कमाल की हसीना हूँ मैं-16

(Kamaal Ki Haseena Hun Mai- Part 16)

शहनाज़ खान 2013-05-08 Comments

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“शहनाज़ ! बहुत टाईट है तुम्हारी…” कहते हुए फिरोज़ भाईजान के होंठ मेरे होंठों पर आ लगे।

“आपको पसंद आई?” मैंने पूछा तो उन्होंने बस ‘हम्म’ कहा।

“यह आपके लिये है… जब जी चाहे इसको इस्तेमाल कर लेना।”

मैंने उनके गले में अपनी बांहें डाल कर उनके कान में धीरे से कहा, “आज मुझे इतना रगड़ो कि जिस्म का एक-एक जोड़ दर्द से तड़पने लगे।”

वो अब मेरे दोनों मम्मों को अपनी मुठ्ठी से मसलते हुए मेरी चूत में धक्के मार रहे थे, हर धक्के के साथ उनका लंड एकदम टोपे तक बाहर आता और फिर अगले ही पल पूरा अंदर समा जाता।

मेरी चूत को तकिये से उठा कर रखने की वजह से उनके लंड की हर हरकत मुझे नज़र आ रही थी। मैं इतनी उत्तेजित थी और मेरा इतनी बार झड़ना हुआ कि गिनती ही भूल गई।

मैं बुरी तरह थक चुकी थी। लेकिन वो लगातार मुझे आधे घंटे तक इसी तरह ठोकते रहे। मेरा जिस्म पसीने से लथपथ हो रहा था।

मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं बादलों में उड़ती हुई जा रही हूँ। मुझे चुदाई में इतना मज़ा कभी नहीं मिला था। लग रहा था कि काश फिरोज़ भाई जान सारी ज़िंदगी इसी तरह बिना रुके चोदते ही जाएँ बस… चोदते ही जाएँ !

पूरा बिस्तर उनके धक्कों से हिल रहा था लेकिन नसरीन भाभी और जावेद पर कोई असर नहीं पड़ रहा था। दोनों थक कर और शराब के नशे में बेसुध होकर गहरी नींद में सो रहे थे।

काफी देर तक इसी तरह चुदवाने के बाद जब मैंने महसूस किया कि फिरोज़ भाईजान के धक्कों में कुछ नरमी आ रही है तो कमान मैंने अपने हाथों में संभाल ली।

हमने पोज़ बदल लिया। अब वो नीचे लेटे थे और मैं उनके ऊपर चढ़ कर अपनी चूत से उनको चूस रही थी। उन्होंने मेरे कूदते हुए दोनों मम्मों को अपने हाथों से सहलाना शुरू कर दिया। मैंने अपनी चूत का दबाव उनके लंड पर बनाया और अब मैं उनके रस को जल्दी निकाल देना चाहती थी क्योंकि मेरा कई बार निकल चुका था और मैं थक गई थी।

लेकिन वो थे कि अपने लंड का फाउन्टेन चालू ही नहीं कर रहे थे। मुझे भी उनको ऊपर से करीब-करीब पंद्रह मिनट तक चोदना पड़ा तब जा कर मुझे महसूस हुआ कि अब उनके लंड से धार छूटने वाली है। इतना समझते ही मेरी चूत ने उनसे पहले ही अपना रस छोड़ दिया। वो भी मेरे साथ अपने रस का मेरी चूत में मिलाप करने लगे।

जैसे ही उनका छूटने को हुआ, उन्होंने मेरे निप्पल को अपनी मुठ्ठी में भींच कर अपनी ओर खींचा। नतीजा यह हुआ कि मैं उनके सीने से लग गई। उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में सख्ती से जकड़ लिया और अपना रस छोड़ने लगे। उनकी बाजुओं में इतनी ताकत थी कि मुझे लगा मेरे सीने की दो-चार हड्डियाँ टूट जायेंगी। काफी देर तक हम दोनों इसी तरह एक दूसरे की बाँहों में लेटे रहे।

मैंने उनके सीने पर अपना सिर रख दिया और आँखें मूँद कर उनकी घुण्डियों से खेलने लगी।

काफी देर तक हम एक दूसरे के जिस्म को सहलाते हुए लेटे रहे। मुहब्बत करते हुए फिरोज़ भाईजान को झपकी आने लगी, लेकिन आज तो सारी रात का प्रोग्राम था, इतनी जल्दी मैं कैसे उनको छोड़ सकती थी।

“क्या नींद आ रही है?” मैंने उनसे पूछा।

वो बिना कुछ कहे मुझसे और सख्ती से लिपट गये और अपना मुँह मेरे दोनों मम्मों के बीच में दबा कर अपनी जीभ उनके बीच फिराने लगे। एक तो उनकी जीभ और दूसरी उनकी गरम सांसें… मुझे ऐसा लग रहा था जैसे सीधे मेरे दिल में ही उतरती जा रही हैं।

मैंने उनको हटा कर उठाते हुए कहा, “मेरा तो सारा नशा उतर गया है… आओ एक-दो पैग लगाते हैं…”

“मुझे तो नींद सी आ रही है… कॉफी पिलाओगी?” उन्होंने कहा।

“अभी बना कर लाती हूँ… तुम्हें आज पूरी रात जागना है मेरे लिये… पर मैं तो व्हिस्की ही पीयूँगी… तब जा कर मदहोशी में सारी रात मज़ा कर सकूँगी”, कह कर मैं बिस्तर से उठी।

जैसे ही मैं अपने जिस्म को छुड़ा कर बिस्तर से नीचे उतरी तो उन्होंने मुझे हाथ पकड़ कर खींच कर वापस अपने ऊपर गिरा लिया और मेरे जिस्म को चूमने लगे।

“इतने उतावले भी नहीं बनो। अभी तो पूरी रात पड़ी है। अभी आपको तरो-ताज़ा बनाती हूँ, एक कड़क कॉफी पिला कर !” कहते हुए मैं वापस बिस्तर से उठी। मैंने नीचे उतर कर अपने कपड़े उठाने चाहे मगर उन्होंने झपट कर मेरे कपड़े अपने पास ले लिये और मुझे उसी तरह नंगी ही जाने को कहा।

मैं शरम से दोहरी हुई जा रही थी। उन्होंने मेरे कपड़े बिस्तर पर दूसरी ओर फ़ेंक दिये और उन्होंने भी बिस्तर से नंगी हालत में उतर कर मुझे अपनी बाँहों में ले लिया। मुझे उसी तरह बाँहों में समेटे हुए वो ड्रैसिंग टेबल के सामने ले कर आये। फिर मुझे अपने सामने खड़ी कर के मेरे हाथ उठा कर अपनी गर्दन के पीछे रख लिये।

मेरे बालों की लटों को मेरे मम्मों पर से हटा कर मुझे आइने के सामने बिल्कुल नंगी हालत में खड़ा कर दिया। हम दोनों एक दूसरे को निहार रहे थे।

“कैसी लग रही है हम दोनों की जोड़ी?” उन्होंने पूछा।

मैं कुछ नहीं बोली और हम बस एक दूसरे को देखते रहे।

चार इंच ऊँची हील के सैंडल पहने होने के बावजूद मैं उनके कंधे तक ही आ रही थी। कुछ देर बाद जब उन्होंने मुझे छोड़ा तो मैं रसोई की ओर चली गई। पीछे-पीछे वो भी आ गये। मैंने कॉफी के लिये दूध चढ़ा दिया था और गैस ओवन के पास नंगी हालत में खड़ी अपने पैग की चुसकियाँ लेने लगी।

पता ही नहीं चला कि कब वो मेरे पीछे आ कर खड़े हो गये। अपनी गर्दन पर जब किसी की गरम साँसों का एहसास हुआ तो मैं एकदम से चौंक उठी।

“इसमें दूध मत डालना… तुम्हारा यूज़ कर लेंगे!” उन्होंने कहते हुए मेरी बगलों के नीचे से अपने हाथ निकाल कर मेरे दोनों मम्मों को थाम लिया और अपने हाथों से हल्के-हल्के उन पर फिराने लगे। उनके इस तरह सहलाने से मेरे निप्पल फ़ौरन खड़े हो गये।

मैंने अपने मम्मों को सहलाते उनके हाथों को देख कर कहा, “बुद्धू अभी तक इनमें दूध आया कहाँ है। अभी तो ये खाली हैं।”

“चिंता क्यों करती हो… इसी तरह मिलती रही तो वो दिन दूर नहीं जब तेरे दोनों मम्मे और मम्मों के नीचे का हिस्सा, दोनों फूल उठेंगे।”

“तो मना कब किया है… फुला दो ना। मैं उसी का तो इंतज़ार कर रही हूँ।”वो मेरे निप्पल से खेल रहे थे।

“आपने मुझे बिल्कुल बेशरम बना दिया है। देखो हमारा रिश्ता पर्दे का है और हम दोनों किस तरह नंगे खड़े हैं। वो दोनों जाग गये तो क्या कहेंगे?” मैंने अपना पैग खत्म करते हुए कहा।

“वो क्या कहेंगे… वो दोनों भी तो इसी तरह पड़े हैं। जब उन्हें किसी तरह की शरम और हया महसूस नहीं हो रही है तो हम क्यों ऐसी फ़ालतू बातों में अपना वक्त बर्बाद करें?” उन्होंने मेरे खाली गिलास में और व्हिस्की डालते हुए कहा।

और वो अपने लंड को मेरे दोनों चूतड़ों के बीच रगड़ने लगे। उनका लंड वापस खड़ा होने लगा था। मैंने उनके लंड को अपने हाथों में थाम लिया और सहलाने लगी।

“आपका ये काफी बड़ा है। बहुत परेशान करता है। मेरी चूत को तो बिल्कुल फाड़ कर रख दिया। अभी तक दुख रही है।” मैंने उनके लंड के साथ-साथ नीचे लटकते उनकी गेंदों को भी सहलाते हुए कहा और अपना पैग पीने लगी।

अचानक उन्होंने अपनी मुठ्ठी में बंद एक खूबसूरत लॉकेट मेरे गले में पहना दिया।

“ये क्या?” मैं उसे देख कर चौंक गई।

कहानी जारी रहेगी।

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