यौनसुख से वंचित पाठिका से बने शारीरिक सम्बन्ध

मेरे प्रिय पाठको, मेरी पिछली कहानी
तुझ को भुला ना पाऊँगा
को आप सबने काफी पसंद किया, मुझे खूब सारे ईमेल और फ़ेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भी आई, बहुत से पाठक मेरे फ्रेंड बन भी गए।

उसी कहानी को अन्तर्वासना की एक पाठिका मंजरी (नाम बदला हुआ है) ने भी पढ़ा, वह वसुन्धरा में रहती है, उसका इमेल मुझे मिला तो मैंने औपचारिकतावश उसके ईमेल का उत्तर दिया और कहानी की प्रशंसा के लिए धन्यवाद किया।

परन्तु वह लड़की लगातार ईमेल भेजती रही मुझे… पर मैं उसे सभी मेल के उत्तर नहीं दे रहा था।

एक दिन उसने मुझे ईमेल करके पूछा- दलबीर सिंह जी, आपकी कहानी मनघड़न्त होती हैं न?
मैंने उत्तर दिया- नहीं मंजरी, ऐसा नहीं है लेकिन कहानी को कलात्मक रूप देने के लिये कहानी की थोड़ी साज सज्जा तो करनी ही पड़ती है।

इस पर उसका इमेल आया- अगर ऐसा है तो आप मुझे मेरी हर इमेल का उत्तर क्यों नहीं देते हो?

इसी तरह उससे बातचीत आगे बढ़ती रही, याहू मेसेंजर पर बात हुई, फिर वीडियो चैट हुई.

उसने बताया कि वो शादीशुदा है, एक बेटा है जो देहरादून में पढ़ता है, पति विदेश में हैं.

अंत में यही निष्कर्ष निकाला मैंने कि उस लड़की को अभी तक पूर्ण यौन सुख नहीं मिला है. उसने खुद ही मुझे कह दिया कि वो सेक्स का पूरा मजा चाहती है. और इस काम में उसे मेरी जरूरत है.

यह सेक्सी स्टोरी कई भागों में है. पढ़ कर मजा लीजिये और अपने विचार मुझे लिख भेजिए.
धन्यवाद.
आपका अपना डा. दलबीर सिंह
[email protected]

यौनसुख से वंचित पाठिका से बने शारीरिक सम्बन्ध -6

मैं एक उंगली उसकी चूत के पानी से गीली करके उसकी गुदा पर फेरने लगा, चूत का पानी बह कर उसकी गुदा के छेद पर आ चुका था तो मैंने उंगली को उसकी गांड में सरका दिया

यौनसुख से वंचित पाठिका से बने शारीरिक सम्बन्ध: लेखक की व्यथा

ऐसे पाठकों के दिमाग़ी दीवालिएपन पर तरस आता है क़ि अगर वो जगह जगह मुँह मारने वाली होती तो उसने पति के विदेश जाने के बाद 6 साल तक खुद पर काबू नहीं रखा होता।

यौनसुख से वंचित पाठिका से बने शारीरिक सम्बन्ध -5

वो मेरे निप्पल सहलाने लगी। मैंने उसकी जांघों के जोड़ों को चाटना शुरू कर दिया, कभी हल्के दाँतों से काटता और कभी उसकी रेशम जैसी जांघों को चूसने लगता।

यौनसुख से वंचित पाठिका से बने शारीरिक सम्बन्ध -4

लेटे लेटे आँख लग गई और शायद 10-12 मिनट बाद वो थोड़ी सी हिली जिससे मेरी खुमारी भी टूट गई। यह एक ऐसी खुमारी होती है जो दुनिया के किसी भी नशे में नहीं मिलती।

यौनसुख से वंचित पाठिका से बने शारीरिक सम्बन्ध -3

सेक्स के लिए मैं तैयार हूँ, यह बात मैने उसे फ़ोन करके बता दी और हमने मिलने का समय तय कर लिया। वो मुझे अपने घर ले गई और अब उसकी नारी सुलभ लज्जा आड़े आ रही थी।

यौनसुख से वंचित पाठिका से बने शारीरिक सम्बन्ध -2

मुझे काफ़ी टाइम हो चुका था किसी के साथ करे हुए पत्नी तो 7- 8 साल से ना के बराबर ही रूचि लेती थी, इसलिए मुझे भी सेक्स की भूख तो थी ही और बिना मेहनत के कोई खुद ही राज़ी हो जाए तो फिर तो क्या ही कहना।

यौनसुख से वंचित पाठिका से बने शारीरिक सम्बन्ध -1

प्रिय पाठको, आप सब को मेरा प्यार भरा नमस्कार! मेरी कहानी तुझ को भुला ना पाऊँगा को आप सब लोगों ने बहुत सराहा और वो शायद उस महीने की सबसे लोकप्रिय कहानियों में से एक रही। बहुत सारे मेल और फ़ेसबुक फ़्रेंड रिक्वेस्ट भी आई उनमें से बहुत सारे लोग मेरे नेट फ्रेंड बन भी […]

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