ट्यूटर रिया की चुदाई

दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है, यह कहानी कोई मऩघड़न्त नहीं है, यह बिल्कुल सच्ची कहानी है।
मेरी उम्र 20 साल की है मैं आगरा से हूँ।
मेरे छोटे भाई मयंक को एक लड़की हर रोज़ पढ़ाने के लिए आया करती थी। वो बहुत ही सुंदर थी। उसका फिगर भी बढ़िया था, चूचे करीब 34 के होंगे और कमर बिल्कुल पतली थी और क्या चाल थी उसकी… अय..हय देख लो तो लंड खड़ा हो जाए।
मैं उसको चोदने की निगाह से देखा करता था। वो भी शायद कुछ चाह रही थी लेकिन मुझे अभी पक्का यकीन नहीं था।
जब वो मेरे छोटे भाई को पढ़ाती थी, मैं अपने कमरे से उसे देखा करता था, उसके चूचे साफ़ दिखते थे।
सही कह रहा हूँ.. क्या बदन था उसका वाह वाह, एकदम हसीन थी..साली, क्या कचाकच माल थी, एक बार देख लो…तो बस फिर लंड शांत नहीं होता था। फिर तो उसके नाम की मुठ मारनी ही पड़ती थी।
मैं काफी दिनों से मौके की तलाश में था कि कब मुझे यह रिया (ट्यूशन वाली का नाम) मिल जाए और मैं इसकी चूत फाड़ डालूँ और अपने लंड की प्यास को बुझा डालूँ।
जब भी मैं उसे देख लेता था, मेरा लंड तो हरकत करने लगता, मेरा लौड़ा रिया की चूत और चूचों का दीवाना हो चुका था। बस अब मैं और रुक नहीं सकता था, लेकिन क्या करता, केवल मुठ मार के काम चलाना पड़ता था।
एक दिन ऊपर वाले ने मेरी भी सुन ली, घर पर कोई नहीं था। मम्मी और छोटा भाई शॉपिंग के लिए गए थे, पिताजी दफ्तर गए थे और घर पर मैं अकेला था।
सही 4 बजे रिया ने घण्टी बजाई, मैंने दरवाजा खोला, मैं मन ही मन मौके की तलाश में तो था ही। मैंने सोचा शायद आज मौके पे चौका और चूत पे लंड लग जाए।
मैंने दरवाजा खोला और बोला- ओह…रिया, आओ अन्दर आ जाओ।
रिया बोली- मयंक है..?
मैंने कहा- हाँ, तुम अन्दर तो आ जाओ।
मैंने सोचा अगर मैंने इसे दरवाजे पर ही बता दिया कि मयंक घर पर नहीं है, तो शायद रिया दरवाजे से ही ना लौट जाए।
रिया अन्दर आ गई और मैंने उसे सोफे पर बैठने को कहा, वो सोफे पर बैठ गई और मुझसे बोली- मयंक को बुला दो।
मैंने कहा- आज घर पर कोई नहीं है, मैं अकेला ही हूँ।
वो मुझे सवालिया निगाहों से देखने लगी।
फिर मैंने उस से कहा- अब तुम आ गई हो, तो कॉफ़ी पी कर ही जाना।
वो बोली- ठीक है..!
उसकी निगाहों में एक मुस्कराहट थी।
फिर हम दोनों ने कॉफ़ी पी और मैंने उससे पूछा- कॉफ़ी कैसी बनी?
बोली- एकदम मस्त…
मैंने मजाक किया- तुमसे ज्यादा मस्त तो नहीं होगी?
तो वो मेरी तरफ देख कर बोली- क्या तुम्हें मैं मस्त लगती हूँ?
मैंने उसे अचानक से किस कर दिया, वो शरमा गई, बोली- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- आज कोई नहीं है तुम और मैं अपनी मन की पूरी कर लेते हैं मुझे मालूम है कि तुम मुझे पसन्द करती हो, आओ हम एक हो जाते हैं।
तो रिया मेरी बात अच्छी तरह से समझ गई, आखिर वो भी भरी जवानी में थी।
फिर क्या था, हमारा साँस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हो गया, मैं उसके होंठों का रस-पान करने लगा, वो भी मजे मार रही थी।
फिर मैं उसके चूचे दबाने लगा, वो सिसकारियाँ भरने लगी। उसकी सिसकारियाँ मुझे पागल कर रही थीं और माहौल को भी सेक्सी और मादक बना रही थीं। मुझे भी चुदास चढ़ रही थी। अब मैंने उसका टॉप उतार दिया था।
अय..हय…क्या चूचे थे..!
इतने मुलायम कि अमूल मक्खन भी कुछ नहीं था।
मैं उसके चूचों को चूसने लगा, दबाने लगा, मसलने लगा।
फिर मैंने उसकी जीन्स उतार दी और मैं भी अब बिल्कुल नग्न हो गया था।
वो भी चुदास से पागल हो रही थी, उसने मेरा लंड पकड़ लिया और चूसने लगी, लॉलीपॉप समझ कर मुँह में लेने लगी।
उस पल मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत की सैर कर रहा होऊँ।
फिर मैंने उसे उठाया और पलंग पर ले गया और उसकी चूत पर लंड फिराने लगा।
वो कह रही थी- अब मुझे और मत तड़पाओ, मेरी चूत को अपने लंड से भर दो। मैं तुम्हारा यह लंड ऽपने बदन के अन्दर चाह्ती हूँ। बस अब मुझे चोद दो..!
फिर क्या था, मैंने लंड उसकी चूत में डाल दिया और शुरू हो गया ‘पुकपुक-प्रोग्राम…!’
वो सिसकारियाँ भरने लगी- आ आ…आह्ह्ह…आ..हह.. आ..आज तो मर गई..ई..ई…!
फिर 15-20 मिनट के बाद हम दोनों ने अपनी प्यास बुझा ली थी और हम थक चुके थे।
मेरा लंड भी चूत में नहा चुका था और उसकी चूत में से पानी निकल रहा था, मैंने उसकी चूत साफ़ कर दी।
वो खुश हो कर मुझसे बोली- आई लव यू…!
इसके बाद हमारे बीच अब चुदाई के सम्बन्ध बन चुके थे और फिर जब भी हमें मौका मिलता, हम अपना ‘पुकपुक-प्रोग्राम’ बनाते और प्रकृति के इस आनन्ददायक सम्भोग की विधि को पूरा करते।
यदि आपको मेरी कहानी के बारे में कुछ कहना हो तो ज़रूर मेल करें।
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