मेरे घर आई एक कमसिन परी

(Mere Ghar Aai Ek Kamsin Pari)

मुझे हमेशा से वो लड़कियाँ बहुत आकर्षित करती हैं.. जो अपनी जवानी की देहलीज पर होती हैं।
जवान होती लड़की के शरीर में आते हुए भराव के साथ उनका अकड़पन अनायास ही मुझे उनकी और खींच लेता है।
उनकी हर अदा प्राकृतिक होती है.. वो ही असली जवानी होती है और मुझे ऐसी खिलती कलियाँ बेहद मजा देती हैं।
आज जो मैं कहानी बताने जा रहा हूँ.. वो मेरे जीवन में घटी एक सच्ची घटना है।

मेरा नाम करन है.. मैं 22 साल का लड़का हूँ। अभी दो महीने पहले ही मैंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई ख़त्म की है। मैं दिखने मैं अच्छा हूँ.. पांच फुट दस इंच की हाइट है और शरीर भी ठीक-ठाक है। मेरे घर में मेरे पापा और मम्मी के अलावा मेरी एक बहन और मैं हूँ। हम लोग इंदौर में रहते हैं.. पापा का अपना रियल स्टेट का बिज़नस है।

ये बात तब की है.. जब मैं 18 साल का था। मैं अपने कमरे में बैठा था.. तभी दरवाजे पर किसी ने आवाज़ लगाई।
एक अंकल आए थे, मैंने अंकल को नमस्ते किया और अपने कमरे की तरफ जाने लगा।

तभी मैंने अंकल के साथ एक टाइट जीन्स और एक टाइट वाइट टॉप में 18 साल की एक लड़की देखी।
उसका टॉप इतना टाइट था कि टॉप के सामने का कपड़ा पूरा खिंचा जा रहा था और एक स्ट्रेट लाइन नज़र आ रही थी।

मैंने चेहरा ऊपर किया तो देखा कि एक लम्बे चेहरे की गोरी लड़की अंकल को अपने हाथ में पकड़ा हुआ बैग दे रही थी और हमारे घर के अन्दर आ रही थी।

शाम को पता चला कि वो पापा के दोस्त हैं.. और उनका ट्रान्सफर इंदौर में हो गया था। वो अपनी बेटी को डीपीएस इंदौर में 12वीं क्लास में एडमिशन के लिए आए थे।
उन्होंने बताया कि परसों उनकी बेटी टिया का टेस्ट है।

टिया एक 18 साल की कामुकता से भरी लड़की थी। उसका बदन उसके उम्र की लड़कियों से थोड़ा ज्यादा भरा हुआ था। वो मोटी नहीं थी.. पर उसकी जांघें और चूचे एकदम मस्त थे।

मैं चाहकर भी अपनी नज़रें उससे नहीं हटा पा रहा था, उसके चूचे देखकर तो मन कर रहा था कि अभी जाकर उसका टॉप फाड़ दूँ और पूरे मम्मे खा जाऊँ।

उसने भी मुझे अपनी तरफ घूरते हुए देख लिया था।

क्योंकि वे लोग दोपहर में आए थे.. इसलिए थोड़ी देर बाद ही वो आराम करने लगे। अंकल तो सो गए और टिया मेरी बहन के साथ बातें करने लगी।

मार्च का महीना था.. थोड़ी गर्मी हो चली थी। मुझे भी थोड़ी नींद आ गई और मैं भी सोने चला गया।

शाम को जब मैं सोकर उठा.. तो मैंने देखा कि टिया अंजलि के कमरे में पढ़ रही थी, वो अपने टेस्ट की तैयारी कर रही थी।

अंजलि कमरे में नहीं थी.. उसके बाल बड़े थे और उसके गीले बालों को देख कर लग रहा था कि वो अभी-अभी नहा कर आई है।
उसने एक चादर ओढ़ रखी थी।

मैंने उसे देखा और बाथरूम की तरफ चलने को हुआ.. तभी उसने अपनी चादर हटाई और वो बिस्तर से उठी।
उसने सफ़ेद स्कर्ट पहनी हुई थी जो कि उसके घुटनों तक आ रही थी।

और जैसे ही वो बिस्तर से उठी.. उसकी स्कर्ट उसकी जाँघों तक उठ गई। मेरी तो हालत खराब हो गई.. इतनी गोरी जांघें तो मैंने आज तक किसी की नहीं देखी थीं।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.. मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया।

उसकी बायीं जांघ पर एक बड़ा सा तिल था.. जो उसकी जाँघों की खूबसूरती पर चार चाँद लगा रहा था। मन तो कर रहा था कि उसकी जाँघों पर अभी शहद गिरा दूँ और उसकी पूरी जाँघों को चाट लूँ।

ऊपर उसने ढीला सा गुलाबी कुरता डाल रखा था।

वो कुछ सोच रही थी और थोड़ी देर बाद वो बिस्तर के बीच में सर रखकर और पैर लटका कर आँखें बंद करके लेट गई।
वो अपनी टांगों को हवा में ऊपर-नीचे कर रही थी।
मैं दरवाजे से चुपचाप उसे देख रहा था।

जब उसने टाँगें ऊपर की.. तो उसकी स्कर्ट टांगों से थोड़ी और खिसक गई और मुझे उसकी काली चड्डी और गोल-गोल चूतड़ दिख गए। उसकी त्वचा एक बच्ची के जैसी मुलायम दिख रही थी और उसके चूतड़ तो कहीं-कहीं से लाल भी थे।

मेरे लण्ड की नसें फटने को हो रही थीं… ऐसा दृश्य मैंने पहले कभी नहीं देखा था.. मेरा कच्छा फटा जा रहा था।
मेरी इस उत्तेजना को उसने तब और बढ़ा दिया.. जब वो गेट की तरफ चूतड़ करके पट होकर लेट गई। उसकी स्कर्ट उसके आधे चूतड़ों को ही ढक पाने में सक्षम थी और आधे चूतड़ मेरे दर्शन के लिए आज़ाद हो गए थे।

यह नज़ारा देख कर मैं पागल हो उठा.. मुझसे सीधा खड़ा नहीं हुआ जा रहा था। मेरा मन तो कर रहा था कि अभी दरवाजा खोलूँ और अपने पैंट खोलकर अपने लण्ड को पीछे से जोर से उसकी चूत में घुसेड़ दूँ..
पर मैंने अपने आपको जैसे-तैसे कण्ट्रोल किया।

मेरा यह मानना है कि जब तक दोनों तरफ आग न लगी हो.. तब तक कुछ मज़ा नहीं आता।
इसलिए मैंने कुछ प्लान बनाने की सोची।

रात को खाना खाने के बाद अंकल पापा से बातें करने लगे और टिया मेरी बहन के कमरे में जाने लगी।

मेरी बहन सीए कर रही थी और रात को तो वो घंटों छत पर फ़ोन पर किसी से बातें किया करती थी, शायद दीदी का कोई बॉयफ्रेंड था।

मैंने देखा टिया दीदी के कमरे में जाकर पढ़ने लगी थी। मैं कमरे में एक बहाने से घुसा और घुसते ही बोला- दीदी, आपने मेरी रेड शर्ट देखी है.. मुझे कल पहन कर जानी है।

क्योंकि दरवाज़ा उड़का हुआ था इसलिए मैंने गेट खोलते वक़्त ही जल्दी से यह बोला.. जैसे मुझे पता ही न हो कि दीदी तो कमरे में हैं ही नहीं।

यह सुनकर टिया ने मेरी तरफ देखा और बोली- दीदी तो कहीं गई हुई हैं.. शायद छत पर हैं।
मैं ‘ओके’ कहकर अपने कमरे में जाने लगा।

तभी टिया ने मुझसे पूछा- आप कौन से स्कूल में पढ़ते हैं?

मुझे तो ऐसे ही कुछ मौके की तलाश थी जिससे मुझे उसके साथ बात करने का मौका मिले।

वो कुर्सी पर बैठी थी, कुर्सी के आगे मेज थी और उसके बाईं तरफ बिस्तर था।
मैं बिस्तर पर बैठकर उससे बातें करने लगा।

उसने अभी भी वही सफ़ेद स्कर्ट पहनी थी और वो अपने पैर क्रॉस करके बैठी हुई थी, उसकी स्कर्ट उसके घुटनों से जरा ऊपर थी। उसने एक ढीला कुरता पहन रखा था। उस ढीले कुरते में उसके चूचे नीचे की तरफ लटक रहे थे।

हमने थोड़ी बातें कीं.. मेरी नज़र तो बस उसकी टांगों पर थी।
उसका कुरता बहुत ढीला था, अगर कुर्सी के पीछे से मैं देखता तो मुझे उसकी दूध भरी चूचियां ज़रूर नज़र आ जातीं।

मैंने टेबल पर पेन को घुमाना शुरू कर दिया और उसे टेबल के नीचे गिरा दिया।

उसे उठाने के लिए जैसे ही टिया नीचे झुकी.. मेरे तो होश उड़ गए। ट्यूब लाइट की रोशनी में उसकी चूचियाँ एकदम साफ़ नज़र आ रही थीं।
उसकी चूचियां बहुत ज्यादा गोरी थीं और उनकी गहराई भी बहुत थी।

पेन उठाने में वो इतनी झुक गई कि मैंने उसके बायें चूचे का निप्पल भी देख लिया.. बादामी कलर का एकदम नुकीला.. सख्त और कड़क निप्पल था।

यह सब देख कर मैंने ठान लिया कि टिया के इन चूचों का रस तो हर हालत में पीना ही है।

फिर उसका फ़ोन बज उठा और वो ‘एक्ससियूज़ मी’ कहके चली गई। यहाँ मेरे लोअर में बम्बू ने तम्बू गाड़ लिया था.. मुझे तो बस एक गुफा की तलाश थी.. अपने इस बम्बू को घुसेड़ने के लिए।

काफी देर हो गई थी और टिया अभी तक नहीं लौटी थी.. इसलिए मैंने सोचा कि देख कर आता हूँ कि टिया कहाँ चली गई।

मैंने बाहर लॉबी में देखा.. तो वहाँ पर भी कोई नहीं था, मुझे लगा शायद वो छत पर चली गई हो.. क्योंकि दीदी भी ऊपर थीं.. इसलिए मैंने ऊपर जाना ठीक न समझा।

मुझे प्यास लगी थी इसलिए मैं किचन में गया।
टिया किचन में थी और फ्रिज में कुछ ढूँढ रही थी। उसने किचन में लाइट नहीं जलाई थी और सिर्फ फ्रिज के बल्ब की थोड़ी सी रोशनी थी.. जो उसकी सफ़ेद स्कर्ट को थोड़ा चमका रही थी।

मेरा लण्ड तो पहले से ही खड़ा था और टिया की स्कर्ट के अन्दर की चिकनी.. गोरी.. मस्त जाँघों को देखकर मैं आपा खो बैठा।
मैंने जोर से चिल्लाया- छिपकली..

वो बुरी तरह से डर कर मुझसे चिपक गई। उस पल तो मानो जन्नत सी मिल गई.. मेरे निक्कर के अन्दर बैठे ब्लैक माम्बा को इतनी सन्तुष्टि कभी नहीं मिली थी।

जब टिया ने अपना पूरा शरीर मुझ पर टिका दिया.. मेरा निक्कर के अन्दर खड़े लौड़े ने उसके पेट को छू लिया था। उसकी मक्खनी चूचियाँ मेरी शर्ट में चुभ गई थीं।

इन दो सेकंड में मैं मानो जन्नत में पहुँच गया था.. पर फिर से मैं इसी दुनिया में वापस आ गया.. जब वो मुझसे दूर हुई।

‘आई ए एम सॉरी.. मैं डर गई थी।’

मैं पागल हो उठा था.. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करूँ..

उधर टिया ने मेरे निक्कर के अन्दर खड़े नाग देवता को देख लिया था।
मेरा लण्ड इतना कठोर हो चुका था कि मेरा निक्कर ऐसा लग रहा था कि वो कमर नहीं बल्कि लण्ड की नोक पर खड़ा हो।

टिया बार-बार उसे देख रही थी और उसकी सांसें ऊपर-नीचे हो रही थीं.. जिनके साथ उसके चूचे कभी ऊपर जाते.. तो कभी नीचे!

उसके निप्पल इतने कड़क हो चुके थे कि कुरते के अन्दर से ही एक नुकीला निशान बना रहे थे।

मुझसे रहा नहीं गया और मैंने टिया को अपनी गोदी में लेकर उसे किचन के संगमरमर के पत्थर पर बैठा दिया। उसकी टांगों को खोलकर अपना मुँह उसकी स्कर्ट के अन्दर डाल दिया और अपने दाँतों से उसकी चड्डी को उतारकर उसकी चूत को एक कुत्ते की तरह चाटने लगा।

जैसे ही मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर घुमाई.. उसने जोर से मेरा सिर अपनी चूत में घुसेड़ लिया और ‘आह.. आह..’ करने लगी।
उसके ऐसा करने से मेरा लण्ड पूरा लोहा बन गया और मैंने अपनी जीभ से ही एक मिनट के अन्दर उसे झड़ा दिया।
फिर वो उठी और नीचे फर्श पर घुटनों के बल बैठ गई। उसने इतनी तेज मेरा निक्कर नीचे खींचा कि मैं तो मर ही गया होता।

उसने एकदम से मेरा कच्छा नीचे किया और मेरा लम्बा लण्ड पूरा का पूरा मुँह में ले लिया। पूरा का पूरा लण्ड मुँह में ले लेने से मेरे लण्ड की नसें पूरी तरह फूल गई थीं।

अब टिया पूरी तरह गर्म हो चुकी थी, वो मेरे लण्ड को ऐसे चूस रही थी जैसे उसकी फेवरेट कुल्फी हो।
मैं भी धीरे-धीरे उसके मुँह में झटके दिए जा रहा था।

वो एकदम मस्त हो चुकी थी और नीचे अपनी उंगलियों से अपनी चूत को खुजा रही थी।
कुछ मिनट तक वो यूँ ही मेरे लण्ड को चूसती रही..

क्योंकि घर में सब सो चुके थे, मैं उसे अपने कमरे में ले गया, मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया और साइड से अपना लण्ड उसकी चूत में एक जोरदार झटके के साथ पूरा का पूरा घुसेड़ दिया।

वो इतनी जोर से चिल्लाई कि मुझे उसके मुँह पर हाथ रखकर उसे शांत कराना पड़ा।
अब वो पूरी तरह पागल हो चुकी थी और अपने चूतड़ उठा-उठा कर मस्ती के साथ चुद रही थी।

काफी देर तक इसी पोजीशन में चोदने के बाद मैंने उसे दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और पीछे से उसकी चूचियां अपने हाथ में लेकर पीछे से उसकी गाण्ड में अपना लण्ड घुसेड़ दिया।

उसकी गाण्ड बहुत ही टाइट थी और मुझे लौड़ा घुसेड़ने में समय लग गया।
उसकी गाण्ड के छेद को मैंने अपने लण्ड से भेद दिया था।

वो चुदाने में इतनी मस्त हो गई थी और इस तरह उछल-उछल कर चुदवा रही थी कि पीछे से देखने पर ऐसा लग रहा था जैसे दीवार पर चढ़ने की कोशिश कर रही हो।

वो अब बहुत जोर-जोर से हाँफ रही थी। उसकी ये हाँफियां सुनकर मेरा जोश बढ़ता ही जा रहा था।

‘आह आह..’ की सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं। कुछ मिनट तक गाण्ड का भेदन करने के बाद मैंने उसे दीवार के सहारे उसकी पीठ रखकर उसके पैरों को अपने कन्धों पर साध लिया और फिर से उसकी चूत का रसपान करने लगा।

उसकी चूत ईंट के भट्टे की तरह गर्म थी और पूरी तरह गीली हो चुकी थी.. जिसे मैं ऐसे चाट रहा था जैसे दस दिन के भूखे कुत्ते को रसमलाई मिल गई हो।

वो दोनों हाथों से मेरा सिर चूत पर इतनी जोर से लगा रही थी.. जैसे चाह रही हो कि पूरा का पूरा सिर ही उसकी चूत में घुस जाए।

मैं उसे देर तक यूँ ही चाटता रहा और फ़िर वो एकदम से झड़ गई और उसका पूरा का पूरा जलजीरा मैंने अपने मुँह के अन्दर ले लिया।

फिर वो नीचे बैठ गई और एक कुतिया की तरह मेरे लण्ड को एक बार फ़िर चाटने लगी।

वो मुझसे कह रही थी- मुझे भी तुम्हारी मलाई पीनी है.. जल्दी करो.. मैं मरी जा रही हूँ।

उसके ऐसा कहने पर मैंने जैसे उसके मुँह को ही चूत समझ लिया और उसको चोदने लगा।

दो मिनट बाद मेरा मक्खन निकल आया और उसने उसकी एक भी बूँद ज़मीन पर नहीं गिरने दी, वो मेरे माल को एक शरबत की तरह पी गई।

जिस लड़की को मैं 24 घंटे पहले चोदने का ख़याल सोच रहा था.. वो मेरे सामने थी और उसके गले में मुझे अपना मुठ जाता साफ़ दिख रहा था।

उस पल तो मानो मुझे ऐसा लगा.. जैसे मैंने दुनिया जीत ली हो।

उसके बाद क्या हुआ.. उसके लिए आपको करना होगा इंतज़ार.. तब तक के लिए नमस्कार।

आप लोगों को यह कहानी कैसी लगी.. आप मुझे लिख सकते हैं।
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