दोस्त की बहन की हवस पूरी की

(Dost Ki Bahan Ki Hawas Poori Ki)

दीपक कूल 2019-02-28 Comments

दोस्तो! मेरा नाम दीपक है, मैं 26 साल का हूँ. मेरी लम्बाई 6 फीट और 1 इंच है. मैं देखने में काफी गोरा हूं और मेरी लम्बाई की वजह से मेरी पर्सनेलिटी भी अच्छी दिखाई देती है.
मेरी पिछली कहानी थी: बहन की चुदासी सहेली को चोदा
काफी समय से सोच रहा था कि मैं भी अपनी कहानी अन्तर्वासना के प्यारे पाठकों के लिए एक और नयी कहानी लिखूं और एक दिन मैं लिखने बैठ गया. दोस्तो, यह कहानी मेरे दोस्त की बहन सुलेखा की है. गोपनीयता के लिए मैंने यहां पर उसका नाम बदल दिया है. सुलेखा की उम्र 24 साल के करीब है. वह दिखने में बहुत ही सुंदर है.
उसके कपड़े पहनने का स्टाइल भी गजब का है. उसके कपड़े हमेशा ही स्टाइलिश होते हैं और उसके कपड़ों में से उसके चूचों का उभार अलग से ही दिखाई देता रहता है.

उसके फिगर की बात करूँ तो वह 34-28-36 का है. मुझे उसके बारे में सब कुछ पता है. उसका एक बॉयफ्रेंड भी है जिसके साथ वह कई बार अपनी चूत भी चुदवा चुकी है.

जब भी मैं उसके घर जाता था तो वह मुझे भी लाइन देने लगती थी. उसने आज तक मुझे कभी भी भैया कहकर नहीं बुलाया है. वह हमेशा ही मुझे मेरे नाम से बुलाती है. उसका यह अंदाज़ मुझे भी बहुत अच्छा लगता है. वह हमेशा मुझे देखकर एक स्माइल देने लगती थी जिसके कारण मेरा विश्वास और भी गहरा हो जाता था कि वह भी मुझे पसंद करती थी. लेकिन उसने कभी अपने मुंह से इस बारे में कभी कुछ नहीं कहा.

एक बार की बात है कि जब मैं अपने दोस्त के घर पर गया हुआ था. उस दिन सुलेखा ने स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था. टॉप ऐसा था कि उसके चूचों की दरार अलग ही झलक रही थी. जब वह मेरे पास पानी लेकर आई तो मुझे झुककर पानी का गिलास पकड़ाने लगी. झुकने के कारण मुझे उसके टॉप के अंदर से उसकी लाल रंग की ब्रा दिखाई दे गई.
मैंने उसकी ब्रा को देखा तो वह मुझे देखकर मुस्कराने लगी. उसकी इस मुस्कान का मतलब मुझे यहां पर बताने की भी जरूरत नहीं है क्योंकि जब लड़की सामने से खुद ही मुस्कराने लगे तो पता लग ही जाता है कि उसकी इस मुस्कान के पीछे उसके दिल में क्या चल रहा होता है.
मैं भी उसकी इस मुस्कान को देखकर समझ गया था कि वह मुझसे क्या चाहती है.
लेकिन उस दिन मैंने अपनी तरफ से कोई पहल नहीं की. न ही सुलेखा ने उसके बाद कोई ऐसी हरकत की.

फिर एक दिन मेरा दोस्त मेरी आंटी यानि कि अपनी माँ को नानी के घर पर लेकर गया हुआ था. सुलेखा के पापा भी काम से बाहर गए हुए थे. उस दिन सुलेखा ने मुझे खुद फोन करके घर पर बुला लिया. फोन पर मैंने पूछा तो उसने बताया कि उसको कुछ काम है. साथ में ही उसने मुझे पानी पूरी लाने के लिए भी कह दिया.

मैं उसके कहे मुताबिक जब पानी पूरी लेकर उसके घर पर पहुंचा तो मैं उसे देखता ही रह गया. उसने चमकीला सा लाल रंग का टॉप पहना हुआ था जिसके अंदर उसके चूचे साफ-साफ दिखाई दे रहे थे. टॉप के नीचे उसने एक निक्कर पहनी हुई थी. निक्कर के नीचे उसकी गोरी जांघें साफ-साफ चमक रही थीं. मैं तो उसे देखता ही रह गया. मैं दरवाजे पर खड़ा ही था कि उसने मुझे अंदर आने के लिए कह दिया.

मेरे अन्दर जाते ही उसने दरवाज़े को लॉक कर दिया और वह मेरे लिए जूस लेकर आ गई. जब वह झुक कर मुझे जूस का गिलास देने लगी तो उसके टॉप के अंदर लटक रहे उसके चूचे मुझे साफ-साफ दिखाई दे गए. मैं उसके चूचों को घूर रहा था तो उसने मुझे एक शरारत भरी स्माइल दी और मेरे सामने ही बैठ गई.
बैठने के बाद जब मैंने जूस पी लिया तो उसने पूछा कि पानी पूरी लाए हो या नहीं.

मैंने पॉलीबैग को उसके हाथ में पकड़ा दिया जिसे लेकर वह किचन की तरफ चली गई. उसके बाद वह पानी पूरी को प्लेट में डालकर ले आई. वह मेरे सामने बैठकर ही खाने लगी.
मैंने उसे देख रहा था. फिर अचानक से एक गोल गप्पा उसके टॉप पर गिर गया. या फिर यूं कहें कि उसने जान-बूझकर वह गोल-गप्पा अपने टॉप पर गिरा लिया था. वह मेरे सामने ही गंदे हो चुके टॉप को साइड में खिसका कर साफ करने लगी. उसका चूचा मुझे दिखाई दे रहा था. साथ ही साथ वह मुझे भी देख रही थी कि मैं उसकी हरकतें कितनी ध्यान से देख रहा हूँ.

उसने कहा- क्या देख रहे हो?
मैंने बहाना बनाते हुए कहा- कुछ नहीं, बस ऐसे ही.
फिर वह खुद ही उठकर मेरे पास आई और बोली- ऐसे दूर से क्यों देख रहे हो. छूकर ही देख लो न.
मैंने कहा- तुम पागल हो गई हो क्या?
वह बोली- हां, मैं तुम्हारे प्यार में पागल हो गई हूँ … और तुम्हें पाना चाहती हूँ.

इतना कहकर उसने मुझे धक्का देकर सोफे पर नीचे गिरा लिया और खुद मेरे ऊपर आ गई. वह पागलों की तरह मुझे चूसने और चाटने लगी. सुलेखा कभी मेरे गालों को चूम रही थी तो कभी मेरे होंठों को. कभी मेरी गर्दन को चाट लेती थी तो कभी फिर से होंठों को चूस देती.
वह बोली- दीपक, तुम भी मुझे प्यार करो न प्लीज … मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.

मेरा लंड भी उसकी ऐसी हरकतों के कारण पहले ही उसे चोदने के लिए तड़प उठा था. फिर जब वह मेरे ऊपर से उठी तो मैंने उसको अपनी गोद में उठाया और उसके बेडरूम में ले जाकर उसके बेड पर पटक दिया. मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी और उसके ऊपर लेटकर उसको बेतहाशा चूमने और चूसने लगा. सुलेखा मुझे अपनी तरफ खींचने लगी और मैं उसके होंठों को ज़ोर से चूसने लगा. वह मेरे सिर के बाल पकड़ कर बार-बार मुझे अपनी तरफ खींचने की कोशिश करती हुई यह जता रही थी कि वह सेक्स की कितनी प्यासी है. उसके नाखून मेरी पीठ पर नोंचने लगे थे.

फिर मैंने अपना एक हाथ उसके टॉप के अंदर डाल दिया और उसके चूचों को दबाने लगा. उसके मस्त चूचे दबाकर मुझे सेक्स का नशा चढ़ने लगा. मैं उसके चूचों को पूरा ज़ोर लगाकर दबा रहा था जिससे उसके जवान चूचे जल्दी ही तनकर टाइट हो गए थे और उसके मुंह से कामुक आवाज़ें निकलने लगी थीं.

मैं धीरे-धीरे उसके जिस्म को चूमता हुआ नीचे की तरफ बढ़ने लगा और उसकी निक्कर को खोल दिया. उसने निक्कर के नीचे नीले रंग की पैंटी पहनी हुई थी जो पहले से पानी छोड़ रही चूत पर रगड़ खाकर गीली होने लगी थी. फिर मैंने उसकी पैंटी को नीचे खींच दिया तो मैं उसकी चूत को देखता ही रह गया. उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था. बिल्कुल साफ बाल रहित चूत के दर्शन करके मेरा तो सिर चकराने लगा.
मुझे लग रहा था कि उसने अपनी चूत को आज ही साफ किया है.

उसके बाद उसने खुद ही मेरा सिर पकड़ा और अपनी चूत पर रखवा दिया. मैं उसकी चूत को चाटने लगा. उसके मुंह से कामुक सिसकारियां निकलना शुरू हो गईं. वह आह्ह् … ओह्ह … ऊह्ह … करने लगी.
उसके बाद मैंने अपनी पैंट भी खोल दी और जल्दी से अपना अंडरवियर भी उतार दिया. मेरा लंड तो पहले से ही उछल-उछल कर दर्द करने लगा था. मैंने सीधा उसको 69 की पोजिशन में लिटा दिया और अपना लंड उसके मुंह में दे दिया. आह्ह … लंड उसके मुंह में जाते ही मुझे गजब का मजा आने लगा. वह मस्ती में मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. उसका लंड चूसने का स्टाइल भी कमाल का था. एक बार तो लगा कि मैं ज्यादा देर तक उसके मुंह में टिक नहीं पाऊंगा लेकिन मैंने कंट्रोल बनाए रखा.

दूसरी तरफ मैं उसकी पानी छोड़ रही चूत को चाटने में लगा हुआ था. उसकी चूत फूलकर गोल होती जा रही थी. कुछ देर तक मैं उसकी चूत को चाटता रहा. जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने कह ही दिया- आह्ह … दीपक, अब और नहीं रुका जा रहा. प्लीज मेरी चूत में अपना लंड डाल दो.

मैंने भी उसकी हालत पर तरस खाया और उसकी गांड के नीचे तकिया रख दिया. अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसकी टांगों को चौड़ा किया और धीरे-धीरे अपना लंड उसकी चूत में रगड़ने लगा. वह लंड लेने के लिए पागल हुई जा रही थी जिसका अन्दाजा मुझे उसकी बार-बार ऊपर उठती गांड से होने लगा था. मगर मैं उसे अभी और ज्यादा तड़पाने के मूड में था.

वह कहने लगी- मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूं, अब और देर न करो दीपक … अपना लंड मेरी चूत में डाल दो प्लीज.
मैंने उसकी बात मानकर अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर रखा और घप्प से अंदर डाल दिया. चूत कुछ टाइट थी तो उसकी हल्की सी चीख निकल गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मगर चूत के अंदर लंड तो जा चुका था इसलिए अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था. मैंने सुलेखा के मुंह पर हाथ रखा और एक ज़ोर का धक्का दे दिया. सारा लंड उसकी चूत में समा गया.

उसने मेरे हाथ को अपने दांतों से काट लिया तो मैंने हाथ हटा लिया.
हाथ हटते ही उसने कहा- साले ऐसे चूत में डालते हैं क्या?

लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और उसकी चूत को चोदने लगा. जब मैंने चोदना शुरू किया तो उसको आनंद आने लगा और वह अपने मुंह से कामुक आवाजें निकालने लगी जिन्हें सुनकर मुझे और ज्यादा जोश चढ़ रहा था. उसके बाद मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी.
वह नीचे से मेरा साथ देने लगी. अपनी गांड को उठा-उठा कर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगी, कहने लगी- चोदो मुझे दीपक … बहुत दिनों से तुम्हारा लंड लेना चाह रही थी मैं. आज ये मौका मुझे मिला है. मुझे आज जी भर कर चोदो. बहुत मजा आ रहा है.

कुछ देर की चुदाई के बाद उसका पागलपन और बढ़ गया. वह अपने सिर को बेड पर यहां-वहां पटकने लगी. कहने लगी- ओह्ह … चोदो … और तेज … करते रहो … रुको मत … आह्ह … मैं झड़ने वाली हूं. प्लीज रुकना मत दीपक.
यह कहते हुए उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वह पहले से ज्यादा गीली हो गई. अब उसकी गीली चूत में मेरे लंड की स्पीड अपने आप ही बढ़ गई. अब उसकी चुदाई करते हुए चूत से पच्च-पच्च की आवाज भी आना शुरू हो गई. मैं उसके ऊपर लेटकर उसके बूब्स को फिर से दबाने लगा. कुछ ही देर में वह दोबारा गर्म हो गई और मुझे पकड़कर अपनी तरफ खींचने लगी. साथ ही साथ वह नीचे से धक्का भी लगा रही थी.

अपनी सेक्स की हवस में उसने मेरी सारी कमर को नोंच डाला. मुझे कमर पर जलन होने लगी थी. मैं समझ गया था कि यह फिर से जल्दी ही झड़ने वाली है. मैंने अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी और उसकी गीली चूत को गचागच चोदने लगा.
कुछ ही देर की चुदाई में मेरे लंड ने भी मेरा साथ छोड़ दिया. मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में लगने लगी और सुलेखा की चूत भी दोबारा पानी छोड़ने लगी. हम दोनों साथ ही झड़ गए.
कुछ देर तक मैं उसके ऊपर ही पड़ा रहा. उसकी आंखों में संतुष्टि के भाव थे.

उस दिन शाम तक मैं उसके घर पर ही रहा और हमने साथ में खाना खाया और उसके बाद दो बार फिर से सेक्स किया. एक बार मैंने उसे डॉगी स्टाइल में चोदा और दूसरी बार वह मेरे लंड पर बैठकर खुद ही चुदी.

तीन बार लगातार चुदाई के बाद मैं भी थक गया था और वह भी काफी थकी हुई लग रही थी. फिर शाम का वक्त होने लगा था और उसके घरवाले वापस आने वाले थे. इस तरह से मेरी और उसकी प्यास बुझ गई थी. जब शाम हो गई तो मैं वापस जाने लगा. उसने मेरे होठों पर एक ज़ोरदार चुम्बन दिया और मुझे अपने घर से विदा कर दिया.

उसके बाद जब भी हम दोनों को कभी मौका मिला हमने एक दूसरे की सेक्स की प्यास को बुझाया.

यह थी मेरे दोस्त की बहन सुलेखा की चुदास की सच्ची कहानी. मुझे उसकी चूत मारकर बहुत ही आनंद आया.
आपको यह कहानी कैसी लगी इस बारे में आप मुझे मेल करके बताएं. कहानी के बारे में अपनी राय आप कमेंट्स करके भी दे सकते हैं. मैंने अपनी मेल आई-डी नीचे लिखी हुई है.
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