किरायेदार-4

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लेखिका : उषा मस्तानी

उसकी आँखों से आनन्द चमक रहा था। लंड मुँह से बाहर निकाल कर बोली- मुँह में चूसने में मज़ा आ गया। एक बार और चोदिये, ऊ उह उइ उई एक बार और चोदिये ना ! बड़ा अच्छा लग रहा है।

इस बार मैंने उसे लेटते हुए अपनी गोद में लोड़े पर चढ़ा लिया और लंड अंदर घुसा कर धीरे धीरे चोदते हुए उसके होंठ चूसने लगा।

15 मिनट होंट चूसने के बाद मेरा वीर्य उसकी चूत में बह गया।

सुबह के 6 बज़ रहे थे, मैक्सी पहन कर सुरेखा नहाने चली गई।

मैं 2-3 घंटे सोया और उसके बाद ऑफिस निकल गया।

ऑफिस में मेरा काम कम्पनी में आने वाले मेहमानों का प्रबन्ध और उनका ख्याल रखना होता है। आज बॉस ने बताया कि दो विदेशी आ रहे हैं, ऑफिस के गेस्ट हाउस में आज रात रुकेंगे, उनके लिए लड़की का इंतजाम करना है।

मैंने अपने एजेंट को फोन किया, उसने मुझे तीन बजे बुलाया। इसके बाद मैं तीन दिन बाद होने वाले सेमीनार के लिए होटल बुक करने चला गया। इन सब काम में 2 बज़ गए। तब मैं अपने एजेंट के ऑफिस गया, ऑफिस एक होटल में था, मुझे वो अंदर ले गया, वहाँ उसने मुझे 10-12 लड़कियों की नंगी एल्बम दिखाई। उनमें से मैंने 4 लड़कियाँ देखनी चाहीं, उसने चारों को ऊपर बुला लिया।

एजेंट के कहने पर चारों ने अपने टॉप उतार कर नंगे स्तन दिखाए, सबका बदन एक से बढ़कर एक था। उनसे बात करने के बाद मैंने 2 लड़कियाँ 12-12 हज़ार में पूरी रात के लिए बुक करा दीं।

एजेंट का नाम संजीव था, हम लोग साथ साथ खाना खाने लगे, उसने बताया कि वो भी मेरी तरह एक कर्मचारी है, 10 लड़कियाँ उसे रोज़ की बुक करनी होती हैं। महीने के 1 लाख उसे मिल जाते हैं। लड़कियाँ अधिकतर 20-22 साल की बार गर्ल हैं। कभी फंस जाती हैं तो जमानत भी करानी पड़ती है। कभी कोई काम हो तो बताना, इस धंधे में अच्छे बुरे कई लोगों से पहचान हो जाती है, और कभी चोदने का मन हो तो बताना, फ्री में दिलवा दूँगा।

हम लोग एक घण्टा साथ साथ रहे, इसके बाद मैं वापस ऑफिस आ गया।

रात को मैं 9 बजे वापस आया तो भाभी नीचे मिल गईं, रजनी के साथ चाय पी रही थीं। मुझे 15 दिन हो गए थे आए हुए, आज पहली बार रजनी से मिल रहा था।

रजनी कमसिन बदन की सुंदर सी 24 साल की लड़की थी लेकिन मुझे थोड़ी घमंडी सी लगी।

रजनी से मैंने पूछा- क्या काम करती हो?

रजनी बोली- राज होटल में फ़ूड मैनेजर हूँ।

उसके बाद नमस्ते करके अंदर चली गई।

भाभी बोलीं- अच्छा कमा लेती है, अभी एक लाख का सोने का हार खरीदा है।

इसके बाद भाभी बोलीं- कल कैसा रहा?

मैं बोला- ठीकठाक था।

भाभी ने मेरी चुटकी काटी और बोलीं- सुरेखा से कुछ मज़ा लिया या ऐसे ही गए और आ गए, साली के दूध बड़े सुंदर हैं दबा देते कुछ ऊँच नीच होती तो मैं संभाल लेती।

मैंने भाभी का हाथ दबाते हुए कहा- पहले क्यों नहीं बताया? मैं दबा देता।

भाभी मुस्करा कर बोलीं- अब दबा दो, आज तो अकेली है।

मैं हिम्मत करके बोला- भाभी, चुच्चे तो आपके भी माल हैं।

भाभी बोलीं- चूसने हैं क्या?

मुस्कराते हुए मैंने कहा- आपकी मर्जी।

मेरा हाथ दबाते हुए बोलीं- ठीक है, मौका मिला तो चुसवा दूंगी।

तभी दरवाज़े से भाईसाहब आ गए मेरे और उनके बीच 10 मिनट बाद हुई, फिर मैं ऊपर अपने कमरे मैं चला आया।

सुरेखा 10 बजे खाना ले आई और बोली- कल अरुण के मामा जी आ रहे हैं, एक शादी मैं जाना है, आपसे एक हफ्ते बात नहीं हो पाएगी।मैंने उसे खींच लिया और चिपकाते हुए बोला- आज साथ साथ सो जाते हैं।

सुरेखा ने मेरे होंटों को चूसा और बोली- नीचे खुजली ज्यादा हो रही है, क्रीम लगा देना, साथ साथ सोए तो आप अंदर डाल देंगे।

मैंने कहा- ठीक है।

खाने के बाद 11 बजे वो दूध ले आई उसने पास में रखी क्रीम उठाकर अपनी मैक्सी उतार दी। आज वो नीचे कुछ नहीं पहने थी, अब सुरेखा पूरी नंगी थी।

नंगी सुरेखा को मैंने उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया। उसकी नंगी चूत मेरे लंड को पागल करने लगी उसने मेरी उंगली पर क्रीम लगा कर उंगली चूत के मुँह पर रख दी। उसकी चूत के दाने को सहलाते हुए 10 मिनट तक मैंने उसकी चूत में अंदर तक मालिश करी। वो भी गरम हो रही थी और पानी छोड़ रही थी, बोली- मुँह में डाल दो, रहा नहीं जा रहा है।

मैंने अपना पजामा उतार दिया और उसे गोद में लेटा लिया। सुरेखा ने कुछ देर तक मेरा लोड़ा पकड़ कर सहलाया और बाद में मुड़ कर लंड अपने मुँह में ले लिया और मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया। मेरे हाथ उसके स्तनों और जाँघों पर चल रहे थे। सुरेखा के स्तनों की घुंडियों को मैंने खूब मसला। 10 मिनट के खेल में सुरेखा ने मुझे मस्त कर दिया, मेरा वीर्य स्खलन होने वाला था, मैंने सुरेखा को बताया लेकिन सुरेखा लोड़ा चूसती रही कुछ देर बाद सुरेखा के मुँह मैं मैंने अपना वीर्य उड़ेल दिया। सुरेखा पूरा वीर्य अंदर गटक गई और मुझसे कस कर चिपक गई। 5 मिनट बाद उसने मेरे 3-4 चुम्बन लिए।

उसके बाद उठकर सुरेखा अपने कमरे में चली गई। अगले दिन सुरेखा अपने मामा के साथ 7 दिन के लिए गाँव चली गई।

तीन दिन बाद शनिवार था, मैं रात 9 बजे घर आया और अपने कमरे में चला आया। आजकल सुरेखा नहीं थी, मैं बाहर खाना खाकर आता था।

सपना ने मुझे आवाज़ लगाई- राकेश, कॉफी पिओगे?

मैंने हाँ कर दी।

दस मिनट बाद मैं नीचे कॉफी पीने आ गया, भाभी अकेली थीं, उन्होंने बताया कि बच्चों की कल छुट्टी है, भाईसाहब उन्हें पनवल बुआ के यहाँ ले गए हैं, कल रात को वापस आ जाएँगे।

कॉफी पीने के बाद भाभी ने टीवी चला दिया टीवी पर मूवी आ रही थी, बोली यहीं पलंग पर बैठो, बातें करते हुए देखेंगे।

कहानी जारी रहेगी।

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