मुझे रण्डी बनना है-11

(Mujhe Randi Banna Hai-11)

This story is part of a series:

इतने में सुनीता कस्टमर से चुदवाकर बाहर आई। मैंने उसे मौसी ने जो कहा वो बताया तो बोली- बिल्कुल सच है, मुझे यह सब भाने लगा है। साले मूछ पे ताव देने वाले मर्द भी हमारे भोसड़े पे सब कुर्बान करने चले आते हैं.. पर मैं सिर्फ और एक हफ्ता रुकूँगी, फिर तुम्हें यहाँ रहना है तो रहो मुझे ट्रेन में बिठा देना।

यह सुनकर मुझे शांति हुई।

इस बीच डोना ने अपने कस्टमर के साथ दूसरा राउंड ख़त्म किया और तीसरे राउंड के लिए राजा और उस्मान को तैयार कर रही थी। लगता था सारी कसर एक ही झटके में पूरी करना चाहती थी। अब साली ने उस्मान का लौड़ा गाण्ड में और राजा का लौड़ा भोसड़े में लेकर दोनों से चुदवाना चालू किया। इतने एसी से ठन्डे हुए कमरे में भी तीनों जन पसीने से लथपथ हो गए थे। मगर कोई भी हार नहीं मान रहा था।

और आखरी राउंड में तो थोड़ा-थोड़ा करके कामशास्त्र के सारे दाँव आजमा लिए।

यह देख कर नीला बोली- साली के पास सीखना पड़ेगा। इसने तो जूली को ही पीछे छोड़ दिया? साली जूली को तगड़ा कमीशन मिलेगा।

मैं- क्यों? वो क्यों?

मौसी- डोना को जूली लाई ना ! इसलिए कमीशन उसको। मैं सबको इस तरह कमीशन देती हूँ। तुझे कमीशन के बदले इन रण्डियों को मुफ्त में चोदने देती हूँ।

मैं- वो तो मैं इनके लिए कस्टमर लाता हूँ इसके लिए। फिर मेरी बीवी का कमीशन?

मौसी- चल अब नाराज मत हो जाने के वक्त दे दूँगी।

रात होते ही सब सोने चले गए क्योंकि डोना ने रात भर के लिए सौदा बढ़ा दिया। अबकी बार पैसे राजा ने दिए। डोना अधनंगी हालत में बाहर आकर मौसी को पैसे दे गई। नीला की आँखें चार हो गई।

नीला- जीजू, मुझे भी कमाना है और मस्ती करनी है। इसलिए तुम एक हफ्ता और रुकने वाले हो तो मेरे लिए भी ऐसा कस्टमर ढूँढो न और आज की रात मेरी सेक्स की पढ़ाई शुरू करो।

उस रात मैंने नीला को चुदने के दाँव सिखाए और कहा- सिर्फ मालदार आसामी के साथ ही ऐसे दाँव खेलना, बाकी ग्राहकों को 1/2 घंटे में चोद के भगा देना है।

आखिर में हम दोनों मिंया बीवी का रण्डी और भड़वा बनने का शौक इस तरह पूरा हुआ। एक हफ्ता ख़त्म हो गया इस बीच मैंने नीला के लिए तगड़े कस्टमर ला दिए और उसकी भी टॉप की रण्डियों में मौसी के यहाँ गिनती होने लगी। वो भी हफ्ते में न न करते 10,000 रुपे कमा लेने लगी। उसने भी बदले मुझसे मस्त तरीके चुदवाया।

मौसी ने सब रण्डियों को कमरे में बिठाया और डीवीडी चालू किया और:

मौसी- देखो, सब कैसे कस्टमर से ख़ुशी ख़ुशी चुद रही है। और राजू भी कैसे चोद रहा है नीला को।

मैं- यह तुमने कब किया? अरे इसको नेट पे मत डालो लफड़ा हो जाएगा..

मौसी- चुप रे बे साले ! ऐसा नहीं करूंगी नहीं तो मेरे कोठे पे रण्डी बनने आने वाली औरतों का भरोसा उठ जाएगा। राजू, तुम्हारी बीवी के लिए यह भेंट है।

उस सीडी में पहले जाहिदा की, फिर जूली की, सुशी की, फिर मैं खुद मौसी को चोद रहा था उसकी, रानी की और आखिर में डोना की पहली दो कस्टमर से हुई चुदाई और आखरी में मेरे साथ हुई चुदाई की वीडियो थी। मौसी ने सुनीता की अलग डीवीडी बनाई थी जिसमें सुनीता एक एक करके कस्टमर को अन्दर ले जाती है और चुदवाकर बाहर भेज देती ! सब लाइन में बैठे दिखाई देते हैं। उस दिन उसने हद कर दी, चड्डी पहनी ही नहीं। चोद कर जाने वाले कटमर को कहती थी कि अगले कस्टमर को अन्दर भेज दे।

आखिर में नंगी ही बाहर आई, पानी पिया और

सुनीता- तुम दोनों बचे हो ! बोलो, दोनों एक साथ चोदोगे?

वो दोनों तैयार हो गए ! उसने दो कस्टमर एक साथ लिए एक से गाण्ड मरवाती तो दूसरे से चुदवाती थी।

मैं- मौसी, मैंने कहा था न कि सीमा की फ़िक्र मत कर, सब कस्टमर निपटा देगी।

मौसी- साली ऐसी राण्ड तू पहले होगी जिसने 2 घंटे में 10 को चढ़वाया हो। तू गए जन्म राण्ड ही होगी और चुदवाते चुदवाते मर गई होगी।

सुनीता- हो सकता है। मगर मैंने किसी कस्टमर को नाराज नहीं किया और सबको बोल दिया यहाँ से मैं गई तो क्या हुआ और नई आएगी और बाकी रण्डियाँ तो है। कल्पना, मैं तेरी कर्जदार हूँ जो तुने मेरी यहाँ खातिरदारी की और लोगों की चहेती राण्ड बनने में साथ दिया।

मौसी- मेरा शुक्र अदा मत कर। यह तो तेरे समझदार राजू के कारण यह मौका मिला वर्ना तुझे यह सब चोरी छुपे करना पड़ता और फिर न जाने क्या होता?

मैं- मौसी, मैंने कंपनी का बहुत सामान बेचा है, मैं बहुत जाना माना सेल्स एग्जिक्यूटिव हूँ पर रण्डियाँ बेचने का और उनको मुफ्त में चोदने का मौका तेरे कारण मिला। मेरी और मेरे बीवी की तमन्ना पूरी हुई। अगर कभी इच्छा हुई तो फोन करके आ जायेंगे।

आखरी दिन मौसी के कोठे की सभी रण्डियाँ नीला, सुशी, जाहिदा, रानी, जूली, डोना और मौसी ने हमें विदा किया, सब एक दूसरे के गले मिली। हम दिल्ली स्टेशन के लिए निकल पड़े। सुनीता को बुरका पहनाया था ताकि कोई पहचाने ना। हमने दिल्ली देखी और आज ही लौट रहे हैं।

इतना कहकर सुजीत बोला- जानते हो? डोना मुझे घास नहीं डाल रही थी। फिर आने के चार घंटे पहले मैंने डोना के लिए भी मालदार ग्राहक लाकर दिया तो बदले में उसकी भी चुदाई की। साली की छाती पर मैं क्या कोई भी कुर्बान हो जाएगा, वैसी थी। मेरे लौड़े की वो बहुत आशिक हो गई थी। पर मैं वहाँ के मायाजाल से छूटना चाहता था। औरत एक समंदर है उसमें आदमी ज्यादा तैर नहीं सकता। उसके भोसड़े में चाहे जितना पानी डालो, वो प्यासा ही रहता है। फिर भी डोना तो साली क्रीम बिस्किट के जैसे थी। साली की दो टाँगों के बीच में जादू है।

तो हरेश जी कैसे लगी?

मैं- सच नहीं लगता ! आपकी बीवी तो सुशील दिखाई देती है।

इतने में सुनीता सुजीत को हटाकर मेरे बगल में बैठ गई। आखरी स्टेशन अहमदाबाद था और आने में सिर्फ 10 मिनट की देर थी। उसने अपनी पर्स में से चार फोटो निकाले। एक में वो तंग कपड़ों में रण्डी के लिबास में ग्राहकों की राह देख खड़ी थी, दूसरे फोटो में वो एक के गले में हाथ डालकर नंगी खड़ी थी, तीसरे में वो और बाकी रण्डियाँ नंगी खड़ी थी।

उसने सबके नाम बताये और आखरी फोटो में डोना नंगी थी। सच में फोटो में भी डोना के नरियल बड़े बेताब कर रहे थे। फोटो देखकर मुझे यह कहानी सच लगने लगी।

उतने में सुनीता ने मेरे लौड़े हो छुआ और बोली- सुजीत, इस भड़वे के लौड़े ने मान लिया कि हमारी कहानी सच है। मैं तो चाहती हूँ कि इसके लौड़े को मैं ले लूँ ! टनाटन हो गया है। इधर अहमदाबाद में स्टेशन के पास बहुत होटल हैं। यह भड़वा चोदेगा और मज़ा करेगा तो होटल का भाड़ा भी भरेगा और हमें खाना भी खिलायेगा पैसे नहीं लूंगी इस भड़वे से !

मैं मन ही मन सोचने लगा कि सुनीता के दिमाग से रण्डी बनने का भूत उतरा क्यों नहीं था। साली को ट्रेन में मौका मिलता तो धंधा कर लेती। उसके कोठे वाली मौसी ने जो कहा था वो सोलह आने सच था- बिना मेहनत जांघें फैलाकर लौड़े लेकर पैसे कमाने की आदत हो गई तो फिर छूटना मुश्किल।

क्या मैं सच कहता हूँ या झूठ? इसके बारे में पराये लौड़े को लेने वाली औरत और उसके पास चोदने जाने वाले मर्द जरूर बता पायेंगे।

सुजीत- सुनीता रण्डी बनने का तुम्हारा शौक पूरा नहीं हुआ क्या?

सुनीता- नहीं रे (मेरे लौड़े को दबाते हुए) इस लौड़े को देखकर और इसे सेक्सी किताब पढ़ते हुए देखकर मन कर रहा है। बस ये एक आखरी बार। फिर कभी नहीं।

मैंने सुजीत से पूछा- दिन कैसे शुरू होता था?

सुजीत- सुबह होते ही रात वाले ग्राहक चले जाते थे फिर रण्डियाँ थोड़ा आराम कर लेती, नहा-धोकर जाहिदा, रानी नमाज पढ़ती थी, सीमा, मैं, मौसी, नीला और सुनीता पूजा-पाठ करती, जूली, सुशी, मोमबत्ती जलाकर जीजस के फोटो के सामने प्रार्थना करती थी। आखिर में डोना उनके साथ जुड़ गई। फिर अपनी कमाई गिनने बैठ जाती। मौसी को उसका हिस्सा देकर बाकी अपने कमरे में पेटी में रख देती। सुनीता के पैसे मैं सम्भालता था।

सुजीत- सुनीता, तुम्हें पहले-पहले कैसा लगा था?

सुनीता- वैसे जाहिदा ने सब सिखा दिया था, पर मैं डर गई थी। फिर अचानक मुझे जाहिदा ने सिखाया था कि डर लगे तो कस्टमर के पास देख कि पैसा खर्चने वाला है। ठीक लगा तो उसको बाहों में लेकर चूम और आस्ते से लौड़ा दबा दो। ऐसा ही किया और डर गायब और ग्राहक चोदने के लिए तैयार।

सुजीत- हाँ, मैंने मौसी के कमरे में लगे टीवी पर देखा। मौसी भी खुश हुई थी।

बातें करते करते हम तीनों होटल पहुँच गए और पूरे दिन के लिए होटल का कमरा बुक किया। मैंने सुनीता को जम के चोदा और सुजीत ने जम के सुनीता की गाण्ड मारी क्योंकि सुजीत को कोठे पर सुनीता की गाण्ड मारने का मौका नहीं मिला था। सुनीता का कस्टमर से चुदवाने में समय चला जाता था और मौसी ने दोनों को एक दूसरे से दूर रहने को भी कहा था।

मैंने और सुजीत ने एक ही व़क्त पर सुनीता को आगे से और पीछे से चोदा। जब सुजीत भोसड़े में डालता था तब मैं सुनीता की गाण्ड में डालता था, वैसे मैं सुनीता के भोसड़े में लौड़ा डालता तब सुजीत उसकी गाण्ड मारता।

सुजीत- यार सही में बहुत सकून मिलता है गाण्ड मारने में !

मैं- तो फिर एक बार मरवा के भी देखो। सारे अरमान पूरे हो जाएंगे।

मैंने उसको घोड़ा बनने कहा और उसकी गाण्ड थूक लगा कर चिकनी की और हल्का झटका देते हुए डाल दिया लौड़ा उसकी गाण्ड में !

सुजीत- धीरे ! कितना कड़क है रे?

सुनीता- सुजीत, फ़िक्र मत करो, पहली बार गाण्ड में लौड़ा लेते वक्त तकलीफ होती है ! एक बार अन्दर चला गया फिर आसमान की सैर करने का मज़ा आयेगा। जब मैंने राजा बाबू से गाण्ड मरवाई तब ऐसे ही हुआ था अब तो उसके बगैर नहीं चलता। मैंने कोठे पे 10 दिन में नब्बे से चुदवाया उसमें मेरे ख़ास तीस कस्टमर से जमकर गाण्ड मरवाई।

फिर क्या था सुजीत ने मुझसे गाण्ड भी मरवाई और मेरी भी गाण्ड जम के मारी। दोनों ने मुझे इतना मजबूर किया कि एक महीने तक मैं सेक्स के बारे में सोचता भी नहीं था। हाथ पैर दुखते थे, अपनी बीवी को भी चोदने से डरता था। फिर हम चेक आउट करके स्टेशन गए जहाँ सुजीत और सुनीता ने आखरी बार के लिए टाटा बाई बाई किया और कहा- जैसे घर पहुँचूंगी और दहलीज पर कदम रखूँगी रण्डी से गृहिणी बन जाऊँगी।

दोनों ने अपने पीछे कोई एड्रेस नहीं छोड़ा वर्ना उस राण्ड को उसके शहर में जाकर जरूर चोद लेता और सुजीत की गाण्ड मार लेता।

मगर सुजीत ने मेरा फोन नंबर लिया था तो कल ही बताया कि वो अमरीका चला गाया है बड़ी कंपनी में काम करता है बीवी गृहिणी है और सुजीत के बच्चे की माँ बनने वाली है।

सुजीत- हरेश कैसे हो? पहचाना? ट्रेन वाला किस्सा याद है? मुझे मेरी ऑफिस ने अमेरिका कि जिम्मेदारी दे दी और घर, गाड़ी दी है.. लो सुनीता से बात करो !

सुनीता- क्यों हरेश? कैसे हो? मेरे जैसी कोई मिली या नहीं?

मैं- नहीं, साली तू तो ऐसी राण्ड है मलाई है मलाई। तुझे राण्ड बुलाया तो बुरा लगा क्या?

सुनीता- नहीं रे ! मैं उस समय रण्डी ही थी और तेरे साथ भी राण्ड बाजी की ना ! मेरे बचपन की तमन्ना पूरी हुई। मुझे सारे लौड़े याद हैं कोई छोटा, कोई बड़ा, कोई पतला, कोई काला तो कोई लम्बा। मगर एक कस्टमर का टेढ़ा लौड़ा बहुत भा गया था मैंने उसे चोदने के पहले चिड़ाया कि वो क्या टेढ़ा होकर चोदेगा? तो उसने हंसकर कहा था- लौड़ा अन्दर ले सब पता चल जाएगा !

साले ने पूरे पैसे वसूलकर लिए। मुझे पसीना ला दिया.. कोई कोई तो अन्दर डालने के पहले छूट जाता था। मगर मैं उनको दुबारा तैयार कराती और चोदने का पूरा मज़ा देती। इस बात के कारण एक कस्टमर दो दिन समय निकालकर चोदने आता था और साथ में नाश्ता जूस ले आया था। याद करेंगे साले कि ऐसी दिल वाली रण्डी भी हो सकती है।

एक गम रहेगा कि जो मस्ती कल्पना मौसी ने मेरे साथ की, वैसा मज़ा मैं डोना के साथ न कर सकी। अब सब बंद हो गया ! मौका मिलेगा तो एकाध दिन के लिए कल्पना के कोठे पर मिल आऊँगी और सुजीत ने इज़ाज़त दी तो दुबारा 2-3 दिन रण्डी बनूँगी।

सच है कि एक बार पराया लौड़ा भोसड़े में घुसा और वो भी मर्द की इजाजत से फिर इच्छा बढ़ जाती है। मेरे बारे में जरूर लिखना ताकि मेरे जैसी कोई हो तो बिना बताये अनजाने शहर में कोठे पे रण्डी बाजी कर ले। मुंबई, दिल्ली में ऐसे बहुत कोठे हैं जहाँ अपनी पहचान छुपाते हुए बहुत सारी औरतें शौक से रण्डी बन जाती हैं। चलो अब सुजीत को काम पर जाना है। बाय !

इतना कहकर उसने फोन बंद कर दिया और मेरा लौड़ा तनक गया, तुरंत बीवी को मनाया और जम के चोद लिया।

कैसी लगी यह कहानी? अपने विचार जरूर भेजना।
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2011

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