आवारगी

सुख-सुविधाओं से संपन्न घर में जब समृद्धि विरासत में मिल जाए तो मन पढ़ाई जैसी चीज़ों में कम ही लगता है. ऐसी ही ज़िंदगी ने मेरी आवारगी की बुनियाद स्कूल टाइम में ही डाल दी थी. मेरी बेहद कामुक स्टोरी!

आवारगी-4

On 2005-12-07 Category: रिश्तों में चुदाई Tags:

माया देवी इस प्रकार अपनी योनि के साथ भाँति भाँति के अजीब ढंग के प्रयोग करते करते समय निकल रहा था कि विदेश से मेरी दोनों भाभियाँ आ गई, वे एक माह के लिए हिन्दुस्तान घूमने आई थी, उन दोनों से मेरी खूब पटी। मेरी बड़ी भाभी का नाम मार्टिना और छोटी भाभी का नाम […]

आवारगी-3

प्रेषिका : माया देवी इस घटना के बाद मैं खुद ही सेक्स संबंधों के प्रति आवश्यकता से अधिक झुकती चली गई। जब तक उस स्कूल में रही तब तक प्रिंसीपल और डबराल सर के साथ मैने अनेक बार सम्बन्ध बनाये, किसी नये व्यक्ति से संबंध बनाने की जिज्ञासा तो मुझे रहती थी किन्तु मैं नये […]

आवारगी-2

प्रेषिका : माया देवी उधर श्वेता ने उनके लिंग को फिर लोहे की गर्म रॉड की शक्ल दे दी थी और अब स्वयं ही अपनी योनि उस पर टिका कर धीरे धीरे धक्के देने लगी थी। लिंग-मुंड के उसकी योनि में प्रवेश करते ही वह सिसक उठी- उफ….माई डीयर…. डबराल ! ….. उफ … ! […]

आवारगी-1

प्रेषिका : माया देवी मैं एक अच्छे खाते पीते परिवार की बहु हूँ, मेरा नाम रजनी है, मैं एक बाईस वर्षीय युवती हूँ, मेरी शादी को मात्र दो वर्ष बीते हैं। मैं अपने घर में एकमात्र लड़की थी, मेरे दो बडे भाई थे, दोनों विदेश में रहते थे। मेरे पिता सरकारी अफसर थे, इतने बडे […]

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