कोलकाता में भाभी ने दिलवाई दो और चूत-1

(Kolkata Me Bhabhi Ne Diwayi Do Choot- Part 1)

दोस्तो! मेरा नाम राज शर्मा है. मेरी पिछली कहानी
गया था बिज़नेस करने, भाभी को चोद दिया
में आपने पढ़ा:
मैं कोलकाता में शेखर भैया के घर बिज़नेस सीखने के लिए तीन महीने रहा और अनेक बार मधु भाभी को तरह तरह से चोदा. शेखर भैया काम के सिलसिले में अक्सर बाहर रहते थे. भाभी पूरी तरह से मेरी बन चुकी थी. उस वक्त मैं 19 वर्ष का था, परंतु मेरे लण्ड का साइज़ 8×3 इंच था.

एक रोज मैंने भाभी से कहा- भाभी एक रोज आपने कहा था कि आप मुझे कोई बढ़िया चीज दिलवाएंगीं, वो कौन है?
भाभी ने बताया- तुम्हारे भैया जब टूर पर जाते हैं तो पहले मेरे पास मकान मालिक की एक प्लस टू में पढ़ने वाली लड़की ‘हिमानी’ सोती थी.
भाभी ने इशारा किया- वह साथ वाला बंद कमरा उसी का है. दरअसल हमारे कमरे में एक दरवाजा बंद रहता है, जो मकान मालिक के पास है, तुम्हारे भैया के टूर पर जाने के बाद बीच का दरवाजा हिमानी खुला रखती है। परंतु अब तुम आ गये हो.

भाभी ने बताया कि वह हमारी सारी सेक्सी मैगजीन देखती रहती है, उसके पास एक पतला सा प्लास्टिक का चाइनीज़ डिल्डो भी है, जिसे वह यूज़ करती है. वह मुझसे खुली हुई है. दरअसल वह उस डिल्डो को अपनी चूत के दाने पर रगड़ती रहती है और एक इंच से ज्यादा अंदर नहीं लेती, उसी से वह अपनी वासना मिटा लेती है. वह लड़की बड़ी सेक्सी है और एकदम मस्त माल है.

एक रोज जब मैं मार्किट से वापिस आया तो भाभी के पास एक बहुत ही सुन्दर जवान लड़की बैठी बातें कर रही थी. वह बहुत ही मस्त माल लग रही थी. साथ वाले कमरे को खुला देखकर मैंने अंदाजा लगाया कि वह हिमानी ही होगी. क्या गजब का जवां हुस्न था उसका.

हिमानी ने छोटी सी चिपकी हुई पतली सी लगभग 6 इंच की निक्कर पहन रखी थी तथा ऊपर एक स्लीवलेस टॉप पहन रखा था. उन कपड़ों में उसका शरीर ढका हुआ कम, उघड़ा हुआ अधिक लग रहा था, उसका सुन्दर, गोरा, गोल चेहरा जिसपर मोटी मोटी सेक्सी आँखें थी तथा उसके गाल पर काला तिल था जो और भी सेक्सी लग रहा था. गोल भरी नंगी बाहें और टॉप में से बटन तोड़कर बाहर झांकते हुए उसके बड़े बड़े मम्मे थे, जिनका साइज़ लगभग 36 इंच होगा.

टॉप और निक्कर के बीच में थोड़ा सा नाभि के पास का उसका गोरा और गदराया हुआ पेट झलक रहा था. सबसे सेक्सी थी अंग उसकी लगभग नंगी और मोटी मांसल टाँगें और उनके बीच जांघों में, निक्कर में फंसी और उभरी हुई उसकी चूत, जिसे देख कर मैं पागल और बेहाल हो गया था.

हिमानी ने अपनी पतली, नर्म और गुदाज हाथ पाँव की उँगलियों पर सुन्दर मैरून कलर की नेल पोलिश लगा रखी थी.
मैं काफी देर तक उसे देखता रहा.

भाभी ने कहा- हिमानी! जरा भैया के लिये किचन से पानी लाना.
तो वह उठ कर पानी लेने गई, पीछे से मैंने उसकी बड़ी गाण्ड और चौड़े नंगे पटों को देखा तो मैं बेहोश होने को हो गया.
हिमानी का कद भी भाभी जितना 5 फ़ीट 2 इंच ही होगा.

जब हिमानी ने मुझे पानी दिया तो मैंने गिलास पकड़ते हुए उसकी नर्म उंगलियों को दूर तक छू दिया, उसने हल्की स्माइल दी और मेरे सामने चेयर पर बैठ गई. भाभी ने हमारा फॉर्मल परिचय करवाया.
भाभी कहने लगी- राज! हिमानी की थोड़ी स्टडीज़ में हेल्प कर दो, यह एक दो सब्जेक्ट में थोड़ी ढीली चल रही है.
मैंने कहा- ठीक है भाभी, जैसा आप कहें, मैं कर दूंगा.
भाभी कहने लगी- वैसे मैं इसकी मम्मी से बात करुँगी, वे तुम्हें ट्यूशन के पैसे भी दे देंगी.

कुछ देर बाद हिमानी से जब मेरी नजरें ही नहीं हट रही थी तो भाभी ने हिमानी से कहा- हिमानी! जरा अपनी मम्मी को ऊपर ही बुला लाओ, अभी आमने सामने ही बात कर लेते हैं.
हिमानी उठ कर अपनी मम्मी को बुलाने चली गई.

भाभी मुझे बोली- राज! तुमने तो नजर ही नहीं हटाई? इसकी मम्मी के सामने ऐसा मत करना.
उन्होंने बताया- हिमानी बीच में एक बार फेल भी हो चुकी है और इसकी मम्मी ने कहा था कि इसकी दो सब्जेक्ट की ट्यूशन रखनी है, तो मैं वही बात करुँगी.

थोड़ी देर में हिमानी की मम्मी आ गई. उसे देख कर तो मैं गश ही खा गया था. हिमानी की मम्मी लगभग 37-38 साल की सुन्दर और मस्त माल थी जो मुश्किल से 30-32 साल की लग रही थी. उसका नाम सुजाता था. एक बार तो लगा कि वह हिमानी की बड़ी बहन है. वही रंग रूप, वही हुस्न, वही साइज़, बल्कि हिमानी से ज्यादा ही सेक्सी लुक वाली महिला थी वह.

उन्होंने बहुत कसी हुई सुन्दर साड़ी पहन रखी थी, जिसमें उनका बदन कुंदन सा चमक रहा था. मैंने उन्हें आंटी कह कर नमस्ते किया।
उन्होंने मुस्करा कर जवाब दिया.

भाभी ने उन्हें मेरे बारे में बताया कि ये मेरे देवर हैं.
हिमानी की मम्मी कहने लगी- फिर तो ये मेरे भी देवर ही हुए, इनसे कहो मुझे आंटी की बजाये भाभी ही कहें.
मैंने मुस्करा कर कहा- ठीक है भाभी!

भाभी ने उनसे कहा- राज बहुत होशियार लड़का है, यह हिमानी को पढ़ा दिया करेगा.
हिमानी की मम्मी ने कहा- बिल्कुल ठीक है, चाहे आज से ही शुरू कर दे.
मैंने हिमानी की मम्मी की आँखों की चमक पढ़ ली थी. मैं इस तरह की लेडीज़ की शारीरिक जरूरतों को खूब समझता था क्योंकि इनमें तो जवानी और कामवासना भरी होती है जबकि इनके आदमी अपने काम धंधे की वजह से इनकी इच्छा पूर्ति नहीं कर सकते.

मधु भाभी ने जब ट्यूशन के पैसों की बात की तो हिमानी की मम्मी सुजाता कहने लगी- अरे जो राज कहेगा, दे देंगे.
फिर भी भाभी ने कहा- 1000 रूपये महीना.
सुजाता बोली- ठीक है.

मैंने पूछा- कहाँ पर पढ़ाना है?
हिमानी की मम्मी कहने लगी- सारा घर खाली पड़ा है, जहाँ दिल करे वहां बैठ जाना. नीचे ड्राइंगरूम में पढ़ा देना.
हिमानी कहने लगी- मेरे कमरे में. नीचे मैं डिस्टर्ब हूँगी.
सुजाता थोड़ी मायूस हो गई, वह कहने लगी- राज कभी कभी कुछ मेरी भी हेल्प कर देना, उसके मैं एक्स्ट्रा पैसे दे दूँगी.
मैंने कहा- ठीक है। जैसा आप कहेंगी, वैसे ही कर लूँगा.

उस समय 12 बजे थे. वे दोनों चली गई, मुझे 5 बजे हिमानी को उसके कमरे में पढ़ाना था.

भाभी कहने लगी- राज! मुझे इस सुजाता का भी इरादा ठीक नहीं लग रहा है.
मैंने कहा- देखा जाएगा.
भाभी थोड़ी उदास लगी. वैसे भी भाभी के दो दिन से पीरियड्स चल रहे थे. अतः मैं भी चूत मारने को बेताब था.

सायं 5 बजे मैंने हिमानी का दरवाजा खटखटाया तो उसने एकदम दरवाजा खोल दिया.
उसके कमरे का एक दरवाजा भाभी के कमरे में खुलता था, जिसे वह बंद रखती थी और दूसरे दरवाजे के बाहर एक कवर्ड बरामदा था, जिसमें से सीढियाँ नीचे उनके ड्राइंगरूम में जाती थी. वह सीढियाँ ऊपर से ही बंद कर लेती थी अतः उस कमरे में अचानक कोई नहीं आ सकता था.

हिमानी उन्हीं कपड़ों में बैठी थी. उसके कमरे में बेड के अलावा एक मेज कुर्सी भी थी. वह बेड पर बैठ गई, मैं कुर्सी पर बैठ गया.
मैंने उससे पूछा- तुम किस किस सब्जेक्ट में हेल्प चाहती हो?
तो वह बोली- सभी सब्जेक्ट्स में थोड़ा थोड़ा.
मैंने कहा- क्या तुम्हारा पढ़ाई में मन नहीं लगता?
वह चुप रही.

मैंने कहा- तुम अपनी बुक्स दिखाओ!
और यह कह कर मैंने उसकी सारी किताबें और नोटबुक्स अपने पास उठा कर रख ली और देखने लगा.

अचानक उसमें एक नंगी मैगज़ीन भी निकल आई, मैंने कहा- ये क्या है? तुम्हारे पास कहाँ से आई?
वह चुप रही.
मैंने कहा- हिमानी तुम्हारी समस्या मैं समझ गया हूँ, तुम्हारा सारा ध्यान सेक्स में रहता है. यदि तुम्हारी सेक्स की इच्छा पूरी हो जाए तो फिर तुम्हारा पढ़ाई में मन लगेगा.
उसने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया.

उसने बताया- मैं सारा दिन सेक्स ही सोचती रहती हूँ, इसलिए पढ़ नहीं पाती.
मैंने पूछा- तुम्हारी मम्मी कहाँ हैं?
तो उसने बताया मार्किट गई हैं.

मैंने कहा- मेरे पास आओ. पढ़ाई से पहले तुम्हारे दिमाग से सेक्स शांत करना होगा, फिर तुम्हें पढ़ाई की बात समझ आएगी.

वह जैसे ही बेड से उठी, मैंने उठ कर उसे बाँहों में भर लिया और उसके सुलगते होंठों पर होंठ रख दिए. उसने भी एकदम मुझे जकड़ लिया. हम बहुत देर तक स्मूच करते रहे. मैंने उसके मम्मे दबाने शुरू किये और उसकी पतली निक्कर के ऊपर से उभरी चूत पर हाथ फिराया तो वह एकदम सिहर उठी.

मैंने पूछा- कभी चूत में लण्ड लिया है?
उसने ‘न’ में सिर हिलाया.
मैंने कहा- डिल्डो यूज़ करती हो?
उसने मुझे अजीब सी नजरों से देखा और ‘हाँ’ में सिर हिलाया.
मैंने कहा- दिखाओ.

उसने अलमारी की दराज का लॉक खोला और मुझे वह पतली सी डंडी दिखा दी.
मैंने कहा- असली देखा है कभी?
उसने बताया- मैगज़ीन में देखा है.
मैंने कहा- अभी देखना है?
वह चुप रही.

मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने खड़े 8 इंची लण्ड पर पैंट के ऊपर से ही हाथ रख दिया. वह ऊपर से ही सहलाने लगी.
मैंने कहा- इसे बाहर निकालो.
उसने मेरी पैंट की चेन खोलकर बाहर निकालना चाहा, परंतु सफल नहीं हुई, क्योंकि लण्ड अंडरवियर में तनकर फंसा हुआ था. मैंने ऊपर से पैंट खोलकर नीचे कर दी और उसने जैसे ही अंडरवियर को नीचे किया लण्ड एकदम झटके से बाहर निकल कर मेरे पेट पर लगा.
उसका मुंह खुला का खुला रह गया.

मैंने कहा- इसे असली लण्ड कहते हैं, छूकर देखो.
उसने अपने हाथ में लण्ड पकड़ा और बोली- ये असली है?
मैंने कहा- आगे पीछे करके देखो.
वह मेरे लण्ड को अपने दोनों हाथों में लेकर आगे पीछे करने लगी. वह कभी डिल्डो को देख रही थी और कभी मेरे लण्ड को पकड़ कर भींच रही थी.

मैंने लण्ड को उसकी निक्कर के ऊपर से ही उसकी चूत पर रगड़ा तो वह मुझसे लिपट गई. मैंने उसके टॉप को उतार दिया और ब्रा भी निकाल कर उसके चुचों को आजाद कर दिया. मैं उसके चुचों से खेलने लगा और बेड पर बैठकर उन्हें मुँह में भर कर पीने लगा. वह पागलों की तरह मेरे सिर को उन पर दबाने लगी.

मैंने उसकी निक्कर निकाल कर उसकी फूली हुई गोरी चूत को भी आजाद कर दिया. चूत पर हल्क रोंये से थे. मैंने चूत पर हाथ फिराया, वह प्रीकम से गीली हो चुकी थी.

मैंने हिमानी को बेड पर लिटाया और उसकी टांगों को खोल कर चूत को चौड़ी करके देखा. ऊपर की मोटी दो तहों के बीच, छोटी सी गुलाब की दो पत्तियों के बीच, छोटा सा गुलाबी छेद था जिसमें मैंने अपनी एक उंगली डाली. उंगली लगभग एक इंच अन्दर चली गई. उसने मजे से आँखें बंद कर ली.

मैंने पूछा- डिल्डो कितना लेती हो?
उसने बताया- अभी जितनी उंगली की है.

मैंने उसे बेड से उठाया. हम दोनों नंगे हो चुके थे. हमने फिर एक दूसरे को बाहों में लेकर चूमना चाटना शुरू किया. मैंने उसे पीछे की तरफ घुमाया और उसके चूतड़ों में पीछे से लण्ड नीचे लगा कर आगे से उसकी चूचियों को मसलने लगा. उसके सारे शरीर पर हाथ फिराते हुए मैंने उसे लण्ड को मुंह में लेने को कहा. वह सेक्स से इतनी बेहाल थी कि वह झट से नीचे बैठ कर लण्ड को मुँह में भर कर चूसने लगी. लण्ड उसके मुंह में फंस गया था, जिसे वह जोर जोर से चाटने और चूसने लगी.

हम बेड पर 69 की पोजीशन में आगये. मैं नीचे तथा हिमानी ऊपर आगई. वह अपनी सुविधानुसार मेरा लण्ड चूसने लगी और मैं उसके दाने को अपने होंठों के बीच लेकर चूसने लगा. अपनी जीभ को उसकी चूत में चलाने लगा. वह बीच बीच में लण्ड छोड़ कर आह…. उह… करती रही और एक जोर की आई….आई….की आवाज लगाकर… झड़ गई. उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया, जिसे मैंने महसूस किया.

मैंने उसे सीधा बेड पर लिटा लिया और उसकी मोटी और गुदाज जांघों पर बैठ कर उसके मम्मों को भींचने लगा. उसके मम्मों पर छोटे छोटे गुलाबी निप्पल थे जो मेरे चूसने से तन कर खड़े हो गए थे. मैंने दुबारा उन्हें चूसना शुरू किया.
वह बेहाल हो गई और बोली- अन्दर डालो.

मैंने उसकी टांगों को फैलाया और उसके दोनों घुटनों को थोड़ा मोड़ा तो वह घबराने लगी और बोली- यह तो बहुत मोटा है, मुझे डिल्डो से ही मजा दे दो.
मैंने कहा- हिमानी! यह लौड़ा है, भगवान ने चूत के लिए इसे बनाया है और चूत को कोई नुकसान न हो इसलिए इसके सुपारे को आगे से सॉफ्ट और गुदाज बनाया है, चूत में भी बहुत कैपेसिटी होती है इसे लेने की. बस आदत की बात होती है कि आप हर रोज इसमें क्या लेती हो. अतः आज के बाद तुम डिल्डो भूल जाओगी.

मैंने हिमानी की चूत पर लण्ड रखा. चूत और लण्ड पहले ही चाटने से चिकने हुए हुए थे, लण्ड पर प्रीकम आ गया था. मैंने थोड़ा जोर लगाया तो सुपारा हिमानी की चूत में पूरा घुस गया.
वह थोड़ा डर रही थी. मैंने उसके कंधे पकड़कर थोड़ा जोर लगाया तो लण्ड आधा अंदर घुस गया और हिमानी की जोर से चीख निकल गई- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मर गयी मैं!

भाभी के कमरे की तरफ की कुण्डी नहीं लगी थी, हिमानी की चीख सुन कर भाभी अन्दर आ गई और हमें उस पोजीशन में देख कर बोली- देवर जी! जरा धीरे, कहीं ऐसा न हो कि चूत बिल्कुल ही न फट जाए.
भाभी ने हमारे चूतड़ों की तरफ हो कर देखा और चूत और लण्ड पर हाथ लगाकर बोली- अभी तो आधा बाहर ही पड़ा है. भाभी के हाथ पर ब्लड लगा था. हाथ साफ़ कर, भाभी हिमानी के पास आई और उसकी चूचियों पर हाथ फिराने लगी.

हिमानी ने भाभी के हाथ पकड़ लिए. भाभी ने मुझे इशारा किया और मैंने हिमानी के कंधे पकड़ कर एक झटका और मारा तो लण्ड पूरा अंदर बैठ गया और हिमानी की चीख को भाभी ने अपने हाथ को उसके मुँह पर रख कर दबा लिया. हिमानी तड़पने लगी, मैंने एक दो बार और अन्दर बाहर किया तो हिमानी दर्द से बिलखने लगी.

चूत से ब्लड निकलने लगा था. वह बोली- निकालो, बहुत दर्द हो रहा है, उसकी सांस फूल गई थी.
भाभी ने कहा- राज! हिमानी को एक बार छोड़ दो.

मैंने लण्ड बाहर निकाला तो चूत से खून की धार बह निकली. लण्ड हिमानी की चूत के खून से सना था.

भाभी ने हिमानी की चूत पर एक कपड़ा रखा और कुछ देर तक उसे दबाये रखा. मैं बाथरूम में अपना लण्ड धोने चला गया. साथ ही भाभी हिमानी को भी ले आई और उसे समझाया कि जो होना था वह हो चुका है, ऐसा एक बार सभी के साथ होता है, जब चूत की झिल्ली फटती है, अभी पांच मिनट में सब ठीक हो जाएगा.

हिमानी ने चूत को धोया, थोड़ी देर में ब्लीडिंग बंद हो गई. भाभी अपने कमरे में चली गई.

कहानी जारी रहेगी.
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कहानी का अगला भाग: कोलकाता में भाभी ने दिलवाई दो और चूत-2

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