चुत की खुजली और मौसाजी का खीरा-5

(Chut Ki Khujli Aur Mausaji Ka Kheera- Part 5)

नीतू पाटिल 2018-10-07 Comments

This story is part of a series:

“टिंग … टोंग!”
अचानक दरवाजे की घंटी बजी, मैंने ऊपर से देखा तो दरवाजे पर कोई था, कौन आया होगा इस वक्त? अंदर देखा तो हमारी जवान नौकरानी संगीता और मौसा जी अपनी चुदाई में मस्त थे, उनको घंटी सुनाई ही नहीं दी। शायद मौसा जी के दोस्त आये होंगे, मौसा जी को बताना जरूरी था पर ऐसा क्या करूँ जिससे उनको पता चले? मैं अपनी सोच में मग्न थी।

“टिंग … टोंग!”
एक बार फिर से आवाज आई तो मेरे मुँह से जोर से “आती हूँ …” निकल गया। इतनी जोर से मेरी आवाज सुनने पर उन दोनों ने अपनी चुदाई रोक दी और जल्दी जल्दी में अपने कपड़े पहनने लगे, मैंने भी अपने कपड़े ठीक किये और नीचे जाकर दरवाजा खोला और उनके दोस्तों को घर के अंदर ले लिया।

मैंने चाय बनाई तब तक मौसा जी तैयार होकर नीचे आ गए। हमारी नजर मिली तो उन्होंने शर्म से नजर झुका ली। आजु बाजु देखा तो संगीता कहीं दिखाई नहीं दे रही थी, शायद डर कर ऊपर ही बैठी थी।

थोड़ी देर बाद मौसा जी और उनके फ्रेंड घूमने बाहर चले गए और संगीता रोती हुई नीचे आ गई और मेरे पैरों में गिर कर गिड़गिड़ाने लगी- दीदी मुझे माफ़ कर दो … मेरे से गलती हो गयी … प्लीज मुझे काम से मत निकालो!
मैं उसे रसोई में लेकर के गयी और उसको शांत किया। फिर उसको चाय दी और खुद भी पी।

“दीदी, प्लीज मुझे माफ़ कर दो, मुझसे गलती हो गयी!”
“ठीक है रो मत, मैं कुछ नहीं करूंगी.” यह सुनकर उसने रोना बंद किया।
“थैंक्स दीदी, आप बहुत अच्छी हो!” कहकर उसने मेरे हाथों को अपने हाथों में पकड़ कर चूम लिया।

“संगीता, मुझे बताओ … तुम्हारे और मौसा जी के बीच में यह कब से चल रहा है?”
मेरे पूछने पर वह शर्मा गयी- तीन महीने हो गए होंगे!
यह सुनकर मुझे शॉक लगा, वह लगभग चार महीने से हमारे यहाँ पर काम कर रही थी। मतलब एक ही महीने में उन दोनों में सेक्स शुरू हो गया था।

“कैसे हुआ यह सब, तुमने किया या मौसाजी ने?” मुझे सब जानने की उत्सुकता थी।
“वह आपके मौसा जी ही मुझे आते जाते हुए टच करते, मुझे मालिश करने को बोलते और लुंगी में बना हुआ तम्बू मुझे दिखाते. एक बार मालकिन भी नहीं थी और आप भी नहीं थी तो दोपहर में उन्होंने अपनी लुंगी खोल कर मुझे अपना लंड दिखाया। उनका बड़ा लंड देखकर मैं पहले तो डर गई पर फिर अपने आप को रोक भी नहीं पाई। उस दोपहर को उन्होंने मेरी चुत का भोसड़ा बना डाला!” संगीता के चहरे पर शर्म की लाली बिखरी हुई थी।

मौसा जी तो बहुत डेयरिंगबाज निकले, देखा जाए तो पिछले दो दिन में मेरे साथ भी उन्होंने बहुत डेयरिंग दिखाई थी।
“वह तुम्हारा पहली बार था क्या?”

मेरे पूछते ही उसने ना में सिर हिलाया- पहली बार तो नहीं था पर मालिक ने जिस तरह मुझे चोदा उसकी वजह से दो दिन लंगड़ाते हुए चलना पड़ा, बहुत जोश है उनमें!
वह फिर से शर्माते हुए बोली।

फिर दोपहर में हम दोनों ने बहुत सारी बातें की. उसने उन दोनों के सेक्स के बारे में पूरे डिटेल्स में बताया। यह सब सुनकर मेरी चुत में खुजली होने लगी, मेरा भी मन मौसा जी के नीचे सोकर उनका लंड मेरी चुत में लेने को मचलने लगा।

मौसा जी रात को नौ बजे वापिस आये, उनके घर आते ही हमने खाना खाया। मौसा जी तो मेरी तरफ देखने से भी डर रहे थे, खाना खत्म करते ही अपने रूम में चले गए।
मैंने सब काम निपटा कर रसोई की लाइट बंद की और अपने रूम में चली गयी, मैंने जैसा सोचा था थोड़ी ही देर बाद दरवाजे पर दस्तक हुई।

“नीतू बेटा!” मौसा जी ने आवाज दी तो मेरी धड़कन ही रुक गयी, आगे क्या होने वाला है हम दोनों को भी पता नहीं था।
“आओ ना अंकल, कुछ काम था?” तब तक मौसा जी ने दरवाजा खोला और अंदर आ गए।
“सॉरी बेटा … मुझे माफ़ कर दो … संगीता की जवानी देख कर मैं बहक गया था। प्लीज अपनी मौसी को कुछ नहीं बताना, उसको बहुत तकलीफ होगी। प्लीज!” कहकर वो मेरे पैरों में गिर कर रोने लगे।

इतने बडे आदमी को रोते हुए देख कर मुझे बहुत अजीब लग रहा था- ईट्स ओके अंकल, मैं नहीं बताऊँगी मौसी को, आप रोओ मत!
मैं उनके सिर पर हाथ घुमाती हुई बोली, उनको थोड़ी राहत मिली।
“सच बेटा, पर मैं गुनेहगार हूँ, बीवी होकर भी मैं संगीता के साथ … सेक्स … सॉरी बेटा!” वे फिर से मुझे माफी मांगते हुए बोले.

तब मैंने उनके आंसू पौंछे- ईट्स ओके अंकल, मौसी भी घर पर नहीं रहती, आपका भी मन करता होगा। आखिर आप भी तो इंसान हैं.
मेरी बात पूरी होते ही उन्होंने मेरे हाथों को अपने हाथों में पकड़ा और बोले- थैंक यू बेटा, मैं तुम्हारा यह अहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगा, मुझे समझने के लिए थैंक्स, तुम वाकयी में एक समझदार लड़की हो!

वे मेरी तारीफ करते ही जा रहे थे। मुझे यही सही मौका लगा और मैं उनको बोली- मौसा जी … मैं ही सब को समझती हूं … पर मेरी जरूरतों को कोई भी नहीं समझता!
कहकर रोती शक्ल बनाई।
मौसा जी ने मेरी और आश्चर्य से देखा, मेरी आँखों में चमक देख कर वह भ्रमित हो गए।

अगले ही पल मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिये और उन्हें चूसने लगी। शुरूआत में उन्हें पता ही नहीं चला कि क्या हो रहा है पर मेरे होंठ उनके होंठों पर रगड़ खाते ही वे जोश में आ गए और मेरा साथ देने लगे।
हम दोनों जोश में एक दूसरे को चूमने लगे, मौसा जी ने मुझे अपने करीब खींचा और मेरी पीठ पर हाथ घुमाने लगे। थोड़ी देर बाद हमने अपने होंठों को अलग किया, हमारी आँखें मिली तो मैंने शर्म से आँखें बंद की और उनके सीने में अपना मुँह छुपा दिया।

“अरे बेटा, शर्मा क्यों रही हो?” मेरी पीठ को सहलाते हुए उन्होंने पूछा।
“सच कहूँ तो तुम्हें देखते ही तुम मुझे पसंद आई थी, जब तुम्हें शॉर्ट्स, स्कर्ट्स में देखता तो तुम्हें चोदने की इच्छा पैदा हो जाती थी, उस दिन फ्रिज के सामने खीरा लेते हुए देखा, तब मुझे पता चला कि तुम भी बहुत प्यासी हो!”
“अच्छा … तो उस दिन आपने सब देख लिया था?” मैं उन्हें बोली।
“हाँ बेटा … उस दिन पेग बनाने के लिए मैं नीचे उतरा तो तुम फ्रिज के सामने दिखी, मैं तुमको आवाज देने ही वाला था कि तुम फ्रिज से एक खीरा निकालकर चाटने लगी, मैंने ‘आगे क्या करने वाली हो’ देखने का फैसला किया और एक अद्भुत शो देखने को मिला … तुमने वह खीरा तुम्हारी चुत में … अहह!” वे उस रात को याद करते हुए बोले.

मैंने शर्मा कर अपना मुँह अपने हाथों में छुपा लिया।
मौसा जी ने मेरा हाथ मेरे मुँह से हटाते हुए बोले- नीतू बेटा … इसमें शर्माना कैसा?
“तो और क्या करूँ … आपने तो सब देख लिया … वह खीरा … मेरे नीचे … कदमताल … ईशश … एक नम्बर के बदमाश हो आप!”
“वैसे वह कदमताल वाली आईडिया बहुत बढ़िया थी!” वे मुझे आंख मारते हुए बोले।

“उस रात को मैंने भी कुछ देखा … मैं पैंटी रसोई में ही भूल गयी थी और जब याद आया तब उसे लेने पहुंची तो अंदर आप मेरी पैंटी सूंघते हुए अपने खीरे पर मुठ मार रहे थे, फिर क्या था मुझे भी बाहर खड़ी रहकर चुत में खीरा वापिस डालना पड़ा।”
“अच्छा … तो तुम भी बदमाश हो?” मौसा जी बोले।
“बदमाश तो आप हो उस दिन मेरी गांड पर अपना लंड घिस रहे थे और रात को तो मेरी नंगी गांड को ही सहला दिया आपने!”
“हम्म … तुम विरोध नहीं कर रही तो चांस मिल गया मुझे…” अंकल आंख मारते हुए बोले।

“और कल रात आपने तो हद ही कर दी, बाहर गार्डन में भारी बारिश में मेरी गांड पर अपना …” मैंने अपनी बात बीच में ही रोक दी।
“हाँ बेटी … तुम्हें नाईटी में देख कर ही मेरा खड़ा हो गया था, और भीगी नाईटी में तुम्हारी सेक्सी ब्रा पैंटी को देख कर मेरा मुझ पर कंट्रोल ही नहीं रहा और मैंने हिम्मत की, तुमने भी मुझे साथ दिया, तुमको अच्छा लगा था क्या मेरा सहलाना?” मौसा जी ने मुझे पूछा.
तो मैंने शर्माते हुए हाँ में सिर हिलाया।

मेरे सिर हिलाते ही मौसा जी ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये और हम फिर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे।
“नीतू … यह सपना तो नहीं है ना, मुझे एक चुटकी काटो न!” वह मेरे होंठों पर से अपने होंठ हटाते हुए बोले।
“मौसा जी यह सच है … रुको अभी यकीन हो जाएगा!” कहकर मैंने उनकी पैंट के अंदर खड़े लंड पर होंठ रखे तो मौसा जी सिसक उठे।
“आह … बेटी, ये क्या कर रही हो?”
“आपको यकीन दिला रही हूँ, आपका यह लंड खाकर!” कहते हुए मैंने उनके लंड को जोर से काटा तो मौसा जी चिल्ला उठे।

“नीतू … इतना अच्छा लगा तुमको मेरा लंड?”
“हाँ अंकल, आपका लंड आपने लाये हुए खीरे से भी बड़ा है, रसोई में आपने मेरी गांड पर रगड़ा था, तभी मुझे अंदाज आया था, आप जब मुठ मार रहे थे, तब रोशनी कम होने की वजह से दिखाई नहीं पड़ा, पर कल रात को जब हाथ में लिया तभी मुझे नाप का पक्का यकीन हो गया, और आज दोपहर को जब संगीता को चोद रहे थे तभी आप के लंड को पहली बार रोशनी में देखा तो उसकी दीवानी हो गयी हूँ.” मैं उनके लंड को पैंट के ऊपर से सहलाते हुए बोली।

“इतना अच्छा लगता है तो खाओ ना मेरा लंड!” मौसा जी आँखें बंद रखते हुए बोले।

मैंने आगे बढ़ते हुए उनकी पैंट के हुक खोले और उनकी अन्डरवियर में अपनी उंगलियाँ घुसाई तो उन्होंने भी अपनी गांड को उठाकर मेरी मदद की फिर उन्होंने ही अपनी पैंट पैरों से निकाल दी। मेरी नजर उनके अंडरवियर में बने तम्बू पर ही अटकी हुई थी। अपने सूखे हुए होंठों पर जीभ घुमाते हुए मैं उनके लंड को उनकी अंडरवियर के ऊपर से ही काटने लगी, उन्हें इस तरह से तड़पाने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था। बहुत दिन बाद मुझे खेलने के लिए लंड मिला था और वह भी दमदार लंड।

फिर मैंने अपनी उंगलियाँ उनके अंडरवियर में फंसाकर उसको उनके बदन से अलग कर दिया, अब मेरे सामने उनका नंगा लंड था। पहली बार उनका लंड इतने पास से देख रही थी, देख कर ही मेरी चुत में पानी आने लगा। उनके लंड की सुपारी रोशनी में चमक रही थी और नीचे गोटियाँ वीर्य से भरी हुई थी।

मैंने नीचे झुक कर उनकी गोटियों को किस किया तो मौसा जी सिसकार उठे- क्या देख रही हो नीतू रानी?
मौसा जी ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा।
“आप के लंड को देख रही हूँ अंकल!” मैं होंठों पर जबान फिरते हुए बोली।
“पसंद आया मेरी बेटी को मौसा जी का लंड” उन्होंने मुझे पूछा।
“हाँ मौसा जी बहुत मोटा है आपका लंड, और नीचे ये वीर्य की टंकियाँ फुल भरी हुई हैं।” कहकर मैं उनके लंड को हाथ में लेकर उस पर मुठ मारने लगी।

मौसाजी ने भी जोश में आते हुए अपना हाथ मेरी नाईटी के कट से अंदर डाल कर मेरी पैंटी पर रखा, फिर अपनी उंगलियाँ पैंटी के अंदर डालते हुए चुत के छेद पर उंगली घुमाने लगे।
“उम्म्ह… अहह… हय… याह… मौसा जी … मेरी चुत … अहह!” मैं सिसकार उठी।
“नीतू तुम्हारी चुत तो पहले से ही गीली हो गयी है.” वह मुझे चूमते हुए बोले।
“आपके लंड देखकर ही वह पानी छोड़ रही है, अब जल्दी से उसे मेरी चुत के अंदर डाल दो अंकल!” मैं बेचैन होते हुए बोली।

मौसा जी झट से खड़े हुए, मेरी नाईटी को मेरी पेट के ऊपर तक सरका दिया और मेरी पैंटी को बेदर्दी से पकड़ते हुए फाड़ कर टुकड़े कर दिए।
मैं तो उनकी ताकत की दीवानी हो गयी थी, उन्होंने एक बार अपने लंड को मुट्ठी में पकड़कर हिलाया फिर अपने सुपारे को मेरी चुत के होंठों पर रखा तो मेरे पूरे तन बदन में तितलियां दौड़ने लगी। उन्होंने मेरी चुत की पंखुड़ियों पर अपना लंड रगड़ा, चुत से निकलते हुए पानी की वजह से वह गीला हो गया था।

फिर उन्होंने अपने लंड को मेरी चुत के मुँह पर रखा और मेरी तरफ देखा, वह पल आ गया था कि मैं अपने पचास साल के मौसा जी पर अपनी अठारह साल की कमसिन जवानी लुटाने जा रही थी।
“नीतू … तुम्हें देखते ही मैं तुम्हारा दीवाना हो गया था, सपनों में मैं तुम्हें इस घर के सारे कोनों में चोद चुका हूं और अब मैं तुम्हें सचमुच में चोदने वाला हूँ.” वे नीचे झुककर मुझे चूमने लगे और नीचे मुझे उनका लंड मेरी चुत में घुसने का अहसास होने लगा।

अंकल का लंड एकदम धीरे धीरे से अंदर घुस रहा था, आधे से ज्यादा घुसकर फिर रुक गया तो मैंने अपने होंठ छुड़ा कर उनसे पूछा- क्या हुआ… रुक क्यों गए?
“क्योंकि तुम्हारी चुत मुझे अंदर घुसने नहीं दे रही, आह … बहुत टाइट चुत है तेरी … तुम्हारी चुत की दीवारों ने मेरे लंड को पकड़ कर रखा है.” उन्हें दर्द हो रहा था और वे दर्द से कराहते हुए बोले।

फिर उन्होंने अपना लंड चुत के बाहर खींचा तो मेरी चुत उनके लंड को पकड़ने की कोशिश करने लगी, बहुत दिन बाद उसे एक लंड मिला था और वह उसे छोड़ना नहीं चाहती थी।
उन्होंने अपना पूरा लंड बाहर निकाला और फिर से मेरी चुत पर रखते हुए एक जोर का झटका दिया, दर्द की तेज लहर चुत से उठी और मैं चिल्ला उठी- आहऽऽऽ मौसा जी …
तभी मौसा जी अपने होंठ मेरे होंठों पर लाते हुए मेरी चीख को निकलने से रोका।

मौसाजी अब नीचे मेरी चुत में दनादन धक्के लगाते जा रहे थे, मेरी प्यासी चुत को आखिरकार एक मजबूत लंड मिल ही गया था, बहुत दिन बाद मैं चुत में लंड को महसूस कर रही थी। अपनी आंखें बंद कर के ऊपर मैं उनको अपने नाजुक होंठ चूसने दे रही थी और नीचे से उनका लंड मेरी चुत को गचागच चोद रहा था।
वे बारी बारी से मेरे दोनों होंठों को चूस रहे थे और मुझे कस कर भींचते हुए उनका लंड तेजी से चुत के अंदर बाहर कर रहे थे। मैं भी पचास साल के आदमी का जोश एन्जॉय कर रही थी. वे एक बीस साल के लड़के की तरह तेजी से कमर हिलाते हुए चोद रहे थे.

बहुत देर हुए हम उसी पोजीशन में एक दूसरे को कामसुख दे रहे थे। वह एक ही स्पीड में मेरी चुत को कूट रहे थे। अब मुझे कंट्रोल करना मुश्किल जो रहा था, मेरे पेट में एक तूफान बनने लगा था- आहऽऽऽ मौसा जी … जोर से … मैं आ गयी …
मेरे ऐसा बोलते ही उनका बदन थरथरा उठा, उनकी उत्तेजना साफ साफ झलक रही थी- रुको थोड़ी देर … मैं भी आ रहा हूँ …
कहकर अंकल मुझे ट्रेन की स्पीड से चोदने लगे।

“हाँ … मौसा जी … मेरी चुत को अपना पानी पिलाओ, दो तीन महीने से सूखी पड़ी है वो, आज उसकी प्यास बुझाओ … मैं … आ … ई…” कहकर मैंने अपनी आंखें बंद की और उनको जोर से पकड़ लिया मेरे अंदर का लावा मेरी चुत के तले जमा होने लगा था, उस ज्वालामुखी का कभी भी विस्फोट होने वाला था और मौसा जी का मूसल उसी ज्वालामुखी के मुँह पर दनादन धक्के लगा रहा था।

“मौसा जी …” मैंने अपनी उंगलियाँ उनके पीठ में गड़ा दी और एक ही पल में दो दिन में घटी घटनाओं की याद आ गई। मेरी आँखों के सामने उनकी संगीता को चोदती हुई इमेज तैयार हो गई, कैसे एक रिदम में वह अपने कूल्हे हिला रहे थे, सब याद आते ही मेरा सारा बदन अकड़ गया।
“आहऽऽऽ अंकल!” मेरी आवाज ने मेरी अवस्था मौसा जी को सुना दी और उसका जवाब देते हुए मौसा जी ने एक जोर का झटका मेरी चुत में मारा और बस …

मेरी चुत के अंदर जमा हुआ लावा फूट पड़ा और मैं अपने बदन को ढीला छोड़ते हुए उस लावे को अपनी चुत से बाहर फेंकने लगी, इतना अद्भुत ऑर्गसम मैंने कभी महसूस नहीं किया था। चिल्लाते हुए मैं अपना पानी चुत से बहने दे रही थी।
मौसाजी ने भी उसी वक्त अपना लंड चुत के अंदर घुसाये रखा था, मेरा पूरा रस उनके लंड के ऊपर से बह रहा था जैसे कि उनके लंड का अभिषेक चल रहा था।

मेरा जोश ठंडा होने के बाद मौसा जी ने अपना लंड आधा बाहर निकाला और जोर से अंदर डाल दिया। उस धक्के की वजह से मेरी आँखें खुली की खुली रह गई, मेरी चुत के अंदर फिर से हरकत होने लगी जैसे कि मेरा फिर से बांध छूटने वाला था।
“मौसा जी …” कहते हुए मैंने अपने दांत उनकी गर्दन में गाड़ दिए तो मौसा जी ने जोश में फिर से एक जोर का झटका मारा तो मेरी चुत फिर से अपना रस छोड़ने लगी।

कुछ ही मिनटों में मैं दूसरी बार झड़ रही थी। मुझे मेरी चुत में एक और रस महसूस होने लगा … मौसा जी का लंड अपना रस मेरी चुत में छोड़ रहे थे … ओह गॉड … चुत के अंदर उड़ रही वीर्य की गर्म पिचकारियों की फीलिंग ही अलग होती है।
मैं अपना बदन ढीला छोड़ते हुए बेड पर लेट गयी, मौसा जी भी मेरे ऊपर गिर गए।

एक दूसरे को कस कर पकड़ते हुए हम उस पल को एन्जॉय कर रहे थे। चुत रस और वीर्य का अद्भुत मिलन हम दोनों अपने होंठ एक दूसरे पर रगड़ते हुए अनुभव कर रहे थे। उनकी बाहों में कब मेरी आंख लगी पता ही नहीं चला।

उसके बाद जब भी मौसी नहीं होती, हम दोनों पति पत्नी की तरह रहते, कभी कभी उनका जोश मुझ अकेले पर भारी पड़ता पर शुक्र था कि मेरी नई सहेली संगीता थी। जब तक मैं पढ़ने के लिए वहाँ पर थी मैं और संगीता दोनों मिलकर मौसा जी के जोश को संभालती थी।

प्रिय दोस्तों, आपकू मेरी हवस की कहानी कैसी लगी? मुझे मेल करके अवश्य बतायें।
मेरा मेल आई डी है [email protected]

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