन पल-1

(Porn Story : Meri Pahli Choot Chudai Ke Haseen Pal- Part 1)

मैं अपनी पोर्न स्टोरीज में अपना नाम पता नहीं बता सकती. बस इतना बता सकती हूँ कि अभी मेरी उम्र 33 साल है और मेरी शादी हो चुकी है.

ये स्टोरीज मेरी ज़िन्दगी का ऐसा हिस्सा हैं, जिसे मैं किसी के साथ शेयर नहीं कर पाती थी. उम्मीद है आप सभी को मेरी पोर्न स्टोरी पसंद आएगी.

आज मैं आपको अपनी ज़िन्दगी की एक ऐसी घटना से वाकिफ करवाऊंगी, जिसने मुझे बदल के रख दिया. ये बात उस वक़्त की है, जब मैं इंजीनियरिंग के फर्स्ट इयर में थी. मुझे पढ़ाई लिखाई में बहुत इंटरेस्ट था. बचपन से ही मैं पढ़ाई में अच्छी थी. मुझे कभी भी किसी और चीज़ों में इंटेरेस्ट नहीं आया. मेरी क्लास की बाकी लड़कियां पार्टियों, डिस्को में जाया करती थीं, पर मुझे कभी भी मन नहीं किया.

मैं दिखने में अपनी सहेलियों से थोड़ी ज्यादा अट्रैक्टिव हूँ और क्लास के लड़के मुझे पटाने में लगे भी रहते हैं. पर मैंने कभी किसी को भी भाव नहीं दिया.

एक बार मेरा एक फ्रेंड था, जो मेरे थोड़ा करीब था. वो मुझे बहुत लाइक करता था. हम साथ साथ पढ़ाई भी करते थे, वो अकसर मेरे घर आया करता था. ऐसे ही एक दिन पढ़ते पढ़ते उसने मुझे किस करने की कोशिश की और उस दिन से मैंने उससे बात ही नहीं की. मुझे समझ आ गया था कि लड़कों को सिर्फ एक ही चीज़ दिखती है.
तो मैं इस टाइप की लड़की थी.

मेरे घर में मेरे मॉम डैड और मैं, बस हम तीन ही रहते थे. मेरे डैड गवर्नमेंट जॉब में सिविल इंजीनियर थे और माँ घर पे ही रहती थीं. उन दिनों उनको मुझ पर बहुत विश्वास था. क्योंकि मैं दूसरी लड़कियों की तरह नहीं थी. डैड ने वोलंटरी रिटायरमेंट ले लिया था और कंस्ट्रक्शन का बिजनेस स्टार्ट कर लिया था.

हमारा खुद का डुप्लेकस घर था. मेरा कमरा फर्स्ट फ्लोर पर था. मॉम डैड का रूम ग्राउंड फ्लोर पर था. हमारे घर की छत पर एक पेंट हाउस टाइप का एक कमरा और किचन था. जो हमने सोचा था कि किसी सीधे सादे स्टूडेंट को किराए पर दे देंगे. छत पर जाने के दो रास्ते थे. एक कॉमन सीढ़ियों से था और एक प्राइवेट था, जो कि मेरे कमरे से हो कर जाती थीं.
मैं अकसर पढ़ते पढ़ते रात के वक़्त छत पर टहलने जाती थी.

एक दिन एक लड़का हमारे घर आया, उसे पास वाले दुकान वाले ने बताया था कि हमारे घर का एक कमरा खाली है. वो लड़का देखने में एकदम सीधा सादा था. पास के गाँव में रहता था, उसे भी पढ़ने का शौक था. उसके गाँव में दसवीं के आगे स्कूल नहीं था इसलिए शहर आया था. उसका स्कूल हमारे घर से 2 किलोमीटर दूर था.

उसका गठीला बदन, छोटे छोटे बाल, गेहुंआ रंग और साधारण से कपड़े. बस ऐसा था वो.

वो भी अकसर रात में पढ़ाई करता था और छत में हम दोनों बातें किया करते थे. मैं उसे पढ़ा दिया करती थी. ऐसा करते करते एक साल बीत गया. मैं उसके साथ सुविधा जनक तरीके से महसूस करती थी.

कुछ दिनों से उसकी नज़र मुझे जैसे आर पार देख लेती थीं. थोड़ा सा अजीब लगता था, पर कभी उसने मुझे छुआ भी नहीं था. इस वजह से मुझे उससे डर नहीं लगता था.

एक दिन हमेशा की तरह मैं पढ़ते पढ़ते छत पर गई और अर्जुन से बातें करने लगी. वो बार बार बात करते करते मेरे मम्मों को देखता था, मुझे थोड़ी शर्म आई.

मैंने उससे कहा- थोड़ी चाय पिलाओ.
वो अकसर रात में खाने पीने के लिए कुछ लाता था.
उसने कहा- हाँ दीदी क्यों नहीं.

जैसे ही वो अन्दर गया, मैंने देखा कि कहीं से मेरा गाउन फटा तो नहीं है. मैंने ध्यान से देखा कि मैंने तो पतला वाला कॉटन का गाउन पहना है, जिससे छत की लाइट में मेरे मम्मों का आकार थोड़ा थोड़ा समझ आ रहा है.

वो चाय बना के ले आया और मैं वहीं बैठी रही. मुझे अजीब सी फीलिंग आ रही थी. वो बार बार मेरे मम्मों को ही निहार रहा था.

थोड़ी देर में मैं कमरे के अन्दर आई और आइने के सामने खड़ी हो गई और अपने मम्मों को देखा. मुझे थोड़ा अच्छा भी लगा, थोड़ी शर्म भी आई. शायद अब मुझे अपने लड़की होने का एहसास होने लगा था.
ऐसा सोचते सोचते मैंने अपना गाउन नीचे सरका दिया. अब आईने के सामने नंगी खड़ी खुद को ऊपर से नीचे देख रही थी.
मैं भी किसी आइटम से कम नहीं थी.

खैर, अगले दिन मैं अर्जुन के मज़े लेने के लिए फिर से छत पर वही गाउन पहन कर गई. हमने चाय पी और मैं अपने कमरे में पलंग पर आकर लेट गई थी, पता नहीं कब नींद आ गई.

थोड़ी देर बात मुझे कुछ महसूस हुआ, आँखें खोलने की कोशिश की, पर खोल नहीं पाई. ऐसा लगा जैसे मेरे ऊपर कुछ रेंग रहा हो.
तभी सब शांत हो गया. फिर अचानक मैंने अपने मम्मों पर कुछ महसूस किया.. और मुझे फिर से नींद आ गई.

सुबह बहुत लेट उठी. लगा कुछ सपना होगा. सिर थोड़ा भारी भारी था तो कॉलेज नहीं गई.

उस रात फिर वैसा ही फील हुआ और आज तो लगा कि कोई मेरी चूत को छू रहा हो.
सुबह हुई तो सिर थोड़ा भारी था, पर एक अजीब सी मुस्कराहट भी थी. मैंने अपनी पेंटी देखी तो उसमें कुछ था चिपचिपा सा जो सूख गया था.
मुझे लगा कि कोई बात तो है. दो दिन से ही ऐसा क्यों हो रहा है, शायद कुछ उल्टा सीधा खा लिया होगा.

अगले दिन मैंने कुछ नहीं खाया, बस रात में अर्जुन ने फ्रूटी ला के दी थी. उस रात भी वैसी ही फीलिंग आई. अब तो मेरा पूरा शक अर्जुन पे ही था. मगर वो ये सब कैसे कर रहा है, मुझे उसे रंगे हाथों पकड़ना था.

मेरे दिमाग में एक आईडिया आया. मैंने अपने कमरे में एक वेब कैम लगाया और अपने सिस्टम से कनेक्ट किया. उसे अपने दरवाज़े की तरफ सैट किया और एक लैपटॉप को अपने बेड की तरफ रख दिया.

रात में अर्जुन ने फिर चाय दी, पर मैंने पी नहीं और वहीं गमले में फ़ेंक दी. अब मैं कमरे में आ गई. पिछले 2 बार की तरह लाईट ऑन थी और दरवाजे खुले थे. मैंने वेब कैम और लैपटॉप ऑन किया और दोनों की स्क्रीन ऑफ कर दीं.. ताकि शक न हो.

अब मैं सोने का नाटक कर रही थी. करीब पौन घंटे बाद अर्जुन धीरे से कमरे में घुसा और उसने धीरे से मेरे गालों को चूमा. मुझे शर्म आ रही थी पर मैं हिली नहीं, नाटक करती रही. तभी उसने हल्के से मेरे होंठों पे किस किया.

उसने अपनी एक उंगली मेरे होंठों पे रखी और आहिस्ते आहिस्ते सरकाते हुए मेरी छाती तक ले आया. मेरे गाउन का चेन पकड़ के नीचे करने लगा. मुझे पेट में गुदगुदी होने लगी. उसने हल्के से मेरे बाएं मम्मे को नंगा कर दिया. मेरी धड़कनें बढ़ने लगी थीं. अचानक से उसने अपने होंठों से मेरे निप्पल को चूमा. वाह.. क्या फीलिंग थी, मेरे मुँह से हल्की से आह भी निकल गई.. पर उसने ध्यान नहीं दिया.

थोड़ी देर तक हल्की हल्की किस के बाद उसने मेरा लेफ्ट चूचा पूरा का पूरा अपने मुँह में ले लिया और चूस लिया. अब मेरी चूत में बहुत सी हलचल हुई और मैंने अपनी आवाज़ छुपाने के लिए खाँस दिया. वो डर गया और अलग हो गया.
मैं नहीं चाहती थी कि वो रुके. मुझे बुरा लगा और खुद पे गुस्सा भी आया. मुझे लगा शायद वो भाग जाएगा पर वो फिर से मेरे पास आया. इस बार वो मेरे पैरों के पास था.

मुझे डर लग रहा था कि कहीं ये मुझे चोद न दे. उसने धीरे से मेरे गाउन को मेरे घुटने तक सरकाया. मेरा गाउन और ऊपर नहीं जा रहा था. अब पैंटी को घुटनों के नीचे तक खींच दिया. मेरी हालत बहुत ख़राब थी.. ऐसी मदहोशी वाली फीलिंग मुझे कभी नहीं हुई, पर डर भी था कहीं वो मुझे चोद न दे.

मेरे दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था, इतने में उसने मेरे गाउन के अन्दर मुँह घुसा के मेरी चूत को चूम लिया. एक करंट सा पूरे बदन में दौड़ गया. मुँह से चीख़ को रोकने के लिए अपने होंठों को दाँतों से दबा दिया.
हाय क्या मज़ा आया चूत चटवाने में.. ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’

थोड़ी देर चुत चाटने के बाद वो मेरी क्लीन शेव्ड चूत को पूरा मुँह में भर के चूसने लगा. मेरा पूरा बदन अकड़ने लगा, मुझ से रहा नहीं जा रहा था. मैं उसे पकड़ना चाहती थी, उसे चूमना चाह रही थी. पर मैंने खुद पे काबू किया और चुपचाप लेटी रही.
करीब 5 मिनट वो चूत चाटता रहा और मैं उन 5 मिनट किसी जन्नत की सैर करती रही.

थोड़ी देर बाद मेरा पेट और पूरा बदन अकड़ने लगा और आँखें चढ़ने लगीं. मेरा पहला स्खलन होने लगा था. थोड़ी देर बाद वो उठा, मेरे कपड़े ठीक किए और मेरे चेहरे के पास खड़ा हो गया.

मैं आँख खोल कर उसे देखना चाहती थी, पर उसे समझ नहीं आना चाहिए था कि मैं जाग रही हूँ. मैंने हल्के से आँखें खोल कर देखा तो वो अपनी पैंट उतार के अपना मोटा सा लंड हाथ में लिए खड़ा मेरे बदन को देख रहा था. मैंने पहली बार मर्द के लंड को देखा था. पर ये बहुत मोटा था. फिर वो मेरे करीब आ गया और अपना लंड मेरे होंठों पे फिराने लगा. थोड़ी अजीब से महक थी उसकी. फिर अपनी पैंट की जेब से एक पॉलिथीन निकाली. उस पॉलिथीन को अपनी लंड पर चढ़ा कर ऊपर नीचे हाथ हिलाने लगा. कुछ देर करने के बाद उसने अपना स्पर्म उस पॉलिथीन में भर दिया और वो मुझे फिर से होंठों पे किस कर के चला गया.

मुझे बहुत ही खुशी हो रही थी कि ज़िन्दगी का पहला स्खलन आज हुआ.

फिर मैंने वो वीडियो देखा और अर्जुन की पूरी हरकतें एक वीडियो फ़ाइल में सेव कर लीं. उसकी कुछ कॉपी बना कर पासवर्ड डालकर अपने कंप्यूटर में सेव कर ली.

सुबह उठने पर मुझे एक बात का पता और लगाना था कि आखिर वो मुझे क्या खिला देता था, जिससे मुझे कुछ होश नहीं रहता था.

उसके स्कूल जाने के बाद मैंने उसके कमरे की तलाशी ली तो गैस स्टोव के पास एक प्लास्टिक बोतल में एक वाइट पाउडर मिला, जिसे मैंने उंगली में ले कर टेस्ट किया, तो पूरी जीभ झनझना उठी.
तब लगा ये मुझे बेहोश करने वाली दवा दे कर बेहोश करता था.

उसके कमरे में मुझे कुछ पोर्न मसालेदार किताबें भी मिलीं, जिसे मैं बैठ कर पढ़ने लगी.

एक किताब पढ़ते पढ़ते मैं गीली होने लगी. उसमें कुछ चुदाई की कहानियां थीं एक चुदाई की कहानी में दो लड़कियां एक दूसरे की चूत में उंगली डाल के हस्त मैथुन या लेस्बियन सेक्स कर रही थीं और बाकी सब मर्द और औरत के सेक्स स्टोरी थीं.

मैंने वापस अपने कमरे में आकर अपने कंप्यूटर पर कुछ पोर्न साइट्स खोलीं और तभी मुझे अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज .कॉम का भी पता चला.

दिन भर पोर्न देख देख कर हस्त मैथुन कर रही थी.. पर वो मज़ा नहीं आ रहा था, जब अर्जुन मेरी चुत चाटता था.

अर्जुन और मेरा ये नाटक अगले 10-12 दिन और चला. पर उसने इन 12 दिनों में कभी चोदा नहीं. मुझे इस बात की ख़ुशी थी.

अब मेरा मन उसके साथ सेक्स करने का था. पर मुझे सोने का नाटक करते करते सेक्स नहीं करना था. मैं अपना पहला सेक्स अर्जुन से ही करना चाहती थी. आख़िरकार उसने ही मुझे ये जन्नत की सैर कराई थी.

अर्जुन के एग्जाम हो गए थे और वो अगले दिन हमारा घर छोड़ के वापस जाने वाला था. पर मॉम डैड को बैंगलोर जाना था, मेरे मामा का एक्सीडेंट हो गया था.
डैड को अर्जुन बहुत सीधा लगता था तो उन्होंने अर्जुन से कहा- बेटा.. हम लोग सोमवार शाम तक आ जाएंगे. क्या तुम 3 दिन और रुक सकते हो?
वो मान गया.

मुझे पहले मॉम ने कहा था कि मैं अपनी फ्रेंड के साथ रुक जाऊं, पर मैंने मना कर दिया कि उसके घर पे मेरी पढ़ाई नहीं हो पाएगी. मेरे भी एग्जाम चल रहे थे. तो मेरी सेफ्टी के लिए उन्होंने अर्जुन को रुकने को पूछा.

वो अपने कमरे में ही रुकता, मेरे साथ नहीं. मैंने सोचा यही एक आखिरी मौका है. मैंने रात को अर्जुन को अपने कमरे में बुलाया और ऐसे ही बातें करने लगी कि एग्जाम कैसे गए और आगे क्या करने का मन है.
बातों बातों में मैंने उससे कहा कि तूने तो मुझे गुरु दक्षिणा दी ही नहीं.
उसने कहा- आप कुछ भी मांग लो दीदी.
मैंने कहा- हाँ हमें तो माँगना ही पड़ेगा तू तो बिना मांगे ही ले लेता है.
वो थोड़ा घबराया और बोला- क्या मतलब दीदी.. मैं समझा नहीं?

अर्जुन के चेहरे से हवाइयां उड़ने लगी थीं.

अगले भाग में उसके साथ चुदाई की पोर्न स्टोरी को पूरा लिखूंगी. आप मुझे मेरी पोर्न स्टोरीज पर अपने विचार मेल से भेजिएगा.
[email protected]
कहानी जारी है.

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top