चूत में भूत-2

(Choot Mein Bhoot- Part 2)

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रोमा बहुत खुल गई थी, बातों बातों में मैंने सोना के बारे में पूछ लिया। रोमा ने बताया कि सोना बहुत सुंदर है। साली को अपनी सुन्दरता पर घमंड बहुत है।

मैं रोमा से बोला- तुम मुझे सोना की चूत दिलवा सकती हो या नहीं?

रोमा बोली- साली की चूत में खुजली तो अच्छी हो रही होगी क्योंकि दो महीने से उसका पति गाँव नहीं आया है, लेकिन वो चुदने को आराम से तैयार नहीं होगी। कुतिया की चूत के पास एक दाना हो गया है, मुझसे कहती रहती है कि कोई लेप बताओ, मुझे दिखाया भी था। पूरी चिकनी चूत रखती है, चोदने में मज़ा खूब देगी।

मैंने रोमा को कहा- आप उसे यह जरूर बताना कि मैं चूत का भूत भगा देता हूँ ! बाकी उसकी चूत बजाना मुझ पर छोड़ दो !

रोमा बोली- ठीक है अगर तुमने उसे चोद दिया तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा।

थोड़ी देर बाद ४ बजे रमेश वापस आ गया। हम लोगों ने चाए पी और आराम करने लगे। रमेश ने बताया कि उसने दो बार बसंती की चूत चोदी और एक बार उसके मुँह में लण्ड डाल कर अपना लण्ड रस उसे पिलाया।

५ बजे सोना रोज की तरह रोमा से मिलने आ गई। मैंने रमेश से कहा- मैं और तू आज सोना की चूत तेरे घर में ही मारेंगे ! बस तू भाभी के पास जाकर इसके सामने मेरी तारीफ़ कर और इससे बोल कि मैं भूत भगाने में मास्टर हूँ।

रमेश अंदर चला गया और रोमा के पास जाकर सोना से मेरी तारीफ़ करने लगा। थोड़ी देर बाद रोमा भाभी मुस्कराती हुई आई और बोली- चलो भाईसाहब, आप को सोना से मिलाती हूँ, वो आपसे मिलने को बेचैन है।

मैं, भाभी रमेश और सोना अब रोमा भाभी के कमरे मैं बेठे थे। सोना के संतरे गोल गोल और बाहर की तरफ निकल हुआ थे, चेहरा बहुत सुंदर था। सोना को देखकर तो बूढ़ों का भी लण्ड खड़ा हो जाता होगा ! वो गज़ब का माल थी। उसकी देहाती साड़ी में से उसकी गोल नाभि उसके पेट को सहलाने के लिए मुझे उकसा रही थी। मेरा मन कर रहा था- साली को नंगा कर अभी चोद दूं ! लेकिन मैं खेल नहीं बिगाड़ना चाहता था। रोमा ने सोना से मेरा परिचय कराया, भाभी बोली- यह राकेश भाईसाहब हैं, इन्हें भूतों के बारे में बहुत ज्ञान है ! जब से इन्होंने मेरे घर का भूत भगाया है, मेरे आदमी की तनख्वाह बढ़ ही रही है। अब रमेश खुश भी काफी रहते हैं।

मैंने रमेश को हल्का सा जाने का इशारा किया, रमेश बोला- रोमा, मैं बच्चों को देखकर आता हूँ।

रमेश के जाने के बाद रोमा बोली- सोना जो रात को मुझे भूत तंग करता था, जैसा मैंने तुझे बताया था, वो भी इन्होंने आज भगा दिया। बस एक बार इन्होंने रमेश के सामने मुझे नंगा कर के मेरा बदन सहलाते हुआ कुछ मन्त्र पढ़े थे। बहुत अच्छे हैं भाईसाहब ! तू अपनी परेशानी क्यों नहीं बताती इन्हें?

सोना कुछ शरमा रही थी। रोमा बोली- भाई साहब, इसको देखकर ही बता दो कि इसमें कोई भूत तो नहीं है ! साली के शरीर में पूरे दिन खुजली होती रहती है। पति शहर में एक फैक्ट्री में गार्ड है, उसकी तनख्वाह भी कम है। दो महीने में छुट्टी मिलती है उसे ! इसको चेक कर दो इसके अंदर तो कोई भूत नहीं है !

रोमा बोली- सोना शर्मीली है, मेरी तरह नंगी तो नहीं हो सकती, लेकिन आप देखकर ही कुछ बता दो !

मैं चुप सा रहा, फ़िर मैंने कहा- अगर यह मुझे अपनी पेट की नाभि छुने दें तो मैं कुछ बता सकता हूँ !

रोमा ने सोना की तरफ देखा, हलके से वो मुस्कराई और उसने धीरे से कहा- ठीक है !

रोमा ने कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया।

भाभी बोली- सोना, अपना साड़ी का पल्ला हटा ले !

सोना ने पल्ला हटा लिया। अब उसके ब्लाऊज़ में से तनी हुई चूचियां और सुन्दर सा पेट पूरा खुला हुआ दिख रहा था। अपना हाथ मैंने सोना की नाभि के ऊपर रखकर उसके पेट को हल्का हल्का सहला दिया और धीरे से एक ऊँगली उसकी नाभि में घुसा कर उसे गोल गोल घुमाने लगा। उसके मुँह से हल्की हल्की सी उहऽऽ ऊह की आवाज़ निकल गई। मैं समझ गया कि तीर सही निशाने पर जा रहा है।

मैं बोला- भाभी इसके अंदर भी भूत है लेकिन शीशा चाहिए बड़ा वाला !

रोमा बोली- शीशा तो बाथरूम में है !

थोड़ी देर में मैं, रोमा और सोना बाथरूम में थे। मैंने सोना को शीशे के सामने खड़ा कर दिया और पीछे से मैंने हाथ उसकी कमर में डाल दिए।

मैंने पूछा- अगर आपको दिक्कत हो तो बता देना !

सोना कुछ गरम दिख रही थी, उसने इस बार बोलते हुए कहा- नहीं भाई साहब ! आप भूत भगाइए, मुझे अच्छा लग रहा है !

शीशे में से बिना पल्लू के उसके ब्लाउज में बंद दूध गज़ब के सेक्सी लग रहे थे। मैंने पीछे जाकर उसकी गांड से अपना तना हुआ लौड़ा सटाकर ५-६ बार उसका पेट चारों तरफ से सहलाया। सोना गरम होना शुरू हो गई। मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी साड़ी की गांठ के पास से अंदर घुसा दी और धीरे धीरे उसको सहलाने लगा। मेरा लण्ड लोहे की रोड की तरह हो रहा था। सोना भी और गरम हो रही थी, उसकी आँखे भी बीच बीच में कामाग्नि से बंद हो रही थीं।

रोमा भाभी ने मुझे आँख मारी और सोना से बोली- सोना तेरी साड़ी पानी में ख़राब हो जायेगी। तू इसे उतार क्यों नहीं देती !

मैंने सोना को अलग किया उसने शरमाते हुए अपनी साड़ी उतार दी। अब वो पेटीकोट और ब्लाउज में थी।

मैं बोला- सोना जी, मेरी भी पैंट और शर्ट ख़राब हो रही है, आप को बुरा न लगे तो मैं भी यह उतार दूं !

सोना नीचे सर करके बोली- उतार दीजिये !

मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए। अब मैं चड्डी, बनियान में था। मेरे लण्ड का उभार बिलकुल साफ़ दिख रहा था। मैंने आगे बढ़कर सोना की नाभि में अपना मुँह लगा दिया और पूरे पेट पर अपनी जीभ फिराने लगा और उसकी नाभि चाटने लगा। ५ मिनट तक मैंने उसके पेट की खूब चूमा चाटी की।

रोमा मुस्कुराते हुआ बोली- भाई साहब ! भूत का पता चला या नहीं !

मैं बोला- भाभी ! सोना को दो भूतों ने पकड़ रखा है- एक पुराना है और एक नया है। पुराना वाला इसकी चूत का रस पी रहा है और उसने इसकी चूत में बड़ा सा दाना कर दिया है। नया वाल सोना की चूचियों का रस पी रहा है, अगर उसे नहीं भगाया गया तो चूचियों पर भी चूत जैसा दाना उग आएगा। उसके बाद यह और जगह चूसेगा। अगर यह भूत जल्दी नहीं भागे तो ३-४ महीने में सोना के शरीर पर दाने दाने ही होंगे।

चूत में दाने की बात सुन सोना चौंक सी गई बोली- तो भाई साहब ! भूत भगाइए जल्दी भगाइए !

मैं चुप रहा। रोमा भाभी बोली- भाई साहब तो भूत भगा देंगे लेकिन नंगा तो तुम्हें होना पड़ेगा।

सोना बोली- मुझे बहुत शर्म आती है, मैं नंगा नहीं होना चाहती।

सोना बोली- भाई साहब ! बिना कपड़े उतारे अंदर हाथ डालकर भूत नहीं भगाया जा सकता?

मैंने कहा- ठीक है, कोशिश करते हैं ! लेकिन ब्लाउज तो उतार दो ! बाथरूम में तो सभी नंगे नहाते हैं और थोड़ा सा तुम्हारा माल हम देख भी लेंगे तो क्या खराबी है !

सोना शरमाते हुआ बोली- आप ही उतार दो जी !

अब मैंने ब्लाऊज़ के ऊपर से उसकी चूचियां कस कस कर दबायीं और उसकी ब्लाउज और ब्रा उतार दिए। उसकी नंगी चूचियाँ फड़फड़ाकर बाहर निकल आईं। सोना के दोनों कबूतर नंगे देखकर मेरे लण्ड को एक कस कर झटका लगा। गज़ब की हसीन चूचियां थीं। जिसे मैंने दो तीन बार कस कस कर दबा दिया.मेरे लण्ड से थोड़ा सा वीर्य निकल गया था। अब सोना नग्न-वक्ष एक पेटीकोट में खड़ी थी। मैंने रोमा भाभी को आँख मारी और बोला- आप अपने कमरे में बेठो ! मैं इसकी चूत का भूत उतरता हूँ !

रोमा भाभी बाहर चली गई। सोना पेटीकोट में अर्धनग्न खड़ी थी, उसके बूब्स तने हुए चूत चोदने का निमंत्रण दे रहे थे। मैंने अपनी बनियान उतर दी। सोना शीशे के सामने खड़ी थी। उसके पीछे जाकर मैंने सोना के दोनों दूध अपने हाथों में कैद कर लिए और उन्हें मसलने लगा। नरम नरम और कसे हुआ स्तनों को दबाने का में पूरा मज़ा ले रहा था। सोना के चुचूक भी गोल गोल नौचते हुआ उमेठ रहा था। उसके मुँह से उह आह आह आह की आवाजें निकल रही थीं, मैंने अपना मोटा लण्ड कस कर उसकी गांड में चिपका रखा था।

सोना उत्तेजित हो चुकी थी, उसकी चूत लौड़ा खाने को तैयार हो गई थी। मैंने पेटीकोट के ऊपर से सोना की चूत खुजला दी। सामने शीशे में सोना का हसीन बदन दिख रहा था जो मुझे चोदने को उकसा रहा था। सोना गरम थी, वो बोली- आप मुझे चाहो तो नंगा कर दो लेकिन भाभी को मत बताना।

मैं मुस्करा दिया। मैंने धीरे से सोना के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और पीछे से अपने को ढीला छोड़ दिया। सोना का पेटीकोट सरकता हुआ नीचे गिर गया। अब पूरी नंगी थी उसकी सेक्सी बुर शीश में और सेक्सी लग रही थी। उसकी चूत को मैं अपनी उँगलियों से सहलाने लगा। सोना का चूत-रस जोरों से बह रहा था। मैंने अपना अंडरवियर नीचे कर दिया। मेरा गरम लौड़ा उसकी गांड से टकराया वो आह उह्ह की सिस्कारियां लेने लगी।

मेरा नंगा गरम लण्ड उसके चूतड़ों पर फिर रहा था। अब वो चुदने को पगला रही थी लेकिन कह नहीं पा रही थी। उसकी साँसे जोरों से चल रही थीं।

वो बोली- अभी भूत कितनी देर में भागेगा? कमीने ने अंदर आग लगा रखी है ! जल्दी मारो इसे ! मुझे बहुत शर्म आ रही है !

मैं बोला- साला तुम्हारी चूची वाला भूत तो भाग गया है और कमरे में घूम रहा है, लेकिन चूत वाला और अंदर चूत में घुस गया है, उसकी लण्ड से पिटाई करनी पड़ेगी।

सोना बोली- क्या ? यानि कि तुम मुझे अब चोदोगे? नहीं नहीं ! मैं नहीं चुदुंगी ! अगर गाँव वालों को पता चल गया तो मुझे गाँव से निकल देंगे और मैं तो रंडी बन जाउंगी।

तीसरा और अन्तिम भाग शीघ्र ही !

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