जबलपुर की ममता की अतृप्त वासना -3

(Jabalpur Ki Mamta Ki Atrapt Vasna- Part 3)

This story is part of a series:

अब तक आपने पढ़ा..

ममता एक नॉटी सी मुस्कान के साथ बोली- तुमने मुझको पूरी नंगी कर दिया.. पर खुद अभी भी फ्रेंची में हो..
मैं- ओह्ह.. वो तुम्हारा काम है.. तुमको देखना हो तो तुम उतार लो.. जो मुझको देखना था.. वो मैंने उतार दिया।

यह सुन कर वो उठी और मुझको नीचे गिरा दिया.. मेरे ऊपर आ कर मुझको लिप-किस करने लगी। उसका एक हाथ मेरी छाती से होता हुआ मेरी फ्रेंची के अन्दर चला गया और उसने मेरे लण्ड को पकड़ किया.. उसको सहलाने लगी।

अब आगे..

ना चाहते हुए भी मेरे मुँह से ‘आअह..’ की आवाज़ निकल गई.. वो धीरे से नीचे आई और मेरे निप्पल को चूसने लगी।
‘ओह्ह माई गॉड…’
मैं पागल हो उठा मेरी पीठ में एक करंट सा दौड़ गया.. वो मेरे निप्पल को जंगली बिल्ली की तरह चूस रही थी और काट रही थी।

मैं दर्द से सिसकार रहा था- आअह्ह्ह ह्ह्ह.. ऊओह्हह्ह.. धीरे ममता धीरे..
मुझे एक दर्द सा महसूस हो रहा था.. पर यह दर्द उस आनन्द से कहीं कम था।

उसने मेरी फ्रेंची उतार दी.. मेरा लण्ड उछल कर बाहर आ गया।
ममता- इतना बड़ा..
कह कर वो मेरे लण्ड को सहलाने लगी..
मैं- क्यों तेरे पति का भी तो होगा इतना बड़ा..!
ममता- नहीं.. इतना बड़ा नहीं है..

मैं- मेरा भी नार्मल लण्ड है.. तुम्हारी चूत को देख कर और बड़ा हो गया है..
ममता- अच्छा जी..
ममता मेरे लण्ड का मुठ्ठ मार रही थी और मेरे मुँह से ‘सी.. सी.. सी आअह..’ की आवाज़ निकल रही थी।

मैंने एक बार उसके मुँह में देने की कोशिश की.. पर उसने मुँह हटा दिया।

फिर धीरे से मैंने उसे लिटा दिया और और उसके चूतड़ों के नीचे एक पिलो रख दिया.. जिससे उसकी चूत और उभर आई। मैंने उसके दोनों पैर फैला दिए और उसके बीच में आ गया.. हल्के से उसकी चूत को सहलाया.. चूत की दरार में उंगली फिराई।
ममता की मुँह से सिसकारी निकल गई- सस.. सस ..सस… सी.. उई..

फिर मैंने झुक कर चूत का चुम्बन लिया ही था कि ममता के चूतड़ उछल गए.. मुझे फायदा ये मिला कि मेरे होंठों में पूरी चूत आ गई और मैं उसको चूसने लगा। अब मैं चूत को मुँह में लेकर चूस रहा था और ममता की मदमस्त आवाज मेरे कान में गूँज रही थी।

‘आआऊँऊ.. ऊओह्ह.. ह्ह्ह्ह्ह.. ह्ह्ह्ह्ह ह्ह्हम्म ऊओ.. म्मम्म ह्ह्हयस राजी.. ऐसे ही चूसो आआह्ह्ह्ह..’
मेरा एक हाथ उसकी चूची दबा रहा था और मुँह से मैं उसकी चूत चाट रहा था।
‘आआह्हह्हह जोर जोर.. से और.. जोर जोर से..’
वो लगतार सिसकारियाँ ले रही थी।

मैं ममता की चूत पर अपनी जीभ को लगा कर उसके दाने को चाटने लगा, ममता को यह बहुत अच्छा लगा- राजी मेरी चूत को तुमने चाट कर मुझे अपना बना लिया..
मैं अपनी धुन में चूत को चाट रहा था।

वो अपनी गांड को हिला कर बोल रही थी- राजी चाटो.. हाँ अहा.. ऊओह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह ह्ह्ह… आआह्ह हऊऊओ.. अच्छा लग रहा है.. मेरे पति ने मेरी चूत को कभी नहीं चाटा..
ममता पागल हो रही थी- आआआह हज्ज्ज.. आआआआह..
वो चुदासी आवाजें निकाल रही थी..
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

ममता का बदन अकड़ने लगा.. उसके बदन की कंपकपाहट से मैं समझ गया अब वो झड़ने वाली है और वो जोर से कांपी और वो झड़ गई।

उसकी माँसल जाँघों के बीच में मेरा सर दब गया था.. मुझको साँस लेने में परेशानी हो रही थी.. उसका योनि रस रह-रह कर बाहर आ रहा था। मेरी जीभ जो अभी में चूत के अन्दर थी.. वो उस स्वाद को महसूस कर रही थी।
कुछ पलों के बाद उसने अपनी पकड़ ढीली की.. तो मैंने उसकी चूत चाट-चाट कर सारा रस साफ कर दिया।

ममता के चेहरे पर एक संतुष्टि के भावों को देख कर मुझे उस पर और प्यार आ गया और उसको किस करने लगा।
उसकी योनि का रस उसके होंठों पर लग गया.. उसने प्यार से मुझको बाँहों में भर कर मेरे लिप्स पर हल्का सा चुम्बन कर दिया.. उसकी आँखों में बहुत सा प्यार और संतुष्टि थी।

उसने बताया- शादी से लेकर आज तक मेरे पति ने कभी भी मेरे पूरे कपड़े उतार कर सेक्स नहीं किया और ना ही मुझको कभी नग्न किया.. आज पहली बार तुमने मुझको पूरा नग्न किया और तुम पहले आदमी हो.. जिसने मुझको सम्पूर्ण नग्न देखा है।

दोस्तो, लड़की को चोदने का मज़ा तो उसको पूरा नग्न करके ही आता है। जब तक दो नग्न जिस्म आपस में रगड़ न खाएं.. तब तक काम-ज्वाला ठीक से नहीं जागती।

मैंने फिर से उसको चुम्बन करना शुरू कर दिया और कुछ ही पलों में ममता फिर से तैयार हो गई और मेरे लण्ड को हाथ में ले कर सहलाने लगी।
मेरा लण्ड पूरी तरह कड़क था.. ‘सॉलिड हार्ड’ था।

मैं एक बार फिर से उसकी चूत इस तरह चाटने लगा कि मेरा लण्ड उसके मुँह को टच कर रहा था.. एक तरह से हम दोनों 69 की अवस्था में थे।

ममता के मुँह से कराहट की आवाज़ निकलने लगी थी- आअह आअह्हह्हह आह आअह राजी.. तुम बहुत अच्छा चूसते हो.. करते रहो ऊह्ह माँ आअह्ह..
मैं लगा रहा।
ममता- राजी अब डाल दो..
मैं- क्या डाल दूँ..
ममता- क्यों तड़पा रहे हो..

थोड़ा रुक कर..
‘तुम नहीं जानते.. क्या डालने को बोल रही हूँ..’
मैं- नहीं.. मैं नहीं जानता..

ममता- राजी अपना लण्ड डाल दो..
मैं- लण्ड कहाँ डाल दूँ…
ममता- अरे यार डालो न.. मत तड़पाओ.. बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. अपने लण्ड से मेरी बुर को निहाल कर दो..

आखिरकार वासना की अग्नि में जल रही ममता ने वो हिंदी शब्द बोल ही दिया.. जो बहुत कम शादीशुदा महिला बोलती हैं।
मैं उसके दोनों पैरों के बीच में आ गया और ममता ने भी दोनों टाँगों को जितना हो सकता था.. फैला लिया।
ममता की आँखें बंद थीं वो वेट कर रही थी.. कि कब मैं लण्ड को अन्दर डालूँगा।

मैं भी कमीनेपन पर उतर कर उसको और तड़पाना चाहता था कि वो सदा के लिए मेरी दीवानी हो जाए और जब मैं उसको कहूँ.. तो वो मुझसे चुदने का तैयार हो जाए।

एक तरह से देखा जाए तो मैं अपने लिए परमानेंट चुदाई का जुगाड़ करना चाहता था और मैं जानता था कि ममता को अच्छे से संतुष्ट कर दिया.. तो वो मेरी सदा के लिए हो जाएगी।
मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा ही था कि ममता के मुँह से ‘आआअह..’ निकल गई।

मैं धीरे से उसकी चूत पर लण्ड को रगड़ने लगा.. उसकी बुर के होंठों के बीच में रगड़ होने से.. मेरा लण्ड उसके योनि रस में भीग चुका था।
ममता- राजी डालो न.. क्यों तड़पा रहे हो.. अब डाल भी दो..

अब मैंने भी देर करना उचित नहीं समझा.. धीरे से हल्का सा धक्का लगाया कि मेरा फूला हुआ सुपाड़ा उसकी चूत की गलियों में जा के फंस गया।
ममता- आआह्ह्ह्ह.. ईई माँ.. धीरे से.. ऊओह्ह्ह.. मर गई..
मैं- क्या हुआ..
ममता- उन्हह.. कुछ नहीं.. कुछ मत बोलो.. बस पूरा अन्दर डाल दो..

मैंने भी लण्ड को हल्का सा बाहर खींचा और एक जोर का शॉट लगाया.. मेरा मूसल लंड चूत को चीरता हुआ अन्दर घुसता चला गया।
ममता चिल्लाई- आईईई.. माँ.. मर.. गई.. उइईई.. आअह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह राजी.. ईईई दर्द हो रहा है..

मैं हैरान हो गया.. क्योंकि वो तो शादीशुदा और लगातार अपने पति के साथ सम्भोग करती थी। मैं थोड़ा रुक गया.. दर्द की लकीर उसके चेहरे पर दिख रही थी।
मैं- क्या हुआ?
ममता कराहते हुए बोली- तुम्हारा लण्ड मेरे पति से बड़ा और मोटा है.. दूसरे करीब एक साल बाद मैं लण्ड अपनी चूत में ले रही हूँ..

फिर रुक कर बोली- मेरा पति कभी भी पूरा नहीं डालता था.. इस तरह का सेक्स हमने कभी नहीं किया..
मैं- मेरी जान आज मैं तुमको बताऊंगा कि चुदाई किसे कहते हैं।

फिर थोड़ रुक कर..
‘आज तुम अच्छे से चुदोगी..’
ममता- हाँ राजी.. तुम मुझे दिखाओ चुदना किसे कहते हैं.. प्यार से चोदो मुझे.. आह्ह.. मैं तेरी हो गई जान..

मैंने भी लण्ड को एक बार निकाला और फिर से एक ही शॉट में पूरा अन्दर कर दिया।
ममता- ऊऊऊओ माँ.. उइ..इइ.. आअह्ह्ह्ह.. धीरे से राजी.. तेरी बुर है.. अब प्यार से चोदो न..

मैंने भी उसके ऊपर लेट कर उसके लबों को चूमना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में किस और उसकी चूची के मसलने का नतीजा सामने आया.. उसकी गांड उछलने लगी.. अब वो मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से दबाने और मसलने लगी थी।

मैंने भी रिदम में शॉट लगाना चालू कर दिया और ममता ‘आआह्ह.. अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. म्म्म्म हम्म्म..’ करने लगी, हर झटके से ममता की ‘आअह्हह.. आअह्ह्ह ह्ह्ह..’ की चीख निकल जाती।
मैं उसकी चीखों से हैरान था.. पर उसकी चीखें मेरा हौसला बढ़ा रही थीं मेरी उत्तेज़ना को भड़का रही थीं।

मैं एक समान स्पीड से धक्के लगा रहा था, अब वो मेरा साथ दे रही थी .. उसे मजा आ रहा था।
वो भी मेरी कमर में जोर से उंगलियाँ गाड़ रही थी। पूरा कमरा ‘फ्च्छ फ्च्छ.. फ्च्छ फ्च्छ..’ की आवाज़ से गूंज रहा था। उसकी योनि से कामरस बह रहा था.. जो मेरे लण्ड की स्पीड को.. सरल बना रहा था।

योनि नामक गुफा में मेरा लण्ड कुलाचें भर रहा था।
ममता के मुँह अजीब सी आवाज़ निकालने लगी ‘सस्स्स्स.. उउउ.. म्म्म्मम.. ऊओह.. मेरे राजाआाआ.. कककका.. आअ ओह.. बुझा दे मेरी प्यास..’
वो मेरे हर धक्के पर ‘सीईईई ईईईई.. ओह..’ की चीखें निकालने लगी।

ममता मेरा साथ अपनी पूरी गाण्ड उछाल-उछाल कर साथ दे रही थी ‘ओह.. सस्स्स्स.. स्स्स्स्स सस्स.. उम्म्म्म..’
मेरा लण्ड उसकी चूत की जड़ तक जाकर उसके बच्चेदानी को टच कर रहा था। मेरे टट्टे चूत की गुफा के द्वार पर अटक जाते थे। मैं रुक-रुक कर कभी उसकी चूची चूसता.. कभी उसके निप्पल को काट लेता।

उसकी चीख जब निकलती ‘आअह्हह्हह..’ तो मेरा जोश बढ़ जाता, मैं उसकी चूत को और जोर से मथने लगता.. मेरा लण्ड आगे-पीछे और जोर से होने लगता।

थोड़ी देर में मैं अपनी पोजीशन बदल कर लेट गया और अब वो मेरे ऊपर थी।
ममता ने हाथ लगा कर लण्ड को सैट किया और एक झटके से उस पर बैठ गई।
मेरे मुँह से दर्द के मारे चीख निकल गई।

‘आइ इ इ इ ई आअह्हह्हह.. मार डाला.. ओह्ह माई गॉड आआह्ह्ह ममता.. आअह्ह्ह्ह तूने मुझे आज वो सुख दिया है.. जिसकी तलाश मुझे बरसों से थी।’

ममता मेरे लण्ड पर कूद रही थी.. उसकी चूचियाँ उछल रही थीं.. गले की माला भी रिदम के साथ बहक रही थी।
आआअह्ह.. क्या नज़ारा था.. चेहरे पर बिखरे बाल.. बहकती माला.. उछलती चूचियाँ.. मेरे सीने पर उसके हाथ ऐसा लग रहा था.. कि जन्नत यही है।

आहह.. अब ‘फ्च्छ फ्च्छ..’ की आवाज आ रही थी.. पूरा कमरा वासना की आवाज़ से संगीतमय था।

साथियो.. जीवन के मोड़ पर ममता और मेरा ये एकदम नया अनुभव हम दोनों को किस पड़ाव पर ले जाने वाला था इसको पूरा जानने के लिए अन्तर्वासना पर मेरे साथ जुड़े रहिए।
आपके विचारों का मेरी मेल पर स्वागत है।
कहानी जारी है।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top