अठरह की उम्र में लगा चस्का-2

(Atharah Ki Umar Me Laga Chaska-2)

This story is part of a series:

उसने मुझे कहा कि उसके दोस्त का घर खाली है, कहो तो चल सकते हैं।
मैंने कहा- ठीक है।

मैं उसकी बताई जगह पर पहुँच गई, जहाँ से बबलू ने मुझे अपनी बाईक पर बिठाया, जब वहाँ पहुँचे तो एक बहुत हैण्डसम लड़के ने दरवाज़ा खोला, हमें अंदर घुसवा जल्दी से दरवाज़े को बंद कर दिया।

हम बैठे बियर डकार रहे थे कि एक और लड़का आया, बाथरूम से निकला था नहा कर, उसने तौलिया लपेट रखा था, उसका चौड़ा सीना जिस पर घने बाल थे, देखने में ही एक पूरा मर्द था। उसको देख मेरा तन मचलने सा लगा।
“बहुत खूबसूरत हो !” वो बोला।
मैं मुस्कुरा दी, वो मेरे करीब आया… मेरे कन्धों पर हाथ रखते हुए बोला- क्या मम्मे हैं तेरे !

दोनों हाथों से पकड़ उसने दबा डाले, मैं पागल सी होने लगी थी, उसने मेरे कमीज में हाथ घुसा कर मेरे मम्मे दबाये तो मेरा दिमाग घूम गया, मैंने तौलिये के ऊपर से ही में उसका लंड पकड़ लिया।
हाय ! बहुत बड़ा था उसका लौड़ा !

उसने एक झटके में मेरी कमीज़ उतारी, मेरी सलवार का नाड़ा खींच दिया, सलवार का नाड़ा फ़र्श चूमने लगा।
इतने में बबलू और रॉबिन ने मुझे कहा- जानेमन, हम भी हैं यहाँ !

उसने चार मग में बियर डाली, जोर देने पर मैंने पी ली, मुझे नशा होने लगा, मैंने रॉकी की कमर से तौलिया खींच दिया, उसका सांप सा लंड मेरे सामने था, मैंने लण्ड को अपने हाथ में पकड़ा और सहलाने लगी। तीनों लड़के नंगे हो गए, मैं भी नंगी हो गई, फिर पूरा दिन स्कूल के टाइम तक सेक्स का वो खेल खेला गया जिसको मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती, रंडी बन कर मैंने उस दिन अपने दोनों छेद चुदवाये थे।
खैर ये तो थे अपने पति मिस्टर गुप्ता से मिलने के पहले के कुछ लम्हें !

गुप्ता जी ने ऑफिस में ही अपनी जिप खोल दी और अपना लंड निकाल कर सहलाते हुए बोले- पकड़ न अपनी अमानत !
और सात-आठ इंच के लंड को मेरे हाथ में दे दिया।
“सर, बाहर सब क्या सोचेंगे? मैं मुफ्त में बदनाम हो जाऊँगी, सब आपसे मेरा नाम जोड़ कर छेड़ेंगे !”
“मैं तो तेरा नाम जिंदगी भर के लिए अपने नाम से जोड़ दूँगा ! मैं तुझपे मर मिटा हूँ मेरी लाडो रानी, जल्दी से एक बार मुँह में लेकर चूस दे, सच में सर बहुत देर हो गई अंदर आई को !”
फ़िर बोला- सेक्सी ब्रा-पैंटी खरीदा कर !
“मैं किसी अमीर की लड़की नहीं हूँ सर !”

“यह सर-सर क्या है? गुप्ता हूँ तेरे लिए मैं !” उसने दराज़ से नोटों की गड्डी निकाली, मुझे बिना गिने पकड़ाई।”यह ले, सेक्सी कपड़े खरीदा कर ! मेरी जीवन संगनी बनना है तुझे ! अब जल्दी से मुँह में लेकर चूस दे !”
मैंने उनके लंड को मुँह में डाल ही लिया, चूसने लगी।
उनका पूरा मूड था मुझे चोदने का !

मुझे पलट कर बिछे गलीचे पर पटक लिया, मेरी सलवार दुबारा खोल दी और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगे।

मैंने देखा कि वो रुकने वालों में से नहीं तो मैंने अपनी जांघें ढीली कर दी, दोनों जांघों को फैला वो बीच में आकर जोर लगाने लगे। मैंने सांसें खींच ली उन्होनें चूत पर रखा मैंने खुद को हिला दिया, लंड फिसल गया।
बोले- लगता है मेहनत करनी पड़ेगी !
“गुप्ता जी, रहने भी दो ना ! किसी और दिन यह सब कर लेना, मेरा पहली बार है दर्द होगा तो चीख निकल जाएगी, यहाँ ठीक नहीं रहेगा !”
“चल ठीक, कल मेरे घर चलेंगे, इसी बहाने तुझे तेरा होने वाला घर दिखा दूँगा, अब जल्दी से मुँह खोल दे !”

मैं चूसने लगी, गुप्ता जी मेरे सर को पीछे से दबा कर जोर जोर से करने लगे, एकदम से मेरे मुँह में उनका गर्म गर्म माल निकलने लगा, मैंने पूरा माल मजे से पी लिया, उनका पूरा लंड निचोड़ का बाहर निकाला लेकिन मुँह बनाने लगी- यह क्या था अजीब सा/ क्या निकला?
बोले- मेरा पानी निकला ! क्यूँ अच्छा नहीं लगा?
“कभी यह सब किया नहीं, इसलिए !”

मैंने सोच लिया कि गुप्ता जी जैसा अमीर बंदा अगर मुझे पसंद करता है उम्र में क्या रखा है, देखा जाएगा आगे चलकर !

उन्होंने मुझे बीस हज़ार रुपये पकड़ा दिए, मैंने ऊपरी मन से मना किया।
“चल, कल सेक्सी ब्रा-पैंटी पहनकर आना, पार्लर से चिकनी होकर घर जाना, मजा आएगा सुहाग दिन मनाने का !”

पैसे बैग में रख निकली, सभी लड़कियाँ मुझे देख रही थी, अजीब अजीब तरह से मुस्कुरा कर- बन्नो, क्या-क्या हुआ?
“उसका दिल तुझपे आ गया?” सिम्मी बोली- कितनी देर लगाई उसने !
“तुम भी ना ! क्या लगता है, मैं इतनी जल्दी उसको सौंप दूंगी क्या? देख सुन बबलू, रॉकी, रॉ्बिन को इसके बारे मत बताना !

अपनी चारों सहेलियों को मैंने काफी पिलवाई, जाते जाते मैंने सेक्सी ब्रा-पैंटी के दो सेट खरीद लिए, टांगों की वेक्सिंग करवाई।
छोटी उम्र में मैंने खुद पर काबू नहीं रखा, अब अपनी शरीर की ज़रुरत काबू में नहीं रख पाती, चाह कर भी मुझसे बिना चुदाई रहा नहीं जाता, चाहे वो लौड़ा किसी नौकर का हो या किसी अमीर का, मुझे बस चाहिए ऐसा मर्द जो मुझे मसल कर हल्की करके बिस्तर से निकाले।

कहानी जारी रहेगी।
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