विलेज के मुखिया का बेटा और शहरी छोरी-2

(Desi Kahani: Gaanv Ke Mukhiya Ka Beta Aur Shahri Chhori- Part 2)

मेरी देसी कहानी
विलेज के मुखिया का बेटा और शहरी छोरी-1
के पहले भाग में आपने पढ़ा कि मैं अपनी सहेली के साथ उसके गाँव गयी थी. वहां पर गाँव के मुखिया के बेटे राघव से मिलवाया मेरे सहेली ने!
मुझे सपनों में भी राघव जी दिखाई दे रहे थे कि एक ही मुलाकात में मैं उनके प्रति सम्मोहित हो गयी थी.
अब आगे:

दूसरे दिन हम दोनों ही देर से उठे। आज हम राघव जी ने बताये हुए मंदिर जाने वाले थे। आज मैंने सलवार कमीज और ओढ़नी पहनी थी। मंदिर के रास्ते में ही मुखिया जी का घर था, पर पता नहीं क्यों मिताली ने वहाँ रुक कर राघव जी को जोर से आवाज दे कर बताया।
“राघव भैया, हम मंदिर जा रहे हैं.”
राघव जी ने बाहर आ कर हमें मंदिर के नियमों के बारे में बताया, फिर बेशर्मों की तरह मुझे पूछा- तुम्हें पीरियड्स तो नहीं हुए ना, या फिर 1-2 दिन में तो आने वाली नहीं है?
मुझे इस सवाल से धक्का सा लगा और मैंने मिताली की तरफ देखा, तो मिताली ने समझाते हुए बताया- अरे उस मंदिर में पीरियड्स में नहीं जा सकते, पीरियड्स को 2-3 दिन बाकी को या फिर 2-3 दिन हो गए हो तो भी नहीं जा सकते!

“नहीं मैं पीरियड्स में नहीं हूँ, 10-12 दिन हो गए हैं.” मैंने मिताली को बताया।
“तो वैसा बताओ न राघव जी को!” मिताली बोली।
“हो गए 10-12 दिन!” मैंने शर्माते हुए राघव जी को जवाब दिया।

उनके सवाल पे मुझे बहुत शर्म आ रही थी पर मुझे शर्माते हुए देखकर उनको हंसी आ रही थी।
फिर हम मंदिर की तरफ चल दिये।

थोड़ी देर बाद हम उस मंदिर के पास पहुँचे, वो एक छोटा सा मंदिर था, दोपहर की वजह से वहा कोई नहीं था, वह एक शांत जगह थी।
हमने मंदिर में हाथ जोड़े फिर थोड़ी देर वहां पर बैठ गए।

“नीतू, यहाँ पीछे एक तालाब है, ठंडे पानी का तालाब… गांव के सब लोग उसको पवित्र मानते हैं। भगवान की कृपा पाने के लिए सब लोग यहां पे स्नान करते हैं। चलो न हम भी यहाँ पर नहा लेती हैं। इससे हमारे सब पाप धुल जाएंगे और नेचुरल पानी से हमारी त्वचा भी निखर जाएगी.” अचानक मिताली ने मुझसे कहा।
मैं तो पहले से ही बहुत श्रद्धालु थी, और गर्मी भी बहुत थी तो मैं तैयार हो गयी।

मंदिर के थोड़े पीछे चले जाने के बाद पीछे एक स्विमिंग पूल जैसा छोटा तालाब बना हुआ दिखा। वहाँ पत्थरों के बीच से एक ठंडे पानी का झरना बह रहा था वो पानी बह कर उस तालाब में आता था।
तालाब शेड से पूरा ढका हुआ था और तालाब के बीच में एक पानी के ऊपर उभरी हुवी जगह थी जिस पे 4-5 लोगों के बैठने की जगह थी। हम उस शेड के अंदर आ गए और मिताली ने शेड का डोर बंद कर दिया।
अंदर 2-3 चेंजिंग रूम थीं।

चेंजिंग रूम देखने के बाद मुझे खयाल आया कि हम तो चेंजिंग के लिए कपड़े ही नहीं लाई थी।
“अरे मिताली हम तो कपड़े ही नहीं लाई हैं बदलने के लिए, अब हम कैसे स्नान करेंगी?”
“अरे मेरी गुड़िया यहाँ, पे बिना कपड़ों के ही नहाया जाता है। दोपहर में यहाँ पे कोई भी नहीं आता, सब लोग शाम को ही आते हैं। मैं भी ऐसे ही नहा रही हूं, बिना कपड़ों के ही!” ऐसा कह कर उसने अपनी कुर्ती उतार दी।

मुझे यह देख कर शॉक लगा, मिताली ने अंदर ब्रा नहीं पहनी हुई थी। फिर मिताली ने सलवार के इलास्टिक में उंगलियाँ डाल कर एक ही झटके में सलवार पैरों तक नीचे खिसका दी। मुझे फिर से एक बड़ा शॉक लगा, उसने अंदर पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी।
वो अब मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी।

मिताली थोड़ी सांवली सी थी पर मैं उसके मुकाबले में गोरी चिट्टी थी। पर उसका फिगर मेरे जैसा या फिर मुझसे थोड़ा अधिक मादक था।
“अब मुझे देखती ही रहोगी या… आओगी पानी में कपड़े निकाल कर? चलो जल्दी…” वो हाथ हिलाते हुए मेरा ध्यान खींचने की कोशिश करने लगी.

मैंने थोड़ा हिचकिचाते हुए इधर उधर देखा, फिर दरवाजा बंद देख कर धीरे से मेरी कुर्ती के बटन खोलने चालू कर दिए। जैसे जैसे मेरा गोरा बदन नंगा हो रहा था वैसे वैसे मिताली की आंखों में चमक आ रही थी।
हम दोनों एक ही रूम में रहती थी, फिर भी एक दूसरे को कभी नंगी नहीं देखा था।

कुर्ती निकालने के बाद मैंने हाथ पीछे ले जाते हुए ब्रा का हुक निकाल दिया और ब्रा स्ट्रिप्स कंधों से अलग किया। अब मिताली का मुंह खुला का खुला ही रह गया। मेरी गोरी गोरी चुचियाँ मिताली के सामने नंगी हो गई, 34 इंच के परफेक्ट गोल मम्मे पे एक डेढ़ इंच के चॉकलेटी ऐरोला बहुत ही मादक दिख रहा था। उस पे मेरे आधा सेंटीमीटर निप्पल्स मेरे मम्मे की सुंदरता और भी बढ़ा रही थी।

मिताली मुझे जिस तरह से देख रही थी, उससे मुझे और भी शर्म आने लगी। मैंने अपने सलवार का नाड़ा खोला तो सलवार नीचे जमीन पर गिर गयी। मेरा गोरा सपाट पेट और गहरी नाभि और कमर पे चांदी की चेन की वजह से मैं किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी।
मिताली तो मुझे आँखें फाड़ कर देख रही थी।

मुझे अब मिताली का ऐसे मुझे देखना अच्छा लगने लगा था।

फिर मैंने थोड़ी और हिम्मत करके इधर उधर देखते हुए अपनी पैंटी भी नीचे खिसका दी। अब शॉक लगने की बारी मिताली की थी। वो बिना पलकें झपकाए मुझे देख रही थी। मैंने मेरी चूत के बालों पे एक छोटा सा हार्ट शेप रखा था, बाकी के बाल निकाल कर उस हार्ट शेप में बाल ट्रिम किये हुए थे।

“क्या हुआ?” मैंने मिताली को चिढ़ाते हुए पूछा।
“नीतू… अगर मैं लड़का होती ना… तो अभी… इसी वक्त तुम्हें चोद चोद के रुला देती!” ऐसा बोल कर मिताली मेरे पास आ गयी और मेरे बदन पे हाथ फेरने लगी।

हालात कुछ ऐसे थे और फिर मिताली के स्पर्श की वजह से मैं गरम होने लगी। मिताली अब मेरे मम्मो को दबाने लगी तो मेरे मुंह से हल्की हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी।
मैं अब दूसरी ही दुनिया में पहुंच गयी थी, मुझे पता ही नहीं चला कि कब मिताली के हाथ मेरे चूत के होठों पर पहुंच गए और वो उनसे खेलने लगी।

अब तो मेरी चूत भी रस छोड़ने लगी थी। मिताली की उंगलियां अब मेरी चुत की दरार में घुसने लगी थी। मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुंच गयी थी, मैंने जिंदगी में कभी ऐसा सुख महसूस नहीं किया था। मिताली की उंगलियां अब धीरे धीरे मेरी चुत में अंदर बाहर हो रही थी।
“ऊफ… नीतू… तू कितनी टाइट है याररर…” उसने मुझे चिढ़ाते हुए बोला।
“तुम भी न मीतू…” मैंने शर्माते हुए उसका हाथ पकड़ लिया।

मिताली की उंगलियां अब मेरी चुत के अंदर तक मेरी झिल्ली तक पहुंच गयी।
“नीतू… तू अभी सीलपैक है?” उसने आश्यर्य से पूछा।
उसके सवाल पर मैंने शर्माते हुए हाँ बोला।

मेरी जांघें अब गीली हो गयी थी। जिस सवाल पे मुझे गुस्सा होना चाहिए था, उसी सवालों पर मैं शर्मा के लाल हो रही थी।
मिताली को अपने चुत से खेलने देने के लिए बिना हिले वही खड़ी थी।

मैंने अब मेरे लंबे घने बाल खुले छोड़ दिये।
मिताली ने मेरा एक मम्मा दबा दिया तो मैं फिर से सिसक उठी “आहहह… ”
“बस न मीतू… नहाना भी है… कोई आ गया तो…” मैं उसको रोकते हुए बोली।
“क्या होगा… चोद देंगे हमें। दो नंगी सुंदरियाँ ऐसे गर्म हालत में मिलेंगी तो कौन छोड़ेगा हमको?” कहते हुए मिताली ने नीचे पड़े हुए हमारे कपड़े उठाये और चेंजिंग रूम में रख दिये।

हम दोनों के पानी में उतरने के कुछ ही देर बाद हम को वहाँ किसी के आने की आहट सुनाई दी। मैं तो पूरा डर गई थी। लगा कि अभी दौड़कर चेंजिंग रूम में जाऊँ और अपने कपड़े पहन लूं!

पर तभी राघव हमारे सामने आकर खड़े हो गए।
“आप लोग यहाँ हो… अच्छा हुआ कुंडी नहीं लगाई। मेरा भी मन इस पानी में नहाने का कर रहा था। सोचा देखून कि आप दोनों क्या कर रही हो!” हमको पानी में देख कर राघव जी बोले।
राघव को सामने देख कर मैं अपने हाथों से अपनी नग्नता को ढकने की नाकाम कोशिश करने लगी।

मैं चेंजिंग रूम में जाने के लिए पानी से थोड़ी बाहर निकली ही थी कि राघव जी मेरे रास्ते में खड़े हुए- अरे रुको ना… साथ में ही नहाते हैं हम चारों!
राघव अपने बाजू में खड़े अपने दोस्त चंदू की तरफ देख कर बोला।
मैंने डर कर मिताली की तरफ देखा तो वो मजे से पानी में नहा रही थी।

“कुंडी नहीं लगाई थी ना, अब साथ में नहाने में क्या प्रॉब्लम है?” मेरे चेहरे पर डर को देखकर चंदू बोला।
“मिताली ने तुमको नहीं बताया था क्या, जब लड़कियों को यहाँ नहाने को आने के बाद किसी लड़कों के साथ नहाना या फिर कुछ और करना हो तो कुंडी नहीं लगाती हैं। इस पानी में जो भी सुख लो तो उसको जिंदगी भर उसकी कोई कमी नहीं पड़ती, ऐसा हम गांव वालों का मानना है!” मुझे कंफ्यूज हुआ देखकर राघव जी हँसते हुए बोले।

“मीतू… तुमने तुम्हारी सहेली को बताया नहीं है क्या?” बोलते हुए चंदू ने अपना कुर्ता और लुंगी उतार दी और पानी में भी उतर गया।

मेरा दिल अब बहुत जोर से धड़क रहा था, मैंने राघव जी की तरफ देखा तो उन्होंने भी अपना कुर्ता उतार दिया था- अरे नीतू, यहाँ पे बिना कपड़ों के ही नहाते हैं। बहुत पवित्र पानी है यहाँ का, सब जगह पर लगना चाहिए!” यह कह कर उन्होंने अपने शरीर का आखरी कपड़ा लुंगी भी उतार दी।

अब उस तालाब में हम चारों बिल्कुल नंगे थे। अब मैं राघव जी का लंड मेरे सामने ही देख रही थी। बाप रे… बिल्कुल साँप जैसा लग रहा था। मुझे पहले ही उस लंड ने छुआ था मगर जीन्स के ऊपर से… पर अब वो बिल्कुल मेरे सामने था, जिन्दगी के सबसे पहले लंड दर्शन से मैं हक्की बक्की रह गयी थी; मेरे मुंह से आवाज भी नहीं निकल रही थी। घने बालों में छुपा आधा खड़ा हुआ लंड 5-6 इंच का लग रहा था।
लंड इतना बड़ा होता है?! इसका मुझे आश्यर्य हुआ, मेरी सांसें अब तेज होने लगी थी।

“क्या हुआ… इतना क्यों शर्मा रही हो?” राघव मेरे सामने पानी में उतरते हुए बोले।
“देखो, हमने अंदर आते समय कुंडी लगा दी है… अब यहाँ कोई नहीं आएगा… तुम चिंता मत करो… और तुम शर्मा क्यों रही हो… मिताली को देखो बिल्कुल भी नहीं शर्मा रही है… देखो चंदू को कैसे साथ दे रही है!”

राघव जी की बात सुन कर मुझे मिताली की याद आयी; मिताली की तरफ देखा तो वो एक कोने में घुटनो के बाल बैठ कर चंदू का लंड मजे से चूस रही थी।
मैंने झट से शर्मा कर मुँह दूसरी तरफ घुमा दिया और राघव जी की तरफ पीठ कर के खड़ी हो गई।

विलेज़ सेक्स की गर्म कहानी जारी रहेगी.
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कहानी का अगला भाग: विलेज के मुखिया का बेटा और शहरी छोरी-3

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