लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-9

(Lagi Lund Ki Lagan Mai Chudi Sabhi Ke Sang- Part 9)

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रात में ननदोई जी को अपने नंगे बदन के नजारे दिखा कर सुबह मैं उससे रोज की तरह नार्मल ही मिली, जिससे उसे यह पता नहीं चल पाये कि मैंने जानबूझ कर उसे अपने चूत और गांड के दर्शन कराये हैं।

लेकिन मेरे मन में रह रह कर रात वाली बात खटक रही थी और जिस तरह से नमिता अमित के साथ व्यव्हार कर रही थी वो मुझे अच्छा नहीं लगा और मुझे लगा कि नमिता के लिये सेक्स केवल एक मजबूरी वाला काम है और उसे निबटाना है।

इसलिये मैंने निश्चय कर लिया कि आज कैसे भी मौका देखकर नमिता को कुछ सेक्स ज्ञान दे दूँ नहीं तो दोनों की आगे की जिन्दगी में सब कुछ खत्म हो सकता है।

मैं बाथरूम के पास खड़े होकर विचार कर रही थी कि मेरी नजर अमित पर पड़ी जो कि बाथरूम की ही तरफ बढ़ रहा था लेकिन उसकी नजर मेरे पर नहीं थी।

मैं झटपट अमित को तरसाने और अपने मजे के लिये लेट्रिन में घुस गई और सिटकनी को ऐसे लगाया कि वो एक झटके से खुल जाये।

हुआ भी वैसे ही… अमित एक झटके से दरवाजा खोलकर अन्दर आ गया और अपने लोअर से अपना लंड निकाल चुका था।

मैं हड़बड़ाहट में इस तरह उठ खड़ी हुई कि उसे भी मेरे चूत के दर्शन एक बार फिर हो जाये।

खैर एक नजर से अमित ने मेरी चूत देखते हुए सॉरी बोलकर अपने लंड को लोअर के अन्दर करके बाहर चला गया।
मैंने बड़े ही इत्मेनान से लैट्रिन का दरवाजा बन्द किया और हगने बैठ गई और नमिता को सेक्स का पाठ कैसे पढ़ाया जाये, यह सोचने लगी।

सोचते सोचते एक युक्ति आ ही गई।
फारिग होने पर मैं बाहर निकली तो थोड़ी दूर पर अमित खड़ा था।

उसकी नजर नीची थी, मैंने भी अपनी नजरें झुका ली जैसे कि शर्म के कारण मैं उससे नजर नहीं मिला पा रही हूँ।

अमित मेरे पास तेजी से निकला।
मेरे ससुराल दोनों देवर के कारण सभी को छः बजे उठना ही पड़ता है और एक तरह से सबकी आदत भी है क्योंकि मेरे ससुर एक आर्मी मैन थे तो घर में थोड़ा सा डिस्पिलन मेनटेन था।

दोनों देवर नहा धोकर कॉलेज जाने के लिये तैयार होने लगे।
मैं अपनी सास के साथ रसोई के काम में हाथ बंटाने लगी।
दोनों नाश्ता करने के बाद अपने कॉलेज निकल गये और उधर अमित भी अपनी यूनीफार्म पहन कर जाने के लिये तैयार हुए तो नमिता ने पूछ लिया कि इतनी जल्दी कैसे?

एक बार अमित ने मेरी तरफ देखा और फिर नजर नीचे हुए कहने लगा कि उसको किसी जरूरी केस के लिये जल्दी निकलना है और जल्दी-जल्दी नाश्ता करने के बाद अमित भी निकल गया।

अब घर में मैं, सास, ननद और ससुर जी थे।

मेरे ऑफिस की टाईमिंग दस बजे की थी और मेरे पास लगभग तीन घंटे का समय था तो मैंने नमिता को पाठ पढ़ाने का निर्णय लिया और नमिता के कमरे में अपने कपड़े लेकर पहुँची, उससे बोली- मेरी पीठ में खुजली बहुत हो रही है, मैं नहाने जा रही हूँ तुम आकर मेरी पीठ में साबुन अगर रगड़ दो और मेरी पीठ साफ कर दो तो ये थोड़ी खुजली खत्म हो जायेगी।

नमिता तैयार हो गई और मेरे साथ चलने लगी तो मैंने उससे बोला- तुम भी अपने कपड़े ले लो, मेरे बाद तुम भी नहा लेना फिर दोनों मिलकर साथ नाश्ता कर लेंगी और उसके बाद मैं भी अपने ऑफिस चली जाऊँगी।

नमिता मेरी बात मानते हुए अपने कपड़े लेकर मेरे साथ चल पड़ी।

मैं बाथरूम में पहुँची और तुरन्त गाउन कपड़े उतार दिये, चूंकि मैं अन्दर पैन्टी-ब्रा नहीं पहनी थी, मुझे एकदम से नंगी देखकर नमिता बोली- भाभी, तुम तो बहुत बेशर्म हो।
‘क्या हुआ?’ मैंने पूछा।

तो नमिता बोली- मैं तुम्हारे साथ हूँ और तुमने अपना गाऊन एकदम से उतार दिया… और अन्दर तुमने ब्रा और पैन्टी भी नहीं पहनी हुई है।

मैंने उसे हल्के से झिड़कते हुए कहा- तुम मर्द नहीं हो जिससे मैं शर्माऊँ। तुम भी तो एक औरत हो तो तुमसे क्या शर्माना? दूसरे… रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी, बहुत बैचेनी हो रही थी तो मैंने अपने सब कपड़े उतार दिये थे और सुबह मैं पहनना भूल गई थी।

अब मैं नमिता को क्या बताती कि मैं ब्रा और पैन्टी का यूज बहुत कम करती हूँ।

तभी नमिता फिर बोली- अरे हम दोनों ऊपर थे, इसका ख्याल तो करना चाहिये था ना? अच्छा हुआ हम लोगों की नींद नहीं खुली।

एक बार फिर मैंने उसके गालों को सहलाते हुए उसे बताया- मैंने अन्दर से अच्छी तरह से सब खिड़की दरवाजा बन्द कर लिए थे। कहते कहते मैंने शॉवर चला दिया, इससे हम दोनों भीगने लग गये।

‘भाभी, यह क्या कर रही हो?’

मैंने उसे चुप कराते हुए कहा- चिल्लाओगी तो पापा या मम्मी यहाँ आ सकते हैं। चलो कोई बात नहीं, अब भीग गई हो तो अपने कपड़े उतार लो।
मैं उससे अलग होकर शॉवर के नीचे नहाते हुए बोली।

मैं जानबूझ कर नमिता के सामने अपने अंगों से खेल रही थी लेकिन नमिता अपनी जगह खड़े होकर केवल मुझे निहार रही थी।

उसको इस तरह देखकर मेरा गुस्सा बढ़ने लगा था कि तभी नमिता को न जाने क्या सूझा कि उसने अपनी सलवार और कुर्ते को उतार दिया।
नीचे वो हरे रंग की पैन्टी और ब्रा पहने हुए थी।

पास आते हुए बोली- भाभी, तुम घूमो, मैं तुम्हारी कमर पर साबुन लगा देती हूँ।

मैं घूम गई और नमिता साबुन लगाने लगी।
मेरे बिना कहे उसने मेरी पीठ के साथ-साथ वो मेरी टांगों, मेरे पीछे के उभारों में, आगे मेरी छातियों में और नीचे चूत और जांघ के आस पास नमिता ने सब जगह साबुन लगाया, खासतौर से वो मेरी चिकनी चूत को तो बड़े प्यार से साबुन लगा रही थी।

फिर धीरे से बोली- भाभी, तुम्हारे यहाँ बाल नहीं हैं, क्यों?

मैंने झटपट उत्तर दिया- तुम्हारे भईया को पसंन्द नहीं है।
‘उनको इससे क्या लेना देना?’
‘क्यों नहीं? मेरी ये जगह (मैंने अंगों के नाम न लेने में भलाई समझी, मैं चाहती थी कि पहले वो अच्छी तरह से मेरी बातों को समझने लगे) उन्ही के लिये तो है। वो बड़े रात में बड़े प्यार से इस जगह को चूमते हैं, इसमें अपनी जीभ फिराते हैं और फिर इसमें अपने लिंग को डालकर मुझे मजा देते हैं।’

‘हम लोग इस जगह से पेशाब करते हैं, तो भी वो अपनी जीभ यहाँ चलाते हैं?’
‘हाँ, मैं भी तो उनके लिंग को चूसती हूँ।’

‘छीःईईई ईईईई!’

‘क्या हुआ?’ मैं उसे अपने से चिपकाते हुए बोली और फिर मैंने उससे साबुन लेकर उसकी ब्रा के हुक को खोला और साबुन लगाने लगी।
साबुन लगाते हुए मैं जब उसकी जांघ और चूत पर साबुन लगाने के लिए उसकी पैन्टी उतारने लगी तो उसने अपनी दोनों टांगों को सिकोड़ लिया और मुझसे साबुन मांगने लगी।

मुझे एक बार फिर उसे समझाना पड़ा तो फिर वो तैयार हो गई।

जब मैंने उसकी पैन्टी उतारी तो उसकी चूत के बाल काफी घने थे, ऐसा लग रहा था कि जब से वो जवान हुई है तब से उसने अपनी चूत के बालों की सफाई नहीं की है।

मैंने पूछा- ये क्यों?
तो नमिता ने जवाब दिया- मुझे अच्छा नहीं लगता है।

‘क्यों, अमित ने नहीं बोला इसे साफ करने को?’
‘बोलते तो हैं लेकिन मैं नहीं करती।’

मैंने साबुन लगाते हुए नमिता से कहा- पति पत्नी के सफल जीवन में सेक्स बहुत बड़ा रोल निभाता है, सेक्स से प्यार करो और पति को भी प्यार करो। नहीं तो कब दूसरी सौत आ जायेगी पता ही नहीं चलेगा… और फिर तुम्हारे रोने से कुछ भी नहीं होगा।

बात करते हुए मैं नमिता के पीछे गई और उसके गर्दन को चूमने लगी, साथ ही उसकी चूचियों से खेलने लगी।

‘भाभी, ये क्या कर रही हो?’
‘कुछ नहीं… चुपचाप केवल जो मैं कर रही हूँ उसको महसूस करो।’

मेरे हाथ धीरे से बढ़ते हुए उसकी चूत से खेलने लगे और नमिता केवल सिकुड़ती जा रही थी और साथ ही सिसकारियाँ भी निकलती जा रही थी।

जब मैंने देखा कि नमिता अब मेरी किसी हरकत का विरोध नहीं करेगी तो मैं नीचे उसके चूत पर अपने होंठों को रख दिया।
उसकी चूत वास्तव में काफी गर्म थी।

मैं नमिता की चूत में अपने जीभ चला रही थी, नमिता बोले जा रही थी- भाभी, मत करो प्लीज, मुझे कुछ हो रहा है!
लेकिन मैंने उसकी बातों को अनसुना कर दिया।

उसकी चूत चूसने के कारण नमिता के पैर कांपने लगे थे और फिर वो भी वक्त आया था कि उसके अन्दर की गर्मी मेरे मुँह के अन्दर थी।
उसके रस के स्वाद को लेने के बाद मैं उठी और नहाने लगी।
नमिता मेरे पीछे आई और मुझे कस कर पकड़ते हुए बोली- भाभी, मैं भी वही करना चाहती हूँ जो आप ने मेरे साथ किया है।

मेरे मुंह से तुरन्त निकला- नीचे बैठो और करो, मैंने कब मना किया है।

नमिता नीचे घुटनों के बल बैठ गई और मेरी चूत पर अपने मुंह को लगा लिया।
चूंकि उसे चूत चाटने का तो कोई अनुभव नहीं था, फिर भी वो चूत चाट रही थी।

मैं नमिता के साथ काफी देर से खेल रही थी तो मेरे अन्दर का माल भी बाहर आने को तैयार था, अगर नमिता मेरी चूत न चाटती तो मैं नहा कर कमरे में जाकर उंगली करके अपने माल को बाहर निकालती।

नमिता मेरी चूत चाटे जा रही थी और एक क्षण ऐसा भी आया कि नमिता के मुंह में मैं खलास हो गई।

जैसे ही मेरा नमकीन पानी नमिता के मुंह में गया, वो मुंह बनाते हुए बोली- ये क्या भाभी, ये क्या किया आपने?
‘मैंने क्या किया?’
‘मेरे मुंह में आपने पेशाब कर दिया!’
‘नहीं, यह पेशाब नहीं है, इसको रज बोलते हैं। मेरे मुंह में भी तुमने यही किया था।’

फिर हम दोनों नंगी नहाने लगी और थोड़ी देर बाद मैं ऑफिस के लिये तैयार होकर आ गई।

कहानी जारी रहेगी।
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