चालू लड़की दर्द का नाटक करके चुदी

(Chalu Ladki Dard Ka Natak Karke Chudi)

नमस्कार दोस्तो, अन्तर्वासना पर ये मेरी पहली हिंदी सेक्स कहानी है, उम्मीद है आप लोगों को पसंद आएगी.

मेरा नाम आदित्य है. मैं एक छोटे से शहर का रहने वाला हूँ. अभी बीए फाइनल में हूँ. मेरा कद 5 फुट 7 इंच है. बचपन से ही कसरत करने के कारण मेरा शरीर बहुत ही गठीला है. मेरे लंड का साइज 6 नपा हुआ 2 इंच का है, जो काफी मोटा भी है.

मैं जिस मोहल्ले में रहता हूँ, वहाँ ज्यादा घर नहीं हैं, सब कुल गिने हुए 25 घर हैं. बाकी जमीन खाली पड़ी है और कुछ आधे अधूरे मकान बने पड़े हैं.
मेरे घर से थोड़ी ही दूर पर एक घर था, जिसमें एक छोटा परिवार रहता था और मैं उसी में रहने वाली एक लड़की से प्यार करता था. उसके मम्मी पापा का सरकारी नौकरी वाला जॉब था तो अक्सर घर खाली ही रहता था, जिस कारण मैं मौके का फायदा उठा कर अक्सर उसके घर चला जाया करता था और उसके साथ मस्ती करता था.

हमारी मस्ती बस किस और सहलाने तक रह जाती थी, कभी कभार मैं उसके चूचियों को बेरहमी से दबा देता था. पर जब भी मैं उसे सेक्स के बारे में कहता, तो वो डर जाती और मना कर देती थी. जिसके कारण मैं कभी उसके साथ सेक्स नहीं कर पाया. मेरी सेक्स करने की पिपासा मुझे बहुत गरम करे जा रही थी, मैं एकदम से बेकाबू सांड सा हो गया था. मेरे पास खुद को शांत करने के लिए मुठ मारने के अलावा और कोई रास्ता ही था.

दिन यूं ही गुजरते रहे और मेरे लंड की भूख बढ़ती ही गई. अब ग्रेजुएशन करने के लिए मैं अपने मामा के घर चला आया था क्योंकि मेरे शहर में इंटर करने के बाद आगे पढ़ने का कोई अच्छी सुविधा नहीं थी.

मैं मामा के यहाँ मन लगा कर पढ़ने लगा. मेरे मामा के घर से थोड़ी ही दूर एक घर है, जहाँ मैं बचपन में अक्सर खेलने जाया करता था.

एक दिन मैं छत पर था, तो मुझे एक लड़की दिखी. पहले तो मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन बाद में ध्यान से देखने पर पता चला कि इसे तो मैं पहले से ही जानता हूँ. उस घर में एक छोटी लड़की रहती थी, जो मुझे भैया कह कर बुलाती थी. उस छोटी लड़की का नंबर मेरे पास था.

मैंने उसे बाद में फ़ोन लगा कर पूछा- क्या तुम प्रीति हो?
उसने कहा- नहीं, प्रीति मेरी बड़ी बहन है.
मैंने कहा- क्या तुम मेरी उससे बात करवा सकती हो?
उसने कहा- आपको दो दिन रुकना पड़ेगा.

मेरे कारण पूछने पर उसने अपने मम्मी पापा का घर पर होना बताया.
मैंने कहा- ठीक है.

दो दिन बाद उसके मम्मी पापा कहीं बाहर जा रहे थे और संयोग से उन्हीं के साथ मेरे मामा मामी भी जा रहे थे. शाम के वक़्त दोनों परिवार निकल गए.

अब मुझे तो रात होने का इंतज़ार था. रात में उसने उसे सोने के लिए अपने घर बुला लिया था. दस बजे उसका फ़ोन आया, तो हम बात करने लगे.
मैंने कहा- मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ.
उसने कहा- इतनी रात मैं कैसे मिलूंगी? घर का दरवाजा कौन खोलेगा.

मैं बता दूं कि हम सबके घर आपस में लगे हुए बने हैं, जिसके कारण हम एक दूसरे के छत कूद कर आ-जा सकते हैं. उस वक्त रात के 11:30 हो रहे थे, मैं फटाफट 2-3 छत कूद कर उसके छत पर आ गया और एक कोने में छुप गया. मैंने फोन लगा कर उसकी छोटी बहन से कहा- तुम प्रीति को छत पर भेज दो, मैं यहीं हूँ.

प्रीति ने अपनी छत का दरवाजा खोला और छत पर आ गयी. मैं उसे एक कोने में लेकर गया, उसका हाथ पकड़ा और उसे ‘आई लव यू..’ कहा.
उसने भी शर्माते हुए मुझे ‘आई लव यू टू..’ कहा.

हम दोनों में बचपन की यादें ताजा होने लगीं. उसने मुझे खूब प्यार किया और मैं भी उसको दिल दे बैठा.

कुछ देर बाद मैंने धीरे धीरे उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा कि कुछ दिन में मैं यहाँ से जाने वाला हूँ.
वो इस पर रुआँसी सी हो गयी.
मैंने कहा- रोती क्यों है पागल कुछ ही दिन की तो बात है.
फिर हम एक दूसरे के बहुत करीब आ गए थे.

मैंने पूछा- क्या मैं तुमको किस कर सकता हूँ?
उसने हाँ कर दिया.

बस फिर क्या था, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और धीरे धीरे चूसने लगा. वो भी पूरी तरह मेरा साथ दे रही थी. इसी बीच मैंने अपना हाथ उसकी चूचियों पर रख दिया और धीरे धीरे दबाने लगा. उसने जरा भी मना नहीं किया, तो मैंने चूचियां चूसने की और दबाने की स्पीड और बढ़ा दी.

वो पूरी तरह से गर्म हो उठी थी. मैंने धीरे से उसके टॉप में हाथ डाला और टॉप को ऊपर उठा कर उसे उतारने की कोशिश में लग गया. किस करते हुए ही धीरे धीरे मैंने उसके टॉप को उतार दिया.

उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी हुई थी, ये देखते ही मेरी उत्तेजना और बढ़ गयी और मैंने और जोर से उसकी चूचियों को दबाना शुरू किया. वो भी मुझे पागलों की तरह चूम रही थी. मैंने अब उसके पजामे में हाथ डालने की कोशिश की, तो उसने मना कर दिया. मैंने थोड़ा जोर दिया, तो फिर उसने हाथ डालने को दिया. उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी.

मैंने उसे गोद में उठाया और उसके पजामे को भी उतार दिया. इतने में वो कहने लगी- सब मेरा ही उतारोगे अपना कब उतारोगे.
मैंने झट से अपना पैंट उतार दिया. उसने चड्डी के ऊपर से ही मेरे लंड पर हाथ फेरना शुरू किया और चूमने लगी. फिर कुछ ही देर में उसने मेरे लंड को चड्डी से बाहर निकाल कर उसे अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.

उसने लंड चूसना शुरू किया, तो मैं जरा चौंका. लेकिन लंड चुसवाने का मजा पहली बार मिल रहा था, सो मजा लेने में मस्त हो गया.

करीब दस मिनट लंड चूसने के बाद वो खड़ी हो गयी और टांग उठा कर मेरे लंड को अपनी चूत में डालने की कोशिश करने लगी. मैंने भी बिना देर किए उसे जमीन पर चित लिटाया और अपना खड़ा लंड चूत में घुसा दिया.

अभी रात के 12:30 हो रहे थे. उसकी चूत में मेरा थोड़ा सा ही लंड घुसा था कि वो कराहने लगी तो मैंने उसका मुँह बन्द कर दिया और अपने होंठ उसके होंठ पर रख कर धीरे धीरे चूत में भी लंड को पेलने लगा.

वो कसमसाती रही, लेकिन जैसा कि नेचुरल है किसी भी चूत को एकदम से लंड लेने में दर्द होता ही है, बाद में चूत लंड लंड करने लगती है. ठीक वैसा ही इधर भी हुआ. उसकी गांड हिलने लगी थी और मेरे लंड को सहने लगी थी.

इसी बीच मैंने एक जोरदार झटका मारा और पूरा लंड उसकी चूत में जा घुसा दिया. उसकी फिर से चीख निकल गई. कुछ देर के दर्द के बाद चूत ने लंड को जगह दे दी थी. अब चुदाई की धक्कम पेल होने लगी थी. वो भी अपनी गांड उठाते हुए मेरा साथ पूरी तरह दे रही थी.

कुछ देर बाद मैंने उसे गोद में बैठा लिया और धकापेल होए लगी. वो इस आसन में बड़े मजे से गांड उठा कर मेरे लंड को ले रही थी. मैं भी कभी उसको अपने सीने से चिपका लेता था, तो कभी उसकी चूचियों को चूसते हुए चुदाई का मजा लेने लगता था.

इस तरह मैंने उसकी चूत को करीब 15 मिनट तक चोदा. फिर हम दोनों झड़ गये. वो मेरी गोद में ही बैठ कर मेरे से चिपकी रही. हम दोनों को ही सेक्स का खुमार चढ़ा हुआ था, तो जल्दी ही हम दोनों फिर से गरम हो गए.

अब मैंने उसे पलटा दिया और वापस उसकी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया. फिर वो धीरे धीरे गर्म हो रही थी. मैंने अपना लंड उसकी गांड पर सैट किया, एक पल के लिए तो वो हिचकी और मुझे मना करने लगी.
मैंने कहा- बस एक बार ही दर्द होगा. लेकिन जैसे तुम्हारी चूत खुल गई है, ऐसे ही गांड भी खुल जाएगी. फिर तुम दोनों तरफ से मजा ले सकोगी.

वो मान गई तो मैंने उसकी गांड को अपनी उंगली से खोलना शुरू किया. फिर दो उंगलियां डाल दीं. उसको गुदगुदी होने लगी, तो मैंने उसको डॉगी स्टाइल में खड़ा किया और पीछे से उसकी गांड में सुपारा लगा दिया.

उसको उंगली घुसवाने से डर खत्म हो गया था. मैंने उसके चूतड़ों पर थपकी दी और उसको गांड ढीली करने को कहा. उसने जैसे ही अपनी गांड ढीली की, मैंने लौड़ा उसकी गांड के अन्दर घुसा दिया.

लेकिन एक बार में उसकी गांड में पूरी तरह से लंड नहीं घुस सका था और वो भी उंगली की जगह कड़क लंड की मोटाई को न झेल सकी. इसके चलते वो एक बार को तो जोर से चीख उठी और डॉगी स्टाइल से हट कर वापस बैठी सी हो गयी.

मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और उसको थोड़ा सा उठा कर अपना मूसल लंड फिर से उसकी गांड में जोर देते हुए पेला.

इस बार उसकी गांड में मेरा लंड काफी अन्दर तक घुस गया था. कुछ पल के दर्द के बाद मैंने उसकी टांगें फैला कर गांड के रास्ते को चौड़ा करते हुए चोदना चालू किया. मैं चुदाई के साथ साथ उसकी गांड में थूक टपकाता जा रहा था, जिससे चिकनाई बनती जा रही थी और लंड सटासट अन्दर बाहर होने लगा था.

अब उसको भी राहत मिलने लगी थी, बल्कि यूं कहूँ कि उसको चूत में लंड लेने से ज्यादा गांड मराने मजा आने लगा था. वो खुद भी अपनी गांड को मेरे लंड पर धकेलते हुए मजा लेने लगी थी.
मैंने उसकी गांड को भी अच्छे से देर तक चोदा. शायद 20 मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी गांड में ही झड़ गया.

अब उसने कहा- मुझे नीचे जाना होगा, मेरी बहन मेरा इंतज़ार कर रही होगी.
मैंने उसकी ब्रा से अपना लंड पौंछा और उसकी गांड और चूत को भी पौंछ दिया. कपड़े पहनने के बाद फिर हमने 10 मिनट तक एक दूसरे को चूमा. मैंने उसकी मस्त चूचियों को दबा कर पिया. फिर वो धीरे धीरे लंगड़ाते हुए नीचे चली गयी.

नीचे उसकी बहन ने पूछा- क्या हुआ दीदी? इतनी देर तक आप दोनों क्या कर रहे थे.
प्रीति ने थकान भरे स्वर में कहा- कुछ नहीं.. बस बातें कर रहे थे.
उसने आँख मारते हुए कहा- बात करने में कोई इतना थक जाता है क्या?
प्रीति बोली- चुप बदमाश.. चल लेट जा, मुझे सोना है.

ये कह कर वे दोनों सो गईं.

प्रीति की बहन का एक बॉयफ्रेंड भी है, जो मेरा दोस्त है. बाद में उसके द्वारा पता चला कि इसका पहले से भी कोई था, जिससे प्रीति चुद चुकी थी. इसकी तो चुदाई की आदत है.

मैंने प्रीति की बहन से पूछा, तो वो भी बोली- दीदी तो मेरे बॉयफ्रेंड को भी फंसाना चाहती थीं, पर वही नहीं माना.
प्रीति की बहन के ब्वॉयफ्रेंड ने भी मुझे बताया कि प्रीति आपसे ही नहीं, मोहल्ले के कई लड़कों को फंसा चुकी हैं और अपनी रातें रंगीन कर चुकी हैं.

ये सब बातें मुझे जब पता चलीं तो मैं उसकी दर्द से नाटक करने की हरकत को याद करते हुए मन ही मन में हंस पड़ा.
पर मुझे क्या, मैंने भी तो उसे चोद ही लिया न.

यह मेरी पहली सेक्स कहानी है. अगर कोई गलती दिखी हो, तो पहले ही माफ़ी चाहूंगा. अगर आपको कहानी पसंद आई तो मैं और भी मजेदार कहानियों को लेकर हाजिर होता रहूँगा.

तब तक के लिए गुड़ बाय. मेल करके जरूर बताएं कि मेरी हिंदी सेक्स कहानी कैसी लगी.
[email protected]

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