और नीतू भाभी से रहा नहीं गया

(Aur Neetu Bhabhi se Raha Nahi Gaya)

दोस्तो,
मेरी पिछली कहानी
भावना और कंचन भाभी की चूत चुदाई
पढ़ कर आप लोगों के मेल्स आये, बहुत बहुत शुक्रिया।

मैं आज आपको उससे आगे की सेक्स कहानी बताने जा रहा हूँ कि भावना और कंचन की चुदाई के बाद कैसे उनके ग्रुप की बाकी 2 लड़कियों को चोदा।

ग्रुप में दो लड़कियाँ बची थी, नीतू प्रिया और आशा किरण… आज मैं आपको नीतू प्रिया की चूत चुदाई की सेक्स कहानी बताऊँगा।

नीतू भी रांची की रहने वाली है, उसका पति एक बिज़नेसमैन है।
नीतू दिखने में बहुत हसीन है, उसके चेहरे पर एक प्यारा सा शरारत हमेशा रहती है।

वह लंबी है, खास कर उसकी टाँगें उसकी खूब लंबी हैं।
लंबे बाल चूतड़ों से थोड़ा ऊपर!
आँखें सेक्सी, बूब्स 34 के, चूतड़ थोड़े मोटे!
मतलब माल बहुत मस्त… जांघों में ग़ज़ब की कसावट!

नीतू का एक बेटा है, सुबह बेटा स्कूल और पति अपने बिज़नेस पर चला जाता है।
फिर नीतू घर में अकेली!

भावना और कंचन भाभी की चुदाई के बाद अगले दिन नीतू का फ़ोन आया- अजय, कल रात तो तुमने उन दोनों की बैंड बजा दी चूत चोद के! बहुत मज़ा आया दोनों को! अभी उनका फ़ोन आया था।

मैंने कहा- हाँ भाभी, मज़ा तो बहुत आया उनकी चुदाई कर के!
नीतू बोली- चलो न, आज मूवी चलते हैं।
फिर दो बजे मेरे ऑफिस के बाद का प्लान बन गया।

उसने 2 टिकट बुक कर ली लास्ट रेक्लीनर!
वह अपनी कार से आई।

आह… दोस्तो, क्या कयामत माल लग रही थी।
उफ्फ रेड साड़ी, स्लीवलेस ब्लाउज, पीछे से पीठ नंगी, कमर बिल्कुल गोरी…
कमर से छलकती हुई थोड़ी मांस और भी सेक्सी बना रही थी।

मैं भी सफ़ेद शर्ट और ब्लू जीन्स में था।
हम अन्दर गए, हमने अपनी सीट ली।

और जैसे ही हम बैठे, उसने मेरे गाल पे किस कर लिया।
मूवी शुरू होते ही हम लोग भी शुरू हो गए।

वो मेरी बाहों में सिमट गई, मैंने भी उसे कस के बाहों में भर लिया।
आह… सच बताऊँ… बहुत अच्छा लग रहा था।
सेक्स से ज्यादा मज़ा तो उसके पहले वाले कामों में है।

सबसे पहले मैंने उसके कानों को अपने होंठ में लिया और चूसने लगा।
वो इससे बहुत गर्म होने लगी।

तभी मैं एक हाथ उसके मस्त चूचे पर रख कर सहलाने लगा।
बहुत उतेजना हो गई थी हम दोनों को!

अँधेरा और कार्नर वाली सीट की वजह से कोई परेशानी भी नही हो रही थी।
मैं उसके नंगे पेट पर हाथ रख कर सहलाने लगा।
कभी पेट तो कभी कमर कभी उसकी नाभि में उंगली।

‘आह… आह…’ उसके मुंह से निकल रहा था।

तभी मैंने उसे थोड़ा सा ऊपर की और खींचा और उसका सिर पकड़ के अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और चूसने लगा।
वो बराबर साथ दे रही थी।

तभी किसी को आता देख हम लोग थोड़ा अलग हो गए।
अब इतनी तो दिक्कत मूवी हॉल में होती है।

फिर हम लोग एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे, कभी वो मेरी जीभ चूसे कभी मैं उसकी…
अब उसका पल्लू हटा कर मैंने उसकी चूची पर होंठ रख दिए। साथ में मैं उसकी जांघों को सहला रहा था।

लेकिन उसकी साड़ी की वजह से थोड़ी दिक्कत हो रही थी।
साड़ी ऊपर करता तो टांगें पूरी नंगी हो जाती जो पब्लिक प्लेस पर अच्छा नहीं था।
और अगर कमर से हाथ डालता तो साड़ी खुलने का डर था।
बड़ी उलझन थी।

उसने कहा- गलती हो गई अजय… कि साड़ी पहन ली, मुझे लगा इसमें आराम होगा।
मैंने कहा- कोई बात नहीं जान!

मैं उसके ब्लाउज के हुक खोल कर मस्त चूची सहलाने लगा और वो मेरे जीन्स के ऊपर से मेरा लंड सहलाने लगी।
जीन्स की चेन खोल के मैंने उसके हाथ में अपना मोटा मूसल जैसा लंड दे दिया, उसने कस के लंड अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया और मुठ मारने लगी।

आह… हह… उसके हाथ क्या कोमल थे।
आह… क्या जन्नत का मज़ा आ रहा था।

थोड़ी देर बाद मैंने उसका सर नीचे दबाया तो वो इशारा समझ गई, झट से भाभी अपनी जीभ निकाल कर मेरे मस्त गुलाबी सुपारे पर फेरने लगी।
मैं उसके ब्लाउज में हाथ डाल के उसकी चूची और निप्पल को मसलने लगा।

जितना मैं मसलता था, उतना ही जोर से वो मेरा लंड अपने मुँह में चूसती थी।

दोस्तो, मैं तो एक प्लेबॉय था जो पैसे लेकर चोदता था, पर हम लोग बिल्कुल एक परफेक्ट कपल जैसे बैठे थे और मस्ती कर रहे थे।

हम दोनों पूरे गर्म थे।
अब कण्ट्रोल नहीं हो रहा था नीतू को क्योंकि मेरा हाथ नीतू की चूत तक नहीं पहुँच पा रहा था जिससे उसकी बेचैनी और बढ़ रही थी।

उसने हॉल से ही भावना को फ़ोन किया, पूछा- क्या तू अकेली है?
भावना ने बोला- हाँ अकेली हूँ!
तो नीतू बोली- अजय को लेकर आ रही हूँ।

फिर हम दोनों मूवी छोड़कर भावना के घर आ गए।

भावना के बारे में जानने के लिए पढ़ें मेरी पिछली कहानी।

भावना ने पूछा- क्यूँ आज बहुत बेचैनी है?
तो नीतू बोली- हाँ, क्यूँ नहीं, तूने तो अपनी बेचैनी मिटा ली न!

हम तीनों बैठ कर ड्रिंक्स लिए।

भावना बोली- तुम दोनों रूम में चले जाओ, मैं बाहर जा रही हूँ कुछ काम से! आकर थोड़ा मस्ती ले लूँगी मैं भी!
भावना बाहर चली गई।

मैंने एक ड्रिंक और बनाया और धीरे धीरे पीने लगा।
नीतू बोली- जान, अब जाम छोड़ो, मुझे पीयो।

मैंने एक हाथ में अपना ड्रिंक लिया दूसरे हाथ को उसके कमर में डाल कर रूम की तरफ बढ़ा।

नीतू को हल्का मुझे थोड़ा ज्यादा नशा हो गया था।
बिस्तर पर पहुँचते ही साइड टेबल पर अपना गिलास रखा और उसे धक्का देकर गिरा दिया।

मैं उसके ऊपर था, उसके दोनों हाथ अपने हाथों से जकड़ रखे थे।

अपने पैर से उसके पैर रगड़ रहा था, अपने सीने से उसके बूब्स को!
आह… बहुत मज़ा आ रहा था।

मैं उसके बदन को अपने जिस्म से बेचैनी में रगड़ रहा था।

तभी मैंने अपने होंठ उसके रसीले होंठों पर रख दिए और चूसने लगा।
होंठों को चूसते हुए अब मैंने एक हाथ उसके सुडौल चूची पे रख दिया और दबाने लगा।

नीतू मेरा सर पकड़ कर किस कर रही थी और मैं उसे मसलने में लगा था।
मैं अपने पैरों से उसकी साड़ी को ऊपर कर रहा था।

अब अपना हाथ नीचे कर के उसके साड़ी को पकड़ के कमर तक ऊपर कर दिया। अह… हाह… क्या गोरी गोरी जांघें थी… पूरी मांसल।

तभी नीतू ने पलटी मारी और वो मेरे ऊपर आ गई।
मैंने उसका ब्लाउज उतार दिया जिससे वो ब्रा में हो गई।
साड़ी ऊपर थी ही…

लाल रंग की पैंटी उसके बड़े चूतड़ों के छोटे हिस्से को ढक रही थी।
अब मैं उसके चूतड़ मसलने लगा।

उसने अपनी ब्रा खोल कर एक निप्पल मेरे मुंह में दे दिया, मैं भी मस्ती में पीने लगा और नीचे गांड के छेद को उंगली से सहलाने लगा।

थोड़ी देर के बाद हम लोग खड़े हुए और एक दूसरे को बिल्कुल नंगा कर दिया।
नीतू बेड के किनारे पर बैठ गई बोली- चूत चाटो अजय!
उसकी आवाज़ में आदेश था जिसे मैं पूरा करने झट से नीचे बैठ गया और चाटने लगा।

आखिर मुझे पैसे भी तो चूत वाली को खुश करने को ही मिलते हैं।

मैं उसकी बूर को दोनों उंगलियों से फैला कर अंदर के गुलाबी भाग को जीभ की नोक से छू रहा था।
वो अब मस्ती में सिसकारियां भर रही थी और मेरा सर अपने चूत पे दबा रही थी।

मैंने अपने दांतों से उसकी क्लिट को पकड़ा तो ऐसा लगा कि उसका पूरा शरीर कांप गया।

उसकी बुर को मैं चाट रहा था… आह… बहुत मज़ा आ रहा था।
मैं पीछे हाथ करके उसके दोनों मांसल चूतड़ों को बुरी तरह से मसल रहा था।

अब नीतू को मैंने बोला- अपना एक पैर साइड टेबल पे रखो।
उसने रखा, जिससे उसकी चूत की फांकें खुल गई।

मैं नीचे बैठ कर अपना मुँह उसके चूत पे रख के चूसने लगा।
उसे भी मज़ा आ रहा था, साथ में नीतू का हल्का पानी निकल रहा था।
नीतू मेरा सर अपने बुर पर बुरी तरह से दबा रही थी, मैंने उसकी चूत की फ़ांकों को फैलाया और जीभ डाल के चोदने लगा।

आह आह… इस पोज़ में नीतू को बहुत मज़ा आ रहा था, नीतू बोले जा रही थी- चाटो अजय, खा जाओ इस निगोड़ी चूत को… तुम आज मुझे शांत कर दो, बहुत दिन से प्यासी हूँ। आज अपने लंड से इस चूत को फाड़ दो मेरी जान। आहः आहः आहः

ऐसा लग रहा था कि अब उसका पानी निकलने वाला था, मैंने और स्पीड बढ़ा दी जिससे उसे मज़ा आये।
नीतू ने मेरा सर ज़ोर से अपने बुर में घुसेड़ लिया और चिल्लाने लगी- चाटो, खा जाओ।

वो पागल हो रही थी, उसे चरम आनन्द प्राप्त हो रहा था, उसका पूरा शरीर और आवाज़ दोनों कांप रहे थे, पूरा बदन थरथरा रहा था। और नीतू चरम आनंद को प्राप्त कर चुकी थी।

मैं उठा और उसे अपने सीने से लगा लिया और बेड पे अपने गोद में लेकर बैठ गया।
उसकी आँखे अभी तक बंद थी और वो आनंद की अनुभूति अभी भी कर रही थी।

दोस्तो, कभी भी लड़की को सेक्स के बाद छोड़ मत देना, हमेशा सीने से लगा कर रखना।
इससे लड़की को और संतुष्टि मिलती है और अपनापन भी!

धीरे धीरे मैंने उसके बदन को सहलाना फिर से शुरू किया, उसे गोद में बैठा कर उसकी जांघों को सहलाया और उसकी चूचियों को पीने लगा।
मेरा लंड तो अभी भी टाइट था जो उसकी गांड में लग रहा था।

मैं उसके होठों को चूसने लगा, उसने भी साथ देना शुरू किया।
मेरा ध्यान सिर्फ उसे मज़ा देने पर था न कि मज़ा लेने पर!

अब मैंने नीतू को उल्टा लेटा दिया, उसकी गांड पर सवार होकर मैं आगे की तरफ झुक कर उसकी पीठ को कुत्ते जैसे चाटने लगा।
धीरे धीरे नीचे आ रहा था मैं, अब मेरी जीभ उसकी कमर को चाट रहा था और हाथ आगे करके उसके बालों को खींच रहा था जिससे उसके मुंह से दर्द भरी मज़ा वाली सिसकारी निकल रही थी।

अब मैं उसकी गांड के दोनों चूतड़ों को बारी बारी से चाट रहा था।
फिर अचानक मैं दोनों फ़ांकों को फैला कर उसकी गांड के गुलाबी छेद को चाटने लगा जिससे छेद कभी सिकुड़ रहा था कभी फ़ैल रहा था।

अब नीतू फिर से जोश में आ चुकी थी, उसने कहा- अजय, फिर से चूत चूसो न!
मैंने कहा- 69 में आओ।
वो फट से आ गई, मैं ऊपर था वो नीचे… मैं अपना मूसल वाला लंड उसके मुंह में डाल कर पेले जा रहा था, साथ में उसकी बुर को खूब चूस रहा था।

थोड़ी देर चूसने के बाद नीतू बोली- अजय, अब चोद दो, फाड़ दो इस बुर को अपने मस्त लंड से!

मैंने भी देर नहीं की, झट से उसे बिस्तर के किनारे खींचा, एक टांग को अपने कंधे पे रखा।
मैं नीचे खड़ा था, लंड को नीतू की रसीली चूत पर सेट किया, एक चूची को हाथ में लिया, एक तेज़ झटका और पूरा लंड नीतू के अंदर।
एक बहुत मादक सिसकारी उसके मुंह से निकली।

अब मैं थोड़ा आगे झुक के उसके पैरों को अपने कंधे से दबा के आगे उसके सीने की तरफ किया जिससे उसकी चूत थोड़ी उठी हुई लग रही थी।
अब मैं तेज़ी से धक्के मार रहा था, उसकी चूत में पेल रहा था, चोद रहा था।

वो मादक सिसकारी लेते हुए चिल्लाये जा रही थी- मेरे शेर, मेरे अजय, चोद साले मुझे… पेलो पूरा दम लगा के।
मैं भी पूरे जोश में चोदे जा रहा था।

थोड़ी देर ऐसे चोदने के बाद मैंने उसे कुतिया बना दिया बेड के कोने पर, अब उसकी गांड मेरे सामने थी।
देर न करते हुए अपना लंड बुर पर सेट किया और बहुत धीरे धीरे पेलने लगा जिससे वो खुद ही अपनी गांड आगे पीछे हिला के अंदर लेने की कोशिश करने लगी।

मैंनेकमर को पकड़ा और अब तेज़ी से शॉट लगाने लगा, पूरा लंड बाहर निकालता और फिर से पेल देता।

ऐसे हर धक्के पर उसकी मदमस्त चूचियाँ पूरी हिल रही थी।
मैंने हाथ आगे कर के पकड़नी चाही, पर थोड़ी दूर थी।
उस पर ध्यान न देकर पेलने पे ध्यान दिया।

‘आहः आहः आह’ कर नीतू पूरा गांड हिला के पेलवा रही थी।

कुछ भी कहो दोस्तो, हर लड़की के पेलवाने का अपना अंदाज़ होता है।
नीतू भी कुछ अलग तरह से चुदवा रही थी, अपनी चूत को कभी बहुत टाइट कर रही थी जिससे मेरा लंड कसा हुआ लग रहा था।
कभी ढीला छोड़ रही थी।

कसम से मैं जन्नत में था।
दस मिनट ऐसे कुतिया बना कर पेलने के बाद नीतू ने मुझे लेटने का आदेश दिया।
मैं भी आदेश का पालन करते हुए लेट गया।

वो मेरी जांघों के ऊपर बैठ गई, उसकी पीठ मेरी तरफ थी, मेरे लंड को अपनी चूत पर सेट करके एक झटके में बैठ गई, आगे पीछे करते हुए मुझे पेलने लगी।

अब मैं रिलैक्स था, खुद को पेलवाने का आनंद ले रहा था, उसकी बुर में मेरा आता जाता लंड साफ़ दिख रहा था।

पूरा लंड उसकी बुर के पानी से गीला था जो सटासट आ जा रहा था।
मैंने उसे अपनी जांघों से थोड़ा उठाया और नीचे से ज़ोरदार धक्का मारने लगा।

‘याआह आहः आहः…’ वो सिसकारियां ले रही थी।

इस तरह उसने मुझे 10 मिनट चोदा और झट से उतर के लेट गई बोली- ऊपर आ के जल्दी से चोदो।
मैं भी जल्दी से उसके ऊपर आ गया। उसने अपना दोनों पैर मेरे कंधों पे रखे और मैंने लंड उसके चूत पर रख के धक्का मारा।
सट से मेरा मोटा लंड उसकी भोसड़ी में था।

वो सिसकारी ले लेकर चुदवा रही थी, कभी नीचे से तेज़ धक्का मार रही थी, कभी आराम से कमर हिला रही थी।
अपने हाथ से अपने चूत के ऊपर वाले भाग को सहला भी रही थी।
आँखें बंद थी नीतू की!

मैं चूचियाँ मसलते हुए चोदे जा रहा था।
मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं नीतू से पहले झड़ जाऊंगा पर किसी तरह हल्का धक्का लगा के रोके हुए था।
उधर नीतू पूरी तरह मदमस्त होकर अपना शरीर मोड़ रही थी।

तभी उसने अपने पैर मेरी कमर में बुरी तरह से जकड़ लिए और अपने नाख़ून से मेरे पीठ को दबाने लगी, नीचे से अपनी कमर उछाल उछाल कर चुदाई का मज़ा कई गुना बढ़ा रही थी, बोली- अजय मैं आ रही हूँ… बहुत मज़ा आ रहा है। आह आह आह आह करके उसका शरीर शांत हो गया और मेरे शरीर से पकड़ भी।

मैं अभी भी धक्का मार रहा था, मेरा निकलने वाला था, इशारे से पूछा तो पैर मेरे कमर में कस दिए, इशारा समझ कर अपना सारा माल उसकी बुर में डाल दिया और निढाल होकर उसके शरीर पे लेट गया।

थोड़ी देर तक उसके ऊपर रहने के बाद उसके बगल में लेट गया, मैं उसे बाहों में जकड़े था।

उसकी सांसें जब नार्मल हुई तो हम दोनों साथ में बाथरूम गए और एक दूसरे का साफ़ किया।

तब तक भावना आ चुकी थी, उसने पूछा- कैसा लगा नीतू?
नीतू बोली- पूछ मत… आज जन्नत मिल गई है।

दोस्तो, कैसी लगी नीतू भाभी की चूत चुदाई की कहानी।
अगली बार चौथी दोस्त को कैसे चोदा बताऊंगा।

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