मेरा गुप्त जीवन- 138

(Mera Gupt Jeewan- part 138 Urvashi Bhabhi Ka Garbhadhan)

यश देव 2016-02-08 Comments

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उर्वशी भाभी का गर्भाधान

कम्मो फ़ौरन उठी और बाथरूम में चली गई और थोड़ी देर बाद चूत को धो पौंछ कर वापस आई, आते ही बोली – यह क्या किया छोटे मालिक? मैं फंस जाती ना अगर अभी तुम्हारा वीर्य साफ़ नहीं किया होता?
मैं घबरा कर बोला- सॉरी कम्मो डार्लिंग, वो क्या है, मुझ से रहा नहीं गया क्यूंकि बहुत दिनों से छुटाया नहीं था ना!
कम्मो हँसते हुए बोली- जाने दो छोटे मालिक, कहीं ऐसे ही रति की चूत में ना छूटा देना, नहीं तो वो बेचारी फंस जायेगी।

अब कम्मो ने कहना शुरू किया- देखो छोटे मालिक, अब तुम अपना सारा ध्यान रति के साथ प्रेमालाप को सफल बनाने में लगाओ ताकि तुम उसको जितने जल्दी हो सके, चोद सको और साथ ही उसकी भाभी को भी चोदना है उसके गर्भाधान के लिए!
मैं बोला- वो तो ठीक है कम्मो रानी, लेकिन भाभी को कैसे मनवाओगी मेरे से चुदवाने के लिए? वो नहीं मानेंगी मेरे साथ करने के लिए क्यूंकि मैं उनकी नज़रों में उनकी ननद का कॉलेज का मित्र हूँ!

कम्मो बोली- वो आप सब मुझ पर छोड़ दो, मैं भाभी को मना लूंगी क्यूंकि मुझको भाभी की आँखों में काफी चाहत बच्चे के लिये दिखी है और वो यकीनन तुम्हारे जैसे खूबसूरत जवान लड़के से चुदवाना पसंद कर लेगी।
मैं थोड़ा शर्माते हुए बोला- अच्छा? तुमको लगता है कि मैं काफ़ी खूबसूरत लड़का हूँ?
कम्मो हंस पड़ी- रहने दो छोटे मालिक, अब ज़्यादा इतराओ ना! तुम्हारी यह ख़ूबसूरती किसी काम की नहीं अगर तुम्हारा लंड अकड़ू ना होता।

मैं बोला- चलो लंड की वजह से ही सही, मेरी ख़ूबसूरती में कुछ तो है जो लड़कियों और औरतों को अपनी तरफ खींचता है।
यह कह कर मैंने कम्मो को पकड़ लिया और उसकी साड़ी को फिर ऊँचा करने लगा लेकिन कम्मो छिटक कर दूर भाग गई।

अगले दिन रति को कोठी से लिया तो वो बड़ी ही मुस्करा रही थी और मैंने जब उससे मुस्कराने का कारण पूछा तो बोली- भाभी तुम्हारी आशिक हो गई है सोमू! बार बार पूछ रही थी कि सोमू कब आएगा और अब भी जब मैं तुम्हारी बाइक पर बैठी तो वो खिड़की से झाँक रही थी।
मैं मुस्कराते हुए बोला- अच्छा तुम्हारी भाभी है बहुत क्यूट यार! तुम्हारे भैया बड़े लकी हैं।

रति थोड़ी सी उदास होकर बोली- लेकिन किस्मत तो देखो, भाभी अभी तक माँ नहीं बन सकी। कम्मो से बात करके भाभी काफी खुश लग रही थी, शायद कम्मो आंटी उनको ठीक कर सके?
मैं बोला- हाँ, ज़रूर ठीक कर देगी, अगर भाभी और तुम उस पर विश्वास रखो तो!

आज मैंने नोटिस किया कि रति आज मुझसे बिल्कुल चिपक कर बैठी थी और उसके सॉलिड स्तन मेरी चौड़ी पीठ पर पूरी तरह से चिपके हुए थे और दो तीन बार बाइक पर से धक्का लगने पर उस का एक हाथ मेरे लंड पर जा टिका था और वो हाथ को वहीं रख कर थोड़ी देर तक बेसुध सी बैठी रही।
अब मुझ को रति के साथ बाइक का सफर बड़ा ही सुहाना लगने लगा।

जल्दी ही हम कॉलेज पहुँच गए और लंच रिसेस में भी हम दोनों साथ साथ ही थे और फिर छुट्टी के बाद डांस प्रैक्टिस में हम दोनों एक दूसरे को काफी मस्ती भरी निगाहों से देख रहे थे।
डांस करते हुए मेरा हाथ कई बार रति के चूतड़ों पर जा लगता था और उसका हाथ मेरे पैंट में छिपे लौड़े पर आ लगता था लेकिन यह सब जानबूज कर नहीं हो रहा था, यह महज़ एक इत्तेफाक था कि ऐसा कई बार हो गया।

छुट्टी के बाद पहले रति को उसकी कोठी में छोड़ने के लिए रुका और जैसे ही वो अंदर जाने लगी कि चौकीदार ने उसको बताया कि मालकिन तो हमारी कोठी में गई हैं।
फिर रति ने मुझ को भी अंदर आने के लिए कहा।

जब हम बैठक में पहुंचे तो रति का पैर कार्पेट में फंसा और वो गिरने लगी तो मैंने लपक कर उसको अपनी बाहों में पकड़ लिया और गिरने से बचा दिया।
हम दोनों एकदम हक्के बक्के से एक दूसरे की बाहों में पड़े रहे और फिर मैंने थोड़ा सा साहस दिखाते हुए उसके लबों पर एक कामुक चुम्मी जड़ दी और उसको अपनी बाहों में भींच लिया।
रति भी बेसुध हुई मेरी बाहों में मेरे साथ आलिंगनबद्ध हो गई।

हम दोनों एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे और फिर अपने आप ही हमारे होंट एक बार फिर एक दूसरे से चिपक गए।
अब रति एकदम से जोश में आकर मुझको ताबड़तोड़ चूमने लगी जैसे कई सालों की प्यास को बुझाने का अथक प्रयत्न कर रही हो।
हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए आलिंगनबद्ध थे लेकिन तभी बाहर रिक्शा के रुकने की आवाज़ से चौंक कर एकदम से अलग हो गए और अपने आप को संयत करके बैठ गए।

जैसे ही भाभी आई तो उनको प्रणाम करके मैं जाने लगा लेकिन भाभी ने आग्रह कर के रोक लिया और थोड़ा जलपान करवा कर ही जाने दिया।
मैं जाने लगा तो रति और भाभी दोनों ही मुझको कोठी के गेट तक छोड़ने आई और मैंने महसूस किया कि आज भाभी की नज़रों में मेरे लिए ख़ास निमंत्रण था और रति की नज़रों में एक बहुत ही गर्म सन्देश था।

जब घर पहुंचा तो कम्मो बैठक में मुझंको मिली और बोली- छोटे मालिक, आज कुछ देर हो गई लौटने में? वो रति की भाभी आई थी, उनसे सारी बात हो गयी है, भाभी तुमसे चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और वो कह रही थी जितने जल्दी यह काम हो सके तो ठीक है, वैसे वो हर तरह से गर्भाधान के लिए तैयार हैं।

मैं बोला- अगर रति को पता चल गया तो? हम दोनों का इश्क तो खत्म हो जाएगा ना?
कम्मो बोली- रति कहीं नहीं जायेगी, यह मेरी गारंटी है, वो तुम पर पूरी तरह से आशिक है और हर हाल में वो तुमसे भी चुदवा लेगी यह मेरा वायदा रहा!
मैं बोला- कब का प्रोग्राम रखा है?
कम्मो बोली- कल का प्रोग्राम है तुम्हारे कॉलेज से आने के बाद!
मैं बोला- जैसे तुम कहो कम्मो रानी, वैसे में रति को नहीं खोना चाहता।

अगले दिन डांस प्रैक्टिस के बाद मैंने रति को उसकी कोठी में छोड़ा और बिना रुके अपनी कोठी में आ गया।
कम्मो ने मेरे लिए स्पेशल दूध बना कर रखा हुआ था, सबसे पहले वो पिया और फिर कपड़े बदल कर मैं अपने कमरे में लेट गया।
इंतज़ार करते हुए ना जाने कब मेरी झपकी लग गई और कम्मो ने जब जगाया तो भाभी और कम्मो मेरे सामने खड़ी थी।

ना जाने सोये सोये कब मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया और मेरे पायज़ामे में एक पूरा टेंट का खम्बा बन रहा था जिसको देख कर भाभी साड़ी का पल्लू मुंह के आगे रख कर मंद मंद हंस रही थी।
तभी कम्मो ने मुझको जगाया और कहा- उर्वशी भाभी जी आई हैं आपसे मिलने!

मैं घबरा कर उठ बैठा और अपने खड़े लंड को छिपाने की बेहद नाकाम कोशिश कर रहा था लेकिन कम्मो ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- रहने दो छोटे मालिक, भाभी ने आपका खज़ाना देख लिया है, वो उनको बहुत ही पसंद है।
यह कहते हुए कम्मो ने मेरा पायजामा लंड के ऊपर से नीचे खिसका दिया और लंड को पूरा नंगा कर दिया ताकि उर्वशी भाभी अच्छी तरह से उसके दर्शन कर सकें।

भाभी की आँखें विस्मय से फटी की फटी रह गई और वो थोड़ा शरमाती हुई आगे बड़ी और लंड को अपने हाथों में ले लिया।
फिर उन्होंने मेरे लंड के साथ खेलना शुरू कर दिया, कभी लंड के शिखर को देखती थी और कभी उसको ऊपर नीचे करती थी।

अब कम्मो ने भाभी को खड़े होने के लिए कहा और फिर उनके कपड़े एक एक करके उतारने लगी। पहले उनकी गुलाबी बनारसी सिल्क की साड़ी उतार दी और फिर उनके टाइट सिल्क ब्लाउज को भी उतार दिया और उनके सुडौल मम्मे सिल्क की पिंक ब्रा में छुपे रह गए।
फिर एक झटके से भाभी के पेटीकोट के नाड़े को खींच कर खोल दिया और एक सरसराहट से पेटीकोट भी नीचे खिसक गया और अब भाभी की काले बालों से ढकी गुलाबी चूत दिखने लगी और अब मैंने आगे बढ़ कर भाभी की ब्रा को भी खोल दिया और भाभी एक सुंदरता का मुजस्समा बनी हुई मेरे सामने एकदम अल्फ नंगी खड़ी थी और मेरे पायज़ामे का टेंट और भी तनता जा रहा था।

भाभी को नंगी करके कम्मो ने अब मेरी तरफ ध्यान देना शुरू किया लेकिन इससे पहले कि वो मेरे शरीर के किसी कपड़े को छू पाती, भाभी ने उसको रोक दिया और वो स्वयं ही मुझ को निर्वस्त्र करने लगी।
मेरा कुरता उतारने के बाद जैसे ही वो मेरे पजामे की तरफ बढ़ी और उसके नाड़े को खोल कर नीचे किया, वैसे ही मेरा फनधारी नाग एकदम उछला और भाभी के नाक को हल्का प्यार भरा छू कर सीधा सलामी की मुद्रा में खड़ा हो गया।

भाभी थोड़ी सी भौंचक्की हुई लेकिन जल्दी ही सम्भल गई और मेरे लौड़े को चूमने लगी।
मैंने भाभी को प्यार से उठाया और उनको गले लगा लिया और उनके होटों पर एक ज़बरदस्त कामुक चुम्मी जड़ दी।
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फिर मैंने भाभी के सॉलिड और गोल मुम्मों को चूसना शुरु किया और उनके चूचुक को धीरे धीरे अपने होटों में गोल गोल घुमाया और चूसा। एक हाथ भाभी की चूत में डाला और महसूस किया तो वो एकदम गीली हो चुकी थी।

मैं झुक कर भाभी की चूत में मुंह डाल कर उनकी चूत के लबों को चूसने लगा और उनकी भग को थोड़ा चूसा।
भाभी ने अपने दोनों हाथ मेरे सर और बालों में फंसा रखे थे और ज़ोर से मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूत में फंसा रखा था और मैं भी मस्ती में उनकी चूत में भग को चूस रहा था।

अब उनको तैयार हुई देख कर मैं भाभी को लेकर बिस्तर पर आ गया और उनको चित लिटा कर जल्दी से उनकी खुली टांगों में बैठ कर अपने लंड को भाभी की टाइट चूत के मुंह पर रख कर एक हल्का धक्का दिया और धीरे धीरे लंड को पूरा अंदर डाल कर थोड़ी देर रुक गया।

अब भाभी की चूत अंदर से सिकुड़ने लगी और मैं समझ गया कि भाभी शीघ्र ही छूटने वाली हैं, मैंने धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी। जल्दी ही भाभी का शरीर एक हल्की सी कंपकंपाहट के साथ हिलने लगा और मैंने कस कर भाभी को अपने से चिपटा लिया।
भाभी हाय हाय करते हुए झड़ गई लेकिन मैंने फिर धीरे धीरे से भाभी को चोदना शुरू किया और साथ ही अपने मुंह को भाभी के मोटे मुम्मों पर टिका कर चूचियों क चूसना जारी रखा।

अब भाभी को चुदाई का बहुत आनन्द आने लगा और वो चूतड़ उठा उठा कर हर धक्के का जवाब दे रही थी और अपनी आँखें बंद किये हुए ही मेरे से चिपक चिपक कर चुदवा रही थी।
अब मैंने धक्कों की स्पीड तीव्र कर दी, उर्वशी भाभी अपना सर हिलाते हुए फिर एक बार स्खलित हो गई।

कम्मो ने इशारा किया और तब मैं भी अपना छुटाने के लिए तैयार हो गया और लंड द्वारा भाभी के गर्भाशय द्वार को ढून्ढ कर अपने लंड पिचकारी छोड़ दी।
कम्मो ने जल्दी से भाभी के चूतड़ों के नीचे एक तकिया रख दिया और उनकी चूत पर एक मोटा तौलिया भी रख दिया ताकि वीर्य सारा का सारा चूत के अंदर ही रहे जिससे गर्भाधान की सम्भावना बढ़ जाती है और भाभी की टांगें भी हवा में ऊपर कर दी कुछ समय के लिए!

भाभी के साथ मैं थोड़ी देर के लिए लेट गया और उनके शरीर पर हल्के हल्के हाथ फेरने लगा जिससे मुझको बड़ा ही आनन्द आ रहा था।
थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे और फिर भाभी ने आँखें खोली और मुझको ताबड़तोड़ लबों पर चूमने लगी और मैं भी उनके जवाब में भाभी को चूमता रहा।

अब भाभी का एक हाथ मेरे लौड़े पर पड़ा हुआ था और वो उसको सहलाने की कोशिश करने लगी ताकि वो फिर से खड़ा हो जाए लेकिन मेरा लंड तो अपने आप खड़ा था तो भाभी को ज़्यादा ज़हमत नहीं उठानी पड़ी।
मेरे अकड़े हुए लेकिन गीले लंड को कम्मो ने तौलिये से साफ़ किया और कहा- भाभी को घोड़ी बना कर चोदो।

भाभी बोली- यह घोड़ी कैसे बनना होता है? मैं तो पहले कभी घोड़ी बन कर नहीं चुदी। ठाकुर साहिब तो सिर्फ इसी तरीके से चोदा करते हैं जैसे सोमू ने अभी चोदा… वैसे ही चोदते आये हैं आज तक!
मैंने भाभी से पूछा- क्या तुम कभी घोड़ी बन कर नहीं चुदी? क्या तुम्हारा कभी चूत से पानी नहीं छूटा?

भाभी बोली- नहीं तो कभी पानी नहीं छूटता लेकिन आज सोमू से चुदा कर तो बहुत ही आनन्द आया और मुझको लगा कि मेरे अंदर से कुछ पानी छुटा है, लेकिन वो गया कहाँ?
कम्मो ने भाभी को उठा कर बैठाया और बिस्तर पर पड़े पानी के दाग भी दिखाए।
भाभी एकदम हैरान हुई देख रही थी।

तब कम्मो बोली- लगता है आप कभी भी अपने पति से संतुष्ट नहीं हुई थी। क्यों सच है ना?
भाभी कुछ सोचते हुए बोली- हाँ, ठीक कह रही हो तुम शायद, मुझको आज तक ऐसा आनन्द नहीं आया जैसे कि सोमू ने आज मुझको दिया है।

अब कम्मो ने भाभी को घोड़ी बना दिया और मुझको इशारे से कहा कि चढ़ जाऊं पीछे से और मैं भी जल्दी ही भाभी के चूतड़ों के पीछे से भाभी की चूत का निशाना बनाया और हल्के से धक्का मारा और भाभी की टाइट चूत में लंड को घुसेड़ दिया और भाभी एक बार बिदकी और जब लंड पूरा अंदर समा गया तो वो सामान्य हो गई तो मैं भी हल्के धक्कों से शुरू कर तेज़ स्पीड पर आ गया।
भाभी भी आनन्द लेती हुई चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी।

दस पंद्रह मिनट की चुदाई के बाद भाभी बहुत ही ज़ोर से झड़ गई और उनका सारा शरीर एक झनझनाहट से हिलने लगा। मैंने अब काफ़ी तेज़ी से घुड़दौड़ शुरू कर दी और फिर लंड को पूरा निकाल कर फिर अंदर डालने की प्रक्रिया शुरू कर दी और भाभी और भी तेज़ी से मेरे हर धक्के का जवाब देने लगी।

अब कम्मो के इशारे पर मैंने भाभी की चूत में उनकी बच्चेदानी का मुंह ढूंढ कर ज़ोरदार वीर्य की पिचकारी मार दी।
इससे पहले कि भाभी पलंग पर लेटती मैंने कस कर उनके चूतड़ों को पकड़ लिया और उनको ऊपर ही उठाये रखा और कम्मो ने उनके पेट के नीचे मोटा तकिया रख दिया।
भाभी आँखें बंद कर के पेट के बल चित लेटी रही।

मैं उठा और बाथरूम में जाकर अपनी सफाई करके आ गया।
कम्मो ने फिर भाभी को पलंग पर लिटा दिया और उनसे आहिस्ता से बातें करने लगी और मैं दोनों को छोड़ कर बैठक में आ गया।

कहानी जारी रहेगी।
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