प्यासी बीवी अधेड़ पति-1

(Pyasi Biwi Adhed Pati-1)

हनी कौर 2012-01-22 Comments

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प्रणाम दोस्तो, मैं हूँ हनी (बदल हुआ नाम) मैं एक पंजाबन हूँ मेरा शहर अमृतसर है, मेरी उम्र है अठाईस साल। मैं एक बच्ची की माँ भी हूँ, मैंने बी.सी.ए के बाद दो साल की एम.एस.सी-आई टी की!

मैं बहुत चुदक्कड़ औरत हूँ, स्कूल के दिनों से मैंने चुदाई का रस चख लिया था, मैंने जिंदगी में कई लंड लिए, लेकिन बच्ची होने के बाद मेरी छोटे लंड से तसल्ली नहीं हो पाती, मेरे पति मुझसे उम्र में काफी बड़े हैं, मैंने उनके साथ घरवालों के खिलाफ जाकर शादी की थी, उनके पास बहुत पैसा था।

मैं एक साधारण से घर में पैदा हुई थी, हम तीन बहनें ही हैं, शौक पूरे करने के लिए मैंने शुरु से अमीर लड़कों से चक्कर चलाये थे, पति का बिज़नस बहुत फैला हुआ है, मुझे किसी चीज़ की कमी नहीं।

मैं और मेरे पति ही भारत में थे, इनके दोनों भाई अमेरिका में बिज़नेस करते थे, सासू माँ वहीं रहती, ससुर भी!

शादी के बाद भी मैं चुदाई अपने पति तक ज्यादा देर सीमित नहीं रख पाई थी, उम्र के फर्क की वजह से वो रोज़ रात को मुझे सुख नहीं देते थे, बिज़नस के चलते शहर से बाहर, कभी देश से बाहर भी रहना पड़ता था, मेरी तन की आग नहीं बुझती थी, घर से बाहर निकल कर किसी मर्द से इतनी जल्दी संबंध बनाना सही नहीं था।

इनका बहुत नाम था, काफी लोग इनको जानते थे, इसलिए डरती थी, इनको भनक भी पड़ गई मुझे छोड़ ना दें, ऐशो आराम की जिंदगी से कहीं वो मुझे निकाल ना फेंके, घर में कई नौकर थे।

एक दिन में अपने कमरे में खड़ी थी, तभी मेरी नज़र पिछवाड़े में पड़ी, हमारा बावर्ची बनवारी लाल खुले में ताजे पानी से नहा रहा था, उसने सिर्फ अंडी पहना हुआ था, पानी से चिपका पड़ा था, उभरा हुआ देख मेरी फुदी में खुजली होने लगी, सोचा बाहर से अच्छा यही है कि सभी नौकरों को अलग अलग आजमा कर देखूं, कोई तो सैट हो जाए तो घर में गंगा वाला काम होता।

नहाने के बाद उसने दोपहर का खाना बनाने आना ही था, हल्की गुलाबी जालीदार नाईटी काली ब्रा पैंटी ऊपर से खुली रख ली, लाबी में बैठ गई।

आज जब उसने मुझे देखा उसकी नज़र सर से पाँव तक गई, मैंने नशीली आँखों से उसको देखा जब उसकी नज़रें मिली तो मैं होंठ चबाते हुए मुस्कुरा दी।

अनाड़ी तो वो था नहीं, मैं कमरे में आकर लेट गई, उसको मेरे पास आना ही था। सर के नीचे बांह रख दरवाज़े की तरफ पिछवाड़ा करके एक साइड के बल लेट गई, जांघों से ऊपर तक नाईटी उठा रखी थी, वो चाय लेकर आया, दरवाज़ा खटखटाया।

‘आ जाओ!’
‘मैडम चाय!’
‘रख दो!’

‘खाने में क्या बनाना है? साब आयेंगे दोपहर को?’
‘नहीं, वो शायद रात को लौटेंगे, मेरा दिल नहीं है!’

मैं सीधी होकर लेटी, नाईटी जांघों तक उठा ली, मेरी पैंटी उसको साफ़ दिख रही थी।

‘सुबह से तबीयत सही नहीं है, बदन दुःख रहा है!’ मैंने अंगड़ाई लेने के बहाने से नाईटी आगे से खोल दी।

‘फिर क्या बनाऊँ?’

उसकी नजर ब्रा में से झाँक रहे कबूतरों पर थी।
‘क्या देख रहा है? जा ठंडी बीयर के दो मग बना!’
‘क्या कह रही हो मैडम?’

‘सही कह रही हूँ, बदन टूट रहा है, रात को तेरेसाब ने जोर देकर अपने साथ स्कॉच पिला दी थी, पीकर खुद शराबी होकर सो गए, गर्म शराब गर्म शवाब को जलाती रही!’

‘आपके लिए बना देता हूँ!’
‘नहीं दोनों के लिए!’

‘कहीं साब आ गए तो वो मुझे नौकरी से निकाल देंगे!’

अंगड़ाई लेकर मैं बोली- सब दरवाज़े बंद कर ले, जल्दी से आ जा!

वो पांच मिनट बाद ट्रे में दो मग बना कर ले आया, मुझे पकड़ा कर अपना लेकर खड़ा था, बोला- मैं बाहर बैठ पी लूँगा।

मैंने पांच मिनट में मग ख़त्म किया, उसको आवाज़ लगाई- बनवारी, ख़त्म हो गई, दो और बना कर ले आ!

मैंने नाईटी उतार दी चादर लपेट कर बैठ गई।

‘अपने लिए बनाया?’
‘हाँ मैडम!’

मुझे सरूर सा होने लगा, मग की बजाए मैंने पजामे के ऊपर से उसके लंड को पकड़ लिया।

वो घबरा गया- मैडम, यह क्या? छोड़ दो?
मैंने कस के पकड़ लिया।

क्या करता? अगर हटता तो दर्द होता! मुँह आगे करके पजामे के ऊपर से अपने होंठ रगड़े, हल्के से दांतों से काट भी लिया।

उसका तो दिमाग घूम गया कि यह सब?

कहानी जारी रहेगी।
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