तीसरी कसम - प्रेम गुरु की आखिरी कहानी

प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना
हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है
बाद मुद्दत के होता है चमन में दीदा-ए-वार पैदा

ओह… प्रेम ! क्या तुम नहीं जानते प्रेम अँधा होता है। यह उम्र की सीमा और दूसरे बंधन स्वीकार नहीं करता। इवा ब्राउन और अडोल्फ़ हिटलर, राहब (10) और जेम्स प्रथम, बित्रिश (12) और दांते, जूली (32) और मटूक नाथ, संध्या और शांताराम, करीना और सैफ उम्र में इतना अंतर होने के बाद भी प्रेम कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं कर सकती?

मिस्र के बादशाह तो लड़की के रजस्वला होने से पहले ही उनका कौमार्य लूट लिया करते थे। इतिहास उठा कर देखो कितने ही उदाहरण मिल जायेंगे जिनमें किशोर होती लड़कियों को कामदेव को समर्पित कर दिया गया था। मैं जानती हूँ यह सब नैतिक और सामाजिक रूप से सही नहीं होगा पर सच बताना क्या यह छद्म नैतिकता नहीं होगी?

इसी कहानी में से…

प्रिय पाठको और पाठिकाओ,

मैं जानता हूँ आप सभी मेरी कहानियों का बड़ी शिद्दत से इंतज़ार करते हैं। आप सभी ने मुझे जो प्यार और इज्जत दी है मैं उसके लिए आप सभी का जीवन भर आभारी रहूँगा। पर अब मैंने कहानियाँ लिखना बंद कर दिया है।

आप सभी ने मुझे बार बार पूछा है कि मैंने कहानियाँ लिखना और अपने प्रशंसकों के पत्रों का जवाब देना क्यों बंद कर दिया?

आज मैं उसका जवाब अपनी इस अंतिम रचना के माध्यम से देने जा रहा हूँ।

यह कहानी मेरी दूसरी सिमरन के बारे में है। मैंने उसकी कसम खाई थी कि अब मैं इसके बाद कोई और कहानी नहीं लिख पाउँगा। आप सोच रहे होंगे ऐसी क्या बात हो गई थी? आप इस कथा को पढ़ कर खुद ही समझ जायेंगे कि मेरा यह फैसला कितना जायज़ है।

उसने अपना नाम पलक बताया था और उम्र 18 साल। उसने बताया कि वह बी.कॉम के प्रथम वर्ष में पढ़ रही है और उसने अपनी एक सहेली के कहने पर मेरी कहानी काली टोपी लाल रुमाल
और आंटी गुलबदन और सेक्स (प्रेम) के सात सबक
पढ़ी जो उसे बहुत पसंद आई थी। वो अब मुझ से दोस्ती करना चाहती है।

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तीसरी कसम-9

प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना मैं जैसे ही बेड पर बैठा पलक फिर से मेरी गोद में आकर बैठ गई और फिर उसने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी। मैंने एक बार फिर से उसके होंठों को चूम लिया। “जीजू, तुम मुझे भूल तो नहीं जाओगे?” “नहीं मेरी खूबसूरत परी… मैं तुम्हें कैसे भूल […]

तीसरी कसम-8

On 2012-02-20 Category: चुदाई की कहानी Tags:

प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना रेशम की तरह कोमल और मक्खन की तरह चिकना अहसास मेरी अँगुलियों पर महसूस हो रहा था। जैसे ही मेरी अंगुली का पोर उस रतिद्वार के अन्दर जाता उसकी पिक्की संकोचन करती और उसकी कुंवारी पिक्की का कसाव मेरी अंगुली पर महसूस होता। पलक जोर जोर से सीत्कार करने लगी […]

तीसरी कसम-7

On 2012-02-19 Category: चुदाई की कहानी Tags:

प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना “जिज्जू ! एक बात सच बोलूँ ?” “क्या?” “हूँ तमारी साथै आपना प्रेम नि अलग दुनिया वसावा चाहू छु। ज्या आपने एक बीजा नि बाहों माँ घेरी ने पूरी ज़िन्दगी वितावी दयिये। तमे मने आपनी बाहो माँ लाई तमारा प्रेम नि वर्षा करता मारा तन मन ने एटलू भरी दो […]

तीसरी कसम-6

On 2012-02-18 Category: चुदाई की कहानी Tags:

प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना “पलक अगर कहो तो आज तुम्हें पहले वो … वो …?” मेरा तो जैसे गला ही सूखने लगा था। “सर, ये वो.. वो.. क्या होता है ?” मेरी हालत को देख कर मुस्कुरा रही थी। “म … मेरा मतलब है कि तुम्हें वो बूब्स को चुसवाना भी तो सिखाना था […]

तीसरी कसम-5

On 2012-02-17 Category: जवान लड़की Tags:

प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना ‘बस सर, अब वो वो… जल थेरपी… सिखा दो?’ उसकी आवाज थरथरा रही थी। ‘ह… हाँ… ठीक है… च… चलो बाथ रूम में चलते हैं’ मुझे लगा मेरा भी गला सूख गया है। मैं तो अपने प्यासे होंठों पर अपनी जबान ही फेरता रह गया। उसने नीचे झुक कर फर्श […]

तीसरी कसम-4

प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना मैं अभी अपने ख्यालों में खोया ही था कि पलक की आवाज से चौंका। ‘सर एक बात पूछूँ?’ ‘यस… हाँ जरूर !’ ‘क्या एक आदमी दो शादियाँ नहीं कर सकता?’ ‘क्यों? मेरा मतलब है तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो?’ ‘कुछ नहीं ऐसे ही !’ ‘दरअसल मुस्लिम धर्म में चार […]

तीसरी कसम-3

On 2012-02-15 Category: जवान लड़की Tags:

प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना ‘पलक…’ ‘हुं…’ ‘पर तुम्हें एक वचन देना होगा !’ ‘ केवू वचन?’ (कैसा वचन?) ‘बस तुम शर्माना छोड़ देना और जैसा मैं समझाऊँ, वैसे करती रहना !’ ‘ऐ बधू तो ठीक छे पण तमे केवू आवशो? अने आवया पेला मने कही देजो.. भूली नहीं जाता? कई गाड़ी थी, केवू, केटला […]

तीसरी कसम-2

On 2012-02-14 Category: कोई मिल गया Tags:

प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना हे लिंग महादेव ! अगर मुझे इन छोटे छोटे चीकुओं को चूसने या मसलने का एक मौका मिल जाए तो मैं तो सब कुछ छोड़छाड़ कर इनका अमृतपान ही करता रहूँ। एक बार तो मेरे मन में आया कि उसे कह दूँ कि मेरे पास आकर रोज़ इनकी मालिश करवा […]

तीसरी कसम-1

On 2012-02-13 Category: कोई मिल गया Tags:

प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है बाद मुद्दत के होता है चमन में दीदा-ए-वार पैदा ओह… प्रेम ! क्या तुम नहीं जानते प्रेम अँधा होता है। यह उम्र की सीमा और दूसरे बंधन स्वीकार नहीं करता। इवा ब्राउन और अडोल्फ़ हिटलर, राहब (10) और जेम्स प्रथम, बित्रिश (12) […]

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