छोटी बहन के साथ लेस्बियन सेक्स-2

(Chhoti Bahan Ke Sath Lesbian Sex- chapter 2)

This story is part of a series:

हिंदी सेक्स कहानी पढ़ने के शौकीन मेरे दोस्तो, मैं फहमिना एक बार फिर आप सबके सामने अपनी कहानी का आगे का भाग लेकर आई हूँ। आशा करती हूँ कि मेरी सेक्स कहानी पढ़कर लड़कियों ने अपनी चूत में उंगली की होगी और लड़कों ने अपना लंड भी जरूर हिलाया होगा।

तो पेश हैं आगे हम दोनों बहनों ने क्या क्या किया।

मेरी छोटी बहन आयेशा बोली- अब क्या तू मेरी गांड चाटेगी?
मैंने कहा- तू बस देखती जा!

मैंने उसकी गांड से शॉवर हटा लिया और अब मैंने उसकी चूत में दो उंगली दे दीं। वो हल्का सा कराही, लेकिन थोड़ी देर में मज़े लेने लगी।
उधर मैं उसके चूतड़ों पर किस करने लगी, वो मदहोश हो गई।

अब मैंने अपनी जीभ उसके चूतड़ों की दरार में डालकर उसकी गांड को जीभ से छुआ.. उतने में ही वो उछल पड़ी।

लेकिन मैंने फिर उसे पीछे खींचा और अपनी उंगलियाँ उसकी चूत से निकालीं और उसकी कमर को आगे से पकड़ करके उसे अपनी ओर खींचा.. जिससे मुझे उसकी गांड के लिए सीधा रास्ता मिल गया।

फिर मैंने अपने दोनों हाथ चूतड़ों पर रख कर उसकी गांड के छेद को खोल कर पहले किस किया।
आयेशा तो इतने में ही पागल हो गई थी और अपने हाथों से अपनी गांड की दरार को और चौड़ा करने लगी।

मैंने उससे कहा- ऐसा कर.. तू घोड़ी बन जा।

वो फिर घोड़ी की तरह फर्श पर बैठ गई। मैंने उसकी गांड की दरार और चौड़ी कर दी और उस पर अपने होंठ रख दिए। वो कामुकता से कराह उठी।

मैंने फिर अपनी जीभ उसकी गांड में डाली और उसकी गांड को चूसने लगी। मैं अपने एक हाथ से उसकी चूत को भी रगड़ने लगी, वो पागलों की तरह अपने मम्मों को मसलने लगी।

मैंने कुछ देर उसकी गांड को खूब चाटा और अपनी उंगलियों से उसकी चूत को चोदा और थोड़ी देर बाद ही वो झड़ गई और हम दोनों बाथरूम में एक-दूसरे के बगल में लेट गई।

थोड़ी देर तक हम दोनों की साँसें तेज चलती रहीं और फिर हम दोनों एक-दूसरे को देखकर हँसने लगी।

फिर हम दोनों उठी और एक दूसरी को एक बार और स्मूच किया और फिर नंगी ही बाथरूम के बाहर आ गई।

कुछ ही देर में हमने ब्रेकफास्ट किया।
आज सन्डे था तो हमें कुछ करना तो था नहीं.. इसलिए हम दोनों ने फटाफट ब्रेकफास्ट ख़त्म किया और अपने कमरे में आ गई और गेट अन्दर से लॉक कर लिया।

मैं आयेशा से लिपट गई और हम दोनों के नंगे बदन फिर से टकरा गए और एक-दूसरे को स्मूच करने लगी।

स्मूच करते-करते ही मैं उसे बिस्तर तक ले गई और फिर हम दोनों बिस्तर पर गिर गई।
मैं आयेशा के ऊपर थी और उसके होंठों को बुरी तरह चूसने लगी और उसके मम्मों को मसलने लगी।

फिर उसने अपनी टांगों को चौड़ा कर दिया.. जिससे मेरी चूत उसकी चूत के ऊपर आ गई। अब उसने मेरे चूतड़ों पर अपनी टाँग भी लपेट ली थी जिससे मेरी चूत उसकी चूत से बिल्कुल चिपक गई।

इसी स्थिति में मैं उसके निचले होंठ को अपने दोनों होंठों के बीच दबा कर चूसने लगी।

फिर ऐसा ही मैंने उसके ऊपरी होंठ के साथ किया और जब मैं थक गई तो आयेशा ने आगे बढ़कर मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए।

मैं नीचे से अपनी कमर उठा उठा कर अपनी चूत को आयेशा की चूत पर मारने लगी, जैसे मैं एक आदमी होऊँ और उसे चोद रही होऊँ।

काफ़ी देर तक हम एक-दूसरे को स्मूच करती रही और फिर नंगी ही सो गई।

पूरी दोपहर कब निकल गई.. मुझे पता ही नहीं चला।
शाम को जब मैं उठी तो आयेशा शीशे के आगे खड़ी होकर अपने बाल काट रही थी।
वो उस समय भी नंगी थी।

मैंने उठते ही उसे देखा और बोली- हाय हाय.. किसके लिए बाल बना रही है?
तो वो मुस्कुराते हुए बोली- तेरे लिए मेरी जान।

मैं भी मुस्कुरा दी और फिर मैंने उससे पूछा- टाईम क्या हो रहा है?
वो बोली- शाम के 5 बज रहे हैं।
मैंने कहा- ओहहह.. हम पूरी दोपहर सो रहे थे।

वो बोली- मैं नहीं.. तू सो रही थी। मैं तो एक घंटे बाद ही उठ गई थी।
मैंने पूछा- तूने मुझे क्यों नहीं उठाया?

तो वो बोली- तू सोती हुई इतनी प्यारी लग रही थी कि मैंने तुझे उठाया नहीं।

फिर मैंने कहा- अच्छा.. खूबसूरत और मैं..? मुझे तुझ पर विश्वास नहीं है।
वो बोली- तो मत मान।

मैंने कहा- अच्छा उसे छोड़.. तू यह बता इतनी देर पहले उठ गई थी.. तो तूने अभी तक कपड़े क्यों नहीं पहने?
वो बोली- पहने थे.. लेकिन अभी जब मैं वापस कमरे में आई.. तो उतार दिए।
मैंने कहा- क्यों? और इतनी देर तूने किया क्या?

वो बोली- कुछ खास नहीं, मैंने अकेले ही लंच किया.. फिर कुछ देर टी.वी. देखी और फिर ऊपर आई.. तुझे नंगी देखकर मैं दुबारा कामुक हो गई तो सारे कपड़े निकालकर तेरे मम्मों से खेलने लगी थी।

मैं बोली- तू भी ना.. अगर बताया तो होता तो हम एक बार और मजे करते।
वो बोली- मैंने तो कर लिया.. अब तू तड़पती रह।

मैं उठी और आयेशा के पास गई और उसके चूतड़ों पर एक ज़ोर का थप्पड़ मारा।
उसके मुँह से ‘आअहह..’ निकल गई और वो अपने चूतड़ों को मसलती हुई बोली- इतनी ज़ोर की मारते हैं क्या?

मैंने कहा- यही है तेरी सज़ा, अकेले-अकेले मुझसे तो मज़े ले लिए और मैं खाली रह गई।

मैं यह तो जान गई थी कि आयेशा किसी से चुदी हुई नहीं थी। वो एक कच्ची कली थी.. लेकिन फिर भी मैंने उससे पूछा- आयेशा, तूने ये सब कहाँ से सीखा?

तो वो बोली- अरे यार.. मैं अपने होस्टल में अपनी रूममेट के साथ-साथ लेस्बियन सेक्स करती हूँ। हम दोनों को बहुत मज़ा आता है।

मैंने उससे पूछा- तूने कभी किसी लड़के के साथ क्यों नहीं किया?
वो बोली- यार मुझे डर लगता है कि कोई मेरी चुदाई की वीडियो भी बना सकता है और मुझे बदनाम कर सकता है। मैं किसी ऐसे लड़के के साथ सेक्स करना चाहती हूँ.. जिस पर मुझे पूरा भरोसा हो जाए।

आयेशा ने मुझसे मेरे पांचवें बॉयफ्रेंड के बारे में पूछा.. तो मैंने कहा- मैं तुझे बताऊँगी तो तू मुझे गलत मत समझना।
वो बोली- मेरी जान मैंने आज तक तेरी किसी बात को गलत समझा है क्या?
मैंने कहा- नहीं।
‘तो बेहिचक बता न..’

मैंने उसे मेरी और साहिल की सारी कहानी बता दी।
वो एकदम से हतप्रभ रह गई और थोड़ी देर तक बिना कुछ बोले वो मेरी तरफ देखती रही।

फिर वो मुस्कराकर बोली- यार तू इतना शर्मा क्यों रही थी।
मैं बस उसकी तरफ देखे जा रही थी।

वो बोली- यार तूने मुझे पहले बताया होता.. तो मैं भी तुम दोनों के साथ शामिल हो जाती। मैंने भी साहिल के बारे में सोचा था कि मैं साहिल के साथ सेक्स कर सकती हूँ और वो किसी को बताएगा भी नहीं।

मैं मंद-मंद मुस्कुरा रही थी।

फिर वो बोली- साहिल मेरे साथ करेगा?
मैंने कहा- वो तो तुझे चोदने के लिए पागल हुआ जा रहा है।

यह सुनकर आयेशा ख़ुशी से पागल हो गई और उसने मेरे चूतड़ों पर बहुत जोर से एक थप्पड़ मार दिया।
मैंने भी जवाब में उसकी चूची को जोर से दबा दिया।

उसे बहुत दर्द हुआ.. वो बहुत जोर से चीखी और उसके हल्क़े से आंसू भी निकल आए।

फिर हम दोनों नंगी ही बिस्तर से उठीं और किचन में जाकर शाम के खाने की तैयारी करने लगी।
हमने नंगी अवस्था ही खाना खाया। सच में बहुत मज़ा आया।

डिनर के बाद उसने कहा- चल डिनर के बाद बाहर एक राउंड घूम कर आते हैं।

आयेशा नीचे आ गई उसने सफ़ेद कलर का टॉप और नीचे शॉर्ट्स पहन रखा था।
मैंने भी गुलाबी टॉप और नीचे लाल कलर का पायजामा पहन रखा था।

मैंने आयेशा को देखा कि वो शॉर्ट्स में ही उतर कर आ रही है.. तो मैंने उससे धीरे से बोला- पागल है क्या तू?
वो बोली- क्यों?
मैंने कहा- शॉर्ट्स में ही बाहर चलेगी क्या?
उस पर वो हँसी और फिर बोली- हाँ।

मैंने उसकी ओर देखा और फिर बोली- इतने छोटे शॉर्ट्स पहनकर बाहर निकलेगी तो सड़क पर सब तुझे ही देखेंगे, तुझे शर्म नहीं आएगी?
वो बोली- अरे यार इतनी रात को बाहर कोई नहीं होगा और ऊपर से कोई देख भी लेगा तो क्या?

मैंने उसकी और देखा और उसके बेफिक्र चेहरे पर चुदने की इच्छा को देखकर मैं मुस्कुरा दी और उसके चूतड़ों पर हल्का सा थप्पड़ मारा और बोली- तू तो बिल्कुल रंडी हो गई है।

उसने मेरी और देखा और मुस्कुराते हुए मेरे चूतड़ पर हल्का सा ज़ोर का थप्पड़ मारा और बोली- आख़िर हूँ तो तेरी छोटी बहन ही ना!

फिर हम दोनों एक-दूसरे की तरफ हँस पड़ी।

मैंने मेनगेट खोला और हम दोनों बाहर आ गई और बाहर सड़क बिल्कुल खाली थी और हमारे घर से हर 20 मीटर के अंतराल में एक स्ट्रीट लाईट जल रही थी।

सड़क पर 5 स्ट्रीट लाईटें लगी हुई थीं। फिर उसके बाद तो पूरे सड़क पर अंधेरा था। हम दोनों एक-दूसरे के साथ मज़ाक करती हुए उसी सड़क पर चल दी।

धीरे-धीरे हम सारी स्ट्रीट लाईट पार कर गए और फिर अंधेरी सड़क देखकर मैंने आयेशा से कहा- चल लौट चलते हैं।

इस पर वो बोली- अरे लाईट में घूमने का क्या मज़ा? अंधेरे में घूमते हैं.. मज़ा आएगा।

मैंने आयेशा को देखा और मुस्कुरा दी।

मेरी बहन सड़क पर नंगी हुई

हमने घूमना जारी रखा और अंधेरे में चलते चले गए।

फिर बात करते-करते आयेशा अपना टॉप उतारने लगी और मैं उसे देखती रह गई कि वो क्या पागलपन कर रही है।

मैं जब तक कुछ बोलती उससे पहले उसने अपने मम्मे बिल्कुल नंगे कर दिए।

मैंने उससे धीरे से कहा- ये क्या पागलपन कर रही है? आयेशा तू मरवाएगी क्या? कोई देख लेगा तुझे ऐसे तो?
वो बोली- अरे सड़क पर कोई नहीं है और अपने बदन को ताजी हवा खिला रही हूँ।
मैंने कहा- पागल हो गई है तू!

तो वो बोली- तू भी उतारकर देख, बड़ा अच्छा सा महसूस हो रहा है।
मैंने कहा- नहीं.. मैं तेरी तरह पागल नहीं हूँ।

फिर उसने अपने शॉर्ट्स भी उतार दिए और बिल्कुल नंगी हो गई। अब मैं क्या बोलती? वो तो बिल्कुल पागलपन कर रही थी।
यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मैंने गुस्से में आयेशा से बोला- क्या पागलपन कर रही है तू? अरे किसी ने देख लिया तो क्या होगा? तुझे कोई नहीं बचा पाएगा।

लेकिन उसे तो किसी बात का डर ही नहीं था, वो बोली- अरे इस सड़क पर कोई नहीं आता फेहमी मेरी जान.. कुछ नहीं होगा।

आयेशा और साहिल दोनों ही मुझे प्यार से ‘फेहमी’ बोलते हैं।

मैंने कहा- तू पागल है।

यह कहकर मैंने उससे उसके कपड़े लिए और ज़बरदस्ती उसे कपड़े पहनाने लगी।
लेकिन वो कहाँ मानने वाली थी, वो मुझसे दूर भागने लगी।
मैं उसके पीछे कपड़े लेकर भाग रही थी और वो आगे-आगे नंगी भाग रही थी।

मैं आख़िरकार थक कर बोली- रुक आयेशा.. पागलपन मत कर… मेरे लिए कपड़े पहन ले।
वो बोली- तू पागल है.. मैं नहीं पहन रही तो तुझे क्या.. और देख सड़क पर अब तक कोई नहीं आया.. और तू फालतू में परेशान हो रही है।

मैंने भी देखा कि सड़क सुनसान ही था, यह देख कर मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ी।
तभी आयेशा ने पीछे से आकर मेरा पजामा नीचे कर दिया और मेरा पजामा नीचे होते ही मैं पैन्टी में आ गई।
लेकिन अगले ही सेकेंड उसने मेरी पैन्टी भी नीचे खींच दी।

मैं सड़क पर नंगी हुई

फिर मैं पीछ मुड़ी और पैन्टी और पजामा ऊपर करते हुए आयेशा को मारने भागी, लेकिन फिर मैंने भी सोचा कि ट्राई करते हैं.. शायद बाहर नंगा होने का अलग ही मज़ा हो।

यह सोचकर मैंने अपना पजामा और पैन्टी उतारकर अपने कंधे पर रख लिए और फिर मैं अपना टॉप उतारकर बिल्कुल नंगी हो गई।

यह देख आयेशा मुस्कुराते हुए मेरे पास आई और बोली- देख आया ना मज़ा?
मैंने उसे ऊपर से नीचे देखा और उसे देख मुस्कुरा दी और बोली- हाँ मज़ा तो आ रहा है, लेकिन बस कोई देख ना ले।

आयेशा बोली- तू पागल है, यहाँ पर कोई नहीं आता है।
वो मुझे पूरी सड़क दिखाने लगी।

फिर हम नंगी ही घूमने लगी, पूरे बदन पर ठंडी-ठंडी हवा महसूस हो रही थी और जब मेरे चूतड़ और चूत पर हवा का स्पर्श होता.. तो मेरा पूरा बदन सरसरा उठता।
घबराहट तो थी कि कोई देख ना ले.. लेकिन उससे ज्यादा अब उत्तेजना होने लगी थी।

फिर आयेशा जानबूझ कर धीरे-धीरे चलने लगी और मैं उससे आगे हो गई। वो मेरे पीछे चलती हुई बोली- हाय तेरी क्या ग़ज़ब चाल है.. बिल्कुल मॉडल्स जैसी।
मैंने कहा- अच्छा..

फिर मैं आयेशा के पीछे गई और बोली- नहीं तेरी चाल है बिल्कुल मॉडल्स जैसी..

मैंने उसके कूल्हों को हल्का सा नोंचा और मेरे नोंचते ही उसके मुँह से हल्की सी ‘आहह..’ निकली।
वो जैसे ही मेरी तरफ मुड़ी.. तो मैंने उसे कसकर अपनी और खींचा और फिर उसका स्मूच ले लिया।

वो पहले तो पीछे हटने की कोशिश करने लगी, लेकिन फिर वो भी मेरा साथ देने लगी और मैं उसे स्मूच करते हुए उसके चूतड़ों को मसलने लगी।
उसने भी पंजे उठाकर अपनी चूत मेरी चूत से बिल्कुल चिपका दी और हम दोनों ऐसे ही 1-2 मिनट तक स्मूच करते रहे।

तभी मुझे किसी के पैरों की आहट सुनाई दी, मैं एकदम डर गई और आयेशा से दूर हट गई।

फिर मैंने सड़क के किनारे लगे एक पेड़ के पीछे उसे खींच लिया और फिर आहट तेज होती गई।

उधर मेरे दिल की धड़कन भी तेज होती जा रही थी।

आयेशा भी यह सोच रही थी कि पता नहीं कौन है और चिंता उसके चेहरे पर भी साफ़ दिख रही थी।

वो चौकीदार था वो हमारी परछाई देखकर शायद यहाँ आ गया था और फिर वो देखने लगा कि कौन है।

मैं बुरी तरह डर गई थी और आयेशा को बिल्कुल अपनी बांहों में जकड़ लिया था और पेड़ में कम से कम जगह में हम दोनों सिमटने की कोशिश करने लगीं जिससे कि हम पेड़ के पीछे छुप जाएँ और वो हमें देख ना पाए।

आयेशा के चूचे पेड़ के तने से सट गए और मैं बिल्कुल आयेशा के पीछे उसकी गांड से अपनी चूत सटा कर खड़ी हो गई।

कुछ देर उसने देखा, लेकिन कोई नहीं दिखने पर वो जाने लगा।
तब मेरी जान में जान आई, लेकिन पता नहीं क्या सोचकर वो वापस मुड़ा और फिर वापस हमारे पेड़ की तरफ आने लगा।

मेरी धड़कन से फिर से तेज हो गई और आयेशा को भी डर लग रहा था।
उस समय मैं यह उसके बदन के थरथराने से महसूस कर सकती थी।

तभी चौकीदार हमारे पेड़ के आगे आकर खड़ा हो गया.. तो मुझे लगा कि अब बस हम पकड़े गए तो यह अब हमारे साथ सेक्स करके ही हमें छोड़ेगा।

यह सोच मैंने अपनी आँखें बंद कर बस बचने की मन्नत करने लगी।

फिर तभी मुझे चैन खुलने की आवाज़ आई, मैंने और आयेशा ने पेड़ के पीछे से देखा तो चौकीदार ने अपनी पैन्ट की चैन खोली हुई थी और अपनी पैन्ट का ऊपर वाला बटन खोलकर अपनी चड्डी नीचे सरका रहा था।

उसने जैसे ही अपनी चड्डी नीचे सरकाई तो उसका कम से कम 7 इंच का बड़ा लंड झूलता हुआ बाहर आ गया और हम दोनों का मुँह फटा का फटा रह गया।

जब उसका लंड बाहर आया था तो खड़ा था। फिर उसके लंड से पेशाब बाहर आने लगा, जैसे ही पेशाब गिरने की मात्रा कम हुई.. वैसे-वैसे उसके लंड का आकार भी छोटा होता गया।

फिर आख़िर में उसने अपने लंड को हिला कर अपनी बची हुई दो-चार बूँद भी नीचे गिरा दीं।

मैं यह देख अपना डर तो भूल गई थी.. ऊपर से गर्म भी हो गई थी। आयेशा बिल्कुल पेड़ के तने से सटकर खड़ी थी और उससे बिल्कुल चिपककर मैं खड़ी थी।
मेरी चूत उसकी गांड से चिपकी हुई थी और मेरे चूचे उसके कंधे को टच कर रहे थे।

सड़क पर दो नंगी लड़कियाँ और लेस्बियन सेक्स

चौकीदार का लंड देखकर मेरा हाथ अपने आप आयेशा की चूत को सहलाने लगा, लेकिन आयेशा का ध्यान चौकीदार के लंड पर ही था।

फिर चौकीदार ने अपनी चड्डी वापस पहनी और पैन्ट ऊपर की और वो वापस चला गया।

तब आयेशा को मेरे हाथ का स्पर्श अपनी चूत पर होने का पता चला, वो मेरी ओर मुड़ी और फिर हमने एक-दूसरे के होंठ से होंठ मिला दिए और वो मेरे होंठों को चूसने लगी।

मैंने उसकी एक टाँग उठाकर अपनी कमर पर टिका ली, जिससे मुझे उसकी चूत के दरवाजे का आसानी से रास्ता मिल गया।

फिर मैं उसकी चूत को तेज़ी से रगड़ने लगी और रगड़ते-रगड़ते वो झड़ने की कगार पर आ गई, लेकिन मैं उसकी चूत को और तेज़ी से सहलाने लगी।
वो मेरे मम्मों को मसलने लगी।
मैंने उसके होंठ चूसना छोड़ा और हल्का सा नीचे झुककर उसके निप्पलों को चूमा। अब मैंने धीरे-धीरे उसके निप्पलों को चूसना शुरू कर दिया और दूसरी और उसकी चूत में अपनी एक उंगली डालकर अन्दर-बाहर करने लगी।

आयेशा अभी तक वर्जिन थी इसलिए उसकी चूत बड़ी टाईट थी और उंगली ज्यादा अन्दर तक नहीं जा रही थी, लेकिन मैंने भी अधिक कोशिश ना करते हुए जितनी उंगली अन्दर गई थी.. उसे ही अन्दर-बाहर करने लगी।

उसको हल्का सा दर्द तो हुआ, लेकिन बाद में उसे मज़ा आने लगा।
फिर उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और मज़े में खो गई।
मैं उसके निप्पल को चूसने के बाद धीरे-धीरे उसकी नाभि को चूसते हुए उसकी चूत तक पहुँच गई।

फिर मैंने आयेशा को अपने पैर छोड़ने को कहा।
उसने मेरे दोनों पैर छोड़ दिए और मैं उसके दोनों पैरों के बीच बैठ गई और अब मैंने उसकी चूत के होंठों से अपने होंठ मिला दिए।
दो-चार बार उनको चूमा और फिर मैंने उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया।

वहाँ ऐसे बैठने से मेरी गांड खुल गई थी और उसमें ताज़ी-ताज़ी हवा लग रही थी। आयेशा की चूत को चूसते-चूसते बड़ा मज़ा आ रहा था। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ की दरार को फैलाया और फिर अपनी उंगली से उसकी गांड के छेद को सहलाने लगी, वो सिसकारियां भरने लगी।

अब मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाल दी, मेरी जीभ का स्पर्श पाते ही वो थरथरा उठी और चूत में अन्दर कुछ देर तक जीभ फेरने के बाद, मैंने अपनी जीभ उसकी चूत से बाहर निकाल दी और दो-चार बार फिर से चूत को चूमा और फिर उसकी कमर पकड़ कर, मैंने उसको पलट दिया जिससे अब उसकी गांड मेरे सामने थी।

मैंने उसे पंजों पर खड़ा होने को कहा, उसने वैसा ही किया और मैंने उसकी चूत से लेकर गांड के छेद पर दो-चार बार जीभ फेरी।
वो पागल हो उठी और फिर मैंने उसकी गांड के छेद को चूसना शुरू कर दिया।

आयेशा कुछ ही देर में झड़ गई और मेरी बहन की चूत बिल्कुल गीली हो गई।
वो पेड़ से लिपटते हुए ज़मीन पर चूतड़ों के बल बैठ गई.. उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थीं।

मैं भी उसके बगल में बैठकर उसके मम्मों को सहलाने लगी, वो कुछ देर में नॉर्मल हो गई और फिर उसने मुझसे उसके ऊपर खड़े होने को कहा। मैं खड़ी हो गई और वो मेरे पैरों के बीच में बैठ गई और मेरी चूत को चूसने लगी।

मैं भी उसके होंठों का स्पर्श अपनी चूत पर होने की वजह से पागल हो गई और मैं उसके सिर को पकड़ कर अपनी चूत से उसके मुँह को सटा दिया।

कुछ देर तक, वो मेरी चूत चूसती रही और मैं अपने हाथों से अपने ही मम्मों को सहलाती रही।

फिर उसने मेरी चूत को चूसते-चूसते मेरी चूत में उंगली डाल दी।

उंगली डालते ही मैं हल्का सा उछल पड़ी।
वो अपनी उंगली मेरी चूत में अन्दर-बाहर करने लगी.. तो मुझे भी मज़ा आने लगा।
आयेशा अपने मुँह को मेरी गांड के छेद के ऊपर ले गई और अपने दोनों होंठों को मेरी गांड के छेद पर रख दिया और चूसने लगी।

इस तरह कुछ देर में ही मैं झड़ गई और आयेशा के ऊपर ही गिर गई.. और उसके होंठों को चूमने लगी।
वो भी मेरे होंठों को चूमने लगी और कुछ देर मैं आयेशा के ऊपर ही पड़ी रही।

फिर हम दोनों उठे और आयेशा ने मुझसे पूछा- बाहर खुले में सेक्स करने में कैसा मज़ा आया?
मैंने कहा- यार तू सही थी, बहुत मज़ा आया।

हम दोनों नंगी ही सड़क पर चल दी।
वॉक करते हुए मेरी गांड में ताज़ी-ताज़ी हवा लग रही थी, सच में बड़ा मज़ा आ रहा था। यूं ही चलते-चलते कभी मैं आयेशा के चूतड़ को मसल देती.. तो कभी वो मेरी चूत मसल देती।

फिर हम एक दूसरी को नंगी देख कर हँस रही थी।

तभी पता नहीं कब हम लाईट के उजाले में आ गई और हमने ध्यान नहीं दिया कि हम अब सबको नज़र आ सकती हैं और जब हम अपने पड़ोसी के घर के सामने थी और जब हमने उनके गेट खोलने की आवाज़ सुनी तो हमें होश आया और हम सीधे अपने घर की ओर भागी।

लेकिन इतने में उनका गेट खुला और वो बाहर आई, लेकिन वो हमारा चेहरा देख पाती.. उससे पहले हम भाग गई और उनको लगा शायद कोई जानवर होगा।

हम भागती भागती अपने घर में घुस गई और आयेशा ने मेनगेट बंद किया।
हम गेट को लॉक करके ऊपर अपने कमरे में आ गई और अपना रूम लॉक करके हम एक-दूसरे को देखकर इतना हँसी कि पेट में दर्द ही होने लग गया।

अब आयेशा ने अपने कपड़े एक तरफ फेंके और बिस्तर पर कूद गई।
मैंने पूछा- कपड़े नहीं पहनेगी?
वो बोली- जब बाहर नहीं पहने तो अन्दर कमरे में क्यों पहनूँ.. आज ऐसे ही नंगी सोती हैं।

मैंने भी सोचा कि आयेशा सही कह रही है और मैंने भी अपने कपड़े एक तरफ फेंके और अपने बिस्तर पर लेट गई।

आयेशा बोली- मेरे बेड पर ही आ जा ना.. रात भर मज़े करेंगे।
मैं बोली- नहीं यार, मैं अब थक गई हूँ.. अब मैं सोने जा रही हूँ और कितने मज़े करेगी तू।
तो वो बोली- तू पूरे दिन तो सोई है.. तुझे अब रात में नींद कहाँ से आएगी।

उसकी बात सुन कर मैं अपने बिस्तर से उठी और आयेशा के बगल में जाकर लेट गई, उसने अपना एक हाथ फिर से मेरी चूत पर रख दिया और मेरी चूत की दरार में अपनी हल्की सी उंगली अन्दर कर दी और चूत को अपनी उंगली से सहलाने लगी।

मैंने भी उसे जो कर रही थी करने दिया।
थोड़ी देर मस्ती करने के बाद हम थक कर लेट गई।

मैंने आयेशा से पूछा- यह सड़क पर नंगी घूमने का आईडिया तुझे कैसे आया?
तो वो बोली- मैं और मेरी रूम मेट हम दोनों कभी-कभी सड़क पर ऐसे ही नंगी घूमती हैं.. तो बहुत मज़ा आता है, तो मैंने सोचा कि आज अपनी जान को भी ये मज़े दिलवाती हूँ।

इस पर मैं हँसने लगी और उसे उल्टा करके उसके चूतड़ों पर चांटे मारने लगी।

वो बोली- तू मुझे साहिल से कब चुदवाएगी?
मैंने कहा- मेरी जान थोड़ा सब्र रख। अबकी बार जब वो यहाँ आएगा.. तब हम तीनों साथ मिलकर चुदाई करेंगे।

इसके बाद कुछ देर बात करने के बाद हमने किस किया और सो गए।

अगली कहानी में बताऊँगी कि कैसे मैंने और आयेशा ने साहिल को चोदा।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. अपने विचार मुझे जरूर बताइएगा और आप सभी से मेरा अनुरोध है कि मुझे मेल करके सेक्स करने के लिए मत कहिए.. क्यूंकि यह मुमकिन नहीं है।
धन्यवाद।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top