मेरी कुंवारी भांजी और मेरी चुदाई की सेक्स स्टोरी

(Meri Kunvari Bhanji Aur Meri Chudai Ki Sex Story)

रितेश 2017-06-06 Comments

हैलो दोस्तो, मैं रितेश, 25 साल का नागपुर से हूँ। मैं हिंदी सेक्स स्टोरी की बेहतरीन साईट अन्तर्वासना का बहुत बड़ा फैन हूँ। मैं इस साईट को पिछले 7-8 सालों से पढ़ रहा हूँ। जब तक यहाँ पर प्रकाशित लंड खड़ा कर देने वाली चुदाई की कहानियों को पढ़ कर मुठ न मार लूँ, मुझे चैन ही नहीं मिलता है।

ये सेक्स स्टोरी मेरी भांजी और मेरी चुदाई को लेकर है।

मेरा एक कम्पटीशन का एग्जाम था, तो मुझे पुणे जाना पड़ा। वहाँ मेरी कज़िन बहन रहती हैं, जिनका डाइवोर्स हो चुका है। वो पुणे में अपने 2 बच्चों के साथ रहती हैं। उनकी बेटी, जो मेरी भांजी है.. उसका नाम प्रतीक्षा है। वो करीब 21 साल की, गुड लुकिंग माल है। वो इतनी सुंदर है कि मुझे भी इस बात का घमंड होता है कि वो मेरी बहन की लड़की है।

मैं और मेरी भांजी, हम दोनों काफ़ी सालों बाद एक-दूसरे से मिल रहे थे। यूं समझिए कि बचपन के बाद अब उससे मिल रहे थे। अब उसके हुस्न की बात ही कुछ और थी।

हम दोनों फेसबुक पर बातें किया करते थे। मुझे ऐसा लगता था, जैसे वो मुझसे आकर्षित थी। उसका छोटा भाई जो 12वीं में था और अपनी पढ़ाई में काफ़ी गम्भीर था। मेरी दीदी का दो कमरे का फ्लैट था, जिसमें एक बेडरूम में दी और प्रतीक्षा सोती थी और दूसरे में मैं और मेरा भांजा सोते थे।

पहली रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं पानी पीने उठा तो मैंने देखा कि मेरी भांजी हॉल में बैठ कर टीवी देख रही है। मैं भी पानी पीकर उसके पास जाकर बैठ गया। टीवी पर उसकी पसंद की हिंदी मूवी चल रही थी।
वो- आपने नहीं देखी है न ये मूवी?
मैं- बहुत बार कोशिश की, पर कभी पूरी नहीं देख पाया.. बहुत पकाऊ मूवी है।
वो- हा हा… रहने दो, जब पूरी देखी ही नहीं.. तो कैसे पता कि पकाऊ है? आप ना, बहुत ही अनरोमांटिक लग रहे हो मामू.. मुझे पता नहीं कि आपकी गर्लफ्रेंड का क्या होगा..!
मैं- अच्छा.. मतलब तुमको कोई आइडिया नहीं है कि मैं कितना रोमांटिक हूँ? कभी मुझे समझने की भी कोशिश करो यार..!
वो- अच्छा.. जरा हमें भी दिखाओ कि कितने रोमांटिक हो आप..?

उसकी इस बात पर, पता नहीं क्यों लेकिन मैंने उसे एकदम से अपनी बांहों में भर लिया और उसके माथे पर चूम लिया।
वो शांत थी.. उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं उभरा।
मैं डर गया और गुडनाईट बोल कर वहाँ से चला गया।

अगले दिन सुबह मैं एग्जाम देने गया। उस वक्त वो सामान्य थी, तब मुझे लगा कि कोई दिक्कत नहीं है।
फिर शाम को हम दोनों ने साथ ही खाना-वाना खाया। फिर दी और मेरा भांजा सोने चले गए क्योंकि उनको सुबह जल्दी जाना पड़ता है। इस बार मैं बैठा रहा और थोड़ी देर बाद वो भी सब काम निपटा कर आ गई। हम दोनों फिर मूवी देखने लगे।

मैं- जरा सुनना..!
वो- क्या?
मैं- सॉरी, कल के लिए..!
वो- इट्स ओके यार.. हो जाता है.. और वैसे भी आपकी तो कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं है तो आपको तो ज्यादा सुरसुरी होती होगी ना..!
मैं- यस.. लेकिन तुझे बड़ा पता है इसके बारे में.. क्या तूने ये सब किया है?
वो- ओयए.. ऐसा कुछ नहीं है.. बस यूं ही कभी किस-विस किया है।
‘किसके साथ?’
‘वो मेरा एक ब्वॉयफ्रेंड था, उसके साथ.. थियेटर में हो जाता था।’
मैं- क्यों ओन्ली किस क्यों.. इससे ज्यादा भी कर सकती थी ना?
‘करना तो था.. पर साला वो कमीना निकला, उसकी एक गर्लफ्रेंड और भी थी, तो मैंने उसे ‘भाड़ में जा..’ बोल कर भगा दिया।
मैं- ओह तू बेचारी.. कैसे होगा तेरा..?
वो- आप तो ऐसे बोल रहे हो जैसे आपके पास गर्ल्स का बहुत स्टॉक पड़ा है!
मैं- ना.. स्टॉक तो नहीं है, लेकिन मुझे मालूम है कि कोई है, जो मुझमें कुछ देखती है।
वो- वाउ, कौन है वो लकी??
मैं- ज़रा नजदीक को आओ.. मैं तुम्हें बताता हूँ।

फिर मैंने उसे अपनी ओर खींच कर ज़ोर से हग किया। इस बार मैंने उसको पूरी तरह सामने से भींचा। उसकी चुची मेरे सीने पर दब रही थी। मुझे बहुत ही अच्छी फीलिंग आई थी। ये मेरा पहला मौका था।

वो कन्फ्यूज़ थी कि मेरे साथ कुछ करे या ना करे।
उसने कहा- शायद ये ग़लत है। आप मेरे मामा हो, मैं आपके साथ ये सब नहीं कर सकती।
मैंने उससे कहा- रिश्तों को एक तरफ रख कर अपने दिल से पूछो कि मेरा साथ अच्छा लग रहा है कि नहीं। अगर तुमको मेरे साथ अच्छा फील हो रहा हो तो भूल जाओ कि मैं तुम्हारा क्या हूँ।
उसने कहा- ये डायलॉग तो बढ़िया था.. लेकिन इतना सारा और बड़ा-बड़ा बोलने की जरूरत नहीं थी। मैं तो खुद ये सब कब से चाहती हूँ.. आज जाकर मौका मिला है।

उसके मुँह से ये सब सुनकर मैंने उसके चूतड़ों पर एक चपत मारी और कहा- साली रंडी।
उसने बड़ी ही सेक्सी सी आवाज़ निकाली और कहा- हाँ, मैं तुमको पसंद करती हूँ।

फिर मैंने उसे किस करना चालू किया…ये मेरा फर्स्ट किस था.. बहुत ही अमेज़िंग लग रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था कि बस उसके होंठों को चूसता ही रहूँ। जितना भी रस है उसके अन्दर, बस पी जाऊँ, खा जाऊँ।

फिर मैंने उसके गालों को चाटना चालू किया.. और उसके टॉप को निकाल दिया। उसके छोटी सी ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचों को सक करना शुरू कर दिया। उसकी मादक आवाजें मुझे और भी ज्यादा एग्ज़ाइट कर रही थीं।

तभी वो चिल्लाई- शिट यार.. बेडरूम के दरवाजे तो खुले ही हैं, रूको मैं बंद करके आती हूँ।

कमरे में अंधेरा था.. वो वैसे ही ब्रा में भागती चली गई और दोनों बेडरूम्स के दरवाजे बंद करके आई।

‘अब कोई दिक्कत नहीं है.. अब अपुन अपनी फिल्म चालू कर सकते हैं।’
मैंने कहा- हूँ.. करते हैं न।

फिर मैं उस पर टूट पड़ा और उसकी ब्रा निकाल कर उसकी चुची पागलों की तरह दबाने लगा।

उसकी चुची एकदम सुडौल आकार में बड़ी ही मस्त थीं। उसको मैंने सोफे पर लिटा कर उसके एक निप्पल को अपने मुँह में ले लिया और दूसरे को हाथ से दबाने लगा। वो कामुक सिसकारियां ले रही थी।

अब मैंने उसकी नाइट पेंट भी नीचे कर दी और क्या मस्त नजारा था.. आह.. कैसे कहूँ। पिंक पेंटी में वो मदमस्त माल लग रही थी।

आप कल्पना कीजिएगा कि एक कमसिन मदमस्त लौंडिया केवल गुलाबी पेंटी में मेरे लंड से चुदने के लिए सोफे पर चित्त पड़ी हो.. कैसा हसीन मंजर होगा।
मैंने कभी सोचा ही नहीं था.. कि कभी मेरे साथ ऐसा भी होगा, पर ऐसा हो रहा था।

मैंने उसकी बुर को पेंटी के ऊपर से हाथ लगाया.. दबाया.. पिंच किया.. तो वो चुदास भरे स्वर में सिसिया रही थी- अह मामू… उम्म्ह… अहह… हय… याह… थोड़ा धीरे से करो न..!
मैं कहाँ सुनने वाला था। मैंने उसकी पेंटी उतार दी और वहाँ पर किस किया फिर बुर को ऊपर से चूसना चालू कर दिया। उसकी कामुक आवाजों से लग रहा था कि सच में मैं उसके साथ कुछ बहुत अच्छा कर रहा हूँ।

उसने बहुत एंजाय किया, फिर वो झड़ गई तो मैंने उसकी बुर का नमकीन पानी पी लिया, बहुत मजा आया।

अब उसने मुझे लिटा दिया और मेरे कपड़े उतार कर मेरे लंड से खेलते हुए लंड की मुठ मारने लगी।
मैंने कहा- बेटी, मुँह में अन्दर लेकर चूस इसे!

उसने अगले ही पल मुझे ब्लोजॉब देना चालू कर दिया। ये जो ब्लोजॉब होता है न.. उसको मैंने अब तक सिर्फ इमेजिन ही किया था.. पर ये जो असली वाला हो रहा था.. अह.. वो पारलौकिक आनंद से परिपूर्ण था.. एकदम निशब्द।

मैंने उससे कहा- देख कंडोम तो है नहीं यार..!
वो बोली- आई डोंट केयर.. बस चोद दो और वैसे भी मैं अभी ही मासिक से फारिग हुई हूँ तो कोई लोचा नहीं है।
मैंने कहा- तू पीरियड्स में ना भी होती तब भी चुदाई तो करता ही.. वो तो तुझे सिर्फ़ बोलने के लिए कहा था कि कंडोम नहीं है।

मैंने उसे मिशनरी पोज़िशन में लिया और उसकी बुर पर मेरा लंड सैट किया।

मैं भी पहली बार लंड की ओपनिंग कर रहा था और भी बुर की सील खुलवा रही थी। इसी वजह से लंड आसानी से अन्दर जा ही नहीं रहा था। बड़ी टाइट बुर थी और लंड बार-बार फिसल भी रहा था।
अब मैंने बड़ा ही पारंपरिक तरीका अपनाया। लंड पर वैसलीन लगाई.. फिर ट्राइ किया। इस बार सुपारे के साथ लंड का कुछ हिस्सा बुर में चला गया। मेरा टांका टूटा तो जरा खून निकला और उसका भी निकला। हम दोनों को दर्द हुआ। वो चिल्लाई.. थोड़ी देर बाद दर्द का आलम रहा, फिर ठीक लगने लगा।

मैंने और प्रेशर दे दिया और थोड़ा अन्दर घुसेड़ा.. ऐसा करते-करते मेरा लंड पूरी तरह उसकी बुर में समा गया।
अब उसे भी मजा आने लगा। चुदाई के साथ किसिंग, सकिंग भी चलती रही, बड़े मज़े से छप-छप की मदमस्त आवाजें कमरे में गूँजती हुई ज्यादा अच्छी लग रही थीं।

फिर मैं उसके अन्दर ही झड़ गया और उसके ऊपर ही लेटा रहा।

वो भी शांति से पड़ी रही.. फिर उसने धीरे से कहा- मामू, आई लव यू!
मैंने भी कहा- आई लव यू टू बेटी!

फिर उस रात हमने और 2 बार चुदाई की। शायद सोने में 4 बज गए थे।

वाट तो तब लगी जब मैं सुबह उठा.. तब पता चला कि हम दोनों ऐसे ही नंगे बिना बेडरूम के दरवाजे खोले सो गए थे। दीदी को आना था इसका हम दोनों को ख्याल ही नहीं रहा। खैर हमने दरवाजा लॉक क्यों किया था, इसका जवाब प्रतीक्षा को देना पड़ा।

यह थी मेरी अपनी भांजी के साथ चुदाई की कहानी.. इस दौरान हम दोनों ने ही अपना कौमार्य खोया था।
आपके मेल का वेट करूँगा।
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