बॉस से मांगा एडवांस.. साथ में मिला लंड

(Boss Se Manga Advance.. Mila lund)

रेनू रवि 2016-11-22 Comments

नया शहर और नोटबंदी…
मेरी आंखों से बस आंसू निकलने बाकी रह गये थे।
तीन महीने से खाली बैठी थी… घर वालों से जिद करके खुद नौकरी की थी लेकिन पहली नौकरी एक साल बाद छूट गई।
घऱ वालों को कुछ नहीं बताया… नई नौकरी की तलाश की और जयपुर से नौकरी का ऑफर आ गया।

नया शहर, नये लोग, नया मकान मालिक… तीन महीने का किराया मांग रहा था लेकिन मेरे कहने पर एक महीने के लिये राजी हो गया।

दफ्तर का तीसरा दिन था और हजार-पांच सौ के नोट बंद हो गये।
मेरे पास रकम थी लेकिन हजार.. पांच सौ की!
अब नये नोट कहां से लाऊँ… राशन पानी, दफ्तर आने-जाने का खर्चा… मकान का किराया… हजार खर्चे होते हैं… कैसे पूरे करूं।
समझ में कुछ नहीं आ रहा था।

मैंने मानसी से बात की… मेरे दफ्तर में काम करती थी… उसने कहा- छोटे नोट मेरे पास भी ज्यादा नहीं हैं।
मानसी ने मुझसे कहा कि बॉस से बात कर लो।
यह बताते हुए वो शरारती अंदाज में मुस्कराई भी थी।

मैंने कहा- तीन दिन की नौकरी में एडवाँस?
मानसी बोली- बॉस के लिये कुछ भी संभव है।

मेरे बॉस चावला जी… मुश्किल से चालीस साल के होंगे… एकदम कड़क मिजाज!
मैंने मानसी से कहा- एडवांस मांगते हुए डर लग रहा है।
मानसी बोली कि वो मेरा काम बना देगी।

शाम के समय दफ्तर लगभग खाली हो गया था, मानसी ने मुझे इशारा किया और हम दोनों बॉस के केबिन में दाखिल हो गई।

चावला साहब किसी काम में व्यस्त थे लेकिन दोनों को देखते ही बोले- आओ मानसी और अनीता… क्या काम है। अनीता यानि मैं!

मानसी ने माफी मांगते हुए कहा- सॉरी बॉस, आपको परेशान किया.. दरअसल अनीता शहर में नई है और बड़े नोट बंद हो गये हैं। इसे खर्चे की दिक्कत आ गई है।

मानसी की बात सुनकर मुझमें हिम्मत आ गई, मैंने धीरे से कहा- सर अगर एडवांस मिल जाये तो मेरा कुछ काम बन जायेगा।
बॉस ने मुझे घूरते हुए कहा- हां… हां मिल जायेगा।

फिर उन्होंने अपना पर्स खोला और दो हजार रुपये देते हुए बोले- आज का काम चला लो… कल एडवांस दिलवा दूंगा।
इसके बाद उन्होंने मानसी से मुस्कराते हुए कहा- इसे कोई परेशानी नहीं होनी चाहिये और हां कल शाम मैं थोड़ा फ्री हूं… अनीता को समझा देना।

बॉस की बात सुनकर अनीता चहकती हुई बोली- जी सर, काम हो जायेगा।

इसके बाद हम दोनों दफ्तर से बाहर निकली मानसी मुझे अपने घर ले गई। यहां मानसी ने एक सेक्सी ड्रेस पहनी… फिर हमने एक साथ खाना भी खाया।

बाद में मानसी ने कहा- देख, चावला साहब बहुत अच्छे दिल के इंसान हैं। तेरी हर मदद कर देंगे लेकिन कीमत भी लेते हैं।
मेरी धड़कन बढ़ गई… कीमत…?!?
‘क्या मतलब है मानसी?’ मैंने पूछा।

मानसी बोली- यार, वो थोड़ी मौज मस्ती करेंगे तेरे साथ… लेकिन पूरे खिलाड़ी हैं… मैं तो हर शाम उनके साथ बिताना चाहती हूँ लेकिन वो राजी नहीं होते… पता नहीं तेरे लिये एकदम से क्यों राजी हो गये।

मैं उसका मतलब समझ गई थी, कॉलेज में ये सब मैं भी करती थी लेकिन पिछले दो साल से सब कुछ बंद था। मैं अंदर अंदर राजी हो गई थी लेकिन थोड़ा नखरा दिखाते हुए बोली- मुझसे नहीं होगा मानसी…

मानसी बोली- तेरे पास दूसरा क्य़ा रास्ता है। नोटबंदी हुई है तो देश के भले के लिये… कुछ दिन की परेशानी है… फिर सब ठीक हो जाना है… तब तक के लिये बॉस को खुश कर दे… दोनों का भला हो जायेगा।
मैंने भी कहा- चल ठीक है, कल देखा जायेगा।

अगले दिन मुझे बीस हजार रुपये एडवांस मिल गये थे… मेरी उम्मीद से भी ज्यादा।
मानसी ने आज चावला साहब के केबिन के कई चक्कर लगाये।

शाम के समय वो मेरे पास आई और बोली- क्या इरादा है?
मैंने कहा- मुझे तेरी बात मंजूर है!

इसके बाद वो मुझे लेकर बॉस के पास गई और बोली- सर, अनीता को एडवांस मिल गया है और वो आपकी बात मानने के लिये भी राजी है।

बॉस ने कहा- ठीक है। मुझे अनीता का ऊपर का हिस्सा चाहिये क्योंकि इसने कम एडवांस लिया है।

आधा हिस्सा?
मैं समझ नहीं पाई।

मानसी मुझे केबिन में ही छोड़कर चली गई।
बॉस ने अपनी सीट के पीछे बनी अल्मारी को खोला तो उसमें एक दरवाजा भी था। उन्होंने मुझे इशारा किया और हम दोनों उस दरवाजे से होते हुए दूसरे कमरे में चले गये।

क्या आलीशान कमरा था… कमरे में किंग साइज बैड भी था।
पूरे कमरे में शीशे लगे हुए थे।

बॉस ने कमरे की एक अलमारी की तरफ इशारा करते हुए कहा- अपने कपड़े बदल लो।

मैंने अलमारी खोली तो उसमें ब्रॉ.. पैंटी और नेकर भरे हुए थे।
मैंने तीनों चीजें पहन लीं।

कमरे में हर तरफ शीशे लगे होने की वजह से बॉस हर तरफ से मुझे देख रहे थे।

बैड पर लेटे बॉस ने मुझे अपने पास बुलाया और मेर होंठों पर अपने होंठ रख दिये।
वो मेरा नीचे वाला होंठ चूस रहे थे।

थोड़ी देर तक होठ चूसने के बाद बोले- अनीता, तुम्हारा नीचे वाला हो।बठ मोटा है….मुझे ऐसे ही होंठ चूसने में मजा आता है।

बॉस की बात सुनकर मेरी धड़कन तेज हो गई थी।

अब बॉस की जीभ मेरे मुंह के अंदर नाच रही थी, उनके हाथ मेरी पीठ को सहला रहे थे।
हम दोनों की सांसें गर्म हो गई थी।

इसके बाद वो लेट गये और मुझे अपने ऊपर चढ़ा लिया… हमारा चूमा-चाटी का दौर जारी था।

थोड़ी देर बाद बॉस ने मुझे ऊपर से हटा दिया और अपने कपड़े उतारने लगे, शर्ट… पैंट के बाद उन्होंने बनियाइन भी उतार दी। अब वो केवल अंडरवियर में थे जिसमें उनका मोटा लंड साफ नजर आ रहा था।

उन्होंने मुझसे कहा- अनीता, मैंने ऊपर का आधा मांगा है इसलिये तुम्हारे होठ और चूची से ही खेलूंगा। चलो अपनी ब्रा भी उतार दो।

मैंने अपनी ब्रा भी उतार दी।
मेरी चूचियाँ काफी टाइट थीं, बॉस उन्हें देख कर बोले- काफी मस्त माल है अनीता!

उन्होंने मेरी चूची से खेलना शुरू कर दिया।
अचानक वो रुके और बोले- यह तो गलत है, मैं अंडरवियर पहने हूं और तुम दो कपड़ों में हो।

मैं उनकी बात समझ गई, मैंने अपना नेकर उतार दिया, अब मेरे शरीर पर भी केवल पैंटी थी।

बॉस फिर मेरी चूची से खेलने लगे, वो मेरी चूचियों के हल्के हल्के पी रहे थे।
इस बार भी वो बैड पर लेट गये और मुझे अपने ऊपर चढ़ा लिया।
हम दोनों की सांस बहुत तेज चल रही थी।

थोड़ी ही देर में बॉस का लंड काफी टाइट हो गया। मैं उनके ऊपर लेटी हुई थी इसलिये वो मेरी चूत में जोर से टकरा रहा था लेकिन अभी बॉस को मेरी चूची में ही मजा आ रहा था।

कुछ देर के बाद बॉस ने मुझे फिर रोका और बोले- अनीता, मैंने ऊपर का हिस्सा ही मांगा है इसलिये तुम्हारी चूत से नहीं खेलूंगा लेकिन तुम्हे मेरा लंड ठंडा करना होगा।

बॉस ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और दोनों चूचियों के बीच अपना लंड रख दिया, उन्होंने मुझसे चूचियों को कस कर दबाने को कहा।
अब मेरी चूचियां ही चूत जैसी बन गई थी।
बॉस ने मेरी चूचियों की चुदाई शुरू कर दी।
उनकी रफ्तार बढ़ती गई और एक तेज चीख के साथ उनके लंड ने एक तेज धार छोड़ी जो सीधे मेरे मुंह में आकर गिरी।

उनका शरीर ढीला पड़ गया था।
उन्होंने मुझे जाने का इशारा किया और मैं उनके केबिन से होती हुई दफ्तर के बाहर आ गई।

बॉस शांत हो गये थे लेकिन मेरे भीतर तूफान था, मेरी चूत से धार बह रही था, चूत को एक झटका चाहिये था।
मन ही मन गुस्सा भी आ रहा था कि मुझे पूरा ही मांग लेते।
क्या करूं… क्या करूं…ये सोचते हुए मैं मानसी के घर की तरफ बढ़ चली।

मानसी जैसे मेरा ही इंतजार कर रही थी।
मैंने मानसी पर गुस्सा होते हुए कहा- यार, बॉस तो पूरा खिलाड़ी निकला लेकिन मेरी चूत का क्या होगा?

मानसी ने कहा- गुस्सा मत कर मेरी जान… मैं हूं ना तेरी सहेली… तेरी परेशानी पहले भी कम की हैं और अब भी करूंगी।

मानसी को कपड़े उतारने में एक मिनट भी नहीं लगा। देखते ही देखते वो मेरे सामने नंगी खड़ी थी।
इसके बाद वो मुझ पर झपट पड़ी।

मैंने कहा- मानसी धीरे..धीरे… मेरे कपड़े फट जाएंगे।
मानसी मुस्कराते हुए बोली- हां मेरी जान, पता है और तू भी कल से मेरे साथ ही रहना शुरू कर दे… दोनों की मस्ती पूरी होगी और खर्चे कम।

हम दोनों नंगी खड़ी थी।
मानसी ने मेरी चूची पीनी शुरू कर दी, उसकी एक ऊंगली मेरी चूत में थी।
मैंने कहा- मानसी, कंट्रोल नहीं हो रहा… कुछ मत कर… बस मेरी चूत पी…

इतना सुनते ही मानसी ने अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दी।
थोड़ी ही देर में मेरी गांड थिरकने लगी।
मानसी ने मेरी चूचियों को कस कर मसलना शुरू कर दिया और थोड़ी ही देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।

चूत से पानी निकलने के बाद मैं बिस्तर पर गिर पड़ी।
शायद मुझे एक झपकी भी लग गई थी।
जब मैं उठी तो मानसी मेरे ऊपर चढ़ी थी, उसकी चूत मेरे मुंह के सामने थी… मैंने भी उसकी चूत की गर्मी शांत कर दी।

रात को मैं मानसी से चिपक कर सोई… सुबह उठी तो बॉस का लंड आंखों के सामने नाच रहा था।
मैंने मानसी से मन की बात कही तो वो एक बार फिर मुझ पर अहसान करने को तैयार हो गई।

शाम के समय मैं फिर बॉस के वीआईपी रूम में थी।
इस बार मैं भीतर जाते ही नंगी हो गई लेकिन बॉस ने टीवी पर एक ब्लू फिल्म लगा दी।

एक विदेशी लड़की को दो लोग चोद रहे थे।
कमरे में हर तरफ शीशे होने की वजह से पूरे कमरे में नो नजारा दिखने लगा।

ब्लू फिल्म से बॉस जल्दी ही उत्तेजित हो गये, उन्होंने अपने कपड़े उतारे तो उनका लंड तना हुआ था, उन्होंने मुझे खड़ा किया और मेरी चूत पीनी शुरू कर दी।

थोड़ी देर में मेरे लिये खड़ा होना मुश्किल हो गया, मैंने बॉस से कहा- बस.. सर अब लंड मेरी चूत में डाल दो।

हट्टे कट्टे बॉस ने मुझे गोदी में उठा लिया और धीरे से उनका लंड मेरी चूत में चला गया।
मोटे लंड के भीतर घुसते ही मेरी चीख निकाल तो बॉस ने मेरे होंठों को कस कर पीना शुरू कर दिया, उनके जोरदार झटकों से मेरा पूरा शरीर हवा में झूल रहा था।

तभी मानसी भी कमरे में घुसी और मेरी चूचियों को पीछे से कस कर मसलने लगी।
करीब पांच मिनट तक दोनों ने मुझे निचोड़ते रहे… मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया था… लेकिन बॉस के तूफानी झटकों में कोई कमी नहीं थी।

मैंने बॉस से गिड़गिड़ाते हुए कहा- बॉस, मेरी चूत फाड़ डालोगे क्या… अब तो मुझे छोड़ दो।
बॉस ने हंसते हुए मुझे बैड पर फेंक दिया और मानसी की चूत में अपना लंड डाल दिया।

थोड़ी देर में वो दोनों भी ढीले पड़ गये थे।

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