पड़ोसन भाभी की चुदास मिटाई

(Padosan Bhabhi Ki Chudas Mitayi)

विमला आंटी जो मेरी पड़ोसी थीं, एक दिन उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया. उनके साथ क्या हुआ इसका पूरा पूरी मज़ा लेने के लिए मेरी अन्तर्वासना की कहानी को पढ़ें.

दोस्तो, मेरा नाम आर्यन है और मैं तीस साल का हूँ. मेरा लंड साढ़े छह इंच का है. मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और मुझे सेक्स काफ़ी ज़्यादा पसंद है. चुदाई की कहानियां पढ़कर मुझे लगा कि मैं भी अपना अनुभव आप लोगों से शेयर करूँ.

यह कहानी लगभग आठ साल पहले की है, जब मैं अपनी पढ़ाई करने के लिए घर से बाहर निकला और किराए के एक मकान में रहने लगा. मेरा कमरा फर्स्ट फ्लोर पे था और मेरे कमरे के बगल वाले कमरे में एक परिवार रहता था.. जिसमें पति पत्नी और उनके दो बेटे रहते थे. मेरे नीचे वाले फ्लोर मतलब ग्राउंड फ्लोर पे भी परिवार ही रहते थे लेकिन फर्स्ट फ्लोर पे जाने का रास्ता एक ही था, जो नीचे वाले वॉशरूम के बगल से होकर जाता था.

एक दिन की बात है, जब मैं रोजाना की तरह अपनी क्लास खत्म करके आ रहा था. ये ऐसा समय हुआ करता था जिस समय मर्द घर पर नहीं होते थे, सब अपने अपने काम पर चले जाते थे. जब मैं अपने मेन गेट पर आया और सीढ़ियों के पास आया तो देखा कि नीचे वाली भाभी नहा रही थीं. वॉशरूम का गेट खुला था और उन्होंने कुछ नहीं पहना था, उन्होंने अपने पेटीकोट को ऊपर चढ़ा कर अपनी चूचियों को छुपा कर बाँध रखा था. जैसे ही उन्होंने मुझे देखा तो वो हड़बड़ा गईं और अपने आपको वॉशरूम के गेट के पीछे छुपा लिया. बात आई गई हो गई.

ऐसे ही कुछ दिन बीत गए. अब वो जब भी मुझे देखतीं तो मुस्कुरा देतीं. उनके मुस्कुरा कर देखने से मुझे कुछ मामला चुदाई का सा लगा, लेकिन भाभी जब तक कोई इशारा नहीं देतीं, कुछ भी करने का मतलब था कि इज्जत की फजीहत करवा लेना. सो मैं बस उनको देख कर अपना लंड हिला कर पानी निकाल लेता था. फिर मैंने सोचा कि कुछ जुगाड़ फिट करनी चाहिए, हो सकता है कि भाभी की नंगी जवानी मेरे लंड को मजा दे दे.

बहुत सोचने के बाद मैंने तय किया कि उनको पहले नंगी देखा जाए. फिर चुदाई की सोचूंगा. अपनी योजना को लेकर एक दिन मैं क्लास में नहीं गया और छुप कर उनके नहाने का वेट करने लगा.

दोस्तो और वो समय आ गया. इधर मैं आगे बढ़ने से पहले आपको उन भाभी की जवानी का वर्णन कर दूँ. उनकी फिगर ऐसी कि कोई भी एक बार देख ले, तो बिना मुठ मारे नहीं रह सकता था. उनकी साइज़ 34-30-36 की थी और उम्र लगभग 35 साल की होगी.

उस दिन भी हमेशा की तरह वो वॉशरूम में गईं और नहाने की तैयारी करने लगीं, ये वो समय था, जब कोई मर्द नहीं होता. शायद इसलिए वो दरवाजा बंद नहीं करती थीं. उन्होंने अपनी साड़ी उतारी, उसके बाद अपना ब्लॉउज उतारा.

दोस्तो आप यह कहानी अन्तर्वासना पर पढ़ रहे हैं.

उनका गदराया हुआ बदन देख कर ही मेरे लंड में तनाव आ गया. उन्होंने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी.. और क्या जबरदस्त माल लग रही थीं. उनके गोरे बदन पर काली ब्रा जबरदस्त सेक्स भड़का रही थी. ऐसा लग रहा था मानो उनके गोरे चुचे सामने से दावत दे रहे हों कि आओ और हमको खा जाओ.

उन्होंने फिर अपनी ब्रा भी उतारी और अपनी पेटीकोट से अपने चुचों को ढक लिया.

जब वो नहा रही थीं और पानी उनके शरीर पर गिरा तो पेटीकोट उनके शरीर से चिपक गया और सारा कुछ दिखने लगा था. उनके मस्त चुचे और नीचे उनकी चूत की बाल भी हल्के हल्के से दिख रहे थे.

दोस्तो ऐसे में मेरी हालत का अंदाज़ा आप सब लगा सकते हैं. मैं आँख बंद करके अपना लंड सहला रहा था और मन ही मन उनको चोद रहा था. इतने में ही मैं झड़ गया और अपने वॉशरूम में जाकर अपने लंड को साफ किया.

उसी दिन को रात को लगभग आठ बजे जब मैं बाज़ार से अपने रूम पे आया, तो उन्होंने मुझे देखा और बुलाया.
विमला भाभी- आर्यन, ज़रा यहां आना.
मैं- जी भाभी, बोलिए कोई काम है क्या?
विमला भाभी- हां, तुम्हारे भैया यहां नहीं हैं और यह पंखा चल नहीं रहा है. ज़रा ये किसी मिस्त्री से ठीक करा दो.
मैं- अरे भाभी, यह तो मैं ही ठीक कर दूँगा.. हटो मुझे देखने दो.

मैं उनके बेड पे चढ़ गया और देखने लगा तो वहां एक केबल निकली हुई थी. मैंने जैसे ही नीचे देखा तो मेरी नज़र सीधे भाभी की चूचियों पर गयी. भाभी के मम्मे मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे.

तभी भाभी ने मुझे देख लिया और बोलने लगीं- क्या देख रहे हो?
मैं- क..कुछ नहीं भाभी.
विमला- मुझे पता है तुम मेरी चूचियों को देख रहे हो.
मैं- नहीं भाभी ऐसा कुछ नहीं है.

विमला- ऐसा ही है, तुम मेरी चूचियों को देख रहे थे और मुझे यह भी पता है कि तुम मुझे आज नहाते हुए भी देख रहे थे.
मैं- भाभी मुझे माफ़ कर दो, किसी को मत बताना.. नहीं तो सब मुझे यहां से निकाल देंगे और ग़लत भी समझेंगे.
विमला- अगर तुम चाहते हो कि मैं किसी को ना बोलूँ तो मैं जो बोलूँ वो तुम्हें करना पड़ेगा.
मैं- आप जो बोलोगी, मैं करूँगा.
विमला भाभी- ठीक है, अभी तुम जाओ और रात को ग्यारह बजे आ जाना.

मैं सोचते हुए अपने कमरे आया और सोचने लगा कि वो रात को मेरे को क्या करने को बोलेंगी. फिर मुझे थोड़ा ये भी लगा कि अगर उनको कुछ मेरे साथ ग़लत करना होता तो मुझे रात को नहीं बुलातीं.

सोचते हुए वो समय भी आ गया. ठीक ग्यारह बजे मैंने उनके दरवाजे को हल्के से बजाया. तुरंत ही दरवाजा खुला और भाभी ने मुझे अन्दर खींच लिया.

भाभी ने महरून रंग की नाइटी पहनी थी जिसमें वो गदर माल लग रही थीं. उन्होंने मुझे अपनी ओर खींचा और मेरे होंठ पे अपने होंठ रख कर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगीं. मुझे सब समझ आ गया कि आज मेरे मन की मुराद पूरी होगी.
मैं भाभी से बोला- इतनी जल्दी क्या है भाभी, आराम से करो.
भाभी- जल्दी ही तो है.. नीचे बहुत आग लगी है.
मैंने कहा- भाभी आज सब आग बुझ जाएगी.. आपको मजे से चोदूँगा.

फिर वो मुझे अपने कमरे ले गईं और मेरी शर्ट को उतार दिया. मैंने भी तुरंत ही मौका देखते ही उनको चूमने लगा और उनके चुचों को दबाने लगा. थोड़े ही टाइम में वो गरम हो गईं और बिस्तर पर टांगें पसार कर चित्त लेट गईं.

मैं उनके ऊपर चढ़ गया और चूमने लगा, कभी उनकी गर्दन को तो कभी कान को.. तो होंठ को.

धीरे धीरे मैंने उनकी नाइटी उतार दी और उन्होंने नीचे कुछ नहीं पहना था. अब वो बिल्कुल नंगी थीं. मैं उनके चूचों को चूसने लगा और हाथों से दबाने लगा. इतने में उन्होंने मेरे शॉर्ट्स को कब उतार दिया, मुझे पता ही नहीं लगा.

थोड़ी देर में मैंने भाभी को मेरा लंड चूसने को बोला, तो उन्होंने मना कर दिया. फिर मैंने बोला- मुझे आपकी चूत चूसनी है.
उन्होंने पहले तो उन्होंने रोका और कहा- मेरी चूत बाद में चूस लेना. अभी मुझे ठंडा कर दे.

मेरे लगातार उनको चूमने और बूब्स को दबाने और चूसने से भाभी एकदम गर्म हो गई थीं.
अब भाभी ने चूत पर हाथ फेरते हुए कहा- जल्दी से चोद दो.. अब रहा नहीं जा रहा.

मैंने उनकी दोनों टांगों को फैला कर एक पैर को अपने कंधे पर डाला और अपना साढ़े छह इंच का लंड उनकी चूत पे लगा कर एक ज़ोर का धक्का दे दिया.

भाभी ज़ोर से चिल्ला उठीं और बोलीं- अरे क्या किया.. साले इतने ज़ोर से नहीं किया जाता.. आराम से करो, मुझे दर्द हो रहा है.
मैंने लंड ठेलते हुए पूछा- भाभी भैया आपको चोदते नहीं हैं क्या, आपकी चूत तो काफ़ी टाइट है.
वो बोलीं- नहीं.. उनका छोटा सा है और जल्दी झड़ जाता है.
मैंने बोला- कोई बात नहीं.. अब भाभी मैं हूँ ना.

मैं ज़ोर ज़ोर से उनको धक्के पे धक्का दे रहा था, उनके दोनों चूचे तो मानो झूले में झूल रहे हों, ऐसे हिलोरें ले रहे थे.

पूरे रूम में लंड चूत की पट पट की आवाज़ गूँज रही थी और भाभी की मादक सिसकारियां माहौल को और सेक्सी कर रही थीं. मैं पूरे जोश में भाभी को चोद रहा था और वो भी पूरा साथ देते हुए चुद रही थीं.

यह कार्यक्रम लगभग चालीस मिनट तक चला और मैंने उनको चार अवस्थाओ में चोदा. एक बार भाभी को डॉगी बना कर चोदा, फिर बटरफ्लाइ, इसके बाद क्रॉस लेग्स और मिशनरी इन सबमें भाभी को खूब चोदा.

जब मैं भाभी की चुदाई कर रहा था, तभी भाभी झड़ गईं और बोलीं- मेरा तो हो गया.. तुम्हारा कब होगा?
थोड़ी देर तक चोदने के बाद मैं भी झड़ने वाला था. जब मैंने पूछा तो उन्होंने बोला कि मेरे चूत के ऊपर ही डाल दो.
मैंने वैसे ही किया.

अंत में भाभी ने मेरे माथे पे किस किया और बोला- तुमने मुझे आज बहुत खुश किया. इतनी खुशी तेरे भैया ने कभी नहीं दी.

इतना बोल कर मुझे गले लगा लिया और थोड़ी देर तक हम ऐसे ही लेटे रहे.. और फिर मैं अपने कमरे आ गया. उनकी चूत चूसने की कहानी टल गई.

दोस्तो ऐसे ही मैंने भाभी की कई बार चुदाई की और वो भी काफ़ी अवस्थाओं में चुदाई की. उनको डॉगी स्टाइल में चुदाई करवाने में बहुत मजा आता था. उनकी चूत भी खूब चूसी और भाभी ने मेरे लंड को चूसना सीख लिया था.

दोस्तो, यह मेरी पहली चुदाई की कहानी है और यह मेरा पहला अनुभव था. जल्द ही मैं आपको अपना अगला अनुभव शेयर करूँगा. आपको मेरी कहानी कैसी लगी आप मुझे ईमेल से अपना विचार बता सकते हैं. मुझे आपके ईमेल का इंतजार रहेगा.
मेरी ईमेल आईडी है.
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