चूत चुदाने को बेताब पड़ोसन भाभी -4

(Chut Chudane Ko Betab Padosan Bhabhi-4)

This story is part of a series:

मेरी मकान मालकिन -2

अब तक आपने पढ़ा..
मालकिन- हाय राम.. लगता है चीटियां सलवार के अन्दर भी हैं.. वो पूरी टांगों पे रेंग रही हैं।

मेरा काम बनने लगा था।
मैंने कहा- भाभी तब तो तुम जल्दी से सलवार भी उतार कर झाड़ लो.. कहीं गलत जगह काट लिया.. तो तुमको दर्द के कारण अभी डाक्टर के पास भी जाना पड़ सकता है।

मालकिन- मैं इस वक्त डाक्टर के पास नहीं जाना चाहती। वैसे भी कुछ देर में बच्चे आ जायेंगे। सलवार ही उतारनी पड़ेगी.. पर कैसे..? मैंने तो अपने हाथों से ब्रा पकड़ रखी है।
मैं- भाभी तुम चिन्ता ना करो.. मैं तुम्हारी मदद करता हूँ।

मैंने उनकी सलवार का नाड़ा खोल दिया। सलवार फिसल कर नीचे गिर गई। उनकी लाल पैन्टी दिखाई देने लगी।

मैं पैन्टी को ही देखे जा रहा था और सोच रहा था कि अभी कितनी देर और लगेगी.. इसे उतरने में। कब इनकी चूत के दर्शन होंगे।
अब आगे..

मकान मालकिन- राज क्या देख रहे हो.. जल्दी से मेरी सलवार झाड़ो और मुझे पहनाओ।

मैंने उनके पैरों से सलवार निकाली व उसे तीन-चार बार झाड़ा। मैंने सोचा ऐसे तो काम बनेगा नहीं.. मुझे ही कुछ करना पड़ेगा.. नहीं तो हाथ आई चूत बिना दर्शन के ही वापस जा सकती है।

मैं चिल्लाया- भाभी दो चीटियां तुम्हारी पैन्टी के अन्दर घुस रही हैं.. कहीं तुमको ‘उधर’ काट ना लें।
मकान मालकिन- राज उन्हें जल्दी से हटाओ नहीं तो वो मुझे काट लेंगी.. पर खबरदार पैन्टी मत खोलना।
मैं- ठीक है भाभी।

मैंने जल्दी से सलवार एक तरफ फेंकी और उनके पीछे जाकर.. अपने हाथ उनके आगे ले जाकर उनकी चूत को पैन्टी के ऊपर से ही सहलाने लगा।

मालकिन- ओह्ह.. राज यह क्या कर रहे हो तुम..

मैं- भाभी तुमने ही तो बोला था कि पैन्टी मत खोलना। चीटियाँ तो दिख नहीं रही हैं.. इसलिए बाहर से ही मसल रहा हूँ.. ताकि उससे अन्दर गई चीटियाँ मर जाएँगी.. तुम थोड़ा धैर्य तो रखो।
मालकिन- ठीक है.. करो फिर!

मैं एक हाथ से उनकी टाँगों के बीच सहला रहा था। दूसरे हाथ से उनकी कमर पकड़े था.. ताकि बीच में भाग ना जाए।

धीरे-धीरे मैं उनकी पैन्टी के किनारे से हाथ डालकर उनकी चूत सहलाने लगा, उन्हें भी मर्द का हाथ आनन्द दे रहा था इसलिए वे कुछ नहीं बोलीं।
थोड़ी ही देर में वो रगड़ाई से गरम हो गईं और अपनी पैन्टी गीली कर बैठीं।

मैं समझ गया कि माल अब गरम है, मैंने अपना लण्ड उनकी गाण्ड से सटा दिया और उनकी चूत में उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा।
भाभी को मेरे इरादे का पता चल गया।

मालकिन- ओह्ह.. राज..ज.. ये क्या कर रहा है तू.. अगर किसी को पता चल गया.. तो मैं बदनाम हो जाऊँगी।
मैं- भाभी तुम किसी को बताओगी?
मालकिन- मैं क्यों बताऊँगी।
मैं- मैं तो बताने से रहा.. तुम नहीं बताओगी तो किसी को पता कैसे चलेगा। वैसे भी तुम्हारा भी मन है ही ये सब करने को.. तभी तो तुम्हारी पैन्टी गीली हो गई है। अब शरमाओ मत और खुलकर मेरा साथ दो.. जिससे तुमको दुगुना मजा आएगा।

अब मकान-मालकिन ने भी शरम उतार फेंकी और दोनों हाथ ब्रा से हटा दिए। हाथ हटाते ही उनके कबूतर पिंजरे से आजाद हो गए।
मैंने भी उनकी पैन्टी उनके जिस्म से अलग कर दी।

मैं- वाह भाभी क्या जिस्म है तुम्हारा देखते ही मजा आ गया।
मालकिन- राज.. तुमने मेरा सब कुछ देख लिया है.. मुझे भी तो अपना दिखाओ ना.. कितने सालों से उसके दर्शन नहीं हुए हैं। मैं देखने को मरी जा रही हूँ, जल्दी से कपड़े उतारो।

मैंने फटाफट कपड़े उतार दिए। मेरा हथियार अब उनके सामने था।
मालकिन- राज मैं इसे हाथ में पकड़ कर चूम लूँ।
मैं- भाभी तुम्हारी अमानत है। जो मर्जी है वो करो।

उन्होंने फटाफट उसे लपक लिया और पागलों की तरह उसे चूमने लगीं।
मैं- भाभी इसे पूरा मुँह में ले लो और मजा आएगा।

उन्होंने लौड़े को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं। मुझे बड़ा मजा आ रहा था। क्योंकि पहली भाभी ने लण्ड चुसवाने की आदत डाल दी थी। मुझे लण्ड चुसवाने में बड़ा मजा आता है। आज बहुत दिनों बाद कोई लण्ड चूस रहा था। वह बड़े तरीके से लण्ड चूस रही थी जिसमें वो माहिर थी।

लौड़े को चाट व चूस कर उन्होंने मेरा बुरा हाल कर दिया.. तो मैं भी उनके सर को पकड़कर उनके मुँह में लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा। मेरा माल निकलने वाला था.. वो मस्त होकर चूस रही थी।

उनका सारा ध्यान लण्ड चूसने में था। मैं जोर-जोर से उनके सर को लण्ड पर दबाने लगा।
थोड़ी ही देर में सात-आठ पिचकारी मेरे लण्ड से निकलीं.. जो सीधे उनके गले के अन्दर चली गईं।
उन्होंने सर हटाना चाहा.. पर जब तक वह पूरा माल निगल नहीं गईं.. मैंने लण्ड निकालने नहीं दिया। इसलिए उन्हें सारा माल पीना ही पड़ा।

अब मैंने लण्ड बाहर निकाला।
मैं- भाभी कैसा लगा मर्द का मक्खन।
मालकिन- राज मुझे बता तो देते.. मैं इसके लिए तैयार नहीं थी.. पर जो भी किया.. अच्छा किया.. तेरा बहुत गाड़ा मक्खन था.. पीने में बड़ा मजा आया।

मैं- चलो भाभी अब मैं तुम्हें मजा देता हूँ। तुम चारपाई पर टांगे चौड़ी करके बैठ जाओ।
वो बैठ गई.. चूत बिल्कुल ही चिकनी थी जैसे आज कल में ही सारे बाल बनाए हों।

मैं- भाभी तुम्हारी चूत के बाल तो बिल्कुल साफ हैं। ऐसा लगता है तुम चुदने ही आई थीं.. फिर नखरे क्यों कर रही थीं?

मालकिन- राज जब से तुम मुझ पर डोरे डाल रहे थे.. तब से मैं समझ गई कि तुम मुझे चोदना चाहते हो। तभी से मेरी चूत भी बहुत खुजा रही थी.. पर अपने बेटे से डरती थी कि उसे पता ना चल जाए.. पर एक हफ्ते से रहा ही नहीं जा रहा था। कितनी उंगली कर ली.. पर निगोड़ी चूत की खुजली मिट ही नहीं रही थी। आज इसकी सारी खुजली मिटा दो।

मैंने उनकी चूत पर मुँह लगाया और जीभ अन्दर सरका दी और दाने को रगड़ना शुरू कर दिया। उन्हें मजा आने लगा.. उन्होंने मेरे सर को अपने चूत पर दबा दिया। मैंने एक उंगली चूत में डाल दी और जीभ से चूत चाटने लगा।

वो मजे लेकर चूत चुसवाए जा रही थीं। उनकी चूत पूरी गीली हो गई।
मालकिन- राज बस अब और मत तड़फाओ.. अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दो और मुझे चोद डालो।

मैंने भी देरी करना ठीक नहीं समझा और अपना लण्ड उनकी गीली चूत पर टिका दिया। जैसे ही धक्का दिया उनकी ‘आह..’ निकल गई।
मालकिन- राज आराम से.. सालों बाद चुदवा रही हूँ.. दर्द हो रहा है।

उनकी चूत सच में टाइट थी.. मैंने जैसे ही दूसरा धक्का मारा.. उनकी चीख निकल गई।
मालकिन- राज.. ओह्ह.. निकालो उसे बाहर.. मुझे नहीं चुदवाना.. तुम तो मेरी चूत फाड़ ही डालोगे.. कोई ऐसा करता है भला?
मैं- भाभी बस हो गया.. अब तुम्हें मजा ही मजा मिलेगा। आओ तुम्हें जन्नत की सैर करवाता हूँ.. वो भी अपने लण्ड से।

मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत में जा चुका था। मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। धीरे-धीरे उन्हें भी आराम मिलने लगा.. उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया।
मालकिन- राज.. आह्ह.. अब तेज-तेज करो.. ओह.. फाड़ डालो मेरी चूत.. साली ने बहुत तड़पाया है.. आज निकाल दो इसकी सारी अकड़.. ओह.. दिखा दो तुममें कितना दम है.. चोद मेरी जान..

मैंने उनकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया और पूरी ताकत से धक्के लगाने लगा। उनकी ‘आहें..’ निकलने लगीं।
‘आह.. आह.. ओह.. ससससस.. आ.. उफ आह.. आह..’
मैं पेले जा रहा था।
मालकिन- आह.. और जोर से.. मजा आ गया राज..

धीरे-धीरे हम दोनों पसीने से तर हो गए.. पर दोनों में से कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था। मैं तड़ातड़ उनकी चूत पर लण्ड से वार किए जा रहा था।
आखिर वो कब तक सहन करती.. अन्त में उनका पानी निकल ही गया।
मालकिन- राज.. प्लीज थोड़ा रूको। मुझे अब दर्द हो रहा है।

मैंने लण्ड को चूत में ही रहने दिया और उनकी चूचियां मसलने लगा। थोड़ी देर में जब वो थोड़ा नार्मल हो गई.. तो मैंने लण्ड को चूत की दीवारों पर रगड़ना शुरू कर दिया। जल्दी ही वो गरम हो गई और बिस्तर पर फिर तूफान आ गया।

अब भाभी गाण्ड उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थीं।
मैं- भाभी कहाँ गिराऊँ.. मेरा होने वाला है।

मालकिन- राज.. तेज-तेज धक्के मारो.. मेरा भी होने वाला है और सारा रस चूत में ही गिराना.. सालों से प्यासी है.. तर कर दो उसे.. तुम चिन्ता मत करो मेरा आपरेशन हो चुका है।
अब मैंने रफ़्तार पकड़ी और कुछ ही देर में सारा माल उनकी चूत में भर दिया.. और उन्हीं के ऊपर लेट गया।
मालकिन- राज अब उठो भी। मुझे घर भी जाना है।

मैं- ठीक है भाभी.. पर ये तो बताओ कैसा लगा.. आपको मेरे लण्ड पर जन्नत की सैर करके?
मालकिन- बहुत मजा आया राज.. तुमने मेरी चूत की सारी खुजली भी मिटा दी और सालों से प्यासी चूत को पानी से लबालब भर भी दिया। देखो अब भी पानी छलक रहा है।

मैंने देखा हम दोनों का माल उनकी चूत से निकलकर उनके टाँगों से चिपककर नीचे आ रहा है।
मतलब समझ कर हम दोनों हँसने लगे, फिर वो फटाफट कपड़े पहनने लगी और जाने लगी।
मैं- भाभी जिसने तुम्हें इतना मजा दिया उसे थोड़ा प्यार करके तो जाओ।

मैंने अपना मुरझाया लण्ड उनके आगे कर दिया। भाभी ने एक बार उसे पूरा अपने मुँह में ले लिया। थोड़ी देर चूसा.. आगे से जड़ तक चाटा.. फिर टोपे पर एक प्यारी सी चुम्मी दी और चली गईं।

उसके बाद जब तक उनके बेटे की शादी नहीं हो गई.. तब तक मैंने उन्हें बहुत बार चोदा। उनकी बहू घर पर ही रहती थी.. इसलिए मैंने उनसे मिलने से मना कर दिया.. ताकि वो फंस ना जाए। वो समझ गई। उसके बाद ना वो कभी कमरे में आई.. ना ही मैं उनसे मिलने गया। पर जब तक साथ रहा तब तक दोनों ने खूब मजे किए।

उसके बाद पड़ोस की दूसरी भाभी को कैसे चोदा। यह कहानी भी जल्दी ही पेश करूँगा।
आपको कहानी कैसी लगी। अपनी राय मेल कर जरूर बताइयेगा।
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