कामुकता की इन्तेहा-14

(Kamukta Ki Inteha- Part 14)

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रात के 12 बज चुके थे, मैं अपने 2 शानदार और जानदार यारों के साथ गाड़ी में नंगी बैठी थी। अब तो मैं 2-2 लौड़ों से चुदने के बेताब हो चुकी थी लेकिन वो दोनों जल्दी नहीं कर रहे थे, पता नहीं क्यों?
क्योंकि रात को काले शीशों में भी बाहर की रोशनी अंदर आ सकती है इसलिए ढिल्लों ने सभी शीशों को ढक दिया था सिवाये ड्राइवर साइड के आधे शीशे को छोड़कर।

मैं गाड़ी की पिछली सीट पर पूरी नंगी बैठी काले का लौड़ा लगातार सहलाती रही लेकिन वो खड़ा ही नहीं हो रहा था। 15-20 मिनट की कोशिश करने के बाद मैं थक हार कर बेशर्मी की सारे हदें पार करती हुई काले के ऊपर चढ़ गई और उसे बेतहाशा चूमने चाटने लगी। काला भी मेरा भरपूर साथ देने लगा और मेरे बड़े और गोरे मम्मों को जितना हो सके, मुंह में भरकर चूसने लगा।
मैं पागल हुई जा रही थी, मुझे लौड़ा लिए हुए अब 2 घण्टे से ऊपर हो चुके थे, हालांकि इस दौरान मैं एक बार काले की उंगलियों के वार से झड़ी थी।

मेरी हरकतें रंग लायीं और काले का खूबसूरत मूसल तन के खड़ा हो गया। अब मैं इस पोजीशन में थी कि उसका लौड़ा आराम से ले सकती थी। तो जनाब … मैंने आव देखा न ताव … लौड़ा पकड़ा, फुद्दी के ऊपर जल्दी से रखा और ‘फच’ से एक तेज़ घस्सा मारा और उसके ऊपर बैठ गयी। लौड़ा जड़ तक फुद्दी के अंदर समा गया। उम्म्ह… अहह… हय… याह… क्योंकि उसका लौड़ा ढिल्लों से भी मोटा था इसीलिए अब मेरी फुद्दी और ज़्यादा खिंच गयी थी और हल्का सा दर्द भी हुआ।

और एक बात … कि मोटाई ज़्यादा होने के कारण मुझे पता था कि मैं उसके तीन या हद चार तेज़ घस्सों के मेहमान हूँ, और मैं झड़ भी जाऊंगी। पिछली बार ढिल्लों से एक घस्सा मारा था कि मेरा काम हो गया था लेकिन मुझे ये पसंद नहीं था क्योंकि कई छोटे लौडों वाले मुझे चोद चुके थे और अपने पति के साथ मैं 8-10 मिनट तो मैदान में रहती थी लेकिन ये लौड़े तो पहला पड़ाव शुरू होने से पहले ही खत्म कर देते थे, अब मेरी पाठिकाओं को पता ही है कि पहली बार का क्या आनन्द होता है।

खैर मैं उसका लौड़े अंदर लिए हुए आधा एक मिनट बैठी रही और मैंने काले से कहा- जानू, मैं खुद करूँगी. ओके?
उसने हां कह दी और वो बेपरवाही से मेरी बड़ी गांड पर हाथ फेर रहा था। अगली बार मैंने फिर पूरा लौड़ा बाहर निकाला और फिर उसके ऊपर जड़ तक बैठ गयी और अपनी फुद्दी को गोल गोल घुमाने लगी। कुछ देर उल्टी सीधी इसी तरह की हरकतें करती रही। मैं आनन्द में गोते खा रही थी।

अब मैं धीरे धीरे अपने चरम पर पहुंचने वाली थी। जब मुझे यह महसूस हुआ तो अचानक से अपनी गांड उठायी, पूरा लौड़ा बाहर निकाला और बेहद तेज़ी से अपनी फुद्दी उसके लण्ड पर दे मारी। तूफानी तेज़ी से मैंने एक बार फिर ऐसा किया। दो बार एक तेज़ ‘फड़ाचचचचच’ और मैं बुरी तरह ‘हम्म हुम्म हूम्म हम्म’ की आवाज़ में हुंकारते हुए झड़ी और काले के गले लग गयी और हांफने लगी।
मैं इतना ज़ोर लगा कर झड़ी थी कि काले से झट से ढिल्लों को कहा- बहनचोद, इसमें तो आग ही बड़ी है यार, सारी जान इकठ्ठी करके झड़ती है साली! मैंने तो ऐसी कामुक औरत आज तक नहीं देखी, बड़ा कीड़ा है इसमें।

कुछ देर काला वैसे ही मेरी फुद्दी में लंड फंसा कर बैठा रहा। जब मेरी सांसें कुछ ठीक हुईं तो उसने पीठ पर अपनी एक बाँह लपेट ली और धीरे धीरे लंबे घस्से मार कर नीचे से चोदने लगा। मैंने भी थोड़ी सी कमर ऊपर उठा ली ताकि उसकी जांघों पर मेरे भारी भरकम पिछवाड़े का भार कम पड़े।

वो लगातार मेरे मुम्मे चूसता रहा और मेरे पिछवाड़े पर हाथ फेरता मुझे आराम से चोदता रहा। नए लौड़े का तो अहसास ही शानदार होता है और फिर यह तो एक जबरदस्त मोटा लौड़ा था। मैं मस्त होकर चुदाई करवाने लगी। मेरी फुद्दी पूरी तरह उसके मूसल पर कसी गयी थी क्योंकि उसका लौड़ा ढिल्लों के लौड़े से भी ज़रा मोटा था।

10-15 मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के जिस्मों में लिपटे इसी तरह चलती गाड़ी में यह कामक्रीड़ा करते रहे। हम दोनों की आंखें बंद थीं और हम दोनों चुदाई के पूरे चरम पर थे कि मेरे मुंह से अनायास ही निकला- ज़ोर से काले!
काला जो कि मुझमें पूरी तरह खोया हुआ था, थोड़ा होश में आया और उसने पिछली सीट पर हौले से मेरी पटखनी लगा दी अगले पल ही मेरी टाँगें उसकी पीठ पर लिपटी हुई थी। अब मेरे घुटनों के पिछले हिस्से उसकी बांहों में थे और मेरी गांड गाड़ी की छत की तरफ बेपरवाही से उठ गई थी।

इस पटखनी के दौरान लंड बाहर निकल गया था इसीलिए मेरी छत की तरफ देखती फुद्दी में काले ने अपना लंड घुसाया और एक वहशियाना तेज़ घस्सा मारा, मेरे मुंह से ‘ऊई…’ निकल गया। क्योंकि घस्सा इतना तेज था कि उसने मेरी चूत की दीवारें हिला के रख दी थीं।

अब मुझे वो तूफानी रफ्तार में चोदने लगा और एक बार फिर मेरे पिछवाड़े और फुद्दी के तबले बजने लगे। पहली बार थी कोई इतना भारी मर्द मुझ पर चढ़ा था। मेरे जैसी हैवी गाड़ी भी उसका और उसके मोटे लौड़े का वज़न महसूस कर रही थी।
दोस्तो, उस काले सांड में इतनी पावर थी कि 15-20 तूफानी गति से लयबद्ध मेरी फुद्दी मारता रहा और 2 बार फिर मुझे निहाल कर दिया. लेकिन इस बार मेरी हुँकारों और हांफने के बाद भी वो रुका नहीं और ना ही धीरे हुआ।

तीसरी बार जब मैं झड़ने वाली थी तो मैंने उसका भार महसूस करते हुए उससे कह ही दिया- जट्टी फिर आ रही है।
ऊपर से मैंने नीचे से भी तेजी से हिलना शुरू कर दिया।

यह सुनकर काला जोश से भर गया और उसने गति और तेज़ करने की कोशिश की। अगले 5-7 घस्सों में हम दोनों पसीनो पसीनी होकर ‘हो … हो … हो …’ की आवाज़ें निकालते हुए झड़े। काले ने भी अपना सारा वीरज अंदर ही निकाला।

इस ज़बरदस्त चुदाई से लबालब भरे हम दोनों की अगले 15-20 मिनट कोई आवाज़ न निकली। काला भी मुझसे पूरा संतुष्ट लग रहा था और ज़रा हैरान भी लग रहा था।
कुछ देर और शांति रहने के बाद आखिर ढिल्लों बोला- क्यों साले? कुछ बोल भी … देती है न हिल हिल के?
इस पर काला बोला- यार गर्मी तो वाकई बड़ी है इसमें, पसीने से भर गया मैं तो! आज जैसा मज़ा कभी नहीं आया.

और फिर मुझे जफ्फी में लेकर कहने लगा- जल्दी होटल ढूंढ अब, देखते हैं हम दोनों का मुकाबला कर पाती है कि नहीं।
ढिल्लों बोला- मुकाबला तो करेगी, मेरे पास दवाई ही ऐसी है।
उसकी बात सुनकर मैं हैरान हो गयी कि अब मुझे जो पहले ही दारू की टल्ली थी, उसे ये क्या खिलाएंगे?

खैर कुछ देर शहर आ गया और ढिल्लों ने एक 4 स्टार होटल में एक कमरा बुक कर लिया। मैं गाड़ी में कपड़े पहनने लगी तो काले ने मना कर दिया और मुझे कमरे तक अपने जिस्म पर सिर्फ एक लोई लेकर ही जाना पड़ा। वैसे भी किसी को क्या पता था कि मैं अंदर से मादरजात नंगी घूम रही हूँ।

कमरे के अंदर आते ही मैंने पहले अपना मुँह अंदर और बाहर से साफ किया और फिर टूथब्रश किया। इसके फौरन बाद ही ढिल्लों ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और अगले ही पल लोई मेरे जिस्म से अलग हो गई और हम दोनों के होठों में होंठ पड़ गए।

बस इतना ही काम था उसका, जट्टी फिर गर्म हो गई। मैंने ढिल्लों पर अपना काबू जमाने के लिए उसे बेड पर गिरा दिया और उस पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी और उसके कपड़े उतारने लगी। काला कुर्सी पर बैठा सब देख रहा था।

तभी एकदम ढिल्लों रुका और बोला- काले, मेरे बैग से इंजेक्शन निकाल!
उसकी बात सुनकर मैं डर गई, मैं बुरी तरह से चीखी- नहीं ढिल्लों, कोई इंजेक्शन नहीं, ऐसे ही कर लो जो भी करना है, मैं इंजेक्शन नहीं लगवाऊंगी।

मुझे इस तरह गुस्से में देख कर ढिल्लों को पता चल गया कि मैं इस तरह इंजेक्शन नहीं लगवाऊंगी तो उसने मुझे फिर पकड़ लिया और मुझे बुरी तरह चूमने चाटने लगा और अपने सारे कपड़े उतार दिए।
15-20 मिनट बेड पर गुत्थम-गुत्था होते हुए मैं बेहद गर्म हो गई और मैंने ज़ोर से कहा- ढिल्लों, मार हथौड़ा … लोहा गर्म है।
ढिल्लों मेरी बात सुनकर मेरे नीचे से उठा और मुझे घोड़ी बना लिया। अगले वार से बेखबर मैंने बेपरवाही से अपना बड़ा पिछवाड़ा उसके हवाले कर दिया.

लेकिन ढिल्लों ने वो हरकत कर दी कि मेरी आँखें बाहर आ गईं और मुझे इतना दर्द हुआ कि मैं चीख भी न सकी।
उसने लौड़ा मेरी फुद्दी पर घिसाते घिसाते अचानक मेरी गांड पर रखा और एक तगड़ा, तीक्ष्ण झटका मारा और अपना पौना लौड़ा मेरी गांड में उतार दिया। मेरा सारा काम काफूर हो गया और मैं बिलबिलाने लगी। मैंने बहुत कोशिश की लेकिन उसकी पकड़ से आज़ाद न हो पाई। चादर मेरी मुठियों में भर गई थी।

दोस्तो … इसे ही गांड फटना कहते हैं!
दरअसल मेरी गांड का छेद बुरी तरह छिल गया था और थोड़ा खून भी निकला था। अब मुझे पता चला कि मैंने वाक़ई ही गलती कर ली थी उनको अपनी गांड का न्योता देकर। इनके लौड़े सिर्फ फुद्दी के लिए ही ठीक हैं। अपनी सारी ताकत इकठ्ठी करके मैं सिर्फ इतना कह पाई- ढिल्लों … निका…ल, हाथ … जोड़ती हूँ … फाड़ दी साले!
इस पर ढिल्लों बोला- साली पता चला, ये फुद्दी नहीं गांड है जानेमन, अब तो इन्जेक्शन लगवा ले, गांड तो तेरी मारेंगे ही अब, वो भी फुद्दी के साथ।

लेकिन मैं भी ज़िद को पक्की थी, हार नहीं मानी और कराहती हुई बोली- ऐसे ही कर लो जो करना है, मगर प्लीज तेल तो लगा लो थोड़ा।
इस पर ढिल्लों ने एकदम से अपना जंगली लौड़ा बाहर निकाला और एक बार फिर एक तेज़ झटका मारा। उसका इरादा तो सारा लौड़ा जड़ तक पेलने का था लेकिन मेरी गांड की कसावट के कारण वो 7-8″ तक ही गया। मुझे एक बार फिर बहुत तेज़ दर्द हुआ और मैं मुठ्ठियाँ भर के रह गई लेकिन इस बार एक तेज़ चीख मेरे मुंह से निकली। अब मैंने सोचा कि अभी तो ढिल्लों ने मुझे चोदना भी शुरू नहीं किया था, तब ही इतना दर्द हो रहा है, और जब तेज़ी से चोदेगा तो मुझे मार ही डालेगा।

यह सोच कर मैंने ढिल्लों से कहा- ढिल्लों, ज़्यादा नशे का मत लगा देना, और दर्द तो नहीं होगा फिर?
मेरी बात सुनकर ढिल्लों जिसका पौना लौड़ा मेरी गांड में फिट था, हंसा और बोला- जानेमन … और सब कुछ होगा मगर दर्द नहीं होगा।
और फिर काले से बोला- वो मेरे बैग में इंजेक्शन है, भरा हुआ है, ला मुझे दे।

यह कह कर उसने मेरी गांड से फच से लौड़ा निकाल लिया और उसके निकालते ही मेरा हाथ सीधा अपनी जलती हुई गांड पर गया। जब मैंने हाथ लगा कर देखा तो मेरी उंगलियों पर खून लगा हुआ था। बड़ी बेरहमी से ढिल्लों ने मेरी गांड को फाड़ दिया था।

अगले ही पल ढिल्लों ने मेरी नाड़ी में सारा इंजेक्शन भर दिया था, इंजेक्शन लगने के चंद पलों के बाद ही मेरी गांड का जलना एकदम बंद हो गया। मेरी आँखें चढ़ गयीं और मेरी ज़बान से शब्द ठीक तरह निकलने बन्द हो गए।

जब मैं नशे के कारण पूरी सेट हो गई तो ढिल्लों ने काले को कहा- साली सेट हो गई है, इसमें तो वैसे ही बड़ी आग है अब पता नहीं क्या करेगी। इसको अब नींद भी नहीं आएगी, सारी रात इसे लौड़ों पर ही रखना है, ठीक है?
काले ने जवाब दिया- यार, इसे एक बार चोद चुका हूँ, हमसे शायद कंट्रोल न हो पाए ये, हम भी एक एक लगा लेते हैं।
ढिल्लों ने कहा- रुक जा अभी, ये ले अफीम की डली, पहला राउंड 2-2 पैग मार के लगाते हैं, उसके बाद इंजेक्शन लगाएंगे। मगर हाँ, कुश्ती ज़बरदस्त होनी चाहिए, ढीला मत पड़ना, बड़ी मुश्किल से ऐसा करारा माल मिला है, मैं तो लौंडों की गांड मार मार के ही थक गया था, साली की गांड इतनी टाइट है कि लौड़े को न बाहर जाने देती है ना अंदर।

काले ने कहा- चल पहले राउंड में तू गांड मार और मैं फुद्दी।
उनकी बातों से बोर होकर मैं बोली- सालो, कौन सा इंजेक्शन लगा दिया है, सारा कमरा घूम रहा है, पानी दो मुझे।

मेरी बात सुनकर ढिल्लों ने मुझे पानी दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया। पता नहीं कौन सा नशा था वो, मैं एकदम मस्त हो गई और काम से कांपने लगी। मैं ढिल्लों से लिपट कर इतने जोश में उसे चूम चाट रही थी कि ढिल्लों के मुंह से अनायास ही निकला- बड़ा मज़ा दे रही है साली, क्या खाकर पैदा किया था तुझे, बहनचोद इतनी गर्मी? जल्दी आ मेरे लौड़े के ऊपर, गांड में लेना है जड़ तक।

मैं उसके नीचे से निकली, ढिल्लों सीधा लेट गया। मैं उठी और अपनी खून से सनी हुई गांड उसके लौड़े पर रखी और झटका मार कर नीचे बैठ गई, आधा लौड़ा मेरी गांड के अंदर के था कि ढिल्लों बोला- पूरा ले।
मैं ऊपर उठी और पूरा जोर लगा कर एक बार फिर नीचे को घस्सा मारा, सारा लौड़ा गांड में जाकर इस तरह फिट हो गया कि अब यह निकल नहीं पायेगा। दर्द मुझे इस बार भी महसूस हुआ, लेकिन पहले से काफी कम।

तभी ढिल्लों बोला- बैठी रह, हिलना मत!
यह कहकर उसने तेज़ी से 5-7 घस्से नीचे से मारे जिसके कारण मेरे जिस्म का पोर पोर हिल गया। मुझे इस बार फिर दर्द का एहसास हुआ और मेरे मुंह से निकला- साले तेल लगा ले, इस तरह नहीं हो पायेगा, दर्द होता है।

क्योंकि यह फुद्दी नहीं थी जिसके कारण चिकनाई नहीं पैदा हो सकती थी इसीलिए ढिल्लों को मेरी बात ठीक लगी और उसने मुझसे कहा- जा बैग में सरसों का तेल पड़ा है, उठा कर खुद लौड़े पे मल दे।
मैं उठी और लड़खड़ाते हुए उसके बैग की तरफ बढ़ी और उसके बैग में से सरसों का तेल निकाल कर ले आयी और बड़ी जल्दी से उसके हब्शी लौड़े को तेल से भर दिया। पूरी तरह तसल्ली करने के बाद मैं फिर उठी, लौड़ा अपनी गांड पर रखा और दांत कचोट कर नीचे तेज़ी से बैठ गयी। लौड़ा जड़ तक फुद्दी में पिल गया और मुझे बिल्कुल भी दर्द नहीं हुआ। दर्द न होने के कारण मैं ऊपर बैठ कर 10-15 मिनट अपने आप घस्से मारती रही और जब भी मेरा हाथ अपने आप फुद्दी पर जाता तो ढिल्लों उसे हटा देता था, जिसके कारण मेरा काम नहीं हुआ।

तभी ढिल्लों बोला- करती रह इसी तरह 15 मिनट और … फुद्दी में लौड़ा फिर ही मिलेगा. और हां … अगर तेज़ी से करेगी तो जल्दी मिल जाएगा।
फुद्दी में लौड़ा लेने के लिए मैं पागल हुई जा रही थी इसलिए उसकी बात सुनकर मैं तेज़ी से उसके लौड़े पर कूदने लगी। कुछ ही पलों बाद मुझे पता नहीं क्यों गुस्सा सा चढ़ गया और मैं बेलगाम हो गयी। मैं उसका पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर अपनी गांड उसके लौड़े पर ज़ोर ज़ोर से मारने लगी। हालत यह थी कि नशे की वजह से मेरे मुंह से हुंकारें निकलने लगीं और लार टपकने लग पड़ी। मैं इतने ज़ोर से करने लगी थी जिसे ढिल्लों से किसी बात का बदला ले रही होऊं।

जब मैंने इसी तरह 15-20 घस्से मारे तो ढिल्लों ने मुझे धीरे होने को कहा लेकिन उसकी बात सुनकर मुझे और जोश चढ़ गया मैं कंट्रोल से बाहर हो गई। ‘हूं हूँ हूँ …’ करती हुई जब मैं उसके लौड़े पर बुरी तरह उछल रही थी तो ढिल्लों ने काले को कहा- साले, मुझसे कंट्रोल नहीं हो पाएगी, ज़्यादा डोज़ दे दी है इसे हमने, जल्दी आ और फुद्दी में डाल इसके, बहनचोद बेड तोड़ देगी अगर इसी तरह लगी रही तो, लौड़े में भी दर्द होने लगा है, जल्दी आ यार।

काला अभी बेड के ऊपर चढ़ने ही वाला था कि मैंने गुस्से में आकर धक्का देकर उसे पीछे धकेल दिया और अपने दोनों हाथ ढिल्लों की छाती पर रखकर इतनी तेजी और ज़ोर से उछलने लगी कि ढिल्लों की कमर दर्द करने लगी।
इस पर ढिल्लों से चिल्लाकर काले से कहा- मादरचोद जल्दी आ, साले नशा ज़्यादा हो गया इसका, जल्दी डाल इसकी फुद्दी में लौड़ा।

कहानी जारी रहेगी.
आपकी रूपिंदर कौर
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