चैटरूम से बैडरूम तक-3

(Chatroom Se Bedroom Tak- Part 3)

This story is part of a series:

एक देसी जवान सेक्सी भाभी से कुछ दिन सेक्स चैट और विडियो चैट होने के बाद उसने मुझ मिलने एक रेस्तरां में बुलाया. मैं बहुत उत्तेजित था तो मैंने क्या किया?

अब तक आपने मेरी इस सेक्स कहानी में पढ़ा कि सोनिया मुझे मिलने के लिए एक रेस्तरां में आने वाली थी. मैं उस जगह पर समय से कुछ मिनट पहले ही पहुँच गया था. मैंने अपने घड़ी चैक की … अभी 11:10 हो रहे थे.

तभी दरवाजा खुला और एक औरत सफेद सलवार सूट में अन्दर आई. उसके बाल खुले हुए थे और आंखों पर काला चश्मा था. वह अन्दर आकर रुकी और अपने चश्मे को माथे पर चढ़ा कर इधर-उधर देखने लगी, जैसे किसी को ढूंढने की कोशिश कर रही हो.

अब आगे..

मैं पहचान गया. वह सोनिया ही थी. जैसे ही उसने मेरी तरफ देखा, मैंने हल्के से अपना हाथ हिला दिया. वो मुस्कुराई. अपने चश्मे को वापस अपनी आंखों पर लगाकर मेरी तरफ आने लगी. मैं अपनी सीट से खड़ा हो गया और उसका स्वागत किया. उसने मेरी तरफ हाथ बढ़ाया. मैंने भी उससे हाथ मिलाया. उसके हाथ बहुत ही नर्म थे.

हम दोनों पास ही खड़े थे और मैं देख पा रहा था कि वह कितनी ज्यादा खूबसूरत है. उसके काले-भूरे बाल, जिन्हें उसने खोल रखा था, उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे. उसने हल्का मेकअप भी किया हुआ था और उसका चेहरा चौदहवीं के चांद की तरह चमक रहा था. उसने अपने होंठों पर हल्की लिपस्टिक लगाई हुई थी और उसने जो दुपट्टा पहना हुआ था, वह उसके सेक्सी कर्व्स को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रहा था.

फिर हम एक दूसरे के सामने कुर्सियों पर बैठ गए. हम दोनों के चेहरे पर मुस्कान थी … लेकिन मैं थोड़ा नर्वस भी था.

सोनिया- तुम्हें ज्यादा इंतजार तो नहीं करना पड़ा?
रोहन- नहीं बस 20 मिनट.
सोनिया- सॉरी, रास्ते में ट्रैफिक था.
रोहन- अरे कोई बात नहीं … इतना तो चलता है.
सोनिया- थैंक्स.

रोहन- मैं कुछ कहना चाहता हूं.
सोनिया- हां बोलो ना.
रोहन- रियल में तो आप वेबकैम से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत दिखती हैं, मैंने अपनी पूरी जिंदगी में आप जैसी खूबसूरत लड़की नहीं देखी.

वह शरमा गई और उसके गालों पर शर्म की लाली सी आ गई और बोली- बातें बनाना तो कोई तुमसे सीखे.
रोहन- मैं बात नहीं बना रहा हूं … बल्कि वही कह रहा हूं, जो सच है. हकीकत तो यह है कि आपकी खूबसूरती को बयान करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं.
वह मुस्कुरा कर बोली- अच्छा ठीक है बाबा … अब बस भी करो.

रोहन- अच्छा अब आप मेरे बारे में बताइए, मैं कैसा दिखता हूं. वाकयी में चंपू लगता हूं क्या?
वह हंसने लगी- तुम अच्छे खासे हो. लंबे हो, हैंडसम हो … और इस जींस और टीशर्ट में तो बहुत स्मार्ट लग रहे हो, जो शायद तुमने आज की मीटिंग के लिए ही खरीदी है.
रोहन- यह आपको कैसे पता?
सोनिया- इसकी वजह से.

उसने हंसकर मेरी टी-शर्ट पर लगे टैग को पकड़ कर इशारा किया.

मैं टैग को निकालते हुए बोला- ओ माय गॉड इसे उतारने में कैसे भूल गया!
सोनिया- इसीलिए तो मैं तुम्हें चम्पू बुलाती हूं. तुम बहुत इनोसेंट हो और इसीलिए मुझे बहुत पसंद हो.
रोहन- रियली?
सोनिया- हम्मम्म … इसलिए जब भी मैं तुम्हें चंपू बुलाऊं, तो समझ जाया करो … मैं तुम्हें चिढ़ा नहीं रही हूं, बल्कि तुम्हारी मासूमियत के प्रति अपनी पसंद जाहिर कर रही हूँ.
रोहन- थैंक्स.

सोनिया- अच्छा बताओ, तुम क्या खाओगे?
रोहन- यह तो मुझे आपसे पूछना चाहिए … प्लीज मेनू में से चूज कीजिए.
सोनिया- तुम वाकयी में एक डीसेंट लड़के हो. तुम्हें पता है कि लड़कियों की केयर कैसे करनी चाहिए.

मैंने मुस्कुराकर उसे थैंक बोला और फिर हमने दो पिज़्ज़ा आर्डर किए. खाना खाते खाते हम बात कर रहे थे.

फिर मैंने उससे कहा- सोनिया, मैं आप से कुछ पूछ सकता हूं?
सोनिया- रोहन इससे पहले कि तुम कुछ पूछो, मैं तुम्हें कुछ बताना चाहती हूं.
रोहन- श्योर … बताइए ना.
सोनिया- रोहन मेरा असली नाम निशा है, सोनिया नाम में सिर्फ चैटिंग के लिए यूज करती हूं.
रोहन- कोई बात नहीं लेकिन मेरा नाम रोहन ही है और मैं तो आपको निशा के बजाय सोनिया कहना ही पसंद करूंगा. मुझे इस नाम से प्यार हो गया है.

वह मुस्कुराने लगी.
सोनिया- जैसी तुम्हारी मर्जी. अब पूछो, तुम क्या पूछ रहे थे?
रोहन- सोनिया आपको याद है न टीजर ट्रेलर … जो तुमने कल मुझे दिखाया था.

वह बहुत ज्यादा झेंपने सी लगी और उसके गाल एकदम लाल हो गए. उसने अपनी आंखें झुका कर कहा- रोहन, उसके बारे में बात मत करो प्लीज.
रोहन- आई एम सॉरी.
मैं इस तरह चुप हो गया, जैसे मेरा मूड खराब हो गया हो.

सोनिया- रोहन, प्लीज समझने की कोशिश करो. हम इस बारे में फोन पर बात करेंगे ना.
रोहन- क्यों यहां पर कोई है क्या … जो हमारी बातें सुन रहा हो. पूरा रेस्टोरेंट खाली पड़ा है.
सोनिया- नहीं वो बात नहीं.
रोहन- तो फिर?
सोनिया- मुझे आमने सामने बैठकर इस बारे में बात करते हुए बहुत शर्म आती है.

मैंने मुस्कुराकर कहा- अरे चंपू तो मैं हूं न … और शरमा आप आ रही हो. बताओ ना!

सोनिया शर्मा कर मुस्कुराते हुए बोली- अच्छा पूछो, क्या पूछना है?
रोहन- किसी भी मूवी के रिलीज होने से पहले उसके ट्रेलर बार बार दिखाए जाते हैं. तो मैं बस पूछना चाहता था कि दूसरा ट्रेलर कब देखने को मिलेगा?
वो मुस्कुरा कर बोली- उसका कोई फिक्स टाइम नहीं है. यह डायरेक्टर के मूड और ऑडियंस की किस्मत पर निर्भर करता है.

वो बहुत ज़्यादा ब्लश कर रही थी और मुस्कुरा रही थी.

रोहन- अच्छा. वैसे मेरा ख्याल है कि मैं डायरेक्टर का मूड भी बना सकता हूं और अपनी किस्मत भी.
सोनिया- रियली? तो ठीक है … नो प्रॉब्लम … डायरेक्टर आपको अपनी काबिलियत दिखाने का बहुत जल्दी मौका देंगे.
रोहन- सच्ची?
सोनिया- हां मुच्ची.
हम दोनों जोर से हंस पड़े.

सोनिया- तुम्हारे साथ बात करना बहुत अच्छा लग रहा है रोहन … मेरे साथ होने के लिए शुक्रिया.
रोहन- मिसेज़ ब्यूटीफुल, प्लेजर इज आल माईन.

यह कहकर मैंने उसके हाथ पर हाथ रख दिया और उसे देखने लगा. उसने भी शरमा कर मेरी तरफ देखा और मुस्कुराने लगी. उसने अपना हाथ खींचने की कोशिश नहीं की.

रोहन- मैं हमेशा आपके साथ हूं सोनिया.
सोनिया- थैंक्स.

उसके बाद उसने कहा कि मुझे जाना है क्योंकि मेरे बेटे के स्कूल से आने का वक्त हो गया है.

मैंने बिल चुकाया. मैं उसके साथ ही जाना चाहता था. लेकिन उसने कहा कि पहले वह जाएगी और उसके बाद मैं जाऊं.

हम दोनों ने हाथ मिलाया और एक दूसरे को ग्रीट किया. उसने मुझे बाय बोला और वह चल दी.

जब वह जाने लगी, तब मैंने पहली बार देखा कि उसकी सेक्सी गांड कितनी बड़ी थी. उसके नितंब बहुत बड़े थे और चलते हुए इधर-उधर हिल रहे थे. वह सीन देखकर तो मैं सच में हिल गया. दरवाजा खोलते हुए उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा कर हाथ हिलाकर बाय कहा और चली गई.

कोई 5 मिनट के बाद मैं भी निकल गया और एक ऑटो में बैठकर अपने रूम के लिए रवाना हो गया.

मैं ऑटो में ही था, जब मुझे एक मैसेज मिला. यह सोनिया का मैसेज था. उसने लिखा था- यह 80 मिनट मेरी जिंदगी के सबसे खूबसूरत 80 मिनट थे. तुम्हारे साथ बात करने में वक्त का पता ही नहीं लगा. तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया मेरे चंपू.

उसके इस मैसेज से मेरा मन सातवें आसमान पर पहुंच गया. मैं बार-बार उस मैसेज को पढ़ रहा था और खासतौर पर उसके लास्ट 2 शब्द, जिसमें उसने कहा था ‘मेरे चंपू..’

मैंने मैसेज का जवाब दिया- मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मैं आज दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत से मिला था. यह मुलाक़ात मेरे लिए बहुत बेशकीमती थी और ज़िन्दगी भर याद रहेगी. वैसे मैं कोशिश करूंगा कि डायरेक्टर का मूड अच्छा रहे और मुझे ट्रेलर देखने को मिलते रहें.

बस 5 मिनट बाद उसका मैसेज आया उसमें लिखा था- तुम बहुत बदमाश हो. अब कोई ट्रेलर देखने को नहीं मिलेगा.
मैंने कहा- अब कोई ट्रेलर नहीं देखने को मिलेगा! इसका मतलब पूरी पिक्चर रिलीज होने वाली है … मुझे तो सोचकर ही इतना ज़्यादा एक्साइटमेंट हो रहा है.
उसने जवाब दिया- हा हा हा … पिक्चर रिलीज होने में अभी बहुत टाइम है. पता नहीं होगी भी कि नहीं.
मैंने कहा- ठीक है देखेंगे.

उसके बाद मैं अपने कमरे पर पहुंचा. मैं बहुत ही खुश और बहुत उत्साहित था थोड़ी देर लेटने के बाद मुझे नींद आ गई.

मैं उठा तो 6:00 बज रहे थे. मैंने शाम की चाय पी और चैक किया कि वो ऑनलाइन थी कि नहीं, लेकिन वो ऑनलाइन नहीं थी इसलिए मैंने उसे एसएमएस किया ‘गुड इवनिंग डायरेक्टर साब..’

फ़ौरन मुझे उसका जवाब आया- रोहन प्लीज वेट. अभी कोई मैसेज मत करना.

मुझे लगा कि शायद उसका हस्बैंड आसपास है. इसलिए मैंने फिर उसे मैसेज नहीं किया और अपनी किताबें लेकर पढ़ने बैठ गया.

छह घंटे बीत गए थे, लेकिन अभी तक उसकी तरफ से कोई मैसेज या कोई भी कॉल नहीं आया था. मुझे थोड़ी चिंता होने लगी और मेरा दिल बैठने लगा था. मेरे मन में तरह तरह के ख्याल आ रहे थे, लेकिन आखिरकार 12:30 बजे मेरे फोन की घंटी बजी.

मैंने फोन उठाया.

रोहन- हैलो.
सोनिया- हैलो … हाय रोहन, एम सॉरी. मैं थोड़ा बिजी थी.
रोहन- कोई बात नहीं … मैं बस यही सोच रहा था कि आपने मुझे मैसेज करने से मना क्यों किया. मेरा दिल बैठा जा रहा था.
सोनिया- अरे मेरे हस्बैंड मेरे साथ थे. जब तुमने मैसेज भेजा, मैं उनका सामान पैक कर रही थी. मेरे हस्बैंड हैदराबाद जा रहे हैं. वो एक फैमिली फंक्शन अटेंड करने के लिए जा रहे हैं. अक्षय भी साथ जा रहा है. कल सुबह की फ्लाइट है. वह परसों शाम तक वापस आएंगे.

“अच्छा, इसका मतलब कल रात आप घर पर अकेली रहोगी.” मैंने थोड़ा शरारत के साथ कहा.
उसने मुस्कुराकर जवाब दिया- नॉटी ब्वॉय. हमारी नौकरानी हमारे साथ ही रहती है. इसलिए तुम किसी गलतफहमी में ना रहना … और तुम मुझे आप आप कहना बंद करो. मैं तुम्हारी अम्मा नहीं हूँ.
रोहन- ओह्ह्ह्ह … वैसे आप … मेरा मतलब तुम क्यों नहीं गईं हैदराबाद. फैमिली फंक्शन में तो मजा आता है.
सोनिया- हां आता तो है, लेकिन मैंने सोचा इस टाइम का फायदा उठाया जाए.
रोहन- वह कैसे?
सोनिया- कल मिलते हैं ना.

यह सुनकर मेरी आंखें चमक गईं.

रोहन- सच? तुम्हारे घर पर?
सोनिया- पागल हो? मेरे घर तो बिल्कुल नहीं.
रोहन- तो फिर कहां?
सोनिया- तुमने कबन पार्क देखा है?
रोहन- हां देखा है … बस में सफर करते हुए, लेकिन मैं कभी गया नहीं.
सोनिया- कोई बात नहीं, कोई भी ऑटो वाला तुम्हें वहां ले जाएगा.
रोहन- ओके लेकिन किस टाइम?
सोनिया- शाम 5:30 बजे … ठीक है!
रोहन- ओके.
सोनिया- ग्रेट … ठीक है कल मिलते हैं … गुड नाइट.
रोहन- ओके गुड नाइट.

इस कॉल के बाद मैं बहुत ही खुश और उत्तेजित था. मुझे काफी देर बाद नींद आई और अगले दिन मैं देर से उठा. मैंने नाश्ता किया. फिर मैंने चैक किया कि वह ऑनलाइन है या नहीं. लेकिन वह ऑनलाइन नहीं थी. इसलिए मैंने उसे एसएमएस किया और उसे गुड मॉर्निंग बोला, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. थोड़ी देर इंतजार करने के बाद मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसे कॉल कर दिया. उसने कॉल उठाया.

सोनिया- हैलो रोहन कैसे हो?
रोहन- मैं ठीक हूं … लेकिन तुमने मैसेज का जवाब क्यों नहीं दिया?
सोनिया- सॉरी मुझे पता नहीं चला, मैं फैक्ट्री के काम से बिजी थी.
रोहन- फैक्ट्री?
सोनिया- हां … हमारी एक गारमेंट फैक्ट्री है. जब मेरे हस्बैंड यहां नहीं होते हैं, तो मुझे ही उसकी देखरेख करनी होती है.

रोहन- ओह्ह्ह्ह ओके … तुम तो भाई बहुत अमीर बिजनेस विमेन लगती हो.
सोनिया- हाहाहाहा … और बताओ.
रोहन- लेकिन अगर तुम बिजी हो, तो शाम को पार्क में कैसे आ पाओगी?
सोनिया- अरे तुम उसकी फ़िक्र मत करो … मैं मैनेज कर लूंगी. मुझे भी तुमसे मिलने की उतनी ही चाह है … जितनी तुम्हें.
रोहन- ओके मैडम समझ गया.
सोनिया- गुड … चलो ठीक है, अब शाम को मिलते हैं बाय.
रोहन- ओके बाय.

बाकी दिन रोज की तरह ही गुजर गया शाम को 4:30 बजे मैंने एक ऑटो लिया और पार्क पहुंच गया. रास्ते में काफी ट्रैफिक था और मुझे पहुंचने में करीब 45 मिनट लग गए.

मैं पार्क के बाहर ही वेट करने लगा. करीब 15-20 मिनट के बाद सोनिया भी पहुंच गयी. आज भी उसने सलवार सूट ही पहना था, जो थोड़ा ढीला था. उस दिन की तरह आज भी उसने काला चश्मा पहना हुआ था और उसके बाल खुले हुए थे.

वो मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़ कर बोली- चलो अन्दर चलते हैं.

हम दोनों पार्क के अन्दर आ गए. वहां कई फैमिली वाले लोग थे और उनके बच्चे इधर उधर खेल रहे थे.

मैंने मन ही मन सोचा कि यह तो एक फैमिली पार्क लगता है, हम यहां क्यों आए हैं.

मुझे सोच में डूबा देखकर सोनिया ने कहा- क्या हुआ?
मैंने कहा- सोनिया, मुझे लगता है … हमें कहीं और जाना चाहिए. यह तो फैमिली पार्क लगता है.

उसने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और मुस्कुरा कर बोली- तुम चलते रहो, मुझे इस जगह का पूरा पता है, कई बार आ चुकी हूं.

मैं भी मुस्कुरा कर उसके साथ चलने लगा. कुछ दूर चलने के बाद हम पार्क के एक ऐसे हिस्से में पहुंच गए, जहां ज्यादा भीड़ नहीं थी. वहां बहुत सारे बांस के पेड़ों के झुंड थे, जो एक दूसरे से थोड़ा दूर दूर थे. थोड़ा और आगे बढ़ने पर मैंने देखा बांस के पेड़ के झुंडों के इर्द-गिर्द मिट्टी के टीले से बने थे और उन टीलों के बीच में बांस के पेड़ लगे हुए थे. मिट्टी के हर टीले पर इधर-उधर काफी कपल्स बैठे हुए थे, जो एक दूसरे की बांहों में बांहें डाल कर बैठे थे. कुछ तो एक दूसरे को किस भी कर रहे थे.

मैं समझ गया कि सोनिया सही जगह लाई है. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और वो मुझे बांस के कई झुंडों के बीच में एक टीले पर ले गई, जहां आसपास कोई नहीं था.

फिर उसने मुस्कुराकर पूछा- अब बोलो कैसी जगह है?
मैंने कहा- यह जगह तो बहुत अच्छी है.

उसने अभी तक मेरा हाथ पकड़ रखा था. मैंने भी उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ लिया और कहा- तुम्हारे हाथ दूध की तरह गोरे और रेशम की तरह नर्म हैं.

उसने मुस्कुराकर अपने दोनों हाथ मेरे हाथों में दे दिए. मैंने उसके हाथों को अपने हाथों से थोड़ा सहलाया.

फिर मैंने कहा- तुम्हारे हाथ बहुत खूबसूरत हैं सोनिया. अगर तुम्हारी इजाजत हो, तो क्या मैं तुम्हारे हाथों को किस कर सकता हूं?

उसने कोई जवाब नहीं दिया, बस मुस्कुराकर और आंखों में प्यार भरे, मेरी तरफ देखती रही.

मैं उसके हाथों को अपने चेहरे के करीब ले आया और उसके हाथों की एक पप्पी ली. उसने अपनी आंखें बंद कर ली. मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा, जिस पर इस वक्त इमोशंस और एक्साइटमेंट का तूफान था. मैंने उसके हाथों की एक और पप्पी ली, उसने हल्की सी आह भरी.

अब उसने अपनी आंखें खोलीं और मेरी तरफ देखने लगी और मैं उसकी तरफ. उसकी आंखें चमक रही थीं और बहुत कुछ कह रही थीं. वो बहुत ज़्यादा ब्लश कर रही थी और उसके गाल लाल हो रहे थे. वो मेरे बाजू सट कर बैठी थी और हमारी जांघें एक दूसरे से सटी हुई थीं. मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसके गालों को छुआ.

मैंने कहा- तुम्हारे गाल तो तुम्हारे हाथों से भी ज्यादा सॉफ्ट हैं.

वो और ज्यादा एक्साइट हो रही थी और साथ ही साथ मैं भी.

फिर मैंने उसके होंठों की तरफ देखा और फिर उसकी आंखों में. फिर मैंने उससे कहा- लेकिन कुछ और है … जो तुम्हारे हाथों और तुम्हारे गालों से भी ज्यादा सॉफ्ट है.

वो शायद अच्छे से समझ रही थी कि मैं उसके होंठों के बारे में बात कर रहा हूं. वो शरमा कर मुस्कुरा दी और मेरी आंखों में देखने लगी. मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाया और दो उंगलियों से उसके खूबसूरत होंठों को टच किया. जैसे ही मेरी उंगलियों ने उसके होंठों को छुआ, ऐसा लगा जैसे उसके बदन में कोई करंट दौड़ गया हो. वह ऊपर से नीचे तक हिल गई. उसने अपनी आंखें बंद कर लीं.
मैंने उसके होंठों को छूकर अपनी उंगलियां एक तरफ से दूसरी तरफ तक और फिर वापस उसी तरफ से आते उंगलियों को घुमाते हुए उसके होंठों को सहलाया. मेरा ऐसा करना, उसके लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ, जब उसने पूरी तरह अपना कंट्रोल खो दिया और मेरी उंगलियों को अपने मुँह के अन्दर भर लिया. उसने हल्के से मेरी उंगलियों को काटा और उन्हें चूसने लगी.

ये सब इतनी जल्दी हो गया कि हमें पता भी नहीं चला. हमारे चेहरे एक दूसरे के करीब आए और अगले ही पल मेरे होंठ उसके होंठों पर थे. हमने एक दूसरे को बांहों में भर लिया और होंठों को सटा करके स्मूच करने लगे.

मेरे हाथ और मेरी बांहें उसके खूबसूरत और भरे हुए जिस्म को महसूस कर रहे थे. हर तरफ से मैं अपने हाथ उसके पूरे बदन पर फिरा रहा था और वो मेरे हाथों में मचल रही थी. लेकिन हमारे होंठ वैसे ही जुड़े हुए थे. हम दोनों ही एक दूसरे के होंठों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे. फिर हमारे मुँह खुले और एक दूसरे की जीभ भी आपस में लिपट गईं. यहां तक कि अब मैं उसका सलाइवा भी टेस्ट कर पा रहा था, जो इतना टेस्टी लगा कि मैं बता नहीं सकता.

मैंने उसे कसके बांहों में भर लिया और जोर से स्मूच करने लगा. ये स्मूचिंग तकरीबन 10 मिनट तक चलती रही. फिर हम अलग हुए.

हमने एक-दूसरे की आंखों में देखा. वो मुस्कुराई और शर्म से उसकी आंखें झुक गईं. फिर अगले ही पल हम एक दूसरे से फिर से लिपट गए.

इस बार पहले से भी ज्यादा जोर से और फिर हमारे होंठ एक दूसरे से जुड़ गए. तब मैंने अपना दायां हाथ उसकी बड़ी-बड़ी चुचियों पर रख दिया. वह मेरा इरादा समझ गई और उसने अपने आपको एडजस्ट करके मेरे हाथों को अपनी चुचियों तक पहुंचने की इजाज़त दे दी. मेरा हाथ उसकी सूट के गले से उसकी ब्रा के अन्दर उतर गया.

ओह माय गॉड … उसकी बड़ी बड़ी और मोटी-मोटी चूचियों को छूने का एहसास इतना हसीन और मस्त कर देने वाला था, जिसे लफ़्ज़ों में बयान करना मुश्किल है.

मेरे दाएं हाथ ने उसकी बायीं चूची को हथेली में भर रखा था, लेकिन मेरा एक हाथ उसकी पूरी चूची को हथेली में नहीं भर पा रहा था. उसकी चूचियां काफी बड़ी बड़ी थीं.

मैं काफी देर तक उसकी एक चूची को दबाता रहा, उसके होंठ चूसता रहा. पहले मैं उसकी चूची धीरे-धीरे दबा रहा था, फिर जोर जोर से दबाने लगा.

इस सेक्स कहानी को लेकर आप सभी प्लीज़ मुझे मेल जरूर कीजिएगा.
[email protected]
कहानी जारी है.

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