ट्रेन के सेक्स भरे सफर के बाद यादगार चूत चुदाई का मजा

(Train Ke Sex Bhare Safar Ke Bad Yadgar Choot Chudai Ka Maja)

राजू की शादी हुई और पहली बार पूरे एक माह बाद अपनी पत्नी को अपने मामा के घर घुमाने के लिए वो उसे ट्रेन में बैठा कर सफर कर रहा था उसकी पत्नी इतनी सुन्दर, इतनी गोरी कि जो एक बार देख ले, उसे पाने के लिए तड़प जाये… और राजू पतला दुबला सिंगल हड्डी का था आदमी सोलह आने अच्छा… मगर उसकी जोड़ी जम नहीं रही थी जब वो उसके साथ चलता तो उसे अलग निगाहों से सामना करना पड़ता इसलिए उसकी लाईफ में कोई अहम परिवर्तन नहीं हुआ।
मगर क्या करे!

यात्रा शुरू हुई ट्रेन खचाखच भरी थी, ले दे के एक सीट मिली और कभी वो बैठती तो कभी राजू! ले देकर 2 घंटे ही बीते थे, लोग सोने के लिए अपनी सीटे लगा कर कम्बल आदि ले सोने लगे।
राजू को नींद सताने लगी तो उसे झपकी मारते देख पत्नी ने उसे बैठा दिया और खुद खड़ी हो गई।

और लोग चढ़े और धक्का मुक्की होने लगी। मेरी किस्मत अच्छी कि मैं उसके पीछे खड़ा हुआ था और खड़े खड़े मेरे पैरों और हाथों की हरकतें बढ़ने लगी।
मुझे पीछे वाले ने धक्का मारा और मैं उससे चिपकने लगा। वो पहले तो आगे बढ़ गई मगर फिर पीछे होने लगी और मेरा पूरा बदन उससे टच होने लगा। मेरी और उसकी हाईट एक बराबर थी, धीरे धीरे मेरा बदन उससे चिपक गया, लंड टच होते ही कड़ा होने लगा उसको इसका अहसास होने लगा था और मेरे लंड से बराबर उसकी गांड रगड़ना शुरू हो गई थी।

मैंने मौके का फ़ायदा उठाया और पूरी मस्ती में उसे गर्म करने लगा। उसने मुड़ कर मेरी ओर देखा।
मैंने कहा- क्या ठंड है और लोग इतने भर चुके है कि ठण्ड का अहसास नहीं हो रहा है।

वह फिर और पीछे सटने लगी। अब तो मैं उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा और उसने अपना हाथ आगे संकल को पकड़ लिया।
हाथ के ऊपर होते ही उसकी चुची मेरे हाथ में आ गई और मैं ब्लाऊज के ऊपर से ही उसकी चुची पर हाथ फेरने लगा।
वो मस्त होकर लंड में अपनी गांड की दरार में रगड़ने लगी।

रात काफी हो चुकी थी, सब नींद में सोने की ललक में थे, मैंने अपने पैर से उसके पैर को रगड़ा तो उसने अपने पैर थोड़ा फैला दिए और लंड अब साड़ी के सहारे चूतड़ों में घुसने लगा। वो गर्म आहें भरने लगी और हिलने लगी।
मैंने अपनी पूरी हथेली से ब्लाऊज के ऊपर से उसके मम्मे दबाना शुरू कर दिए और वो मस्त होकर अपने शरीर का बोझ मेरे ऊपर डाल चुकी थी।

मैं अब उसकी गांड में हाथ फेरने लगा और वो कांपने लगी और कांपते हुए अपना एक हाथ पीछे कर दिया। मैंने अपना लंड निकाल कर उसके हाथ में थमा दिया और वो उसे सहलाने लगी।
थोड़ी देर बाद उसने मेरे लंड को जोर से दबा दिया और मुझसे अलग हो गई। मैंने देखा कि वो हिल हिल कर शांत हो चुकी थी मैंने लंड अंदर किया ओैर बाथरूम की ओर भागा।

थोड़ी देर बाद ऐसा लगा जैसे कोई सामने वाले टॉयलेट का दरवाजा खोल कर अन्दर गया है।
मैं कुछ देर बाद बाहर निक्ला तो वो भी सामने वाले टॉयलेट से निकल रही थी, हम दोनों एक साथ निकले, वो अपनी निगाहें झुका कर मुस्कुराने लगी।

तभी ट्रेन रुकी और काफ़ी सवारियाँ उतरी, बहुत सीटें खाली हुई तो उसे उसके पति के साथ जगह मिल गई, मुझे उसके सामने की सीट मिल चुकी थी।
अब फ़िर लोग सोने लगे।

मगर हम दोनों की नींद उड़ चुकी थी, वो मुझे देखे और मैं उसे… ऐसा लगता था वो कह रही हो ‘एक बार ही सही चुदाई हो जाए!’
मैंने देखा रात को 2.30 बज चुके थे, उसके पैर अकड़ रहे थे तो उसने अपने पैर सामने मेरी सीट पर फैला दिये।
मैंने अपनी शॉल निकाल कर अपनी टांगों पर डाल ली जिससे उसके पैरों का काफ़ी हिस्सा शॉल से ढक गया। कुछ देर बाद वो अपने पैर से मेरी टांग को कुरेदने लगी और मैंने देखा कि उसने अपना चेहरा अपने पल्लू से ढक लिया।

मैंने अपनी पैंट की चेन खोल कर लंड बाहर निकाला, उसका एक पैर शॉल के अन्दर अपनी दोनों टांगों के बीच में ले लिया। वो अपने पैर से मेरे लंड को सहलाने लगी।
काफी देर तक मैं बरदाश्त करता रहा मगर मैं गर्म होने लगा, फ़िर उठ कर बाथरूम गया।

जब मैं वापस आया तो उसे खिड़की के पास बैठा पाया। उसका पति मुँह के ऊपर कम्बल डाले सो रहा था। मैं गया तो उसने थोड़ा खिसक कर मुझे अपने साथ जगह दे दी। मैंने अपनी शॉल को आधी औढ़ कर आधी उसकी तरफ कर दी, उसने मेरी शॉल को अपने बदन पर ले लिया।
अब हम दोनों साथ साथ बैठे सफर करने लगे।

मैंने देखा कि वो मुझे ही देख रही थी। मैं थोड़ा खिसक गया उसकी तरफ़ और हाथ उसकी चुची पर ले गया।
यह क्या… उसका ब्लाऊज खुला हुआ था और मस्त चौंसा आम की तरह फ़ूली चुची टाइट थी, मैं उसकी चुची हाथ से पकड़ कर मसलने लगा और वो मस्त होकर खिड़की की तरफ देख रही थी।
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मैंने अपनी चेन खोल कर लंड बाहर निकाल लिया और उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया, वो उसे ऊपर नीचे करने लगी।

कुछ समय बाद सवेरा होने लगा और सवारियों का आना जाना बढ़ गया और हम अब अलग अलग हो कर बैठ गये।

हमारा स्टेशन भी आ गया और हम अलग अलग होते गये, मैंने पलट कर कई बार देखा उसे… मुझे शायद उससे प्यार सा हो गया था।

मैं अपने किराये के कमरे में पहुंचा, अभी लेटा ही था कि मकान मालिक का छोटा बच्चा आया, उसने कुछ रुपए देते हुए कहा कि हमारे घर मेहमान आए हैं, पापा ने कहा है कि आप बाजार थोड़ा खाने पीने का सामान ला दो।
मैं एकदम उठ कर बाजार चला गया।

सामान लेकर वापिस आया और दरवाजे से सामान पकड़ा कर अपने कमरे में आ अया।
थोड़ी देर में मैं पानी लेकर मुँह हाथ धोने के लिए बाथरूम में गया और जैसे ही बाहर आया तो सामने उसी को देख कर बहुत खुश हो गया, भगवान ने मेरे प्यार को इसी घर में भेज रखा था।
मैं उसे देख कर और वो मुझे देख कर दंग रह गई। हम कुछ ना बोले, अजनबी की तरह मिले ताकि किसी को भनक भी ना लगे।

तभी मामी ने मेरा और उसका परिचय करवाया- ये फैक्ट्री में काम करते हैं, बड़ा साहब है, हमारी छत पर जो कमरा है, उसमें रहते हैं।
और मुझे बताया कि उनका भांजा और उसकी दुल्हन आए हैं, ये दुल्हन है।

फ़िर मामी ने कहा- चलो बहू, कुछ नाश्ता कर लो! फ़िर मुझे इनका कमरा भी ठीक करना है।
मैं ऊपर अपने कमरे में आ गया। थोड़ी देर बाद देखा तो वो मेरे कमरे के बाहर आई, बोली- मैं आपका कमरा ठीक करने के लिए आई हूँ।
मैंने हैरानी से पूछा- तुम क्यों?
उसने कहा- मामी आ रही थी लेकिन मैं ही जिद करके आ गई।
उसने मेरे कमरे को साफ किया, इधर उधर बिखरा सामान जगह पर रखा और बोली- लो जी साफ हो गया कमरा! ठीक है अब मैं जाऊँ?
मैं अपने और उसको देखने लगा।
वो दरवाजे के पास खड़ी थी।
मैंने अपनी बाहें फैला दी और वो दरवाजा उड़का कर दौड़ कर आ गई मेरी बाहों में और हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे।

वो मेरे लंड को और मैं उसकी चुची को हाथ से सहलाने लगा और दोनों जम कर एक दूसरे को चूम चाट रहे थे।
मैं बोला- अब तो हम दोनों के अरमान पूरे होंगे?
‘क्यों ना होंगे? जैसे आप कहें मैं आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ, केवल इशारा कर देना और मुझे अपने पास अपनी बांहों में पाओगे!
हम दोनों एक होने लगे थे कि तभी मामी ने आवाज लगाई और हम अलग हो गए। वो बाहर जाने लगी, मैंने कहा- आज रात को दरवाजा खुला रखूंगा।
वो मेरे पास आई और जोर से मेरे लंड को हाथ से खींच गई।

रात को मैं उसकी इन्तजार कर रहा था, वो करीब 2 बजे आई, मैंने दरवाजे की चिटकनी लगाई और लाईट ऑफ कर दी, वो मेरे बिस्तर पर बैठी थी, मैं कूद पड़ा उसके ऊपर… मैंने और उसने एक एक करके एक दूसरे के कपड़े उतार फेंके और दोनों नंगे बदन को सहलाने लगे।

और तभी मैंने उसकी चूत में अपना मुँह रख दिया, उसने शरमा कर अपनी आँखें बंद कर ली और मैं उसकी चूत को अपनी जीभ लगा कर चाटने लगा।
वो इतनी गर्म हो गई कि उसने मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया और झुक कर मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। हम दोनों इइइ उम्म्ह… अहह… हय… याह… हहह की आवाज करने लगे।

मेरी उंगली उसकी चूत में अंदर बाहर होने लगी और पूरी चूत पानी पानी हो चुकी थी। अब मेरा लंड मुझे बेचैन करने लगा, मैंने सीधा होकर उसकी चूत पर लंड टिका कर धक्का मारा और लंड सीधा उसकी कसी चूत में उतार दिया।
वो मेरे इतने लंबे और तगड़े लंड की चुदाई से और मस्त होने लगी।

उस रात काफी देर तक हम दोनों ने चुदाई का मजा लिया जो आज तक अविस्मरणीय है।
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