दोस्ती में फुद्दी चुदाई-1

(Dosti Mein Fuddi Chudai- Part 1)

This story is part of a series:

दोस्तो, मेरा नाम समर है और मैं अपने शहर कानपुर के एक बड़े कॉलेज में पढ़ता हूँ।

अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है तो भूल-चूक माफ़ कीजिए।

बी.टेक की पढ़ाई मैंने इसीलिए की क्योंकि कैरियर के साथ-साथ इसमें लड़कियाँ भी मस्त आती थीं।
यह कहानी एक सत्य घटना है जो मेरे साथ हुई और शायद मेरे बहुत से दोस्त भी इसे पढ़ कर अपने साथ हुई घटनाओं को याद करेंगे।

बी.टेक के पहले दिन से ही मैं अपने दोस्तों और सीनियर्स में लोकप्रिय हो गया था।
चुलबुली बातें करना और मजाक करने के कारण बहुत सी सीनियर लड़कियां भी मुझसे बातें करना पसंद करती थीं।
चलिए अब कहानी पर आते हैं।

पहले दिन से ही मैं ऐसी लड़की की तलाश में था, जिसको मैं चोद सकूँ।
लेकिन मौका था कि मिलने का नाम नहीं ले रहा था।

कई लड़कियों पर लाइन मारने के बाद मैंने एक को सैट भी कर लिया.. पर वो मानती नहीं थी..
बस ऊपर-ऊपर से ही चूचियाँ दबाने देती, लेकिन चूमती जम के थी।

मेरा इरादा भी पक्का था क़ि चुदाई तो करनी ही है।

हम कॉलेज बस से जाते थे और धीरे-धीरे बस में मेरे साथ मेघा नाम की लड़की साथ बैठने लगी।

मेघा मेरी ही ब्रांच की थी लेकिन अलग सेक्शन की जल्द ही हममे अच्छी दोस्ती हो गई और हम हर बात एक-दूसरे से साझा करने लगे।

मेघा की लम्बाई कम थी और थोड़ी सांवली थी लेकिन उसकी चूचियां और गाण्ड दोनों ही मस्त थीं।

मेरे अंदाजन.. मेघा 34-28-36 की फिगर की मस्त माल थी।

जब हम साथ में बस में बैठते तो रोड ख़राब होने की वजह से उसकी चूचियां बहुत डांस करतीं और वो मुझे पकड़ लेती.. जिससे मेरी बाँह उसकी चूचियों से टकराती रहती।

मेरी कुत्ती नजर उन्हीं पर रहती..
जिसका उसे भी पता था।

मेघा गहरे गले वाला टॉप पहनती थी और बगल में बैठने पर मुझे उसका चूची-दर्शन खूब होता लेकिन हम शरारती चुटकुले करते हुए बात को टाल देते।

मेघा के माता-पिता बाहर काम करते थे और उसके घर में केवल एक बड़ी बहन थी।
कभी-कभी उसके घर में उसके रिश्तेदार आते रहते और उसके माता-पिता हर रविवार को आते थे।

एक दिन मेघा ने मुझसे पूछा- क्या मैंने ब्लू-फिल्म देखी हैं?

मैंने कहा- हाँ.. क्यों तुझे भी देखनी है क्या जानेमन?

मैं आँख दबा कर हँस दिया।

वो बोली- हाँ.. मेरी बड़ी बहन और मेरा कजिन कल रात देख रहे थे और मुझे दूसरे कमरे में जाने को बोल दिया।
मैं अनजान बनते हुए बोला- क्यों?
मेघा- ओफ़्फ़ हो.. तुम कुछ भी नहीं समझते हो.. वे मेरे सामने थोड़ी देखेंगे।
मैंने पूछा- और ऐसा क्यों ?
मेघा- वो दोनों मुझे अभी छोटी समझते हैं ना..
मैं बोला- अरे तू अपनी ब्रा खोल कर दिखा देती मेरी जान… तेरे मम्मों को देख कर वे समझ जाते कि तू बहुत बड़ी वाली हो गई है।
मेघा- ऐसा कुछ नहीं है.. मेरी बहन के मुझसे भी बड़े हैं और मैं उम्र की बात कर रही हूँ.. कमीने।

‘हा..हा..’ मैं हँसता हुआ बोला- अबे कल रात तेरी दीदी और कजिन ने रंगरेलियाँ मनाई हैं.. इसीलिए तुझे सोने के लिए भगा दिया।

मेघा- जी नहीं.. वो दोनों बस देख रहे थे। तुम लड़कों के दिमाग में बस सेक्स ही भरा होता है.. हुंह!

मैं बोला- अच्छा जी.. तुम्हारा कजिन तो लड़का नहीं है ना.. जो तुम्हारी चालू दी.. को चोद दे।
मेघा- वो सब छोड़ो.. मुझे कब ‘दे’ रहे हो।

मैंने कुछ समझ तो लिया पर फिर भी बात को घुमा कर मैं बोला- शनिवार को चल.. कॉलेज ऑफ है.. जबरदस्त पोर्न दिखाता हूँ तुझे।

यह बात बुधवार को बस में हुई थी… तो बात आई-गई हो गई।

फिर हम मस्ती-मजाक करने लगे.. लेकिन इसी बीच मैंने हॉलीवुड की एक फ़िल्म देखी.. जिसमें दो दोस्त एक-दूसरे की शारीरिक जरुरतों को पूरा करते हैं लेकिन फिर भी एक-दूसरे से कोई मतलब नहीं रखते।

फ़िल्म देखते ही मेरे दिमाग में एक विचार कौंधा कि मैं और मेघा भी तो ऐसा कर सकते हैं।

मैं मेघा को अब पोर्न दिखाने को उत्साहित था.. क्योंकि मुझे पता था कि मेघा के व्बॉय-फ्रेण्ड ने उसकी एक महीने पहले चुदाई की थी और तब से मेघा अपनी चूत में ऊँगली कर-कर के ही पानी छुटा रही है और उस दिन भी उसकी वो बात मुझे याद थी कि कब ‘दे’ रहे हो।

अब जरूरत है तो बस अपने लौड़े के नीचे लाने के लिए उसको तैयार करने की।

दिन बीतते-बीतते शनिवार भी आ गया और मैंने मेघा को सुबह 8 बजे अपने कमरे में आमंत्रित किया।

मेघा ने मेरे कमरे में आते है कहा- ओये.. इतनी सुबह क्यों बुलाया यार.. सोने तो देता.. आज तो छुट्टी है बे।

मैं बोला- जानेमन शाम को रेवमोती में सारे दोस्तों का मूवी का प्लान है और तू मेरे साथ चल रही है.. मैंने टिकट्स ले ली हैं वर्ना फिर तू कहती कि तुझे पोर्न नहीं दिखाई।

मेघा- साले.. सच्ची में पोर्न दिखाने को बुलाया है क्या? कमीना है तू एक नम्बर का.. शर्म नहीं आएगी तुझे.. मेरे साथ देखने में और मूवी मेरे संग जाएगा.. तो तेरी गर्लफ्रेंड क्या करेगी?

मैं बोला- ओये कुत्ती लड़की तू है और बातें लड़कों वाली कर रही है.. तू अपनी सोच और रही बात गर्लफ्रेंड की.. तो वो हॉस्टल में रहती है.. सिर्फ रविवार ही बाहर आ पाती है बे..

मेघा- आय..हाय.. शनिवार मेरे संग.. रविवार उसके संग.. तेरे तो दोनों हाथों में लड्डू हैं आजकल… अबे साले कहीं तुझे चोद ना दूँ मैं.. मेरे चिकने..

वो हँसने लगी।

मैं भी हँसते हुए बोला- साली छिनाल.. अकेला लौंडा पाते ही चुदाई की बातें आने लगीं तुझे.. ऐसे तो बड़ी सीधी बनी फिरती है।

मेघा- तेरे साथ डार्लिंग मैं टेढ़ी ही हूँ.. चल चाय बना के लाती हूँ.. तू लैपटॉप ऑन कर।

मैंने लैपी ऑन किया और कुछ मूवीज प्लेलिस्ट में ऐड की.. तब तक मेघा चाय लेकर आ गई और सीधा मेरी गोद में बैठ कर मुझे गालों पर चूमने लगी।

मैं बोला- आज लगता है.. तू मेरे साथ जोर आजमाइश करेगी?
मेघा हँसते हुए बोली- अगर तुझे अपनी बीवी के लिए कुंवारा बने रहने का शौक है.. तो आज तो जबर चोदन ही होगा।

शायद मेघा को भी आज चुदाई की जरुरत थी और मेरी कौमार्य भंग करने का ख्याल उसे और ज्यादा मेरी तरफ और खींच रहा था।

खैर.. मैंने एक पोर्न-मूवी लगा दी और हम दोनों चाय की चुस्कियों के साथ उसे देखने लगे।

चाय खत्म होते-होते मेरा 6.5 इंच का लण्ड मेरे लोअर में तन गया और मेघा जो अब भी मेरी गोद में बैठी थी.. उसकी गाण्ड को चुभने लगा।

मेघा मेरी तरफ देख कर मुस्कराने लगी लेकिन फिर से पोर्न देखने लगी।

मैं समझ गया कि वो गरम हो रही है लेकिन मेरे पहल करने का इंतज़ार कर रही है।

लेकिन… दोस्तो, आगे क्या हुआ मेरे और मेघा के बीच और किन-किन लड़कियों की मैंने चुदाई की.. और कैसे की.. इसके लिए अगले भाग का इंतज़ार कीजिए।

आप इस कहानी के बारे में अपने विचार मेरे ईमेल पर भेज सकते हैं।

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