जिस्मानी रिश्तों की चाह -9

जूजाजी 2016-06-23 Comments

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सम्पादक जूजा

कंप्यूटर स्क्रीन उनके सामने थी और की बोर्ड उनकी गोद में पड़ा था। उन्होंने स्काइ-ब्लू क़मीज़.. जिस पर ब्लैक फूल प्रिंटेड थे.. पहन रखी थी।

सिर पर डार्क-ब्लू स्कार्फ ऐसे ही बाँध रखा था.. जैसे वो बाँधा करती हैं, इसको मैं पहले बयान कर चुका हूँ।
नीचे आपा ने वाइट कॉटन की ही सलवार पहनी हुई थी.. जिसके पायेंचों ने उनके पैरों को आधे से ज्यादा ढक रखा था।

स्क्रीन पर वो रात वाली ही मूवी चल रही थी.. जिसमें सब ब्लैक आदमी और गोरी लड़कियाँ ही थीं।
यह सीन थ्रीसम का था जिसमें एक गोरी लड़की डॉगी पोजीशन में थी और एक डार्क ब्लैक लण्ड उसकी खूबसूरत पिंक-पिंक चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था।

उसी वक़्त में ही एक और काले लण्ड को उसके होंठों ने अपनी गिरफ्त में ले रखा था।

सामने बैठी मेरी सग़ी बहन मेरी बड़ी बहन.. मेरी आपी.. अपने राईट हैण्ड से की बोर्ड को कंट्रोल कर रही थीं और लेफ्ट हैण्ड की 2 उंगलियों से उन्होंने अपने लेफ्ट मम्मे के निप्पल को पकड़ रखा था और उसे चुटकी में मसल रही थीं।
उन्होंने अपनी दाईं टांग पर अपनी बाईं टांग को क्रॉस करके रखा हुआ था.. जिसकी वजह से मुझे अपनी बहन की हसीन रान और बाएँ कूल्हे के निचले हिस्से का भी दीदार हो रहा था।

अपनी सग़ी बहन को इस हालत में देख कर मेरी क्या हालत थी.. इसका अंदाज़ा आप बाखूबी लगा सकते हैं।

मैंने अपनी पैंट की ज़िप खोल के अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया था.. लेकिन मैं उसे हाथ भी नहीं लगा रहा था क्योंकि मुझे पता था कि मेरे हाथ टच करते ही मेरा लण्ड अपना पानी बहा देगा.. बगैर हाथ लगाए ही मेरे लण्ड से क़तरा-क़तरा सफ़ेद माल निकल रहा था।

चंद सेकेंड्स के वक्फे से मेरा लण्ड एक झटका ख़ाता था… और एक क़तरा बाहर फेंक देता था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे पूरे जिस्म में आग लगी हुई है, मुझे अपने कानों से धुंआ निकलता महसूस हो रहा था।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

आपी कुर्सी पर बिना हिले-जुले ऐसे बैठी थीं.. जैसे कि वो बुत हों। उधर मूवी में अब दोनों लड़के अपने-अपने लण्ड चूत और मुँह से निकाल कर साथ-साथ खड़े हो गए थे और वो लड़की उन दोनों के सामने घुटनों के बल बैठ कर बारी-बारी से दोनों का लण्ड चूस रही थी और हाथ में उनके हैवी लौड़े पकड़ कर अपने हाथ को आगे-पीछे हरकत दे रही थी।

फिर उस लड़की ने लण्ड को अपने मुँह से निकाला और अपने सीने के उभारों पर रगड़ने लगी। फिर उसने लण्ड की नोक को अपने निप्पल पर दबाया ही था कि लण्ड से गाढ़ा सफ़ेद जूस निकल-निकल कर उसके मम्मों पर गिरने लगा।
वो अपने हाथ से अपने दोनों मम्मों पर लण्ड के पानी की मालिश करने लगी।

उसी वक़्त दूसरे ब्लैक आदमी ने लड़की के सिर को पकड़ कर अपने लण्ड की तरफ घुमाया और उस लड़की ने उसके लण्ड को पकड़ कर एक बार में पूरे लण्ड को जड़ तक अपने मुँह में भरा और फिर लण्ड को मुँह से निकाल कर सिर्फ़ उसकी नोक को अपने निचले होंठ पर टिका दिया और अपना मुँह जितना खोल सकती थी.. खोल लिया और लण्ड को अपनी मुठी में पकड़ कर हाथ को आगे-पीछे करने लगी।
फ़ौरन ही उसके लण्ड से भी गाढ़ा-गाढ़ा सफ़ेद पानी निकलने लगा.. जो लड़की के मुँह में जमा होता रहा।

उसी वक़्त आपी के जिस्म को भी झटका सा लगा.. उन्होंने की बोर्ड अपनी गोद से उठा कर सामने टेबल पर रख दिया। उन्होंने मीडिया प्लेयर के कर्सर को हरकत दी और मूवी वहीं से शुरू हो गई.. जहाँ से लड़की ने जड़ तक लण्ड को चूस कर अपने निचले होंठ पर टिका दिया था।
शायद वो ये सीन फिर से देखना चाहती थीं।

आपी ने भी अपने दोनों हाथों को सामने टेबल पर रखा और टेबल का किनारा बहुत मज़बूती से पकड़ लिया। उन्होंने अपनी टाँगों को आपस में भींच लिया। आपी की गर्दन की अकड़ गई थी.. उनकी गिरफ्त टेबल पर मज़बूत होती जा रही थी और पूरा जिस्म अकड़ गया था। सिर गर्दन की अकड़ की वजह से पीछे को झुक सा गया था।

अचानक उनके जिस्म ने 2-3 झटके लिए और उनको हिचकियाँ भी आने लगीं, शायद अपनी सिसकारियों को रोक रही थीं।
इस वजह से सिसकारियाँ हिचकी में तब्दील हो गई थीं।

उसी वक़्त मेरे लण्ड ने भी झटके लिए और दीवार पर पिचकारी मारने लगा।
मेरी जिन्दगी में पहली बार ऐसा हुआ था कि बगैर हाथ टच हुए मैं डिसचार्ज हुआ था।

झटके खाने के बाद भी आपी का जिस्म तकरीबन 30 सेकेंड तक अकड़ा रहा और फिर उनका बदन ढीला पड़ गया और वो निढाल सी हो गई।
शायद मेरी आपी भी मेरी तरह बगैर टचिंग के ही अपनी मंज़िल पा गई थीं।

मैं नहीं चाहता था कि आपी को मेरी मौजूदगी का पता चले।
मैं जिस रास्ते से यहाँ तक आया था.. उसी रास्ते पर चलता नीचे चला गया।
मुझे उम्मीद थी कि आपी भी अब फ़ौरन ही नीचे आ जाएंगी।

इसलिए मैं बाहर वाले मेन गेट पर आकर खड़ा हो गया कि आपी को सीढ़ियाँ उतारते देख कर घर में ऐसे दाखिल होऊँगा कि उन्हें ऐसा ही ज़ाहिर हो कि मैं अभी-अभी ही घर आया हूँ।

लेकिन 10-15 मिनट वहाँ खड़े होने के बावजूद भी आपी नीचे नहीं उतरीं.. तो मैं बाहरी दरवाजे को बन्द करते हुए घर से बाहर निकल गया।

कुछ देर टाइम पास करने के लिए स्नूकर क्लब की तरफ चल दिया। मेरा जेहन बहुत कन्फ्यूज़ था। मेरा जेहन अपनी सग़ी बहन.. जो बहुत पाकीज़ा.. लायक और शरीफ थी.. का ये रूप क़बूल नहीं कर रहा था। अपनी बहन जिसके मम्मों को मैंने कभी दुपट्टे के बगैर नहीं देखा था.. अभी उन मम्मों पर सजे खूबसूरत निपल्स को चुटकी में मसलता हुआ देख कर आ रहा था। हाँ वो थे तो क़मीज़ में छुपे.. लेकिन शायद ब्रा से बेनियाज़ थे।

मेरी बहन जो कभी हमारे सामने ज्यादा देर बैठती नहीं थी.. उसकी वाइट सलवार में छुपी रान और कूल्हे का निचला हिस्सा मेरी नज़रों में घूम रहा था।

‘भाई साहब चना चाट खाओगे.. बिल्कुल ताज़ा है..’

इस आवाज़ पर मेरी सोचों का सिलसिला टूटा.. तो मुझे पता चला कि मैं जा तो स्नूकर क्लब रहा था.. लेकिन पहुँच गया था अपने एरिया में बने एक पार्क में.. शायद मैं सोचने के लिए तन्हाई चाहता था और मेरा जेहन मुझे यहाँ ले आया था।

सारा दिन घर से बाहर गुजारने के बाद जब मैं घर पहुँचा.. तो रात के 9 बज रहे थे।
घर में घुसते ही अब्बू की आवाज़ ने मेरा इस्तक़बाल किया- अमां यार कहाँ थे बेटा.. सारा दिन तुम्हारा सेल फोन भी ऑफ मिल रहा है।

मैंने उनके सामने वाली कुर्सी पर डाइनिंग टेबल पर बैठते हुए यूँ ही कुछ बहाना बनाया और बात को टाल दिया।

अम्मी ने कहा- खाना खा कर जल्दी सो जाना.. सुबह 5 बजे तुम्हें सलमा खाला के साथ गाँव जाना है। फरहान शाम 4 बजे ही इजाज़ (सलमा खाला के शौहर) के साथ गाँव चला गया है।

मैंने अब्बू की तरफ सवालिया नजरों से देखा.. तो उन्होंने तफ़सील से बताया कि वहां हमारी कुछ ज़मीने हैं.. जो तुम्हारे और फरहान के नाम पर हैं। उनके साथ ही हमारी खाला की भी ज़मीन है। बस उन्ही का कुछ मसला था.. जिसकी तफ़सील बयान करके मैं आप लोगों को बोर नहीं करना चाहता।
तभी अम्मी ने कहा- तुम्हारा बैग रूही ने तैयार कर दिया होगा। अपना जरूरी सामान जो साथ ले जाना चाहो.. वो भी रूही को दे देना.. वो रख देगी..।

रूही आपी का नाम सुनते ही मुझे आज सुबह का देखा हुआ सीन याद आ गया और फ़ौरन ही मेरे लण्ड ने रिस्पोन्स में मुझे सैल्यूट दे दिया।

मैं खाना खा चुका था.. मैंने अम्मी-अब्बू को खुदा हाफ़िज़ कहा और उन्हें कह दिया कि मैं सुबह सलमा खाला को उनके घर से ले लूँगा और सीढ़ियों की तरफ चल दिया।

मैंने पहली सीढ़ी पर क़दम रखा ही था कि ऊपर से रूही आपी आती दिखाई दीं।
उन्हें देख कर मेरा दिल ज़ोर से धड़का और फिर जैसे मेरी धड़कन रुक सी गई। उन्होंने सुबह वाला ही सूट पहन रखा था और वो ही स्कार्फ बाँधा हुआ था.. डार्क ब्लू कलर का और एक बड़ी सी ग्रे रंग की चादर उन्होंने अपने पूरे जिस्म के गिर्द लपेट रखी थी।

लेकिन वो बड़ी सी चादर भी आपी के सीने के बड़े-बड़े उभारों को मुकम्मल तौर पर छुपा लेने में नाकाम थी। जब वो मेरे सामने पहुँचीं और मेरी नजरों से उनकी नज़र मिलीं तो मेरी नज़रें फ़ौरन झुक गईं..

लेकिन इस एक नज़र ने मुझे ये बता दिया था कि आपी की नजरों में भी अब वो दम नहीं था कि वो मुझसे आँख मिला सकतीं।
उनकी नज़र भी फ़ौरन ही झुकी थी।
आख़िर उनके दिल में भी चोर बस ही गया था।

मैं गाँव में 5 दिन गुजार कर आज ही वापस पहुँचा था और सलमा खाला को उनके घर छोड़ कर बस अपने घर में दाखिल हुआ ही था कि सामने डाइनिंग हॉल में ही अम्मी बैठी हुई मिल गईं। उन्होंने सलाम का जवाब दिया और मेरा माथा चूमने के बाद पहला सवाल फरहान के बारे में किया कि वो कहाँ है?

तो मैंने बताया कि वो भी कल आ जाएगा।

मेरा जवाब खत्म होते ही अम्मी ने दूसरा सवाल दाग दिया- गाँव के जिस काम के लिए हम गए थे.. उसमें क्या हुआ?
मैंने सिर्फ़ इतना ही जवाब दिया- सब काम खैरियत से निपट गया है। तफ़सील आप सलमा खाला से ही पूछ लेना।

ये वाकिया मुसलसल जारी है।
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