बहन का लौड़ा -22

(Bahan Ka Lauda -22)

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अभी तक आपने पढ़ा..

राधे ने ममता के सर को पकड़ लिया और स्पीड से चोदने लगा.. दो मिनट में उसके लौड़े ने वीर्य की धार ममता के गले में मारनी शुरू कर दी।
ममता ने जीभ से चाट-चाट कर पूरा लौड़ा साफ कर दिया.. आख़िरी बूँद तक लौड़े से निचोड़ कर वो पी गई।

राधे- आह्ह.. ममता.. मज़ा आ गया.. तूने तो मुँह से कुँवारी चूत का मज़ा दे दिया.. तुम बहुत सेक्सी हो यार।
ममता- साहब जी.. कल देखना मेरी चूत भी कुँवारी ही है.. मेरा पति तो निकम्मा नामर्द है.. आपके जैसा असली मर्द कभी मिला ही नहीं.. कल आपको ऐसा मज़ा दूँगी कि आप याद रखोगे मुझे.. अब मैं चलती हूँ।
राधे- अरे ममता तुम कब से लौड़े को चूस रही हो.. तुम्हारी चूत भी तो गीली हो गई होगी.. ऐसे तड़पती ही घर जाओगी क्या?
ममता- हाँ साहब जी.. चूत में बड़ी आग लगी है.. आपके लौड़े को देख कर ही ये फड़फड़ाने लगी थी.. मगर आज नहीं.. इसे और तड़पने दो.. अब तो मैं कल ही इसको शांत करवाऊँगी।

राधे इसके आगे कुछ ना बोल सका और ममता ने राधे का शुक्रिया अदा किया और वहाँ से निकल गई।

अब आगे..

ममता के जाने के बाद राधे जब मीरा के पास गया तो वो गहरी नींद में सो चुकी थी और ममता ने लौड़े को ठंडा कर दिया था.. तो राधे ने सोचा कि वो भी थोड़ा सो ले.. तो अच्छा रहेगा और बस वो वापस आकर कमरे में सो गया।

दोस्तो, उधर रोमा अपने रिश्तेदार के घर तो थी.. मगर उसका पूरा ध्यान बस नीरज पर ही था.. वो उसके बारे में ना जाने क्या-क्या सोच रही थी। उसका दिल नीरज से मिलने क लिए तड़प रहा था। शाम तक वो अपने घर वापस आ गई थी। उसने आकर कपड़े बदले और सीधा नीरज को फ़ोन लगा दिया।

नीरज- हाय रोमा.. कैसी हो..? क्या सगाई से वापस आ गईं?
रोमा- हाँ.. आ गई.. मगर वहाँ मज़ा नहीं आया.. बस आपके बारे में ही सोचती रही।
नीरज- अरे मेरी भोली रोमा.. मेरे बारे में सोच कर अपना मज़ा क्यों खराब किया.. अगर मेरी इतनी याद आ रही थी.. तो एक फ़ोन कर लेतीं।
रोमा- नहीं.. वहाँ से फ़ोन करना ठीक नहीं था और याद तो अभी भी आ रही है।

नीरज- अच्छा.. तो आ जाओ.. मैं हरदम तुमसे मिलने के लिए तैयार हूँ।
रोमा- इस वक़्त कैसे आऊँ.. घर से बाहर आने का.. कोई बहाना भी तो होना चाहिए ना।
नीरज- किसी फ्रेण्ड के घर जा रही हो.. ऐसा बोलकर आ जाओ ना.. यार मेरा भी बहुत मन है तुमसे मिलने का.. प्लीज़.. किसी भी तरह आ जाओ ना यार।

रोमा- किसी सहेली का नाम लेकर आऊँगी.. तो मॉम उसको बाद में पूछ सकती हैं.. और फिर मेरी शामत आ जाएगी.. क्योंकि मेरी मॉम बहुत गुस्से वाली हैं।
नीरज- अरे यार स्कूल में कितनी लड़कियां हैं.. तुम्हारी मॉम सबको तो नहीं जानती होंगी न।
रोमा- बात तो सही है मगर..
नीरज- अब ये ‘अगर-मगर’ करती रहोगी.. तो हो गई मोहब्बत.. यार थोड़ी देर के लिए कोई भी बहाना बना लो.. इसमें क्या है।
रोमा- ओक मैं ट्राइ करती हूँ.. आप वेट करो.. बाय।

रोमा अपनी माँ से डरती थी.. मगर ये प्यार होता ही ऐसा है कि कमजोर से कमजोर दिल की लड़की भी अपने आशिक के लिए बड़ा कदम उठा लेती है और बस रोमा ने भी वही किया। अपनी माँ को झूठ कह दिया कि कल एक्सट्रा क्लास है और टेस्ट भी है.. आज सगाई के कारण उसकी स्टडी भी नहीं हुई है.. तो अपनी फ्रेण्ड के यहाँ पढ़ने जा रही है.. एक घंटे में वापस आ जाएगी।

उसकी माँ ने कई सवालों के बाद उसको जाने की इजाज़त दे दी।

रोमा ने जल्दी से रेड टॉप और वाइट स्कर्ट पहना और कुछ बुक्स लेकर घर से निकल गई और साथ ही साथ नीरज को फ़ोन भी कर दिया कि सुबह जहाँ मिली थी.. वहाँ आ जाओ।

थोड़ी देर बाद रोमा वहाँ पहुँची तो नीरज पहले से वहाँ मौजूद था।

रोमा- वाऊ.. आप बहुत जल्दी आ गए.. क्या बात है।
नीरज- मुझे पता था.. तुम जरूर आओगी इसलिए उस समय बात होने के बाद ही मैं यहाँ आ गया था।
रोमा- ओह्ह.. आप बहुत स्मार्ट हो.. अब यहीं बात करोगे.. या चलोगे भी.. कोई देख लेगा तो मुसीबत हो जाएगी।

दोनों गाड़ी में बैठ गए और गाड़ी चलने लगी।

रोमा- मॉम को झूठ बोलकर एक घंटे के लिए आई हूँ.. अब बोलो हम कहाँ चलें..?
नीरज- तुम बोलो कहाँ जाना पसन्द करोगी.. समुद्र किनारे या किसी मॉल में.. जो तुम कहो.. वहीं चलेंगे।

रोमा- नहीं नहीं.. मैं घूमने नहीं.. आपसे मिलने आई हूँ.. और ये सब जगह तो मैंने कई बार देखी हुई हैं और दूसरी बात कोई पहचान लेगा तो मुसीबत हो जाएगी.. कोई ऐसी जगह चलते हैं.. जहाँ बस हम दोनों के अलावा कोई ना हो।

नीरज- ऐसी जगह तो मेरा फ्लैट ही है.. आराम से बैठकर बातें करेंगे.. वहाँ पर और कोई आएगा भी नहीं।
रोमा ने नीरज की बात सुनकर ‘हाँ’ में सर हिलाया और दोनों वहीं जा पहुँचे.. जहाँ पहले गए थे।

नीरज- सच रोमा.. अभी भी किस्मत पर यकीन नहीं आ रहा.. तुम जैसी अच्छी लड़की मेरी लाइफ में आ गई।
रोमा- यकीन दिलाने के लिए चींटी काटूँ क्या.. हा हा हा हा।

नीरज ने हँसते हुए रोमा को बाँहों में भर लिया।
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अब दोनों एक-दूसरे को बाँहों में भरे हुए बस खड़े थे.. नीरज के हाथ रोमा की कमर पर घूम रहे थे और रोमा की साँसें तेज़ होने लगी थीं।

रोमा ने काँपते होंठों से धीरे से नीरज के कान में कहा- आई लव यू नीरज.. आज आप मुँह मीठा कर सकते हो।

बस इतना सुनना था कि नीरज ने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।
अब तो बस नीरज होंठों को ऐसे चूसने लगा जैसे कभी दोबारा रोमा हाथ में नहीं आएगी। उसकी वासना जाग उठी और उसके हाथ रोमा के चूतड़ों पर चले गए, वो उनको दबाने लगा।

रोमा ने जब यह महसूस किया तो जल्दी से नीरज को धक्का देकर उससे अलग हो गई, उसकी साँसें तेज़ हो गई थीं।

नीरज- अरे क्या हुआ रोमा..?
रोमा- नहीं.. यह ग़लत है.. आपके हाथ कहाँ तक पहुँच गए थे.. हर बात की एक हद होती है।

नीरज- आई एम सॉरी रोमा.. मुझे नहीं पता था.. प्यार की भी कोई हद होती है.. मैं तो बस सच्चे दिल से तुम्हें प्यार कर रहा था.. आई एम सॉरी।
इतना कहकर नीरज मायूस सा होकर एक तरफ़ बैठ गया।

रोमा का दिल भर आया। उसको लगा शायद उसने नीरज को दु:ख पहुँचाया है.. वो नीरज के करीब आ गई।
रोमा- आई एम सॉरी नीरज.. मैं घबरा गई थी.. सॉरी.. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. मैंने पहली बार ये सब किया.. तो समझ नहीं आया कि मुझे क्या कहना चाहिए।

नीरज- नहीं रोमा.. तुम जाओ.. ग़लती मेरी ही है.. जो मैं तुम्हारे प्यार में बहक गया था।

रोमा- प्लीज़ नीरज.. मुझे और शरमिंदा मत करो.. अब मैं कभी आपको किसी बात के लिए मना नहीं करूँगी.. प्लीज़ मान जाओ ना।

दोस्तों उम्मीद है कि आप को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.. मैं कहानी के अगले भाग में आपका इन्तजार करूँगी.. पढ़ना न भूलिएगा.. और हाँ आपके पत्रों का भी बेसब्री से इन्तजार है।
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