चोदना पड़ा दोस्त की चुदक्कड़ बीवी को

(Chodna Pada Dost Ki Chudakkad Biwi)

राज गर्ग 2017-08-04 Comments

दोस्तो, आज मैं आपको अपने एक दोस्त की बीवी के बारे में बताने जा रहा हूँ, जिसे मुझे चोदना पड़ा. हो सकता है कभी ऎसी समस्या आपका सामने भी आ जाए, या आई हो। आपने क्या किया ये तो मुझे पता नहीं मगर मैंने जो किया वो मैं आपको बताना चाहता हूँ।

बात ऐसी है कि मैं और मेरा घनिष्ठ मित्र अजीत बचपन के मित्र हैं। दोनों स्कूल में साथ साथ पढ़ते थे, बाद में हम अलग अलग हो गए, हमारा आपस में कोई मेल जोल न रहा।

करीब 12 साल बाद हम मिले। मेरी शादी हो चुकी थी, उसकी भी शादी हो चुकी थी। ऐसे ही घूमते घूमते हम बाज़ार में मिल गए। हमने अपनी अपनी पत्नियों से एक दूसरे का परिचय करवाया। एक बार क्या मिले उसके बाद तो अक्सर मिलने लगे, एक दूसरे के घर भी आने जाने लगे।

मगर शुरू से ही मुझे उसकी बीवी कुछ और ही मिजाज की लगी। उसकी बोलचाल, हाव भाव सब ठीक थे, मगर उसके देखने का तरीका मुझे ठीक नहीं लगा।
वो ऐसे देखती थी, जैसे कोई बात वो आपसे कहना चाहती हो, मगर कह नहीं पा रही हो। एक प्यास, एक तलब हमेशा उसकी आँखों में देखने को मिलती थी।

अब दोस्त की बीवी थी, तो मैं इगनोर करता रहा। कभी कभी लगता जैसे कह रही हो- आओ और आ कर मुझे पकड़ लो, दबोच लो, चूम लो मुझे!
मगर मैं हर बार उसकी इस भावना को अनदेखा कर देता।

हम दोनों दोस्तो को दारू पीने का शौक है तो अक्सर हम शाम को मिल लेते और कोई न कोई प्रोग्राम बना कर अपना शौक पूरा कर लेते, अक्सर दारू की पार्टी मेरे ही घर होती। अजीत को ज़्यादा दारू पीने की आदत थी तो वो अक्सर टुन्न हो जाता, मैं उसको घर छोड़ने जाता, मगर घर के बाहर तक ही छोड़ कर आ जाता।
उसकी बीवी हमेशा कहती- भाई साहब, अंदर तो आइये!
मगर मैं खुद को बचा कर, कोई बहाना बना कर उसके घर के बाहर से ही वापिस आ जाता।

एक दिन अजीत बोला- कल शाम की पार्टी मेरे घर होगी, मेरी बीवी बहुत अच्छा चिकन बनाती है, मैंने उसे कह दिया है, दोनों भाई साथ में बैठ कर दारू पिएंगे, चिकन खाएँगे।
पहले तो मैंने मना किया, पर वो ज़िद पर अड़ा रहा।

अगले दिन शाम को मैं उसके घर चला गया। घर में ड्राइंग रूम में उसने एक तरफ नीचे फर्श पर ही गद्दे बिछा कर, बहुत सुंदर सा माहौल बना रखा था।
मैंने भी अपने जूते उतारे और आराम से बैठ गया।

उसकी बीवी आई, और सामान्य से अभिवादन के बाद वो हमारे लिए, ठंडा, बर्फ, नमकीन, सलाद वगैरा रख कर चली गई। हम दोनों अपनी बातों में मशगूल हो गए। बात पे बात निकलती चली गई, और पेग पे पेग अंदर जाता रहा।
करीब करीब एक बोतल हम दोनों ने गटक ली, दोनों को काफी नशा हो चुका था।

चिकन सच में बहुत टेस्टी बना था, या पता नहीं यह भी दारू का ही असर था। रात के करीब 10 बज गए, पहले पायल ने साड़ी पहनी हुई थी, मगर अब रात ज़्यादा हो गई थी, तो उसने टीशर्ट और पायजामा पहन लिया था। नीचे से शायद कोई अंडर गारमेंट नहीं पहना था, इसी लिए टी शर्ट में से उसके बोबों के निपल चमक रहे थे।
जब वो आती या जाती पता चलता था कि उसने कोई पेंटी भी नहीं पहनी, उसकी जांघों पर या पीछे चूतड़ों पर पेंटी का कोई निशान नहीं बनता था।
चूतड़ भी मस्त गोल थे उसके!

और मुझे लग भी रहा था कि वो आज कुछ ज़्यादा ही नैन मिला रही थी मुझसे…

खैर, पायल आई और हमसे खाने का पूछा।
मगर अजीत बोला- नहीं, अभी थोड़ी थोड़ी और पिएंगे!
मैंने मना किया, तो वो बोला- चलो व्हिस्की नहीं, वाईन पीते हैं, रेड वाईन!

उसने अपनी पत्नी को कहा, तो वो किचन से अपने पति के लिए एक बड़े गिलास में वाईन डाल कर लाई, मेरे लिए एक अलग गिलास में। जब उसने झुक कर वाईन के गिलास नीचे टेबल पर रखे तो उसकी टी शर्ट के गले के अंदर मेरी नज़र गई, दो गोरे गोरे गोल मटोल फुल साइज़ बोबे अंदर झूलते दिखे।
उसने मुझे देख लिया कि मैं उसके बोबे देख रहा हूँ।

अब दारू का भी नशा बहुत हो गया था, तो अब तो मुझे पायल भी कोई हूर नज़र आ रही थी। हमारी लिए थोड़ा चिकन और रख कर जाते हुये वो बोली- मैं तो नहाने जा रही हूँ।
उसके बाद वो बाथरूम में घुस गई, कितनी देर वो नहाती रही।

मुझे पेशाब का ज़ोर पड़ा तो मैंने अजीत से कहा. वो बोला- दो मिनट रोक ले, अभी आती होगी।
जब पायल बाथरूम से बाहर आई, तो मैं भी उठ कर बाथरूम की ओर बढ़ा। मैंने देखा कि पायल ने तो सिर्फ एक बेदिंग गाउन पहन रखा था। घुटनों तक लंबा सफ़ेद रंग का गाउन, जो आगे से खुलता था और सिर्फ एक कपड़े की बेल्ट से ही बंधा था।

हम दोनों एक दूसरे के पास से गुजरे और दोनों की आँखें एक दूसरे पर थी, जैसे हमारी नज़रें एक दूसरे से बंध गई हो। वो जाकर अपने पति के पास बैठ गई।

मैं बाथरूम में गया, ज़िप खोली, लंड निकाला और मूतने लगा।
पेशाब करते करते मेरी निगाह बाथरूम में घूमी। दरवाजे के पीछे जो कपड़े टाँगने वाली खूंटी लगी थी, उस पर पायल की टीशर्ट, एक ब्रा, एक पेंटी लटक रहे थे। मैं तो उन्हे देख कर ही मंत्र मुग्ध हो गया। मैंने वो कपड़े खूंटी से उतार लिए और उन्हे अपने मुँह से लगा कर सूंघा- आह, क्या खुशबू… यहाँ पायल के बोबे घिसते होंगे, इस ब्रा में पायल के मोटे मोटे चूचे कैद होते होंगे, इस चड्डी में पायल की चूत बंद होती होगी!
और जहां मुझे अंदाज़ा था, के उसकी पेंटी में उसकी चूत और गांड घिसते होंगे, उस उस जगह को मैंने सूंघा, चूमा और चाटा, और बाद उस उस जगह पर अपना लंड भी घिसाया। पायल के अंतः वस्त्रों से खेल कर मैं बाहर आया, देखा पायल अपने पति के पास बैठी उसे वाईन डाल कर दे रही थी। घुटने से नीचे उसकी दोनों टाँगें उसके गाउन से बाहर थी, जो मुझे अपनी तरफ खींच रही थी। मेरा मन कर रहा था कि उसकी टाँगों को सहला दूँ।

ये जो वाईन पायल ने ला कर दी, उसका आधा गिलास पीते पीते, अजीत लुढ़क गया। मैंने उसे हिलाया, मगर वो तो खर्राटे मारने लगा।
मैंने पायल से कहा- इसको तो ज़्यादा ही चढ़ गई!
मैंने अजीत को हिलाया मगर वो नहीं हिला।

पायल वैसे ही बैठी अपने पति को उठ कर बेड पर जा कर सोने को कह रही थी, मगर अजीत को तो कुछ होश ही नहीं थी।
मैं भी जाकर पायल के पास बैठ गया।

पायल ने मुझे देखा, उसकी आँखों में प्यास और बढ़ गई थी, पहले मैंने सोचा कि निकल चलता हूँ, अगर और यहाँ रुका तो हो सकता है, अपने ही दोस्त की पत्नी के साथ कोई गलत हरकत या बदतमीजी न कर बैठूँ।
मैं अभी उठने की सोच ही रहा था कि ना जाने कैसे मेरा हाथ आगे बढ़ा और मैंने पायल के गाउन से बाहर दिख रहे उसके घुटने पर अपना हाथ रख दिया।
यह एक सीधा इशारा था मेरी तरफ से… मगर पायल ने इसका कोई प्रतिकूल उत्तर नहीं दिया, सिर्फ मुझसे कहा- इन्हें उठा कर अंदर लेटा दें।

मैंने अजीत को उठाया और उसकी एक बाजू अपने कंधे पर रखी, दूसरी तरफ से पायल ने भी अजीत की एक बाजू अपने कंधे के ऊपर से घुमा कर पकड़ ली और हम दोनों उसे घसीट के बेड तक ले गए। मगर अजीत को बेड पर लेटाते वक़्त पायल का गाउन आगे से खुल गया और उसका एक बोबा पूरा ही बाहर आ गया।
मैं तो उसके गोरे संगमरमरी बोबे को देखता ही रह गया।

तभी पायल का ध्यान भी अपने गाउन से बाहर लटकते बोबे पर गया तो उसने बड़े आराम से बिना कोई जल्दबाज़ी किए या हड़बड़ाए अपने बोबे को पकड़ कर अपने गाउन में छुपा लिया।
अजीत को बेड पे लेटा कर पहले तो मैं कुछ पल वहाँ खड़ा पायल को देखता रहा।, मुझे लगा शायद ये अभी यहीं मुझे कोई और इशारा दे तो मैं इसे पकड़ लूँ।
मगर वो सिर्फ अपने पति को ठीक से बेड पर लेटा कर उस पर चादर देने में मसरूफ़ रही तो मैं वापिस बाहर ड्राइंग रूम में आ गया और जहां हम लोग नीचे बैठ कर दारू पी रहे थे, वहीं पर बैठ गया।

एक पेग डाला और अभी उसमें पानी डाल ही रहा था कि पायल कमरे में आई, बेडरूम का दरवाजा बंद करके दरवाजे के साथ ही सट कर खड़ी हो गई और मेरी और देखने लगी।
फिर मेरे गिलास की तरफ देख कर बोली- सिर्फ एक गिलास, हमें अपनी महफिल में शामिल नहीं करोगे?
मैंने दूसरे गिलास में पेग बनाया और उसकी तरफ बढ़ाया।

वो मेरे पास आ कर खड़ी हो गई, मेरे हाथ से गिलास लिया और एक ही घूंट में पेग अपने गले में उतार लिया।
‘आप पी लेती हो?’ मैंने पूछा।
वो बोली- नहीं, मैं नहीं पीती, पर आज मुझे ज़रूरत महसूस हुई।

मैंने उसका हाथ पकड़ कर नीचे बैठाया और पूछा- आज क्या ज़रूरत पड़ गई?
वो बोली- मुझे ज़्यादा बोलने वाले लोग पसंद नहीं!
मुझे उसकी बात बड़ी अजीब लगी, मगर इसका सीधा मतलब था कि बात नहीं करो, काम करो।

मैंने उसके गाउन में से दिख रहे उसके बड़े सारे क्लीवेज को देखा और फिर उसकी आँखों में देखते देखते मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसके गाउन में डाल कर उसका बोबा पकड़ लिया।
उसने अपने होंठ हल्के से खोले मगर बोली कुछ नहीं।
उसके बोबे को ज़ोर ज़ोर से मैंने दबाया, वो अपने घुटनों के बल पर उठी और मेरा हाथ उसने अपने गाउन से निकाल कर ज़ोर से झटक दिया।

मैं उठ कर उसके और पास गया और अपने हाथ में उसका मुँह पकड़ लिया, और अपनी पूरी जीभ निकाल कर उसके मुँह के पास अपना मुँह किया तो उसने आगे बढ़ कर मेरी पूरी जीभ अपने मुँह में ले ली। हमारे होंठ मिले, मैं उसके होंठ चूस रहा था और वो मेरी जीभ को अपने मुँह में खींच खींच कर चूसने लगी जैसे लंड को चूस रही हो।

होंठ चूसते चूसते मैंने उसके गाउन की बेल्ट खोल दी और गाउन के दोनों पल्ले दायें बाएँ को खोल दिये, मेरे सामने वो बिल्कुल नंगी हो गई।
मैं उसके दोनों उन्नत बोबे और चिकनी चूत देख सकता था, जिस पर अच्छी झांट उगी थी। मैंने उसकी चूत को छूना चाहा तो वो नीचे को लुढ़क गई और नीचे फर्श पर ही लेट गई।

मैं उठ कर खड़ा हुआ, अपनी टी शर्ट उतारी, अपनी पेंट उतारी, चड्डी में मेरा तना हुआ लंड साफ झलक रहा था। मैंने अपनी चड्डी भी उतार फेंकी।
पायल ने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाया, मैंने उसका हाथ खींच कर उसे उठाया, उसके सर के बाल अपने हाथों से पकड़ कर उसका सर अपनी तरफ खींचा और अपना लंड उसके तरफ किया, जिसे उसने झट से अपने मुँह में ले लिया, ऐसे चूसने लगी जैसे बहुत दिनों बाद किसी रंडी को लंड चूसने को मिला हो।

‘बहुत प्यासी हो लंड चूसने की?’ मैंने पूछा।
वो बोली- बरसों बाद आज तना हुआ लंड देखा है, इस हरामखोर का तो उठता ही नहीं!
और वो फिर से लंड चूसने लगी। इतने ज़ोर ज़ोर से अपना सर हिला हिला कर उसने लंड चूसा कि उसके बाल खुल गए। कई बार उसके दाँत भी मेरे लंड पर चुभ गए। मुझे लगा कहीं ये मेरा लंड चबा ही न जाए।

मैंने उसके मुँह से अपना लंड निकाला और उसकी टाँगें खोली तो उसने अपने गाउन उतारा और सरक कर कार्पेट पर चली गई। मैं भी किसी कुत्ते की तरह अपने चारों पाँव पर चल कर उसके पीछे पीछे कार्पेट पर पहुँच गया। कार्पेट पर लेट कर उसने अपनी दोनों टाँगें ऊपर हवा में उठा कर पूरी खोल दी और बोली- चाटो मुझे।
मैंने अपना मुँह उसकी चूत से लगाया तो उसने अपनी जांघें भींच ली।

मैं उसकी चूत चाटता रहा और वो अपने बोबे दबाती, कभी मेरा सर तो कभी अपना बदन सहलाती तड़पती रही। फिर मेरे सर के बाल पकड़ कर मुझे बालों से ही ऊपर को खींचा और मेरे होंठों से अपने होंठ लगा दिये, अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी।
मैंने उसकी जीभ चूसने लगा। फिर मेरा सर मेरे बालों से ही पकड़ कर अपने बोबे पर लगा दिया- पियो इसे!

उसकी हर बात में हुकुम था। मुझे लग रहा था कि मैं उसे नहीं बल्कि वो मुझे चोदने को आमादा है। उसने अपने दोनों बोबे चुसवाए, फिर मेरा सर नीचे को दबाया और अपनी चूत से लगा दिया। मैंने अभी उसकी चूत में अपनी जीभ लगाई ही थी, तो वो उल्टा घूम गई। मैंने उसके दोनों चूतड़ खोले और उसकी गांड के छेद को अपनी जीभ से चाटने लगा। वो अपनी गांड मटकाती रही और मैंने उसकी गांड की सारी दरार अपनी जीभ से चाट कर गीली कर दी।

वो फिर पलटी, अपने दोनों पाँव उसने मेरे सीने पर रखे और बोली- चोदो मुझे, और ऐसे चोदना जैसे आज तुम्हारी ज़िंदगी की आखरी चुदाई है।
मैंने अपना लंड पकड़ कर उसकी चूत से लगाया तो उसने मेरा हाथ झटक दिया और अपने हाथ में पकड़ कर पहले बड़े ज़ोर से मेरी मुट्ठ मारी, मेरे लंड का टोपा अपनी चूत के दाने पे रगड़ा और फिर अपनी चूत पे रख कर बोली- डालो।
मैंने धक्का मारा, चूत तो उसकी पहले ही पानी पानी हो रही थी, हल्के से दबाव से मेरा लंड उसकी चूत में घुसता ही चला गया, मैंने भी एक ही बार में अपना सारा लंड उसकी चूत में उतार दिया।
शायद उसको दर्द हुआ या क्या… उसने एक लंबा सा सांस अपने मुँह से खींचा, आवाज़ करके… एक जोरदार ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ उसके मुँह से निकली। मुझे ऐसे फीलिंग आई जैसे मैंने आज किसी कुँवारी कन्या का प्रथम योनि भेदन किया हो।
थोड़ा सा बाहर निकाल कर मैंने फिर अपना लंड उसकी चूत के और अंदर तक धकेला।

उसने मुझे अपनी बाहों में कस लिया- एक मिनट रुको!
वो बोली।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- आज बहुत समय बाद इतना कड़क मर्द मिला है, मैं इस एहसास को और भोगना चाहती हूँ, बस तुम ढीले मत पड़ना!

उसकी चूत में पूरा लंड डाले मैं रुक गया, मैंने पूछा- इससे पहले और कितने लोगों से चुदी हो?
वो बोली- मैं कोई रंडी नहीं हूँ, सिर्फ 2 और लोगों को मैंने मौका दिया था, मगर कोई भी इतना दमदार नहीं था। तुम्हारा तो ऐसे है, जैसे लकड़ी का बना हो।

मेरी मर्दानगी के मुरझाए बूटे को जैसे किसी ने पानी दे दिया हो। यह बात अलग है कि घर में तो चलो मियां बीवी के बीच 19-20 चलता रहता है। मगर मैं जब भी बाहर जाता हूँ, किसी भी पराई औरत या लड़की के पास तो सुपर *** का एक कैप्सूल खा कर ही जाता हूँ।
इसका फायदा यह है कि फिर आप हमेशा 21 क्या 24-25 ही रहते हो, और यही बात मेरी पायल को पसंद आई।

चार पाँच मिनट उसने वैसे ही मुझे अपने ऊपर लेटाए रखा, फिर बोली- अब इंजन चलाओ, और बस स्पीड बढ़ाते जाने, न रुकना, न थकना!
मैंने अपना लंड उसकी चूत में आगे पीछे करना शुरू किया। हर बार मेरा लंड जब उसकी चूत के अंदर जा कर चोट करता तो उसके होंठ हल्के से खुलते।

मैंने कोई जल्दबाज़ी नहीं की, बड़े आराम से अपनी स्पीड कायम रखी। मैंने अपना पूरा लंड बाहर निकालता सिर्फ लंड का टोपा उसकी चूत में रखता और फिर से घुसेड़ता हुआ उसकी चूत में अपना लंड डालता।
उसकी हल्की हल्की ‘आह… आह…’ अब थोड़ा उग्र ‘आ… अः…. आ…’ में बदलती जा रही थी।

उसने मुझे नीचे को खींच लिया और अपने सीने से लगा लिया। उसके नर्म नर्म बोबों को मैं अपने सीने से चिपका महसूस कर रहा था। बहुत ही कोमल और गुदगुदा बदन है पायल का।
‘ज़ोर से करो यार… तेज़ और तेज़… जितना तेज़ तुम कर सकते हो!’ वो बोली।

मुझे लगा यह तो झड़ने वाली है, सो मैंने अपनी फुल स्पीड बढ़ा दी, मैं अपनी ज़ुबान में इसे चुदाई नहीं कुटाई कहता हूँ। एक 6 इंच के डंडे से औरत की कुटाई, जिसे वो बहुत मज़े से सहती है।
हाल पायल का भी यही था, वो मुझे अपने और अंदर, और अंदर भींचती जा रही थी। उसकी सिसकारियाँ अब चीख़ों में बदल चुकी थी।
और फिर जब उसने अपने हाथों के नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिये, मैं समझ गया कि ये तो गई… और मैं उसे चोदता रहा, घप..घप्प, घप…घप्प!

बड़ी तड़प के वो झड़ी, उसकी टाँगें मेरी जांघों से लिपटी थी, उसकी बाजू मेरी कमर से और उसने अपने दाँतों में मेरा नीचे का होंठ दबा रखा था, थोड़ा काट भी लिया, पर इतना भी नहीं कि खून ही निकल आए।
मगर उसका काटना मुझे बहुत अच्छा लगा।

उसको उसी अकड़ी हुई हालत में भी मैं चोदता रहा। फिर वो शांत हुई और निढाल हो कर आराम से लेट गई, उसने अपनी टाँगें पूरी तरह से फैला दी, बाजू भी खोल दिए, चित हो कर वो लेटी अब मेरे झड़ने का इंतज़ार कर रही थी… अपना सब कुछ मुझे सौंप देने के बाद उसके चेहरे पे असीम खुशी और संतुष्टि थी, अब उसकी आँखें कह रही थी ‘तुमने मुझे तृप्त किया, अब तुम तृप्त हो लो।’
फिर मेरा भी वक़्त आया, मैंने पूछा- कहाँ झाड़ूँ, अंदर या बाहर?
वो बोली- अभी डेट आने में 2-4 दिन हैं, सेफ पीरियड चल रहा है, अंदर ही आने दो।

और मैंने उसकी चूत के अंदर ही अपना माल गिराया। जब मेरे लंड से वीर्य की पिचकारियाँ उसकी चूत के अंदर उसकी बच्चेदानी पर गिरी तो उसने आँखें बंद कर ली और उसके मुँह से बस हल्की सी ‘आह…’ निकली।
अपना पानी छुड़वा कर मैं भी उसकी बगल में ही लेट गया।

वो बोली- जानते हो, जिस दिन मैंने आपको पहली बार देखा था, तभी मुझे लगा था कि मुझे आप से सेक्स करना चाहिए।
मैंने कहा- दिल में तो मेरे भी यही विचार आया था, मगर मैंने इस लिए इस विचार को दबा दिया क्योंकि तुम मेरे दोस्त की पत्नी हो।
वो मेरे सीने पर अपना सर रख कर बोली- वो तो अब भी हूँ, पर अब हमारा रिश्ता आपस में सीधा हो गया है।

मैंने घड़ी की ओर देखा और बोला- बहुत वक़्त हो गया, अब मुझे चलना चाहिए।
वो बोली- ठीक है, जाओ, मगर एक वादा करो, मुझे भी मिलते रहोगे?
मैंने उसके होंठ को चूम कर कर कहा- वादा, पक्का वादा!
वो फिर बेचैन सी होकर बोली- हर बार मुझे ऐसे ही चोदना!
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