भूल जाओ रात को

प्रेषक : राजेश देशमुख

मेरा नाम राजेश है और मैं पुणे में रहता हूँ। यह कहानी साल 2009 की है। मैं तब 18 साल का था।

मेरी बुआ हमारे ही शहर में रहती है पर उनका घर बहुत दूर है। बुआ के घर कुल मिला कर तीन सदस्य हैं, बुआ, फ़ूफ़ा जी और उनकी बेटी रीना, बुआ के कोई लड़का नहीं है इसलिए वह मुझसे बेटे जैसी प्यार करती हैं। रीना के पिता एक कंपनी के मालिक हैं, वह हमेशा सुबह ही निकल जाते हैं।

रीना, मेरी बुआ की लड़की, बहुत सुन्दर है, 21 साल की थी उस वक़्त। हम दोनों मोबाइल पर बातें करते थे।

मेरी बुआ भी बहुत सेक्सी हैं, उनके वक्ष बहुत बड़े तरबूज जैसे हैं, रीना के भी काफ़ी बड़े हैं।

मैं दिसम्बर में बुआ के घर गया हुआ था। एक दिन मैं उठा और टी.वी. देखने बैठ गया। मेरी बुआ नींद से उठी और घर की साफ सफाई करने लग गई।

बाद में जब मैं नहाने के लिए गया तो रीना नहा रही थी।

मैंने दरवाजा खटखटाया और पूछा,”कौन है अन्दर ?”

अन्दर से जवाब आया,”मैं हूँ !”

फिर मैं इन्तज़ार करने लगा। रीना नहा कर बाहर आ गई, वो सिर्फ़ ब्रा पहने थी, मैंने उसे ब्रा मैं पहली बार उस वक़्त देखा तो वह शरमा गई और तौलिया अपने ऊपर ले लिया।

मैंने कहा,”तुम शरमा क्यों रही हो? तुम तो आधुनिक ख्यालात की हो ना ! फिर शरमाना क्या?”

“नहीं, मैं शरमा इसलिए रही हूँ क्यूंकि माँ घर पर हैं अगर उन्होंने देख लिया कि मैं ब्रा पहनकर तुमसे बात कर रही हूँ, तो वह बहुत डाटेंगीं, समझ रहे हो ना !”

तब मैंने कहा,”कुछ नहीं होता ! अगर तुम मेरे सामने नंगी भी हो गई ना तो भी मुझे कुछ नहीं होगा, हाँ, अगर तुम्हारी माँ तुम्हारी जगह होती तो मुझे भी शर्म आती !”

फिर हम सब रात को मूवी देख रहे थे, बोर हो गए तो हमने बातें शुरू कर दी।

रीना ने कुछ चुटकुले सुनाये। थोड़ी देर बाद बुआ सोने चली गई।

बुआ के जाने के बाद रीना ने मुझे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?

यह सुनकर तो मैं चौंक ही गया, क्योंकि इससे पहले हमने ऐसी बातें कभी नहीं की थी।

मेरा मन भी बहुत खुश हो रहा था, मेरी थोड़ी आस बढ़ गई, मुझे लगने लगा कि मैं रीना और मैं कुछ मस्ती कर सकते हैं। मैंने उसे कहा- क्या करूँ गर्लफ्रेंड बना कर?

तो उसने कहा- क्या करते हैं गर्लफ्रेंड बना कर?

मैंने कहा- मुझे क्या पता? चुम्बन लेने के लिए सिर्फ गर्लफ्रेंड बनाऊँ तो यह मुझे पसंद नहीं है।

तो तुम्हें क्या पसंद है?

मुझे तो तुम्हारी जैसी लड़की चाहिए।

तो उसने पूछा- मेरे जैसी? मतलब कैसी ? उम्र मैं बड़ी ?

हाँ ! मैंने कहा- तुम्हारी तरह गोरी और…!!

और क्या ?

और तुम्हारे जैसे ये ! यह कह कर मैंने उसके वक्ष पर हाथ रख दिया।

फ़िर मैंने पूछा- क्यूँ गुस्सा नहीं आया ?

तो उसने मुझे कहा- मुझे क्यों गुस्सा आएगा? मैं तुम्हें अपने भाई की तरह थोड़े ही देखती हूँ, मैं तुम्हें अपना अच्छा दोस्त मानती हूँ, समझ गए ना?

मैंने कहा- हाँ, समझ गया, अच्छी तरह समझ गया !

इतना कह कर मैंने उसे अपने पास खींच लिया और उसके होंठों को चूमने लगा।

काफ़ी देर हम दोनों ने एक दूसरे को चूमा-चाटा। फिर मैं उठा और बुआ के कमरे के पास गया यह देखने कि वो सो गई हैं या नहीं।

तो देखा कि बुआ तो फ़ूफ़ाजी से चुद रही थी। मैंने रीना को बुलाया और दिखाया तो वह शरमा गई।

मैंने उसे चूमा और उसके स्तन दबाने लगा तो उसने कहा- चलो अन्दर चलते हैं !

तो मैंने कहा- रुक तो सही ! थोड़ा मजा तो लेने दे !

तो वह भी मेरे सामने अपने खुद के स्तन दबाने लग गई फिर वह मेरे लण्ड से खेलने लगी। मेरा लण्ड खड़ा था। मुझे पूरा मजा आ रहा था। सामने बुआ नंगी होकर फ़ूफ़ाजी से चुद रही थी और यहाँ रीना मेरा लंड सहला रही थी।

मैंने खुद को नंगा किया और उसे भी किया।

उसने कहा- कमरे में चलो।

कमरे में जाकर मैंने उसकी चूत को चाट चाट के पूरा गीला किया। फिर शुरू हुआ मेरा खेल !

मैंने अपने लंड को उसके चूत में डाला और धक्के मारना शुरू किया। और बाद में मैं झड़ गया। मैं पूरी रात उसको चोदता ही रहा।

सुबह वह कॉलेज जाने के लिए तैयार हो गई। मैंने मौका देख कर उसे चूमा तो उसने कहा- कल रात को भूल जाओ ! वह हमसे गलती हो गई थी, उसे कभी किसी से मत कहना। समझ गए ना ! मैं अब जा रही हूँ।

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