वाघा बॉर्डर से चूत चुदाई के सफ़र तक

(Bagha Border Se Chut Chudai Ke safar Tak)

दोस्तो, मेरा नाम अमित है.. मैं जम्मू में रहता हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और लगभग तीन साल से इस साईट का फैन हो चुका हूँ। आज मैं आपको अपने एक जीवन के एक घटी घटना सुनाता हूँ।

यह बात दिसम्बर 2012 की है.. शनिवार का दिन था.. अचानक मेरे एक दोस्त ने मुझे फोन करके कहा कि यार आज अमृतसर चलते हैं।
मैंने कहा- ठीक है चल..

हम भटिंडा एक्सप्रेस से रात के 2:30 बजे अमृतसर पहुँच गए.. लेकिन वहाँ पर तो जम्मू से भी ज्यादा ठंड थी.. हम लोगों ने रात स्टेशन पर ही गुजारी, सुबह होते ही हमने ऑटो किया और दरबार साहब पहुँचे और मत्था टेकने के बाद पूरा शहर घूमा।

ये सब करते हुए तीन बज चुके थे। अब हमने सोचा कि वापस घर चला जाए.. पर मेरे दोस्त ने कहा- यार वाघा बार्डर भी घूम ही लेते हैं.. उसके बाद घर जायेंगे।

उसके बार-बार जिद करने पर मुझे मानना पड़ा।

तो फिर वाघा बार्डर जाने के लिए एक ऑटो बुक किया और करीब चार बजे बार्डर पर पहुँच गए। वहां उतर कर हमने ऑटो वाले को पूरे पैसे दिए और उसे इन्तजार करने को कहा।

उसके बाद हम बार्डर की तरफ चले गए और परेड देखने में हमें समय का पता ही नहीं चला। जब घड़ी की तरफ देखा.. तो पूरे 6:30 बज चुके थे।

हम भागते हुए ऑटो स्टैंड पर पहुँचे.. पर हमारा ऑटो वहाँ पर नहीं था। पूछने पर पता चला कि वो हमारा इन्तजार करते-करते वापस चला गया।
शायद इसका कारण धुँध छा जाना था.. पर हम तो अब परेशान हो चुके थे।

बड़ी मुश्किल से एक ऑटो मिला.. लेकिन वो डबल किराया माँग रहा था। हमारे पास इसके अलावा कोई चारा नहीं था इसलिए मजबूरी में हमें देना पड़ा।

खैर.. जब मैं किराया देकर ऑटो में अन्दर घुसा तो देखा कि एक आँटी.. जिसकी उम्र 30-35 के बीच होगी.. पहले से ही बैठी हुई थीं।

मैंने देर ना करते हुए.. उनसे चिपककर बैठ गया और मेरा दोस्त मेरे बगल में बैठ गया।

अब ड्राईवर ने ऑटो स्टार्ट किया और झटके लगने के कारण वो आंटी मेरी गोद में आकर गिर गई।

मैंने उसे सहारा देकर उठाया तो देखा कि वो ठँड से काँप रही थी।

हमारे पास एक ही शाल था.. जो मैंने उसके दोनों कँधों पर रख दिया और कहा- आपको तो ठण्ड लग रही है।

आँटी मुस्कुराने लगी और उसने पूछा- क्या तुम्हें नहीं लग रही।
मैंने कहा- नहीं..
मेरे दोस्त ने कहा- यार ठण्ड तो मुझे भी रही है।
मैंने कहा- रूक जरा..

मैंने शाल का एक छोर पकड़ कर दोस्त की तरफ बढ़ा दिया और उसने भी शाल को ओढ़ लिया।

मेरे एक तरफ आँटी और एक तरफ दोस्त दोनों शाल को खींचने में लगे हुए थे.. बाहर अँधेरा हो रहा था और धुँध भी काफी बढ़ रही थी।
ड्राईवर तो अपनी धुन में था.. अचानक मैंने देखा कि आँटी मेरे से बिल्कुल चिपक गई हैं और अपना हाथ मेरी जाँघ पर रख दिया और उसे सहलाने लगीं।
मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया.. अब तो मेरे से बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था। एक नजर से मैंने ड्राईवर को देखा तो वो अपनी धुन में मस्त था।
मैंने सोचा कि जो होगा देखा जाएगा।

फिर मैंने भी हिम्मत करके अपना एक हाथ उनकी जाँघ पर रख दिया। जब उसने कुछ नहीं कहा तो मैंने सलवार के ऊपर से ही चूत को दबा दिया।
आँटी के मुँह से ‘आह’ निकल गई.. पर कहा कुछ नहीं.. मैं समझ चुका था कि ये एक चालू या चुदासी औरत है। अगर मैंने इसे चोद भी दिया तो कुछ नहीं होगा।

अचानक मैंने शाल को खींचकर आँटी और अपने सिर पर रखा और अपने होंठ को उसके होंठ पर रखकर एक जोरदार चुम्बन कर दिया।

मगर वो शायद इसके लिए तैयार नहीं थी.. इसलिए उसके मुँह से एक छोटी सी चीख निकल गई.. पर वो कुछ नहीं बोली।
वो अब खुश नजर आ रही थी।

मैंने ड्राईवर की तरफ देखा तो पाया कि उसे तो कुछ पता ही नहीं चला।
मेरी तो जान में जान आ गई.. फिर मैंने अपने दोस्त को देखा तो वो मेरे कँधे पर अपना सर रखकर सो रहा था।

फिर आँटी ने मेरे कान में कहा- जो भी करना है.. धीरे-धीरे करो और जल्दी से करो ना..
मेरी तो खुशी का ठिकाना ही ना रहा.. मैंने फटाफट आँटी के सूट के अन्दर हाथ डालकर ब्रा के ऊपर से ही मम्मे मसलना शुरू कर दिया।
आँटी ने भी एक हाथ से मेरे पैन्ट की जिप खोलकर मेरे लण्ड को पकड़ लिया। आँटी के हाथ का स्पर्श होते ही मेरा लण्ड पूरा का पूरा 8 इँच लम्बा हो गया।
अब तो मेरे से जरा सा भी बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था।

मैंने अपने हाथ से आँटी की सलवार का नाड़ा खोलकर उनकी पैन्टी के अन्दर डाल दिया.. मगर उनकी चूत पर काफी बाल थे.. मैंने दो उँगली चूत में घुसा दीं.. चूत पूरी गीली थी.. इसलिए उँगलियां आराम से अन्दर-बाहर हो रही थीं..
आँटी को मजा आ रहा था.. वो हल्की-हल्की सिसकारियाँ ले रही थीं।

लगभग 5 मिनट के बाद मेरे कान में वो फुसफुसा कर बोली- राजा और न तड़पाओ.. अपना मेरे अन्दर डाल दो।

मैंने देर ना करते हुए आँटी को चूतड़ों के बल को उठाकर सलवार को घुटने तक किया और पैन्टी को खींचकर उनकी जाँघों तक किया। फिर उनको उठाकर धीरे से अपनी गोद में बिठा लिया।

अब हम दोनों ने ऊपर से शाल ले लिया ताकि ड्राईवर और मेरे दोस्त को पता न चले।

उसके बाद मैंने अपने लण्ड को चूत पर लगाकर हल्का सा धक्का दिया.. चूत गीली होने के कारण एक ही बार में लण्ड एकदम जड़ तक चला गया।

आँटी के मुँह से फिर से एक बार चीख निकल जाती.. परंतु मैंने अपना एक हाथ से आँटी का मुँह दबाया हुआ था।

इसलिए उनकी आवाज दब कर रह गई। अब आँटी ने मुझे धक्के लगाने के लिए बोला।

मैंने कहा- कैसे लगाऊँ.. इस पर आँटी खुद ही ऊपर-नीचे होने लगीं.. जिससे मुझे ऐसा आनन्द आया.. जिसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता। मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं जन्नत में आ गया हूँ।

आँटी की एक बात तो माननी पड़ेगी कि धक्के वो इस तरीके से लगा रही थी कि ड्राईवर को कुछ भी पता न लगे और मुँह से सिर्फ हल्की-हल्की ‘आहें’ निकाल रही थी.. जो मुझे उत्तेजित कर रही थी।

ड्राईवर भी बीच-बीच में गड्ढों के कारण ब्रेक लगा देता था और इस झटके से मेरा पूरा लण्ड आँटी की टाइट चूत में पूरा अन्दर घुस जाता था। जिससे मेरा मजा तो साँतवें आसमान पर चढ़ जाता था।

तभी अचानक मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ.. मैंने आँटी को बताया तो वो बोली- अन्दर ही झड़ना..
फिर पाँच सात झटकों के साथ मैं झड़ गया और मेरे साथ आँटी भी स्खलित हो गईं।

उसके बाद उसने अपनी सीट पर बैठकर अपने कपड़े ठीक कर लिए। मैंने भी अपना लण्ड अन्दर कर लिया।
आँटी का स्टॉप आ चुका था.. वो उतर कर चली गई.. मैं तब तक उसे देखता रहा.. जब तक वो मेरी आँखों से ओझल न हो गई।
इस अनजान आंटी की चुदाई ने मेरी यादों में उसको हमेशा के लिए एक यादगार बना दिया।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी। मेल जरूर करें।
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