गर्ल फ्रेंड की चुदाई और बेवफाई

(Girl Friend Ki Chudai Aur bewafayi)

यह हिंदी एडल्ट स्टोरी मेरी जिन्दगी से संबंधित है मैंने अपनी जिन्दगी में न जाने कितनी ही बार चुदाई की मगर किस्मत की मार से मेरी मुहब्बत अधूरी रह गई.

मेरा नाम दीपू कुशवाहा है, मेरे चार भाई और एक बहन हैं. मैं घर में सबसे छोटा हूँ. मेरा शरीर एकदम फिट है, जो मैंने आर्मी के लिए तैयार किया था, पर किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था.
पहले मैं मैनपुरी (उतर प्रदेश) में रहता था, अभी दिल्ली में रहता हूँ.

यह कहानी मेरी पहली मोहब्बत और आखिरी मोहब्बत थी, जिसे आज तक नहीं भूला.

एक बार मैं और मेरी मम्मी, बड़े मामा के पास रक्षा बंधन पर गए. मामा के घर पास जूही नाम की एक लड़की रहती थी. मैंने उसे देखा तो वो मुस्करा कर चली गई. मुझे मजा सा आया, मैंने उसे शाम को वहीं फिर देखा तो वो फिर मुस्करा दी. मैंने उससे डरते हुए उसका नाम पूछा, उसने नाम बताया.. इसके बाद मैंने उसके साथ थोड़ी देर इधर उधर की बात की और उससे दोस्ती के लिए बोला.
तो उसने बोला कि सोच कर बताऊंगी.
ये कह कर वो चली गई.

उसके अगले दिन वो मुझे मिली तो उसने ‘हां’ कहा. फिर मैंने उसे किस के लिए बोला तो उसने ‘हां’ में सिर हिलाया, तो मैंने उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिए. लगभग दो मिनट बाद हम अलग हुए और हमारी प्रेम कहानी चल पड़ी. मैं हर महीने किसी न किसी बहाने से मामा के यहाँ जाने लगा और उससे मिलने लगा. लगभग दो साल बाद जब वो बी.ए. के पहले साल में थी तो वह अपने गाँव से शहर में पढ़ने आती थी. पढ़ाई के बहाने हम दोनों हफ्ते में एक या दो मिल लेते थे.

इस दौरान हम लोग किस से आगे बढ़ गए थे. मैं उसके मम्मे, जो अभी अभी सेब की तरह ही हुए थे, वहां तक पहुंच गया था. कभी मम्मों को दबाना तो कभी मुँह में लेकर उसके चने के समान, जो भूरे ब्राउन रंग के निप्पल थे, उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगा था.

फिर एक दिन की बात है. मैं जून में मामा के यहाँ गया था. वहां पड़ोस में एक शादी थी. जूही और उसकी भाभी वहां पर मिलीं. उसकी भाभी से मेरी पहली ही मुलाकात थी तो मैंने उनसे बात की कि मुझे कुछ देर के लिए जूही से बात करनी है. भाभी ने ‘हां’ कह दिया. मैंने जूही से कहा कि तुम मुझे गाँव के बाहर मिलना.

ये कह कर मैं पहले निकल आया. वो लगभग दस मिनट बाद आई. मैं उसे गले से लगाकर चूमने लगा, वो भी मेरा साथ दे रही थी.

लगभग 15 मिनट बाद मैंने उसके दूध दबाए और एक हाथ से उसकी चूत मसलने लगा. अब वो बहुत ही उत्तेजित होने लगी. वो भी अपना हाथ मेरे पेंट के अन्दर डाल कर मेरे लंड को मसलने लगी.
मैंने उससे कहा- जूही, आज मेरे लंड को प्यार करो.

मैंने अपनी पेंट खोल दी, लंड कच्छे से बाहर निकाल दिया. फिर उसने जैसे ही मेरा लंड देखा, जो कि करीब 6″ का था.
वो लंड देखकर कहने लगी- ये तो बहुत बड़ा है..
‘तेरा ही है..’ कहते हुए मैंने उसे चूम लिया.

वो लंड को हाथ में ले कर सहलाने लगी. कुछ देर बाद मैंने उससे मुँह में लेने के लिए बोला, तो उसने लंड मुँह में लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. मैं जन्नत का मजा लेने लगा और कोई 5 मिनट बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया. उसने मेरे लंडरस को बाहर उगल दिया.

मैंने अब उसकी पजामी का नाड़ा खोल कर उसकी चड्डी को उतार दिया. फिर मैंने उसकी चूत को देखा, जिस पर छोटे छोटे बाल उगे थे, उसे चाटना चालू किया. वो तुरंत झड़ गई.. क्योंकि वो पहले से ही बहुत गरम हुई पड़ी थी. मैं उसका पूरा जूस पी गया.
फिर वो बोली कि आज आपने बहुत प्यार किया.
इसी तरह बैठ कर प्यार मुहब्बत की बातें होने लगीं.

हम लोगों को बातें करते हुए लगभग एक घंटे से ज्यादा समय हो गया था. वो बोली- अब मुझे चलना चाहिए नहीं तो भाभी गलत सोचेंगी.
मैंने कहा- अभी तो आधा मजा आया है.
वो कहने लगी- कल दिन में कहीं पर मिलते हैं.
मैं उससे बहुत प्यार करने लगा था तो उससे बोला- ठीक.. अगर कल मिल रही हो तो ठीक है.

जूही वादा करके चली गई. वो सुबह 6 बजे ही मेरे मामा के घर आ गई. मैं बाहर घूमने के लिए निकला था. व मुझे देख कर बोली- अब बताओ क्या करना है?
मैं बोला- मैं दो तीन घंटे तुम्हें प्यार करना चाहता हूँ.
वो हंस कर बोली- इतना समय नहीं है.
मैंने कहा- कॉलेज के लिए टाइम से निकलना, बाकी मुझ पर छोड़ दो. बस तुम अन्दर वाले कपड़े मत पहनना.
वो मुस्कुराई और आँख दबा कर बोली- ठीक है.

फिर वो 9 बजे स्टैंड पर मिली, मैं उसे लेकर कुछ दूरी पर नहर के किनारे एक अरहर के खेत में ले गया. वहां पर मैंने उसे लिटा कर किस करना चालू कर दिया, वो मेरा पूरा साथ दे रही थी. फिर मैंने उसके दूध दबाये तो वो कामुक सिसकारियां लेने लगी.

फिर मैंने उसकी कुर्ती उतार दी. जब वो सुबह मेरे पास आई थी, उस वक्त मैंने उससे कह ही दिया था कि अन्दर कुछ नहीं पहनना, मैंने देखा कि वो अन्दर कुछ भी नहीं पहने थी.
मैंने उसे चूम कर पूछा- कैसा लग रहा है?
उसने मुस्कुरा कर मुझको चूम लिया- बहुत अच्छा लग रहा है.

मैंने उसकी पजामी भी उतार दी और वो पूरी नंगी हो गई. इसके बाद मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए. मैंने अभी सिर्फ अंडरवियर छोड़ दिया.

अब मैं उसका एक दूध अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरा दबाने लगा. वो बहुत गर्म हो गई और सिसकारियां लेने लगी. वो अपने एक हाथ से मेरी पीठ सहलाने लगी और दूसरे हाथ से मेरे लंड को मरोड़ने लगी.

मैंने भी जल्दी करने के चक्कर में अपना लंड उसके मुँह में गीला करके उसकी चूत में रख दिया और रगड़ने लगा. उसकी चूत एकदम गीली हो गई.
जूही बोली- अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है, जल्दी कुछ करो ना.

मैंने लंड को उसकी चूत के छेद में रखकर दबाया और सुपारा चूत की फांकों में फंसा कर उससे बोला कि थोड़ा दर्द होगा.
तो वो चूत फैलाते हुए बोली- कोई बात नहीं, मुझे पता है.. मैं सह लूँगी.
मैंने लंड और दबाया तो मेरा लंड ऊपर सरक गया, ऐसे दो तीन बार हुआ. अब वो चुदास से भर उठी और चिल्लाने लगी- जल्दी करो यार..

मैंने लंड और चूत पर थोड़ा थूक लगाया और जोर के धक्का लगा दिया, जिससे मेरा लंड लगभग दो इंच घुस गया.
लंड क्या घुसा वो सारी मुहब्बत भूल गई और दर्द के मारे निकालने के लिए चिल्लाने लगी. मैंने उसे बहुत समझाया लेकिन वो नहीं मानी.
वो रोते हुए बोली- अगर तुम मुझसे प्यार करते हो तो अभी निकालो.

मैंने लंड निकाल लिया और उसकी चुन्नी से उसकी चूत और अपने लंड को साफ कर दिया.

चुदाई की माँ चुद चुकी थी, वहीं पर बैठ कर मैं उससे बात करने लगा.

दस मिनट बाद मैंने उसे किस करना चालू कर दिया. पहले उसने मना करते हुए कहा- मत करो.. तुम किस के बाद दूध दबाओगे और उसके बाद मेरी चूत में लंड डालोगे.. मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने फुसलाते हुए कहा- एक बार पूरा अन्दर ले लो.. फिर दर्द नहीं.. मजा आएगा और रोज चुदवाने को बोलोगी.
वो- नहीं मुझे नहीं करना.

मैंने कहा- शादी के बाद बच्चा कहां से दोगी?
तो उसने कहा- वो सब बाद में देखेंगे.
मैंने कहा- सिर्फ एक बार मेरा पूरा अन्दर ले लो.. मैं कभी नहीं कहूँगा, अगर प्यार करती हो तो मेरा मुँह में लेकर चूसो अगर आगे इच्छा हो, तो लेना वरना कोई बात नहीं.

वो मान गई, उसने मुँह में लंड लेकर चूसना चालू किया. दो तीन मिनट बाद मैंने बोला कि चूत के ऊपर रगड़ना है.
वो बोली- सिर्फ रगड़ना और कुछ नहीं..!

मैंने लंड को हाथ से पकड़ कर चूत पर रगड़ने लगा और वो सिस्कारियां लेने लगी. जैसे ही उसने अपनी आँखें बंद की, मैंने लंड को स्वर्ग दरवाजे पर रख कर पूरी ताकत से धक्का दे दिया. मेरा लंड उसकी झिल्ली फाड़ता हुआ आधे से ज्यादा अन्दर चला गया. उसके मुँह से आवाज निकली- उई अम्मा.. मर गई रे..

मैं अपने होंठ उसके होंठ पर रख कर चूसने लगा और दोनों हाथों से उसके दूध दबाने लगा. पांच मिनट बाद वो कुछ शांत हुई और अपनी कमर को हिलाने लगी.
मैंने उससे पूछा- ठीक है?
उसने अपने गर्दन हिला कर हां कह दिया.

फिर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने चालू किए और फिर एक जोर के धक्का दिया, जिससे मेरा पूरा लंड उसके अन्दर चला गया. फिर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने चालू किए और फिर एक जोर का धक्का दिया, जिससे मेरा पूरा लंड उसके अन्दर चला गया. इस बार वो फिर से चिल्लाई, पर थोड़ा कम.

मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने चालू रखे, अब उसे मजा आने लगा और मुँह से ‘अ आह.. उई..’ की आवाजें निकलने लगीं. दस मिनट बाद हम लोगों ने अपना पानी छोड़ दिया.

हम लोग अलग होकर बात करने लगे और एक दूसरे के अंगों को सहलाने लगे. मैंने पूछा कि घर कब जाना है?
वो बोली कि स्कूल के समय पर ही.

मैंने देखा कि अभी तो केवल ग्यारह ही बजे हैं, फिर मैंने उसकी चूत की सफाई की तो खून की वजह से उसकी चुन्नी खराब हो गई थी. मैंने कहा कि नई खरीद कर दे दूँगा.
बोली- कोई जरूरत नहीं है.

अब तक मेरा लंड फिर खड़ा हो गया. मैंने इस बार उसे घोड़ी बनने को बोला तो वो घोड़ी बन गई. मैंने एक बार में ही अपना पूरा लंड उसकी चूत में पीछे से पेल दिया, उसे दर्द हुआ, लेकिन कुछ ही पल बाद वो भी मजे लेने लगी.

उस दिन हम लोगों ने तीन बजे तक चार बार चुदाई की, फिर मैं पहले बाहर जाकर एक चुन्नी और कुछ खाने को ले आया और उसे चुन्नी ओढ़ा दी.

हम लोगों ने थोड़ी देर बैठ कर बात की और घर चले आए. उसकी चाल थोड़ी गड़बड़ थी, जिसका उसकी भाभी को शक हो गया.

दुःख इस बात का है हम लोगों ने 3 साल प्यार किया और 5 बार चुदाई की और तो वो दो बार मेरे साथ भागने के लिए तैयार थी, तो मैंने उसे समझाया था कि अगर किस्मत में अपनी शादी नहीं लिखी है तो कोई बात नहीं, हम लोग बात करना बंद नहीं करेंगे.

मैंने उसके साथ भागने के लिए इसलिए मना किया क्योंकि उससे छोटी उसकी तीन बहनें थीं तो उनकी दुनिया ही ख़राब हो जाती. उसके माँ बाप भी मुझे पर बहुत भरोसा करते थे, उन्हें भी बुरा लगता.
मैंने उससे बोला- अगर तुम अपने घर पर हमारी शादी की बात कर लो तो मैं अपने घर बात कर लूँगा.

मैंने उसे वचन दिया कि अगर हमारी शादी नहीं हुई तो मैं शादी नहीं करूँगा. किस्मत की बेईमानी तो यह है कि उसकी शादी अगले साल मेरे ही कस्बे में हो गई और दुःख इस बात का है कि आज तक उसका फोन नहीं आया.

इसलिए मैं दिल्ली आ गया और यहीं पर रहने लगा. अब मेरी सोच बदल चुकी है और मुझे किसी से कोई गिला नहीं दोस्तो… जिंदगी है मजे लेने के लिए!
मेरी इस हिंदी एडल्ट स्टोरी पर ईमेल जरूर करें.
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