मेरा गुप्त जीवन- 184

(Mera Gupt Jeewan- part 184 Mer Khade Lund Ki Kahani)

यश देव 2016-08-15 Comments

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कम्मो रुआंसी हो गई कि उसको भी मूर्ख बनाया एक लड़की ने!

मेरे हमेशा खड़े लंड की कहानी

अब मौसी मेरे पास आ गई और मेरे लन्ड के साथ खेलने लगी और लन्ड अभी भी किरण की चूत के पानी से गीला था।
लन्ड को अभी भी खड़ा देख कर मौसी चौंक पड़ी और पूछने लगी- क्यों सोमू तेरा लन्ड कभी बैठता नहीं क्या? जब से मैं इसको देख रही हूँ और इसका इस्तेमाल कर रही हूँ यह वैसे का वैसे ही खड़ा है।

कम्मो पास आकर मौसी को बोली- मौसी जी, आप को एक राज़ की बात बताऊँ, छोटे मालिक को एक लाइलाज बीमारी है जिसकी वजह से जब ये चाहते हैं इनका लन्ड खड़ा हो जाता है और जब तक ये चाहें यह खड़ा ही रहता है। छोटे मालिक का वीर्य भी बहुत कम बार छूटता है, यही कारण है कि छोटे मालिक हर समय चुदाई के लिए तैयार रहते हैं। आप से हाथ जोड़ कर विनती है आप बड़ी मालकिन या फिर बड़े मालिक को यह बात कभी ना बतायें, उनके दिल को खामख्वाह ठेस पहुँचेगी।

मौसी थोड़ी फिक्रमंद होते हुए बोली- ओह्ह सोमू की जान को तो कोई खतरा नहीं है ना इस बिमारी से? इसका कोई इलाज तो होगा ना? हर वक्त लन्ड का खड़ा रहना भी ठीक नहीं है ना?

कम्मो बात सँभालते हुए बोली- नहीं मौसी, मैंने छोटे मालिक को बहुत सारे डॉक्टरों को दिखाया है और सबने यही दिलासा दी कि यह बिमारी कभी कभी अपने आप ठीक भी हो जाती है। लेकिन मैं इनको हकीम साहब की दवाई दे रही हूँ जिससे इनको काफी फायदा हो रहा है।

मौसी मुस्कराते हुए बोली- जब तक सोमू की यह बीमारी चल रही है तो हम लड़कियों की तो मौज हो गई ना! जब चाहो और जब तक चाहो सोमू राजा से चुदवा लो और सब से बड़ा लाभ यह है कि गर्भ इत्यादि ठहरने का भी कोई डर नहीं। तभी मैं कहूँ… कल रात भी सोमू मुझको कई बार चोदता रहा लेकिन मेरी चूत में इसके वीर्य का एक कतरा भी नहीं गिरा।

कम्मो बोली- ऐसा नहीं है मौसी कि छोटे मालिक का कभी भी वीर्य पतन नहीं होता। इनका भी साधारण पुरुषों की भांति वीर्य पतन होता है लेकिन मैंने छोटे मालिक को ऐसी ट्रेनिंग दी है कि ये जब तक चाहें अपना वीर्य रोक सकते हैं।

अब मौसी मेरी तरफ और कम्मो की तरफ रहस्यमयी तरीके से देखने लगी और फिर कुछ सोच कर कहने लगी- लगता है तुम दोनों का सम्बन्ध काफी समय से है? सच बताना सोमू, तुम कब से कम्मो के साथ अपने सम्बन्ध बनाये हुए हो?

मैं बिना झिझक के बोला- ऐसा है मौसी, जब से मैंने होश संभाला है तब से ही कम्मो मेरे साथ है। हो सकता है उससे पहले से ही कम्मो मेरी देखभाल कर रही हो लेकिन जब से मैं कुछ समझने के काबिल हुआ हूँ तब से ही मैंने कम्मो को मेरी देखभाल करते हुए ही पाया है।
दरअसल वो मेरी दाई और मेरी ख़ास मेड के रूप में ही काम करती रही है क्योंकि मेरी मम्मी के पास मेरे लिए कोई ख़ास समय नहीं होता था तो मैं ज़्यादातर नौकरानियों के सहारे ही पला और बड़ा हुआ हूँ।
मैं नहीं जानता कब से है हम दोनों साथ साथ हैं लेकिन इतना मुझ को याद है कि जब मैं बहुत छोटा होता था तभी से कम्मो को ही देखा है जो मेरा पूरा ख्याल रखती थी और मौसी… मेरी मम्मी भी कम्मो के मेरे पास रहने से काफी आश्वस्त रहती हैं और उस पर वे पूरा विश्वास करती थी और करती हैं अभी भी!
इस लिए मैं कम्मो को अपनी गुरु, सहेली और रखेल के रूप में मानता हूँ.

यह सुन कर मौसी कुछ सोच में पड़ गई लेकिन फिर जल्दी ही सामान्य होते हुए बोली- वैसे मैं भी कम्मो को यहाँ सोमू के साथ देख कर काफी तसल्ली में हूँ कि वो उसकी पूरी तरह से देखभाल कर रही है और ख़ास तौर से उसकी अजीब बीमारी के मद्देनज़र उसके पास एक समझदार व्यक्ति का होना बड़ा ही तसल्ली बक्श लगता है।

ये सारी बातें किरण चुपचाप सुन रही थी लेकिन उसके हाथ मेरे लन्ड और अंडकोष के साथ ही खेल रहे थे।
अब उस ने मुझको पलंग पर बिठा दिया और खुद अपना मुंह मेरी तरफ कर के मेरी झोली मैं बैठ कर लन्ड को अपनी चूत में डाल कर और अपनी बाहों को मेरे गले में डाल कर झूला झूलने लगी।

अब हैरान होने की बारी मौसी की थी और उसने किरण के कान को पकड़ा और डांट कर पूछने लगी- क्यों री, यह नया झूला झूलना कहाँ से सीखा?
किरण बिना कुछ जवाब दिए अपने झूले में बैठ कर लन्ड का मज़ा ले रही थी और जैसे जैसे किरण को ज़्यादा मज़ा आ रहा था, उसकी मेरे लन्ड पर पींगें और भी तेज़ होती जा रही थी।

थोड़ी देर लन्ड पर झूला झूलने के बाद ही किरण का एक बहुत ही तीव्र स्खलन शुरू हो गया और वो मेरी छाती से चिपक कर अपनी कमर को तेज़ी से हिलाने लगी।
स्खलन के समाप्त होते ही वो मेरी छाती पर निढाल हो कर लेट गई।

इस बीच कम्मो मौसी को बादशाही बेड पर चित लिटा कर उनकी सफाचट चूत को चूसने और चाटने में मग्न थी।

ऐसा करते हुए कम्मो की गांड हवा में लहरा रही थी और मैंने अच्छा मौका देख कर कम्मो के पीछे खड़ा हो कर उसकी गांड को थोड़ा ऊँचा किया और उसकी उभरी हुई चूत में अपने खड़े गीले लन्ड को धीरे धीरे से डाल कर एक ज़ोर का धक्का मारा और लन्ड फिच करके कम्मो की गीली चूत में प्रवेश कर गया।

मेरा पूरा लन्ड कम्मो की चूत की गहराइयों में गोते लगा रहा था और कम्मो की जीभ मौसी की चूत पर तांडव कर रही थी और किरण अपनी थकी चूत पर हल्के से हाथ फेर रही थी।

अच्छा नजारा था लेकिन जब मौसी कम्मो से फ़ारिग़ हुई तो उसका ध्यान मेरी तरफ था और उनकी नज़र मेरे लन्ड पर ही टिकी थी।

तब कम्मो ने मौसी का ध्यान अपनी तरफ खींचते हुए पूछा- क्यों मौसी, कभी गांड मरवाई है?
मौसी चौंक कर बोली- नहीं कम्मो, अभी तक तो मौका नहीं मिला… लेकिन मेरी बहुत इच्छा है गांड मरवाने की! .कौन मारेगा मेरी गांड?

कम्मो मेरी तरफ देखते हुए बोली- अगर आपकी बहुत इच्छा हो तो कुछ इंतज़ाम किया जा सकता है?
मौसी एकदम खुश होते हुए बोली- कम्मो कर दे इंतज़ाम, मैं गांड मरवाने के लिए तैयार हूँ।
किरण भी बोल पड़ी- मैं भी तैयार हूँ, मैंने भी गांड मरवानी है।

कम्मो हँसते हुए बोली- दूर क्यों जाना है, अपने छोटे मालिक यह काम कर देंगे अगर आप उनसे हाथ जोड़ कर विनती करोगी तो?

मौसी और किरण जो पैर पसार कर अपनी उभरी हुई सफाचट चूतो को उठा उठा कर पलंग पर पसर रही थी, अब एकदम अटेंशन हो गई और दोनों मेरे को घेरने लगी।

मौसी अनुनय करते हुए बोली- सोमू यार, मैंने कभी ज़िन्दगी में गांड नहीं मरवाई। आज बड़ी इच्छा है कि तुम मेरी गांड मारो तेल लगा कर… मारोगे क्या?
उधर किरण कहाँ पीछे रहने वाली थी- सोमू, याद रखना कि अगर मम्मी की गांड मारोगे तो मेरी भी गांड मारनी पड़ेगी क्रीम लगा के!बोलो हाँ या ना?

मैं और कम्मो दोनों ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे और तब कम्मो बोली- ठहरो मौसी, मैं आप सबके लिए कुछ पीने का सामान लेकर आती हूँ रसोई से, उसके बाद कुछ सोचेंगे।

यह कह कर कम्मो रसोई की तरफ चल दी बिना एक भी कपड़ा शरीर पर पहने… बिल्कुल नंगधंड़ग!
वैसे भी मैंने अक्सर देखा था कि कम्मो काफी साहसी प्रकृति की मालिक थी और जो मन में धुन सवार हो जाती थी, उसको पूरा करती थी।

थोड़ी देर बाद कम्मो ट्रे में रख कर दूध के गिलास ले आई और बोली- मौसी, यह स्पेशल दूध है जो मैंने आप सबके लिए बनाया है क्योंकि गांड मरवाई में काफी मेहनत और ताकत लगती है मर्दों की और औरतों की भी!

हम सबने दूध पी लिया और पीते ही काफी शक्ति का संचार महसूस करने लगे। हम चारों बादशाही पलंग पर नंगधंगड़ लेट गए।
मेरी एक तरफ मौसी अकेली थी और दूसरी तरफ किरण और कम्मो थी।

चुप्पी को तोड़ते हुए मैंने मौसी से पूछा- मौसी जीम यह हमारे मौसा जी आपके साथ कब कब सेक्स करते हैं? हफ्ते में कितनी बार?
मौसी शर्माते हुए बोली- अरे सोमू, कुछ तो मेरी बेटी का लिहाज़ करो जो हमारे साथ लेटी हुई है।

किरण फ़ौरन बोल पड़ी- रहने दो मम्मी… मैंने कई बार आपको रात को पापा से चुदते हुए देखा है। हमारे कमरे साथ साथ ही तो हैं हमारी कोठी में! आप जब चुदाई करने लगते थे तो ज़रा भी खटका होने से मेरी नींद खुल जाती थी और मैं परदे के पीछे से आप दोनों के करतब देखती थी। तभी से मुझको उंगली और बाद में खीरे और मूली का इस्तेमाल करना पड़ता था अपने को शांत करने के लिए इसी कारण मेरी कुंवारेपन की झिल्ली फटी हुई थी। सचमुच में मैं आज से पहले किसी मर्द से नहीं चुदी और सोमू ही मेरा पहला मरदुआ है।

मैं बोला- हाँ तो मौसी, आपने कुछ जवाब नहीं दिया मेरे सवाल का?.
मौसी बोली- शादी के शुरू शुरू में तो तेरे मौसाजी ने मुझको रोज़ रात को 2-3 बार चोदा करते थे लेकिन जैसे जैसे ही समय बीतता गया तेरे मौसा जी ने हफ्ते में दो बार और फिर बाद में हफ्ते में एक बार और आजकल तो महीने में एक बार ही आते है मेरे पास!

कम्मो बोली- मुझको पक्का यकीन है कि वो उन दो-तीन दिनों में ज़रूर आते होंगे जिन दिनों आप पर खूब गर्मी चढ़ती है हर महीने में और आपका मन का चुदाने के लिए बहुत तड़पता होता है।

मौसी हैरान होते हुए बोली- हाँ, वो उन्हीं दिनो में मेरे पास ज़रूर आते हैं जब मेरा शरीर बहुत ही गर्म और चूत में खुजली शुरू हो जाती है। लेकिन कम्मो तुम को कैसे मालूम?

कम्मो मुस्कराई और बोली- ज़्यादातर औरतों को नहीं मालूम होता है कि जब माहवारी के 10-15 दिन बाद उनके अंडे गर्भाशय में आ जाते है तो उन दिनों उनके मन में चुदवाने की बहुत ही तीव्र इच्छा पैदा होती है और उनके शरीर से एक बहुत ही मादक गंध निकलती है जो उनके साथ लेटे हुए मर्द को अनजाने में ही अपने साथ लेटी हुई औरत को चोदने के लिए प्रेरित करती है।
यही हाल जानवरों के साथ भी होता है.

मौसी बोली- वाह कम्मो, तुम्हारी जानकारी तो गज़ब की है। सोमू तेरे मौसा जी को चुदाई के यह आसन जो तुमने किये थे वो कतई मालूम नहीं… और न ही उन्होंने कभी चूत में मुंह डाला है और ना ही उन्होंने मेरे इतने सुंदर मम्मों को चूस कर देखा! मेरी सेहलियों के पति भी कभी ऐसा नहीं करते है और सब यही कहती है कि उन के पति भी अक्सर रात को उनका पेटीकोट ऊपर करते हैं और सूखी चूत में अपना खड़ा लंड डाला और 5-6 मिनट में ज़ोर के धक्के मारे और अपनी खाट को थोड़ा चरमराया और पानी छोड़ कर अलग हो कर गहरी नींद में खुर्राटे मारने लगते हैं। यही है इन लोगों की मर्दानगी।

मौसी ने बोलना जारी रखा- मेरी सहलियों में से जिनके पति पड़े लिखे है वो अपने पतियों से बहुत ही खुश है क्योंकि उनको कामकला का काफी ज्ञान होता है और वो अपनी पत्नियों को कैसे काम तुष्टि प्रदान करनी है, सब ज्ञात होता है।

मैं बोला- यही कारण है कम्मो को काम कला और उससे सम्बन्धित सब बातों का गूढ़ ज्ञान है और इस ज्ञान की वजह से वो स्त्रियों की बिमारी का काफी हद तक इलाज कर देती है।

किरण जो यह सब बातें सुन रही थी, बोली- आप लोगों की इन बातों में हमारी तो गांड मरवाई तो रह गई ना!
कम्मो बोली- नहीं किरण दीदी, छोटे मालिक के खड़े लन्ड को सब याद रहता है और वो थोड़ी देर में अपने आप ही हम सबकी गांड मारने लगेगा।

यह सुन कर हम सब हंस पड़े!

कहानी जारी रहेगी।
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