विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-42

(Vigyan se Choot Chudai Gyan Tak-42)

This story is part of a series:

विकास- आह मज़ा आ गया साली.. तेरी गाण्ड आज भी टाइट की टाइट है। चूत तो थोड़ी ढीली हो गई आह्ह…

प्रिया तेज़ी से ऊँगली कर रही थी मगर ऐसे खड़े हुए उसे ज़्यादा मज़ा नहीं आ रहा था।
वो थोड़ी देर और करती तो शायद झड़ जाती मगर तब तक विकास ने लौड़ा गाण्ड से बाहर निकाल लिया और पीछे हाथ करके प्रिया को छुपने का इशारा कर दिया।

दीपाली- आह्ह.. मेरे राजा आज तो पहली बार में ही अपने चूत और गाण्ड दोनों का मज़ा ले लिया। मुझे भी बड़ा मज़ा आया ओफ्फ क्या
मस्त चुदाई की आपने…

थोड़ी देर दोनों बात करते रहे.. प्रिया वहीं छुपी रही.. उसने स्कर्ट अब पहन लिया था।

दीपाली- मेरे राजा आज तो आपका लौड़ा बड़ा तना हुआ था.. मेरी गाण्ड की हालत खराब कर दी.. मैं बाथरूम जाकर आती हूँ।

दीपाली के बाथरूम में जाते ही विकास झट से खड़ा हुआ प्रिया भी पर्दे के पीछे से बाहर आ गई।

प्रिया ने धीरे से कहा- अब मैं निकल जाती हूँ।

विकास- क्यों मज़ा आया ना.. कभी तुमको भी लेना हो तो बता देना।

प्रिया ने मुस्कुरा कर नजरें नीची कर लीं.. विकास अब भी नंगा था उसका लौड़ा सोकर लटक गया था।

प्रिया- सोचूँगी इसके बारे में….

लौड़ा की तरफ इशारा करके प्रिया ने ये बात कही.. विकास ने झट से उसे गले लगा लिया और उसके होंठ चूसने लगा।

प्रिया ने भी साथ दिया मगर ये चुम्बन ज़्यादा नहीं चला.. दीपाली कभी भी आ सकती थी।

विकास- अब तुम जाओ.. दीपाली आती होगी आज पूरा दिन उसकी चुदाई करूँगा.. कभी मन हो तो आ जाना.. अब जाओ जल्दी से…

प्रिया जल्दी से बाहर निकल गई.. वासना की आग में जलती हुई वो अपने घर की तरफ जा रही थी। उसकी चूत में आग लगी हुई थी
अधूरी जो रह गई थी वो….

प्रिया- उफ़फ्फ़ आज मन नहीं था मगर सर ने चूत में आग लगा दी.. अब तो दीपक को बुलाना ही होगा।

प्रिया बड़बड़ाती हुई जा रही थी तभी सामने से दीपक आता दिखाई दिया.. उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा- ओह्ह.. भाई अच्छा हुआ आप यहाँ मिल गए.. चलो आपकी मुराद पूरी कर दूँ।

दीपक- तू कहाँ जाकर आई है.. और कहाँ चलें?

प्रिया- वो सब बातें बाद में.. चलो ये देखो चाभी मेरे पास ही है वो घर खाली है.. वो आदमी वहाँ शाम को आएगा।

दीपक- मुझे पता ही था वहाँ कोई नहीं होगा.. वो साली सुबह झूठ बोली।

प्रिया- अरे नहीं भाई वो सच बोल रही थी। वो आदमी घर से अभी निकला है.. वो अकेला रहता है.. शाम तक आएगा.. अब चलो।

दीपक- अच्छा चल.. वो नहीं आई.. क्या उस साली के चक्कर में तो मैं बहनचोद बना हूँ।

प्रिया- वो आ जाएगी.. पहले हम तो पहुँचे वहाँ…

दीपक ने इधर-उधर देखा और दोनों सुधीर के घर की ओर चल पड़े।

वो दोनों सुधीर के घर में दाखिल होने ही वाले थे कि मैडी और सोनू बाइक पर वहाँ से गुजर रहे थे..
सोनू की नज़र दोनों पर पड़ गई।

सोनू- अरे रुक… रुक..

मैडी ने ज़ोर से ब्रेक लगाया..

मैडी- क्या हुआ बे साले गाण्ड में साँप घुस गया क्या.. जो इतनी ज़ोर से उछला तू..?

सोनू- अबे साले.. मैंने जो देखा.. तू भी देख लेता ना.. तो ऐसे ही उछलता…

मैडी- अब क्या देख लिया तूने.. साले वैसे भी आजकल तू कुछ ज़्यादा ही देखने लगा है।

सोनू- यार अभी-अभी उस घर में दीपक और प्रिया गए हैं।

मैडी- साले ऐसा क्या खास देख लिया तूने उसमें जो तुझे हर जगह प्रिया नज़र आ रही है।

सोनू- नहीं यार सच.. अन्दर वो दोनों ही गए हैं।

मैडी- अबे गए होंगे.. तो इसमें चौंकने वाली क्या बात है? किसी से मिलने गए होंगे.. कोई काम होगा उनको.. वो भाई-बहन हैं दीपाली
और दीपक होते तो शायद मुझे अजीब लगता.. अब चलूँ या तू यहीं रुक कर उनका इन्तजार करेगा..?

सोनू- कहाँ जा रहा है.. दीपक से मिलकर कल के बारे में बात करनी है ना.. भूल गया क्या? वो बाहर आएगा तब यहीं से उसको साथ ले लेंगे.. इसी बहाने प्रिया को भी देख लेना।

मैडी- अभी वो गए हैं क्या पता कितनी देर में आयें.. हम शाम को बात कर लेंगे। अभी मुझे घर जाना है.. तू रुक.. तू ही देख तेरी काली प्रिया को.. मैं चला….

सोनू को थोड़ा गुस्सा आया.. मगर वो कुछ ना बोला और वहीं रुक गया। मैडी अपने घर की ओर चल दिया।

सोनू वहीं खड़ा कुछ सोच रहा था।

सोनू- साला ये घर किसका है.. यहाँ से कभी किसी को आते-जाते नहीं देखा.. मेरे हिसाब से यहाँ कोई नहीं रहता है.. वो दोनों किसके पास गए होंगे?

थोड़ी देर बाद उसके दिमाग़ में झटका सा लगा और अपने आप से ही उसने बात की।

सोनू- अरे बेटा सोनू बन्द घर में दोनों एक साथ गए है दाल में जरूर कुछ काला है.. अब तो ताक-झाँक करनी ही पड़ेगी…

सोनू घर के पास जाकर अन्दर झाँकने की कोशिश करने लगा.. पीछे की तरफ एक खिड़की उसे खुली हुई दिखी.. बस वो अन्दर घुस गया।

उधर दीपाली बाथरूम से बाहर आ गई और विकास को देख कर मुस्कुराने लगी।

विकास- क्या हुआ मेरी जान.. मुस्कुरा क्यों रही हो?

दीपाली- कुछ नहीं.. ऐसे ही.. बस आप ऐसे दरवाजे पर क्यों खड़े हो.. क्या इरादा है?

विकास- अरे नहीं.. मुझे लगा बाहर कोई है तो बस देखने चला आया।

दीपाली- अच्छा ये बात है.. आप आज कुछ बदले-बदले लग रहे हो सर….

विकास- क्या बोल रही हो.. मैं तो वैसा ही हूँ जैसा रोज रहता हूँ।

दीपाली- अच्छा वैसे ही हो.. तो आप नंगे ही दरवाजे पर देखने गए थे कि कौन है बाहर.. वाह वेरी गुड….

दीपाली की बात से विकास थोड़ा भ्रमित हो गया और झुंझला गया।

विकास- तुम तो किसी शक्की बीवी की तरह बात कर रही हो.. इतना तो मुझे कभी अनुजा ने भी नहीं कहा।

दीपाली- इसमें शक की तो कोई बात ही नहीं.. मैं तो बस ये कह रही हूँ.. आपको कोई टेन्शन है क्या..? आज बदले से लग रहे हो…

विकास ने बात को संभालते हुए कहा- जान सॉरी बस थोड़ा गुस्सा आ गया.. यहाँ आओ मेरी रानी…

दीपाली भाग कर विकास के सीने से लिपट गई।

दीपाली- सर आई लव यू.. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. मुझसे कभी गुस्सा मत करना.. मैं आपकी छोटी वाइफ हूँ ना…

विकास- हाँ मेरी जान.. तू तो मेरी छोटी परी है.. चुदने वाली परी.. तूने तो मुझे अपनी चूत और गाण्ड दी है.. वो भी एकदम सील पैक.. तुझे कभी गुस्सा नहीं करूँगा.. चल आजा बिस्तर पर आ जा.. देख तेरे चिपकने से लौड़ा खड़ा हो रहा है।

दीपाली ने हल्के से लौड़े पर एक चपत मारी।

दीपाली- बड़ा बदतमीज़ है.. जब देखो खड़ा हो जाता है.. चल आजा तुझे प्यार से सुलाती हूँ चूस-चूस कर आज तेरा सारा पानी निकाल दूँगी.. फिर होना कड़क…

विकास- हा हा हा चल आजा मेरी जान.. निकाल दे इसका पानी.. तेरे चूचे मुझे बुला रहे हैं पहले इनका रस पी लूँ.. उसके बाद लौड़े के साथ जो करना है.. तू कर लेना।

विकास चूचों से ऐसे चिपक गया.. जैसे बहुत भूखा हो और चूचों से दूध आ रहा हो.. दीपाली सीधी लेट गई और विकास उसके मम्मों को चूसता रहा।

दीपाली- आहह.. अई.. सर आप बहुत बदमाश हो.. अई उफ़ आराम से चूसो ना.. आहह.. मुझे गर्म कर दोगे फिर क्या.. आहह.. खाक मैं लौड़े को चूस कर पानी निकालूंगी आहह.. फिर तो चूत में ही लेना पड़ेगा मुझे आहह…

विकास- हाँ मेरी दीपा रानी यही तो मज़ा है… कमसिन कली के साथ चुदाई करने का.. थोड़ा सा उसको चूसो.. बस गर्म हो जाती है और चुदवाने के लिए तैयार हो जाती है.. तू कौन सी पक्की रंडी है.. जो कितना भी में चूसूँ तू बर्दास्त कर जाएगी.. वाह क्या चूचे है तेरे…

दीपाली- आहह.. राजा जी.. आहह.. आप बार-बार रंडी की बात आहह.. बीच में ले आते हो.. कभी ठीक से आहह.. समझाया नहीं.. किसी रंडी के बारे में आहह…

विकास- मेरी जान.. जो तरह-तरह के लौड़े ले चुकी हो और थोड़ी बहुत चुसाई से उसे कुछ फ़र्क ना पड़े.. बल्कि सामने वाले का लौड़ा बिना चूत में लिए पानी निकाल दे.. उसे कहते है रंडी.. आहह.. मज़ा आ रहा है…

दीपाली- आहह.. राजा उई.. चूत में गुदगुदी हो रही है.. आहह.. प्लीज़ थोड़ी देर चूत चाटो ना.. आहह.. पक्की रंडी को जाने दो.. अपनी इस कच्ची रंडी को थोड़ा मज़ा दो हा हा हा…

विकास भी उसके साथ हँसने लगा।

विकास अब उसकी चूत चाटने लगा दीपाली ने कहा- अब 69 के पोज़ में आ जाओ.. मुझे भी लौड़ा चूसना है।

मगर विकास ना माना और बस उसकी चूत चाटता रहा।

दीपाली- आहह.. सर आहह.. मज़ा आ रहा है.. उफ़फ्फ़ अब पेल दो लौड़ा आहह.. मेरी चूत में.. आहह.. अब बर्दास्त नहीं होता.. आहह.. ससस्स ईयी उफफफ्फ़…

विकास ने दीपाली की टाँगें पकड़ कर उसे घुमा दिया यानि बिस्तर के बाहर उसका आधा बदन निकाल दिया और खुद बिस्तर के नीचे खड़ा हो गया।

दीपाली- आहह.. राजा.. ये कौन सा तरीका है.. उफ़ आहह…

विकास- यह नया तरीका है जान.. मैं खड़ा-खड़ा आज तेरी चूत का बैंड बजाऊँगा.. तू बस देखती जा…

विकास ने दीपाली के पैरों को मोड़ दिया और लौड़ा चूत में घुसा दिया।

दीपाली- आहह.. मज़ा आ गया.. लौड़ा चूत में जाते ही बड़ा आराम मिलता है.. आहह.. अब चोदो राजा.. अपनी छोटी रानी को.. मज़ा ले लो मेरी चूत का.. आज आहह…

विकास ‘दनादन.. दे-दनादन’ लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा.. बस एक ही रफ़्तार से वो चूत को चोदे जा रहा था और बड़बड़ा रहा था।

विकास- आ आहह.. उहह ले.. मेरी जान.. आहह.. तूने मेरे लौड़े को कच्ची चूत का आदी बना दिया है आहह.. ले ओह ओह.. अब तेरी चूत आह उह आहह.. को चोद-चोद कर इसका भोसड़ा बना दूँगा.. आ आहह.. दोबारा कच्ची चूत कहाँ से मिलेगी मुझे.. आहह.. तू कोई रास्ता बता आहह…

दीपाली- आहह.. अई छोड़ो मेरे राजा.. आहह.. अब मेरी चूत का तो आपने भोसड़ा बना ही दिया दोबारा अई ऐइ कच्ची कैसे करूँ इसे आहह…

विकास- ओह.. तू चाहे तो आहह.. किसी दूसरी कच्ची चूत को आहह.. मेरे लौड़े के लिए ला सकती है आहह…

दीपाली- आहह.. रफ़्तार से चोदो.. आहह.. मैं कहाँ से लाऊँ.. आहह.. मज़ा आ रहा है राजा और फास्ट आहह.. आहह…

विकास ने ज़्यादा खुल कर कहना ठीक नहीं समझा और बात को घुमा कर बोल दिया।

विकास- उहह उहह आहह.. तेरी चूत फट गई.. आहह.. है.. आह ओह इसे आ किसी दर्जी के पास सिलवा ले.. आहह.. आ हा हा हा।

दीपाली- हा हा हा अई.. अच्छा अईउफ़ मजाक करते हो आप आहह.. चोदो आहह.. मेरी चूत में .. आहह.. पानी आहह.. अई आने वाला है आईईइ मैं गईइइ आहह.. फास्ट फक मी.. आह फास्ट आह आईईईई…

विकास ने चोदने की रफ़्तार और तेज कर दी थी.. वो भी थक गया था और उसकी उत्तेजना भी चरम सीमा पर थी.. बस लौड़े की ठाप से चूत को पीट रहा था.. जैसे ही दीपाली की चूत का पानी निकल कर लौड़े से स्पर्श हुआ..

विकास ने लौड़े को जड़ तक घुसा कर एक लंबी सांस ली और उसका बाँध भी टूट गया.. दो नदियों का संगम हो गया.. काफ़ी देर तक दोनों उसी हालत में पड़े रहे।

बस दोस्तो, आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं!

तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए…

मुझे मेल करें।
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