ऑफिस की मैनेजर निकली मेरी कस्टमर

(Office ki manager nikali meri customer)

नमस्कार दोस्तो! मेरा नाम कबीर है. मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ. देखने में अच्छा दिखता हूँ. मध्यम वर्ग परिवार से होने के कारण मेरी पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं है. इस कारण मैं पैसा कमाने के लिए एक दूसरी जगह पर चला गया था. यहाँ पर उस जगह का नाम मैं नहीं बता पाऊँगा. मेरे एक दोस्त ने ही मुझे वहां पर काम दिलवा दिया था.
मैं जिस जगह पर काम करता था वहाँ पर मेरी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बहुत ही कम पैसा मिलता था इसलिए मैंने अपने दोस्त से दोबारा संपर्क किया और उसको अपनी परेशानी के बारे में बताया. मैंने उससे कहा कि वह मुझे कोई ऐसा काम दिलवा दे जिसमें ज्यादा पैसा मिलता हो.

मेरी समस्या को सुनने और समझने के बाद मेरे मित्र ने मुझे एक काम के बारे में बताया. उसने मुझे बताया कि मेरे पास एक और काम भी है लेकिन वह काम थोड़ा टेढ़ा है.
अपने मित्र को मैंने कह दिया कि वह जैसा भी काम मुझे बताएगा मैं वही काम करने के लिए तैयार हूँ, लेकिन मुझे आमदनी अच्छी होनी चाहिए. मेरा दोस्त मान गया और उसने मुझे एक और आदमी से मिलवाने के लिए कहा.

वह मुझे जिस आदमी के पास लेकर गया उसने मुझे बताया कि तुम्हारे पास कुछ ऐसे फोन कॉल्स आएंगे जहां पर जाकर तुमको उस ग्राहक को खुश करना होगा. जब मैंने उस आदमी से पैसों के बारे में पूछा तो मेरी खुशी का ठिकाना न रहा. मैं झट से उस काम को करने के लिए तैयार हो गया.

अगले ही दिन से मेरा काम शुरू हो गया. मुझे फोन आना शुरू हो गए और मेरे पास जिस भी लड़की या औरत का फोन आता मैं उसके पास पहुंच जाता. मेरे पास जल्दी ही काफी सारे पैसे आना शुरू हो गए. काम तो आप लोग भी समझ गए होंगे. मुझे उन औरतों और लड़कियों को जाकर चोदना होता था. चोदने के बाद जब वह खुश हो जातीं तो मुझे पैसा भी खूब सारा मिलने लगा था.

मैं जिस जगह पर शुरू में काम करने लगा था वहाँ पर मेरी एक मैनेजर भी थी. उसका नाम दिशा था. वह देखने में बहुत ही सुंदर थी. उसके बारे में मैंने काफी कुछ सुना था; जैसे कि उसका चाल-चलन भी ठीक नहीं है वगैरह वगैरह.
लेकिन मुझे इन सब बातों से कुछ लेना-देना नहीं था. मैं तो वहाँ पर पैसे के लिए काम कर रहा था. मैं दिशा या उसके बारे में कही जाने वाली बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था. मुझे बस अपने ही काम से मतलब था.

फिर एक दिन मेरे सर का फोन मेरे पास आया और उन्होंने मुझे एक पता दिया जहां पर मुझे जाना था. सर ने मुझे बताया कि यहाँ पर तुमको अच्छा पैसा मिलने वाला है. अगर ग्राहक को खुश करके आओगे तो कुछ एक्सट्रा पैसा भी ज़रूर मिलेगा.

मैं जल्दी ही नहा-धोकर तैयार हो गया. मैंने कपड़े पहने और उस जगह पर पहुंच गया.
मैंने उस जगह पर पहुंचकर दरवाज़ा खटखटाया तो पता लगा कि दरवाज़ा पहले से ही खुला हुआ था. मैं कुछ देर इंतज़ार करने के बाद अंदर चला गया और मैंने अंदर जाकर आवाज़ लगाई कि मैडम मैं आ गया हूँ।

जो लड़की अंदर से बाहर निकलकर आई उसको देखकर मैं हैरान था. यह तो मेरे ही ऑफिस की मैनेजर दिशा थी. वह अपने बालों को संवारती हुई आ रही थी. जब उसने मुझे देखा तो वह भी एक बार के लिए चौंक गई. हम दोनों एक-दूसरे को देख रहे थे.
वह भी हैरान थी और मैं भी हैरान था. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी मुलाकात दिशा से भी हो सकती है और वो भी ऐसे काम के लिए.

हम दोनों एक-दूसरे से कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं थे. इसलिए कुछ देर ऐसे ही चुप-चाप खड़े रहने के बाद दिशा ने ही बात शुरू की. उसने कहा- तुम ऐसे काम भी करते हो. मैं तो तुम्हें अच्छा लड़का समझती थी.
उसकी इस बात पर मुझे थोड़ा सा गुस्सा आ गया तो मैंने भी कह दिया- मुझे भी नहीं पता था कि आप ऐसे काम के लिए बाहर से लड़कों को बुलाती हो. यह सुनकर दिशा चुप हो गई. मैं मन ही मन कह रहा था कि बोल तो ऐसे रही है जैसे यह यहाँ पर पूजा-पाठ करने आई है.

मैंने दिशा से कहा- देखो मैडम, मुझे पैसों की ज़रूरत है इसलिए मैं यह सब काम करता हूँ।
उसने कहा- कितने पैसे चाहिएं तुम्हें, मैं दे देती हूँ।
मैंने कहा- मुझे किसी का अहसान नहीं चाहिए.
वह बोली- तो मैं कब कह रही हूँ कि मैं तुम्हारे ऊपर अहसान कर रही हूँ। मैं अगर पैसे दूंगी तो फायदा भी पूरा उठाऊँगी तुम्हारा.
कहती हुई वह मेरे पास आई और मेरे पेट पर हाथ फिराती हुई कहने लगी- तुम बस मुझे खुश कर दो और मैं तुमको खुश कर दूंगी.

तो मैंने मन में ठान लिया कि आज तो पलंग तोड़ परफॉरमेंस दूंगा और इसकी चूत फाड़ दूंगा. मेरे पास जोश बढ़ाने वाली गोली रखी थी तो मैंने वो गोली खा ली. अब मैं उसके पास गया और उसको बिस्तर पर धक्का दे दिया. वह बिस्तर पर जा गिरी और मैं अपने कपड़े उतारने लगा पर मेरी बॉस ने मुझे बीच में ही रोक दिया.

मैं उसकी यह हरकत समझ नहीं पाया था. फिर उसने मेरी गर्दन पर किस किया और बोली- तुम्हें नंगा मैं अपने हाथों से ही करना चाहती हूं.
उसने मेरी आधी खुली हुई शर्ट के बाकी बटन भी खोलना शुरू कर दिये. वह मेरी छाती पर चूमने लगी. उसके कोमल होठों से मेरी छाती पर सरसरी दौड़ने लगी. मेरा लंड मेरी पैंट में तन कर फटने को हो गया.

फिर उसने मेरी पैंट का बटन भी खोल दिया. उसने मेरी पैंट को नीचे कर दिया और मेरे अंडरवियर में तने हुए मेरे लौड़े को किस कर दिया. फिर मैंने खुद ही अपनी पैंट अपनी टांगों से अलग कर दी और उसके सामने अपने तने हुए लौड़े के साथ खड़ा हो गया. उसके बाद उसने मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से चूमना-चाटना शुरू कर दिया.

मेरे अंदर मस्ती भरने लगी. मेरा खुद पर कंट्रोल करना भारी होता जा रहा था. फिर उसने मेरा अंडरवियर धीरे-धीरे नीचे खींच दिया और मेरा लंड तनकर उसके सामने आ खड़ा हुआ. मेरे लंड को देखकर उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई.

अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए मैंने कहा- खेलो इससे!
वो उठी और फिर उसने मुझे होठों पर स्मूच करना शुरू कर दिया. फिर उसने मेरे लंड को हाथ में लेकर सहला दिया. वो मुझे पागल कर रही थी.

दिशा ने मुझे बिस्तर पर बैठा दिया और मेरा लंड चूसने लगी. वह लंड चूसते हुए मेरी ओर देख रही थी और मैं उसकी तरफ … पता नहीं क्यों लेकिन आज मुझे लंड चुसवाने में बड़ा मज़ा आ रहा था.

फिर उसने मेरा लंड चूसना छोड़ दिया और मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगी. उसने कहा- अभी तक जितने भी मेरे पास आए, उनमें से तुम्हारा लंड सबसे बड़ा है और सख्त भी, आज तो मज़ा ही आ जाएगा.
इतना बोलकर वह फिर से मेरा लंड चूसने लगी.

उसने मेरा लंड चाटते हुए मेरी गोटियाँ चाटना शुरू कर दी, मुझे बहुत मज़ा आने लगा क्योंकि आज तक किसी ने ऐसा नहीं किया था. फिर वो मेरी गोटियाँ चाटते-चाटते मेरी गांड चाटने लगी और अब मुझे गुदगुदी सी होने लगी तो मैंने कहा- ये क्या कर रही हो?
उसने कहा- चुप …
और वह फिर से मेरी गांड चाटने लगी.

पहली बार किसी ने मेरी गांड चाटी थी और मुझे काफ़ी अच्छा भी लग रहा था.

वह रुक गई और मैं बिस्तर पर लेटा हुआ था. वो खड़ी हो गई और अपने कपड़े उतारने लगी. उसने सिर्फ एक पतली सी जाली वाली ड्रेस पहनी थी और अन्दर ब्रा-पैंटी. उसने अपनी ऊपर वाली ड्रेस उतार दी तो मैं उठ खड़ा हुआ और उसकी कमर पे हाथ रख कर कहा- अब मैं उतारूंगा.
मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को उतार दिया.

उसके दूध काफी बड़े थे लेकिन झूले हुए थे. मैंने उसके दूध ज़ोर-ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया तो उसने कहा- आराम से करो, आज ही निचोड़ दोगे क्या?
तो मैंने कहा- हाँ!

फिर मैंने उसकी पैंटी के अन्दर हाथ डाल दिया और उसकी चूत में उंगली घिसने लगा. मैं उसके दूध चूस रहा था और साथ में चूत भी घिसे जा रहा था. मेरी इस हरकत पर वह कामुक होकर अह्ह्ह ह्ह्ह अह्ह ह्ह्ह्ह हाह्हाह अहहः ऊउम्म जैसी आवाज़ें करने लगी.

फिर मैंने उसकी पैंटी उतार दी और चूत को अपने हाथ से रगड़ने लगा. तब मैंने उसको बिस्तर पर लिटाया और उसकी चूत को चाटने लगा. मैं अपनी जीभ उसकी चूत में अन्दर तक डालने लगा और उसकी गांड दबाने लगा.
वो पूरी तरह से गरम हो चुकी थी और चुदने के लिए तैयार थी.

फिर मैं उठा और उसकी चूत पर अपना लंड रखा और अन्दर करने लगा.
उसके मुंह से निकल गया- आह्हह्ह ऊह्ह्ह बहुत बड़ा है … आराम से करो.

मैंने एकदम से उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया और उसकी ज़ोर से उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल गई.
फिर मैंने उसको चोदना शुरू किया और ज़ोर-ज़ोर के झटके मारने लगा. उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था.

तब मैंने अपनी पॉजीशन बदली और उसको घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी चूत मारने लगा. अब मुझे उसकी चूत मारने में मज़ा नहीं आ रहा था इसलिए मैंने उसकी गांड में उंगली करना शुरू कर दिया. फिर मैंने उसकी गांड के छेद पर लंड रखा और अन्दर करने लगा.
वह कहने लगी- वहाँ तो रहने दो, मुझे दर्द होता है.
मैंने कहा- अरे मज़ा आएगा, एक बार करवा कर तो देखो.

इतना कहकर मैंने अपना लंड दिशा की गांड में डाल दिया. उसकी गांड बहुत टाइट थी और मुझे उसकी गांड में लंड डालने के बाद मुझे मज़ा आ गया. धीरे धीरे मैं उसकी गांड में लंड को अंदर-बाहर करने लगा. मुझे उसकी गांड मारने में बहुत मज़ा आ रहा था.
मैंने दस मिनट तक बिना रुके उसकी गांड मारी और लंड बाहर निकाल कर सारा मुट्ठ उसके कूल्हों के और गांड के छेद के ऊपर गिरा दिया.

जब हम दोनों शांत हो गए तो उसने मुझसे कहा- आज तक ऐसा मज़ा नहीं आया मुझे! कितने पैसे चाहिए तुम्हें?
मैंने उससे पैसे लिए और वापस आ गया.

फिर मैंने दो बार और उसकी रातें रंगीन कीं और मैंने अपना सारा कर्ज़ चुका दिया।

मैं बिना किसी को बताये चुपके से दिल्ली आ गया. यहाँ पर आने के बाद तो जैसे मेरी लॉटरी ही लग गई. यहाँ की औरतें तो जैसे लंड की प्यासी ही रहती थीं. यहाँ तो मुझे चुदाई का इतना काम मिला कि मैं मालामाल हो गया. यहाँ पर आने के बाद मैंने बहुत सी औरतों की प्यास बुझाई.

कभी कोई मुझे अपने घर पर बुलाती थी और कभी कोई होटल में. कई बार तो तीन-चार औरतें मिलकर मुझे अपने साथ कहीं ट्रिप पर ले जातीं और मैं वहां पर जाकर उन सबकी चूत की खुजली को शांत करता था. यहां की आंटियाँ और भाभियाँ सेक्स की कुछ ज्यादा ही प्यासी लग रही थीं मुझे. हर रोज़ मेरे पास नई-नई कस्टमर आना शुरू हो गई.

जैसे-जैसे मैं यहाँ की औरतों की चुदाई करता गया, मेरा नेटवर्क बढ़ता गया और मैं जल्दी ही दिल्ली की औरतों के बीच में एक प्रसिद्ध जिगोलो बन गया. मेरे लंड की आग अभी भी शांत नहीं होती है. मैं औरतों की प्यास बुझाता हूँ और अपने लंड को भी खुश करता हूँ.
मेरा स्टेमिना भी अच्छा है जिसके कारण मैं दिन में 3-4 कस्टमर तो डील कर ही लेता हूँ।

तो दोस्तो, यह थी मेरी कहानी कि कैसे मेरी कस्टमर मेरी ही बॉस निकली. जिंदगी में अक्सर इस तरह के वाकये हो जाते हैं जब हमको पता नहीं चल पाता कि कौन आदमी हमसे किस मोड़ पर टकरा जाए. मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, आप मुझे मेल के ज़रिए ज़रूर बताना. मैं आपके लिए आगे भी इस तरह की सेक्सी कहानीयाँ लिखता रहूंगा, मुझे आप सब के मेल का इंतज़ार रहेगा.
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