लेडी डॉक्टर से पहले उसकी नर्स को चोदा

(Lady Doctor Se Pahle Uski Nurse Ko Choda)

दोस्तो! मेरा नाम राज शर्मा है. यह बात तब की है जब मैं मात्र 18 वर्ष का था, परन्तु शरीर से तगड़ा था. आप मेरी पहली कहानी
पड़ोसन आंटी की चुत चुदाई करके चोदना सीखा
पढ़ चुके हो.

उसमें मैंने बताया था कि कैसे सपना आंटी ने, जब मैं मात्र 18 वर्ष का था तो मुझसे चुदवा कर मुझे चोदने में ट्रेंड किया था. उस एक ही रात में उनको प्रथम बार में ही चार बार चोदने से मेरा लंड सूज गया था और सपना आंटी मुझे अपनी एक सहेली डॉक्टर बनर्जी के यहाँ लेकर गई जिसने मेरे लंड पर एक क्रीम लगाई तथा खाने की गोलियां दी और अगले दिन दिखाने को कहा. यह बात दिल्ली की है.

परन्तु चार पांच दिन बाद जब वह बाजार में मिली तो उन्होंने मुझे कहा कि मेरे क्लिनिक पर आकर दिखाओ नहीं तो दोबारा दर्द हो जाएगा और पेशाब बंद हो जाएगा.
मैं डर गया और अगले रोज सांय को 7 बजे उनके क्लिनिक पर चला गया.

डॉक्टर आंटी गजब की सुन्दर 35-36 साल की औरत थी, उनका साइज़ 38-26-38 होगा, वह बड़े बड़े भारी और नुकीले चुचों वाली, बहुत ही सेक्सी गांड वाली, गोरी चिट्टी, मोटी आँखों वाली, छोटे कद की बंगालन औरत थी, कोई भी देख कर उसको चोदने के लिए एकदम तैयार हो जाए.

डॉक्टर आंटी के क्लीनिक में रिसेप्शन पर एक 18-20 साल की गोरी चिट्टी, सेक्सी, बड़े चुचों वाली नर्स बैठी होती थी, जो सफ़ेद टाइट शर्ट और काली टाइट पैंट की यूनिफार्म में होती थी. उसकी टाइट शर्ट से उसकी चूचियाँ बटन तोड़ कर बाहर निकलने को होती रहती थीं तथा उसकी टाइट पैंट में से उसकी चूत का उभार और दोनों फ़ांकें दिखाई देती रहती थीं.

डॉक्टर आंटी का क्लिनिक उनकी कोठी में नीचे ग्राउंड फ्लोर पर था और ऊपर की मंजिल में वह खुद, उनकी एक 7 साल की लड़की और नर्स के साथ रहती थी.
3 साल पहले उनके पति एक एक्सीडेंट में चल बसे थे.
क्लीनिक के कमरे के तीन पोर्शन थे.

फ्रंट के रूम में रिसेप्शनिस्ट, बीच के कमरे में डॉक्टर तथा डॉक्टर के पीछे वाले पोर्शन में एक आराम करने के लिए दीवान, दो चेयर तथा फ्रिज आदि रखे थे.
डॉक्टर के रूम में एक स्ट्रेचर भी था.

जब मैं क्लीनिक में गया तो रिसेप्शनिस्ट/नर्स ने एक अजीब सी स्माइल पास की और कहा- डॉक्टर अंदर पेशेंट देख रही हैं.
इस क्लीनिक में सारी लेडीज़ पेशेंट ही आती थी, जिनमें गर्भवती, बच्चे न होने वाली और अन्य डिप्रेशन आदि की शिकार.

डॉक्टर के रूम में ऐसा ग्लास लगा था जिसमें वह तो बाहर बैठने वालों को देख सकती थी परन्तु बाहर वाले अंदर का नहीं देख सकते थे. अतः डॉक्टर ने मुझे देख लिया था. उसने महिला मरीज को फ्री करके मुझे अंदर बुला लिया.

डॉक्टर ने मुझसे कहा- इतने दिन क्यों नहीं आये जबकि मैंने अगले दिन ही बुलाया था. चलो पैंट नीचे करके लेटो, मैं चेक करती हूँ.

मैं स्ट्रेचर पर लेट गया, डॉक्टर ने मेरा अंडरवियर भी खींचकर नीचे कर दिया और मेरे लंड को पकड़ कर देखने लगी. उसने लंड को एक दो बार ऊपर नीचे किया तो लंड टाइट हो गया.

जब उसने मेरे टोपे की स्किन नीचे की तो मुझे दर्द सा हुआ. फिर उसने लंड की जड़ में, झांटों वाली जगह में दबा कर देखा और बोली- तुम पूरी तरह ठीक नहीं हो. एक तो टोपे की यह स्किन जो लंड के निचले हिस्से से जुड़ी है, हटानी पड़ेगी.
उसने बताया- इससे एक तो सफाई रहेगी, दूसरे करते वक्त तुम्हें तकलीफ़ नहीं होगी, तीसरा तुम्हारा लिंग लम्बा तथा मोटा हो जाएगा.

मेरे पूछने पर उसने बताया- दो मिनट का काम है, बस इंजेक्शन का दर्द होगा.

फिर डॉक्टर ने एक छोटा सा लोकल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया और ब्लेड से छोटा सा चीरा लगा कर स्किन को वहाँ से हटा दिया और दवाई लगा कर पट्टी कर दी. मुझे कुछ खाने की गोलियां दीं और कहा कि कल इसी टाइम पट्टी चेंज करवा लेना. कल तक ठीक हो जाएगा.

अगले दिन मैं फिर सांय 7 बजे क्लीनिक गया तो डॉक्टर ने पट्टी खोल कर देखा और कहा- यह ठीक है, इसे खुला रखना है और यह दवाई दो दिन और लगाकर तीसरे दिन आना है, तब तुम्हारा इलाज शुरू करुँगी. तब तक किसी के साथ यौन सम्बन्ध नहीं बनाने हैं.

जब मैं तीसरे दिन सायं को गया तो डॉक्टर आंटी ने मुझे स्ट्रेचर पर लिटा लिया और मेरा लंड पैंट से निकाल कर बोली- अब जख्म बिलकुल ठीक हो गया है.

अब मेरा लंड मुझे भी लम्बा लग रहा था, लंड के टोपे की स्किन अपने आप पीछे रहने लगी थी.

डॉक्टर आंटी ने एक तेल की बोतल निकाली और हाथ में तेल लेकर मेरे लंड पर मालिश करने लगी. लंड खड़ा हो कर पूरी रॉड बन गया था. आंटी मालिश करती रही और मैं आंटी की चूचियों की और देखता रहा. आंटी बीच बीच में लम्बी लम्बी आहें भरती रही, कभी कभी अपनी चूत को हाथ से रगड़ती भी रही.

लगभग दस मिनट ऊपर नीचे मालिश करने के बाद आंटी ने कहा कि मालिश कई दिन करवानी है और यह कह कर आंटी ने मुझे होठों पर किस कर लिया. मैंने भी आंटी को अपनी ओर खींच कर उनके बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से मुंह में भर लिया.
फिर खड़े होकर मैंने आंटी को बाँहों में भर लिया और खड़े खड़े उनकी चूत और चूतड़ों को सहलाता रहा.

हमें बाहर का सब कुछ दिखाई दे रहा था.

मैंने आंटी की साड़ी ऊपर कर दी और नीचे उनकी पैंटी के ऊपर से चूत पर हाथ फिराने लगा. पैंटी गीली हो चुकी थी. जब मैंने पैन्टी में हाथ डालना चाहा तो आंटी ने रोक दिया और बोली- अभी नहीं, अभी तो तुम्हारे लंड की स्पेशल तेल से मालिश करके इसको 8 इंच का बनाना है.

फिर भी जब आंटी की पैंटी में मैंने जबरदस्ती हाथ डालकर उनकी चूत को अपनी मुट्ठी से भींचा तो आंटी की आह निकल गई. चूत एकदम चिकनी और साफ थी.

उन्होंने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और लोलीपोप की तरह चूसने लगी. मैं भी अपने कण्ट्रोल से बाहर हो रहा था. हम दोनों ही तेज आवाजें निकालने लगे जो बाहर रश्मि को सुनाई दे रही थीं.

डॉक्टर आंटी ने करीब 10 मिनट मेरे लंड को चूसा और मैंने भी उनके मुँह को चूत की तरह चोदते हुए उनका मुंह अपने वीर्य की पिचकारियों से भर दिया. आंटी सारा वीर्य पी गई और अपने कपड़े ठीक करके बाहर अपनी चेयर पर जा बैठी.
जाने से पहले उन्होंने मुझसे कहा कि यह मालिश हर रोज 10-15 दिन करवानी है.
मैंने कहा- ठीक है.

कुछ देर बाद मैं बाहर निकला तो रिसेप्शनिस्ट रश्मि मुझे देख कर सेक्सी तरीके से मुस्करा रही थी. अगले दिन सायं को मुझे काम था अतः मैं दोपहर एक बजे ही क्लीनिक पर चला गया. जब मैं वहाँ गया तो अकेली रश्मि रिसेप्शन पर बैठी थी.

उसने बताया कि डॉक्टर साहिबा तो किसी काम से बाहर गई हैं और 3.30 बजे तक आएँगी.
मैं वापिस जाने लगा तो रश्मि ने कहा कि यदि तुम चाहो तो तुम्हारा वही इलाज मैं भी कर सकती हूँ परन्तु एक शर्त है कि डॉक्टर साहिबा को नहीं बताओगे.

मैं उसका मतलब समझ गया था और तैयार हो गया.

उसने क्लीनिक का मेन गेट बंद किया और हम बीच वाले कमरे में आ गये. उसने मेरे लंड को बाहर निकाला और तेल से मालिश करने लगी. मैंने उसे गोदी में उठा लिया और उसकी शर्ट को निकाल फैंका, फिर उसकी ब्रा निकाल कर उसकी चूचियों को आजाद किया और पागलों की तरह उन्हें चूसने लगा.

फिर मैंने पैंट में से दिखाई देती उसकी चूत को हाथ से दबाया तो वह मजे से चीख पड़ी. मैंने जल्दी ही उसकी पैंट नीचे निकाल दी.
वह केवल एक लाल पैंटी में मेरे सामने खड़ी थी.

मैंने जब उसकी पैंटी भी निकालनी चाही तो उसने कहा- जल्दी क्या है, हमारे पास बहुत टाइम है.

मैं एकटक उसके मम्मे और मादक बदन को देख रहा था.

थोड़ी देर बाद मैंने उसकी पैंटी भी निकल दी, उसकी चूत पर हल्के रोंये से थे. हम अंदर दीवान पर चले गए.
उसने कहा कि मैंने पहले कभी लंड चूत में नहीं लिया है, अतः धीरे करना.

मैंने रश्मि को दीवान पर पीठ के बल लिटा कर उसकी टाँगें चौड़ी की तो गुलाबी रंग की छोटी सी फूली हुई चूत मेरे सामने थी. उसकी चूत का छेद इतना छोटा था कि उसमें मेरा मोटा लंड जाना मुश्किल था.
रश्मि ने मेरे लंड पर थोड़ा तेल और लगाया और कुछ अपनी चूत पर लगाया. पहले मैंने अपनी एक उंगली उसकी गोरी चूत में डाली तो वह आँखें बंद करके उसे मजे से अंदर ले गई.

कुछ देर उंगली से चुदने के बाद उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया. मैंने एक हाथ की दो उँगलियों से उसकी चूत को चौड़ा करके अपने लंड का सुपारा उसकी प्यासी चूत पर रखा और थोड़ा अंदर करने के लिए जोर लगाया, लगभग एक इंच सुपारा चूत में चला गया.

उसने आँखें बंद ही रखी तो मैंने दुबारा थोड़ा जोर का झटका दे कर लगभग आधा लंड उसकी चूत में घुसेड़ दिया.
वह दर्द से चीख उठी.
मैंने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और दूसरा झटका देकर लंड को और अंदर धक्का दिया.

वह ‘निकालो निकालो…’ करने लगी और दर्द से छटपटाने लगी.
मैंने लंड तो नहीं निकाला पर रुक गया. कुछ देर उसकी चूचियों को पीता रहा और धीरे धीरे लंड को उसी जगह आगे पीछे करता रहा. उसे कुछ अच्छा लगने लगा.

फिर उसने बाहर बचे हुए लंड को अपने हाथ से छू कर देखा और बोली- सारा अंदर डालना है क्या?
मैंने कहा- तुम्हारी इच्छा है, अगर पूरा मजा लेना है तो सारा ही अंदर लेना पड़ेगा.
उसने कुछ देर बाद कहा- धीरे धीरे डालो!

मैंने धीरे धीरे जोर लगाया और रश्मि की छोटी सी चूत में पूरा लंड पेल दिया, रश्मि अपने दांत भींचे रही.
उसने पूछा पूरा चला गया, तो मैंने बताया- हाँ, पूरा अंदर हो गया.

फिर मैं धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करता रहा. कुछ देर बाद रश्मि ने कहा- अब दर्द नहीं हो रहा, मजा आ रहा है, तुम करो.
मैंने थोड़ी स्पीड बढ़ा दी.
मुझे ऐसा लग रहा था मानो मेरा लंड किसी बहुत ही टाइट जगह में फंसा हुआ है.

मैंने रश्मि की दोनों टांगों को थोड़ा बाँहों में उठा कर उसे स्पीड से चोदना शुरू किया. वह मजे से सिसकारियाँ लेने लगी और अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी.

कुछ देर बाद रश्मि का शरीर अकड़ने लगा. मैं समझ गया कि उसका पानी निकलने वाला है.
उसने मजे से आई… आई… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह…आह… किया और उसका पानी निकल कर मेरे लंड को भिगोने लगा. कुछ देर बाद मैंने भी 10-12 तेज तेज धक्के मार कर उसकी चूत में अपनी पिचकारियाँ चला दीं.

जब मैंने लंड बाहर निकाला तो उस पर रश्मि की चूत का खून और जूस लगा हुआ था. रश्मि आनन्द से मेरे ऊपर लेट गई और बहुत देर तक मुझे किस करती रही.

कुछ देर बाद उठकर वह बाथरूम जाने लगी तो मैंने ध्यान से उसके जिस्म को देखा. क्या मस्त गांड थी. क्या मस्त बूब्स थे उसके. मैंने भी वाश बेसन में अपने लंड को धोया और रश्मि ने अपनी चूत साफ़ की.

रश्मि एक बार फिर मुझसे लिपट गई. मेरा लंड फिर खड़ा हो गया. मैंने रश्मि को अपने ऊपर लिटा लिया. रश्मि ने मेरे ऊपर लेटे लेटे अपनी टाँगें चौड़ी की और मेरे लंड को अपनी सुलगती चूत के मुंह पर रख लिया. मैंने रश्मि के दोनों चूतड़ों को पकड़ कर अपनी तरफ दबा लिया जिससे लंड एक झटके से चूत के अंदर समा गया.

रश्मि एकदम चिहुंक गई, वह आनन्द में गोते लगाने लगी. मैं भी नीचे से उसके मम्मों को चूसने लगा और चूतड़ों पर हाथ फिराता रहा. रश्मि जोर जोर से सिसकारियाँ भरने लगी, वह लगातार मेरे लंड पर ठाप मारे जा रही थी और लगातार आह… उह… की आवाजें निकाल रही थी.

कुछ देर बाद मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा. वह दीवान पर अपनी गांड ऊपर करके घोड़ी बन गई. मैंने पीछे से उसके चूतड़ों को पकड़ कर अपना लंड उसकी चूत पर टिकाया और धीरे धीरे पूरा लंड अंदर कर दिया.
पहले तो वह थोड़ा कसमसाई फिर जब लंड अच्छी तरह चूत में फिट हो गया तो अपनी गांड हिलाने लगी.

मैं भी नीचे खड़ा हो कर उसे पेलने लगा और जबरदस्त चुदाई से उसने अपनी चूचियों को दीवान पर लगा दिया और गांड ऊपर उठा दी ताकी लंड की ठोक अंदर तक लग सके. कुछ देर बाद उसका पानी निकल गया और मैंने भी उसकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया. जैसे ही मैंने चूत से लंड बाहर निकाला मेरा वीर्य उसकी चूत से निकलता हुआ उसके पटों पर बहने लगा.

तीन बज चुके थे, हमने अपने कपड़े पहने और बाहर आ गये. मैं अपने घर चला गया और रश्मि रिसेप्शन पर बैठ गई, जैसे कुछ हुआ ही नहीं.

डॉक्टर के कहे मुताबिक़ मैं 7 बजे क्लीनिक गया और डॉक्टर ने फिर से मेरी तेल से मसाज की और हमने ओरल सेक्स किया.
10-12 दिन के बाद मेरे लंड में काफी अंतर लगने लगा था. मेरे लंड का साइज़ और मोटाई बढ़ गई थी.

फिर एक रोज डॉक्टर ने मुझे 2 बजे दोपहर को लंच टाइम में अपने घर बुलाया. मैं ठीक 2 बजे डॉक्टर के घर चला गया. उनकी बेटी उस रोज अपनी सहेली के घर किसी फंक्शन में गई थी.

दरवाजा डॉक्टर ने खोला. डॉक्टर को मैं देखता ही रह गया. उसने एक पिंक कलर की ट्रांसपेरेंट मेक्सी पहन रखी थी तथा उसके नीचे उसने काले रंग की ब्रा तथा पैंटी पहन रखी थी. उसके गोरे बदन पर ये तीनों कपड़े कहर ढा रहे थे.

उसने मुझे सीधे बेड रूम में चलने को कहा तथा मेरे लिए एक टेबलेट तथा पानी का गिलास लाई और कहा कि इसे खा लो.
वह टेबलेट शायद वियाग्रा थी. मैंने टेबलेट खा ली.

डॉक्टर मेरे पास आकर मेरे बालों में हाथ फिराने लगी तथा मुझसे चिपक कर खड़ी हो गई. मैंने भी उसे बाँहों में भर कर चूमना शुरू कर दिया. मैं डॉक्टर के चूतड़ों व चूचियों पर हाथ फिराने लगा. डॉक्टर ने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए, वह मुझे बहुत चुदासी लग रही थी.
उसने कहा- राजा, मैं पिछले तीन साल से चुदवाने के लिए तड़प रही हूँ, आज तुम मेरी प्यास बुझा दो.

डॉक्टर ने मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ा और कहा- अब तुम पूरी जवान औरत की चूत की प्यास बुझाने लायक हो गए हो.
यह कह कर उसने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और पागलों की तरह चूसने लगी.

मुझे भी मजा आ रहा था, मैंने डॉक्टर की मेक्सी उतार दी, उसके चुचे ब्रा के बाहर निकले हुए थे, मैंने ब्रा को खोल कर चुचों को आजाद कर दिया. मैं बेड पर बैठ गया, वो नीचे खड़ी हो गई.
मैंने उसकी एक चूची मुँह में भर कर चूसनी शुरू की और एक हाथ से उसकी पैंटी को नीचे खिसका कर चूत को मुठी में भर लिया.

कुछ देर यूँ ही मजे लेते रहे और एक दूसरे को नोचते खसोटते रहे. मैंने डॉक्टर की पैंटी को बिल्कुल निकाल कर उसे नंगी कर दिया. वो मेरे सामने संगमरमर की मूर्ति की तरह नंगी खड़ी थी. क्या गजब की चूत थी, ब्रेड पकोड़े जैसी, एक दम क्लीन शेव!

मैं उसमें उंगली करने लगा. डॉक्टर आहें भरने लगी और मुझे जगह जगह से चूमने लगी.

फिर अचानक वह बोली- पहले एक बार तुम अपना लंड मेरी चूत में पेल दो, मुझसे रुका नहीं जा रहा.
यह कह कर वह बेड पर सीधी टाँगें चौड़ी करके लेट गई.

मैंने भी उसकी टांगों के बीच अपना खड़ा लंड लेकर पोजीशन ली और एक बार उसकी सुन्दर गुलाबी चूत को अपने होठों से चूम कर लंड को अंदर डालने लगा. चूत बहुत दिनों से चुदी नहीं थी अतः पूरी टाइट थी.
गीली और चिकनी होने के कारण मेरा लंड का टोपा अंदर घुस गया. टोपा अंदर जाते ही उसने लंड को अंदर करवाने के लिए अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर उछाला. मैं समझ गया कि डॉक्टर लंड के लिए तड़प रही है, अतः देर न करते हुए मैंने पूरी ताकत से लंड को अंदर घुसेड़ दिया.

वह दर्द से कराह उठी. उसने मुझे थोड़ा रुकने का इशारा किया और टांगों को थोड़ा आगे पीछे करके मुझे चोदने के लिए अपनी गर्दन से इशारा किया. मैंने चोदने की स्पीड बढ़ा दी. वह भी उछल उछल कर साथ देने लगी.
फिर उसने कहा कि मैं साथ साथ उसकी चूचियों को भी पीता रहूँ और एक हाथ से मसलता रहूँ.

वियाग्रा के असर से मेरा लंड पूरा लोहे की रॉड बना हुआ था. धका धक 20 मिनट चोदने के बाद वह झड़ गई और मुझे रुकने के लिए कहा. मैंने अपना लंड बाहर निकाला जिसे वह मुँह में भर कर चूसने लगी.

कुछ देर बाद वह बेड पर घोड़ी बन गई और मुझे कहा कि पीछे से करते हैं.
मैं पीछे से चोदने लग गया. क्या गजब की गोरी और चिकनी गांड थी उसकी… मैं ताबड़तोड़ पीछे से चोद रहा था कि अचानक लंड फिसल कर बाहर आ गया और उसकी गांड में घुसने लगा. वह एकदम चिहुँक गई.

खैर मुझे भी गांड में कोई दिलचस्पी नहीं थी. मैंने दुबारा लंड चूत में डाला और अपना एक पाँव बेड पर रख कर उसे चोदने लगा. ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड उसकी चूत की सिलाई को ही फाड़ कर रख देगा.

कुछ देर बाद उसने अपना मुँह और छाती को बेड पर रख लिया और चूत को ठोकने के लिए बिल्कुल मेरे सामने कर दिया. मैंने उसके दोनों चूतड़ों को अपने हाथों में कस कर पकड़ रखा था और धकाधक चोदे जा रहा था. चोदते चोदते मेरा लंड इतना चिकना हो गया था कि वह बाहर निकल कर कहीं भी जा लगता था.

आखिर डॉक्टर की चूत ने दुबारा पानी छोड़ दिया और वह मुझसे छूटने के लिए बेड पर पेट के बल पसर गई.
मैं रुक गया, उसने एक कपड़े से अपनी चूत को थोड़ा साफ़ किया और उठ कर बाथरूम गई.

आते वक्त फ्रीज़ से मेरे लिए एक बादाम के दूध का गिलास लाई.

हम थोड़ी देर के लिए एक दूसरे की बाहों में लेट गए. वह थक चुकी थी. परन्तु मेरा छूटना अभी बाकी था. बातों बातों में उसने बताया- मेरी क्लीनिक में कई ऐसी औरतें आती हैं जिनके पति नामर्द हैं और कइयों के बच्चे नहीं होते. मैं उनसे बात करुँगी और तुम उनको सांड की तरह चोदना.

कुछ देर बाद उसने कहा कि मेरा काम हो गया है, अब तुम अपना काम जिस तरह से अच्छा लगता है उस तरह से कर लो.

दोस्तो! मुझे औरत को उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रख कर चोदना पसंद है.

मैं पहले एक बिना आर्म वाली चेयर पर बैठ गया और डॉक्टर को अपने लंड पर बैठा लिया. डॉक्टर को भी अच्छा लगा, वह उचक उचक कर मेरे लंड की सवारी करती रही और एक बार और झड़ गई.

फिर मैंने डॉक्टर को बेड पर लिटा कर उसकी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रखा और ताबड़तोड़ चुदाई में जुट गया. मैंने डॉक्टर को इस पोजीशन में इतना चोदा कि उसके पसीने निकल गए और मुझसे छोड़ने को कहने लगी. डॉक्टर बोली- मेरी तो पिछले तीन साल की कसर निकल गई और मैं अब तुमसे एक महीना नहीं चुदुंगी.

खैर, मैंने उनकी टाँगें नीचे उतारी और टांगों को चौड़ा करके चोदने लगा और एक बार फिर जबरदस्त चुदाई करने लगा.
डॉक्टर नीचे लेटी लेटी जोर जोर से आई… आउ… आह.. करती रही.

आखिरकार मैंने अपने लंड से उसकी चूत में अपने वीर्य की पिचकारियाँ मारनी शुरू की और न जाने कितनी पिचकारियों के बाद मेरा लंड शांत हुआ और डॉक्टर ने चैन की साँस ली.

डॉक्टर ने लेटे लेटे मुझे बहुत प्यार किया और एक हजार रूपये देते हुए कहा- यह तुम्हारा इनाम है. हम मिलते रहेंगे. तुम्हें किसी भी चीज की जरूरत हो तो मुझे बताना. तुम जब चाहो मुझे चोद सकते हो, परन्तु अभी कुछ दिन बाद, क्योंकि मेरी चूत अभी बुरी तरह से दुःख रही है.

राज शर्मा
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top