आंटी के घर में नौकरानी की चूत चुदाई-1

(Aunty Ke Ghar Me Naukarani Ki Chut Chudai- Part 1)

हैलो साथियो.. मेरा नाम रोहन (बदला हुआ) है, पंजाब के जालंधर शहर में रहता हूँ, मैंने अभी ग्रॅजुयेशन कंप्लीट की है और जॉब ढूँढ रहा हूँ।
मेरा रंग गोरा है.. मेरी बॉडी स्लिम है।

मुझे ‘कर्वी गर्ल्स’ बहुत मस्त लगती हैं। कुंवारी लड़कियों के अलावा शादीशुदा भाभी और आंटी बहुत अच्छी लगती हैं। हालांकि मैंने उनके साथ कभी सेक्स नहीं किया है पर फिर भी मुझे ज्यादा उम्र की औरतों को देख कर सेक्स चढ़ जाता है।

मेरे पापा एक व्यापारी हैं हमारा काफ़ी अच्छा व्यापार है, मेरे भाई पापा के साथ बिजनेस करता है और मेरी माँ हाउस वाइफ हैं।

आप सब लोगों को बता दूँ कि इंडिया में हर जगह लड़की पटाना बड़ी आसान बात है सिवाए पंजाब के.. क्योंकि यहाँ पर लड़कियों के नखरे बहुत ज्यादा होते हैं। मैंने भी कई लड़कियां पटाईं.. पर उन्हें पटाने में मेरा बहुत दम निकला।

वैसे तो मैं पूरे मोहल्ले में काफ़ी शरीफ लड़का माना जाता हूँ.. पर अगर लड़की आगे से निमंत्रण दे.. तो किसी की भी शराफ़त झड़ जाती है।

बात दो साल पहले की मेरी आंटी जी के घर की है.. जब मैं कॉलेज में नया नया ही गया था। हमारे साथ वाले घर पर एक नौकरानी आती थी.. जिसका नाम सुषमा था।

मैं सुषमा के बारे में बता दूँ कि वो एक शादी-शुदा औरत थी और वो सांवले से रंग की थी। उसका बदन काफी भरा हुआ था। उसकी पहाड़ जैसी चूचियां.. जिनका साइज़ 38″ का होगा.. किसी भी आदमी को दीवाना बना दे। उसका शरीर इस तरह से भरा हुआ था कि वो मोटी थी.. पर लगती नहीं थी।

उसकी गांड तो क्या बताऊँ.. मेरा तो जी करता था कि उसकी गांड मार-मार के और चौड़ी कर दूँ।

दोस्तो, मैं तो बस उसकी मदमस्त गांड का दीवाना था.. क्योंकि जब वो चलती थी.. तब उसकी गांड निमंत्रण देती थी कि आ जा.. मुझे मार ले।

मैं आपको बता दूँ कि इन आंटी जी के पति यानि अंकल की मृत्यु हो गई है इसलिए वे अभी अपने लड़के के साथ में रहती हैं..
मेरी आंटी जी का बेटा चंडीगढ़ में रहता था.. सो वो आंटी को भी चंडीगढ़ ले गया। आंटी ने अपना मकान नहीं बेचा और वो हर हफ्ते जालन्धर आती थीं.. तभी वो नौकरानी सुषमा भी साफ़-सफाई करने आती थी।

मेरी आंटी जी काफ़ी ज्यादा उम्र की हैं.. तो रात को उनके साथ सोने के लिए मैं चला जाता था, ताकि कोई एमर्जेन्सी में उनके साथ कोई हो। आंटी मुझसे बहुत प्रेम करती हैं।

उस वक्त जब भी वो नौकरानी मुझे बाहर कभी मिलती.. तो वो आँखों से एक अजीब सी स्माइल पास करती। उसकी आखों की अदा देख कर लगता था कि ऐसी अदा तो कोई प्रोफेशनल रंडी भी ना बिखेर पाए।

मैंने तो मन ही मन में सोच लिया था कि इसको चोद कर ही रहूँगा।

मेरे कॉलेज की छुट्टियाँ चल रही थीं तो मैं ज्यादातर बाहर दोस्तों के साथ घूमता था.. पर जब भी वो मुझे दिखती.. मैं तो पागल हो जाता और घर जाकर उसके नाम की मुठ मारता।

आंटी सुबह उठ जाती थीं.. तो एक दिन वो नहा कर नीचे बैठ कर नाश्ता कर रही थीं। मैं उनके घर ही सोया था।

उस दिन सुषमा आई और सफाई करने लगी। मैं सोने का नाटक कर रहा था और उसे पटाने का कोई बहाना ढूँढ रहा था। मैंने अपना एक हाथ बिस्तर से लटकाया हुआ था। जैसे ही वो मेरे हाथ के पास आई, मैं अपना हाथ उसकी चूचियों पर ले जाकर छूने लगा।

दोस्तो क्या बताऊँ.. वो क्या मस्त अनुभव था.. मैं तो अपने आपको बड़ा ही खुशनसीब महसूस कर रहा था। सुषमा ने सोचा कि मैं सो रहा हूँ और उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की.. पर उसने मेरा हाथ भी अपनी चूचियों से नहीं हटाया। मेरा हौसला थोड़ा और बढ़ा तो मैंने करवट लेकर सोने का नाटक करते हुए और उसके एक चूचे पर हाथ रख कर दबा दिया। उसने थोड़ा मेरी तरफ देखा और उसने सोचा मैं नींद में हूँ, तो वो अपना काम करने लगी और सफाई करने के बाद चली गई।

मेरा लंड एकदम खड़ा हो चुका था क्योंकि जिसे मैं चोदने के बारे में रात-दिन सोचता रहता था.. आज उसके मम्मों पर हाथ फेर कर मैंने पहला पड़ाव हासिल कर लिया था।

इसके बाद जब भी मैं उसे देखता तो उस पर लाइन मारता और वो हँसकर चली जाती।

फिर एक दिन वैसे ही सुबह का वक्त था। वो कमरे में आई.. पर मैंने सोचा क्यों ना आज इसके साथ कोई बात की जाए।
मैं उसकी तरफ देख रहा था और वो मेरी तरफ देख रही थी।

सुबह के सूरज की रोशनी में उसका शरीर ब्लैक कलर के सूट में चमक रहा था और उसकी ब्रा की पट्टियाँ सूट से बाहर उसके कंधों पर दिख रही थीं।

मैं अभी सोच रहा था कि क्या करूँ और तभी फिर मैंने उससे उसके पति का नाम पूछा। उसने नहीं बताया, मेरे ज़ोर देने पर उसने कहा- आपको उनके नाम से क्या काम है?

मुझे उसकी बातों में शरारत नज़र आई। मैं उससे इधर-उधर की बातें करने लगा। फिर मैंने उससे कहा- तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
उसने कोई जवाब नहीं दिया और कहा- मुझे काम करने दो.. तंग मत करो।

तभी मैंने पीछे से उसे पकड़ लिया। हालांकि मैं स्लिम था.. पर मेरे में ताक़त बहुत है। फिर भी उसने अपने आपको मेरी कैद से छुड़वा लिया और कहा- आप चले जाओ.. वरना मैं आंटी को बुला लूँगी।
मैं डर गया और वहाँ से चला आया।
फिर कुछ दिन मैंने उसे इग्नोर किया।

पर हूँ तो मर्द ना.. सो एक दिन मैंने उसका उसके घर तक पीछा किया। वो इस बात को जानती थी सो रास्ते में वो मुझे स्माइल पास किए जा रही थी। मेरा जी तो कर रहा था.. उसे उठाकर ले जाऊँ और जम कर उसकी चुदाई करूँ।

तभी उसका घर आ गया, फिर मैं वहाँ से चला आया। कुछ दिनों बाद आंटी फिर से घर आईं तो मैं खुश हो गया क्योंकि अब मुझे फिर से सुषमा को चोदने का मौका मिलने वाला था।

रात को मैं उसके ख्यालों में सोया नहीं और 2 बार मुठ मारी। सुबह वो कमरे में आई.. आज मैंने पूरी सैटिंग कर रखी थी। मन में पक्का कर लिया था कि आज तो कुछ करूँगा ही, पर वो भी एक नंबर की चालक रंडी निकली।

मेरे कमरे में दो दरवाजे हैं.. एक घुसने का और एक बाल्कनी में जाने का। मैंने बाल्कनी वाला बंद कर दिया था.. क्योंकि वो बाल्कनी वाला दरवाज़ा खोल कर ही सफाई करती थी। उसने कमरे में आते वक्त घुसने वाला गेट खोल दिया और जब मैं उसे बंद करने गया तो उसने बाल्कनी वाला गेट खोल दिया। मैंने भी गुस्से में आकर गेट बंद कर दिया।

वो बोली- तुम मुझे तंग क्यों कर रहे हो? मुझे अपना काम करने दो छेड़ो मत।

जब वो यह कह रही थी तब मेरे चेहरे के आगे उसकी पीठ थी, मैंने उसे पीछे से पकड़ कर उसके चूचे दबा दिए।
हाय.. क्या बताऊँ दोस्तो, मजा तो आया.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… पर डर के मारे मेरी गांड फटी जा रही थी।

अभी वो कुछ कहती.. मैंने उसे बिस्तर पर गिरा दिया और उसके मुँह पर हाथ रख दिया ताकि वो चीख ना सके। फिर मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर लगा कर उसके हाथ पकड़ लिए ताकि वो मुझसे छूट ना जाए।

करीब 5 मिनट मैंने लिप-लॉक करके किस किया। फिर उसने मुझे अपने आप से छुड़ा लिया और बोली- ये क्या कर रहे हो.. कोई आ जाएगा।
फिर मुझे भी डर लगने लगा, मैं हट गया तो वो थोड़ी नाराज़ सी हो गई।

मैंने अपनी पॉकेट से 1000 रूपए निकाल कर उससे कहा- ये लो और चुप रहो।
उससे वो और नाराज़ हो गई।

फिर मुझे भी एहसास हुआ कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। मैंने उससे ‘सॉरी’ बोला काफ़ी देर तक मैंने उसे मनाया और फिर मैंने उससे कहा- अब हम दोस्त बन जाते हैं।

वो भी शायद मुझसे राजी तो थी पर कुछ डरती थी। खैर.. किसी तरह उसने भी ‘हाँ’ कर दी और फिर मैंने उसके गाल पर एक किस कर दिया।

उसने भी मेरे गाल पर किस किया और वो चली गई। उस दिन मैं अपने आपको बहुत भाग्यशाली मान रहा था क्योंकि मेरा उसे चोदने का सपना 50% पूरा हो गया था और मुझे अब यकीन हो गया था कि वो मुझसे चुद जाएगी।

तभी मुझे पता चला कि आंटी जी को अचानक जाना पड़ गया था। अभी मैं कुछ बात करता कि वो चली गईं और मेरी उम्मीदों पर पानी फिर गया, मैं बहुत उदास हो गया था।

इसके बाद मैं जब भी सुषमा से बाहर कभी मिलता तो उससे बात ज़रूर करता और मीठी-मीठी बातें करता। अब वो भी मेरे साथ खुल गई थी। मैंने कई बार सोचा कि इसको किसी होटल में ले जाकर चोद दूँ पर मुझको डर लगता था।

साथियों सुषमा की चुदाई की पूरी रसभरी दास्तान कहानी के अगले पार्ट में लिखूंगा।

आप अपने कमेंट्स मुझे जरूर ईमेल कीजिएगा।
[email protected]
कहानी जारी है।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top