सोनू और बिट्टू की एक साथ चुदाई

मेरा नाम निखिल है, मेरी उम्र 22 साल है. मैं इंदौर का रहने वाला हूँ. यह मेरी पहली कहानी है. मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. मैं आपको अपनी वास्तविक घटना बताना चाहता हूँ, जो आज से एक वर्ष पहले मेरे साथ घटी.

बात उस समय की है, जब मैं और मेरा चचेरा भाई निशांत हम दोनों साथ में दादाजी के यहाँ गये थे.

हम सुबह-सुबह हमारे गाँव पहुँच गये. वहाँ हमें हमारे छोटे चाचा का बेटा लेने आया था.

गर्मी की छुट्टी होने के कारण हमारे बड़े दादाजी की पोतियाँ भी आई हुई थीं, एक नाम बिट्टू था जिसकी उम्र 20 रंग गेहुआ शरीर पूरा भरा हुआ था और दूसरी का नाम सोनू था, जिसकी उम्र 19 रंग गोरा और वक्ष के उभार बड़े-बड़े थे.

हमारे गाँव में रात्रि 8 बजे के बाद बिजली की कटौती होती थी. गर्मी के कारण सभी को बाहर आँगन में सोना पड़ता था.

रात्रि का भोजन करने के बाद मैं और निशांत घर की छत पर खड़े हुए थे. उस समय रात्रि के 9 बज रहे थे, तभी सीढ़ियों में से किसी के आने की आहट मिली.

बिट्टू और सोनू छत पर आ रही थीं. हम उम्र होने के कारण हम सभी आपस में नाम लेकर ही बात करते थे.

बिट्टू आते से ही हालचाल पूछने लगी- कैसा है, और कब आया?’

बिजली ना होने का कारण हम सब लोग बोर हो रहे थे. तभी सोनू के दिमाग़ में एक आइडिया आया. क्यों ना हम बचपन की तरह छुपन-छुपाई खेलें!

पहले तो मैंने साफ़ मना कर दिया, पर बाद में सोनू और बिट्टू के ज़िद करने पर मैंने ‘हाँ’ कर दी.

मैं निशांत, सोनू, बिट्टू और मेरे छोटे चाचा का लड़का हम पाँचों छुपन-छुपाई खेलने वाले थे. सबसे पहले दाम देने की बारी मेरे छोटे चाचा के लड़के पर आई.

हम सब लोग छुपने लगे. बिजली ना होने के कारण सब लोग घर के अंदर छुपने लगे.

मैं पलंग के नीचे छुपा था. कुछ ही देर में ऐसा लगा कोई मेरे बगल में लेटा हुआ है. बिजली ना होने के कारण मैं कुछ साफ़ देख नहीं पा रहा था.

मैंने धीरे से आवाज़ लगाई- कौन है?
आवाज़ आई- मैं बिट्ट हूँ.

वो मेरे काफ़ी नज़दीक थी, दरवाजे में से किसी के आने की आहट हुई, बिट्टू अचानक डर गई और वो मेरे और करीब आ गई.

उसकी जाँघें मेरे लण्ड से टकरा रही थी और मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था, वो मेरे लण्ड को महसूस कर रही थी.
उसने कहा- अब तुम बड़े हो गये हो.
यह बोल कर बिट्टू चली गई.

अगले दिन सुबह होते ही बिट्टू ने सोनू को रात की पूरी घटना बता दी. सोनू और बिट्टू मुझे देख देख कर हँस रहे थे.

कुछ ज़रूरी काम आने के कारण निशांत अपने मामाजी के यहाँ चला गया. मैं अकेला दिन भर बोर होता रहा. रात्रि का भोजन करने के बाद मैं रोज की तरह छत पर चला गया.

थोड़ी ही देर मैं किसी के ऊपर आने की आहट हुई, बिट्टू थी, और साथ में कोई नहीं.

मैंने पूछा- सोनू कहाँ है?
वो बोली- आज वो जल्दी सो गई है. उसकी कुछ तबीयत ठीक नहीं है.

हम फिर बात करने लगे. बात करते-करते मैंने पूछा- क्यों, कल रात जैसा आज भी कुछ खेलें?

‘क्या? आज तो सिर्फ हम दोनों ही हैं?’ वो बोली.
मैंने कहा- एक खेल है, जो दो लोग ही खेलते हैं.
वो हँसने लगी. मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी और खींचा और उसे अपनी बाँहों में ले लिया.
उसने कुछ नहीं कहा.
उसने पूछा- अब आगे कैसे खेलते हैं?

मैंने उसके होंठों पर एक चुम्मा लिया, वो गर्म होने लग गई थी. मैं ऊपर से स्तन दबाने लगा था. रात का समय था. मैंने उसका टॉप उतार दिया और उसकी ब्रा में कैद उसके संतरे चूसने लगा.

वो मदहोश हो चुकी थी. मैंने धीरे से उसकी जीन्स उतारी और चड्डी में उंगली करने लगा. उसकी चड्डी गीली हो चुकी थी. वो ब्रा और चड्डी में बहुत ख़ूबसूरत लग रही थी.
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और उसकी ब्रा-चड्डी भी उतार दी. उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था. मैं पागल हो रहा था. मेरा लंड कड़क होने के कारण फुफकार रहा था.

मेरा लंड देख कर वो चौंक गई, कहने लगी- यह इतना बड़ा होता है?
मैंने कहा- जानेमन, आज तुझे बहुत मजा आने वाला है.
मैंने थूक लगा कर चूत में लंड का सुपारा टिका दिया और धीरे-धीरे रगड़ने लगा.
एक ज़ोर-दार धक्के से लंड का सुपारा अंदर हो गया और बिट्टू की आँख में से आँसू आने लगे.

मैंने होंठ से होंठ दबा लिए. मैंने फिर से एक जोरदार झटका मारा और लण्ड पूरा बिट्टू की चूत में समा गया. बिट्टू ने मुझे कस कर पकड़ लिया.
मैं अब धीरे-धीरे धक्के देने लगा. बिट्टू को भी मजा आ रहा था. वो मजे में ‘आईई उईईई उफ्फफ्फ़’ कर-कर के चूत नीचे से उठा-उठा कर चुदवा रही थी और कामुक सीत्कारें ले रही थीं, बोल रही थी- मज़े से चोदो, आज स्वर्ग का मजा मिल रहा है.’

अचानक किसी के नीचे से ऊपर आने की आहट आई. वो और कोई नहीं, सोनू थी.
मुझे और बिट्टू को ऐसे हालत मैं देख कर वो चौंक गई और बोलने लगी- मैं तुम्हारी शिकायत नीचे जाकर करूँगी.
बहुत समझाने पर वो मान गई, पर सोनू ने एक शर्त रखी- निखिल तुझे भी मेरे साथ एक बार सेक्स करना पड़ेगा.’
मैंने कहा- मेरी रानी हम तीन मिलकर आज रात भर सेक्स करेंगे.

सोनू भी अपने कपड़े धीरे-धीरे उतारने लगी. आखिर में उसके शरीर पर एक मखमली सी पेंटी रह गई. वो भी पेंटी क्या थी, पेंटी के नाम पर धब्बा था, उससे सिर्फ उसकी चूत ही ढकी थी. उसके पूरे चूतड़ खुले थे, और पेंटी की रस्सी उसकी गाण्ड में घुस रही थी.
सोनू मेरे पास आई और मेरे होठों को चूसने लगी, जैसे इंग्लिश फिल्मों में करते हैं.
ऐसा उसने 5 मिनट तक किया. मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था, मसल रहा था, नीचे बिट्टू मेरे लण्ड को चूस रही थी और अपने हाथों से अपने स्तन भी दबा रही थी.
कभी-कभी मैं भी उसके वक्ष दबा देता. मुझे दुगना मजा मिल रहा था.

फिर सोनू ने अपने चूची मेरे मुँह में रख दी और कहने लगी- जी भर के चूसो इसे.
मैं चूसने लगा, वो बहुत कामुक हो गई- आअ हाआअ आह आः आह’ करने लगी और सिसकारियाँ लेने लगी.
बिट्टू लण्ड चूसती रही. फिर बिट्टू ने सोनू को परे किया और कहने लगी अब मेरे भी दूध पीओ, निकाल दो सारा दूध इनमें से.

मैं बिट्टू की चूचियाँ चूसने लगा और सोनू अब मेरा लण्ड चूसने लगी. मैं सोनू के चूचे भी अपने हाथों से दबा देता. लण्ड चूसते-चूसते कभी कभी सोनू मेरे दोनों अंडकोष को भी मुँह में ले लेती जिससे मेरे मुँह से ‘आह’ निकल जाती.
बिट्टू भी गर्म होकर सिसकारियाँ लेने लगी- आअ हाअ हाआअ उफ्फ्फ हईईए’ करने लगी.
अब सोनू अपनी टाँगें चौड़ी करके बैठ गई और मुझे इशारा किया, मैं समझ गया. सोनू की चूत पर एक भी बाल नहीं था और नर्म चूत गुलाबी रंग की थी. मैंने सोनू से कहा- मैं भी ये गुलाबी चूत चाटना चाहता हूँ.

मैंने उसकी चूत में जैसे ही जीभ डाली, उसके मुँह से फिर से कामुक सिसकारियाँ निकलने लगी. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं.
मैंने जीभ से चूत को चाटना शुरु कर दिया. सोनू ‘आःह्ह्ह आःह्ह्ह आःह्ह्ह उईए उईए’ करने लगी. वो चूत के ऊपर मेरे मुँह को दबा लेती, बगल में ही बिट्टू भी टाँगें चौड़ी करके लेटी थी.
मैं उसकी चूत में उंगली कर रहा था और उसके दाने को मसल देता था जिससे वो भी ‘आअई आईईए उफ्फ्फ’ कर रही थी.
थोड़ी देर बाद सोनू कहने लगी- कम निखिल, फक्क मी. फक्क मी.

सोनू ने टाँगे ऊपर की हुई थीं, मैंने अपना लण्ड सोनू के चूत में पेल दिया. सोनू ने सांस रोक ली और कहने लगी- आज कितने दिनों बाद मिला है लण्ड.
उसके चेहरे से खुशी झलक रही थी. मैंने सोनू को चोदना शुरु कर दिया.

उधर बिट्टू भी पूरी गर्म हो चुकी थी, बिट्टू भी अपनी टाँगे ऊपर कर कहने लगी- निखिल मुझे भी चोदो अब. अब रहा नहीं जाता.
सोनू की चूत से अपने भीगा हुआ लण्ड निकाल कर मैंने बिट्टू की चूत में पेल दिया सोनू लेटी हुए थी, मैं बिट्टू को चोद रहा था.
1
5 मिनट की जबरदस्त चुदाई करने के बाद बिट्टू भी झड़ने के कगार पर थी और फिर नीचे से धक्के देकर ‘आह्ह आह्हअह उई उईए सीई आई’ करती हुए मुझे अपने बाहों में जकड़ कर झड़ गई.
काफी देर हो गई थी. अब मेरा भी निकलने को हो रहा था. मैं बिट्टू की पानी टपकती चूत में जोर से लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा.
बिट्टू कहने लगी- दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- बस दो मिनट.
और 10-12 धक्के जोर-जोर से मारे और मेरा भी पानी निकल गया.

हम तीनों बिल्कुल नंगे लेटे हुए थे, बिट्टू की चुदाई देख कर सोनू गर्म हो चुकी थी. जैसे ही मैं उसके साथ में लेटा, सोनू लण्ड को पकड़ कर दबाने लगी और मुठ मारने लगी. बिट्टू भी पड़ी पड़ी सब देख रही थी.

कुछ देर बाद सोनू और मैं सोफे पर चले गए सोनू मेरे गोद में आ गई और मेरे लण्ड पर बैठ गई, ऊपर नीचे होने लगी. उधर से बिट्टू अपनी चूत मेरे मुँह के ऊपर करके बैठ गई. मैं बिट्टू की चूत चाट रहा था, इधर सोनू अपनी कमर ऊपर-नीचे कर कर के लगी हुई थी.

सोनू का काम अब करीब था. वो जोर-जोर से ऊपर-नीचे होने लगी और उसका बदन अकड़ने लगा, वो जोर-जोर से धक्के लगाते हुए झड़ गई. वो मेरे सीने पर लुढ़क गई.
बिट्टू और सोनू दोनों चुदाई से संतुष्ट दिख रही थी.

मैं वहाँ तीन दिन रुका और तीनों दिन बिट्टू और सोनू की चूत मारी.
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