ट्रक में चुद कर सुहागरात मना ली

(Truck Me Chud Kar Suhagrat Mana Li)

आरव आर्य 2019-04-29 Comments

ये बात तब की है, जब मैं 18 साल का था. मैं जयपुर में पढ़ता था. मैं हर दूसरे महीने अपने घर उदयपुर आ जाया करता था. कुल नौ दस घंटे का रास्ता था, तो दिन मैं चार बजे की बस पकड़ के बारह घर पहुंच जाया करता था.

लेकिन उस दिन जरा देर हो गयी थी, मैं बस स्टैंड पंहुचा, तो बस निकल चुकी थी. किसी ने बोला कि अजमेर चौराहा चले जाओ, तो वहां से ट्रेवल्स की बस मिल जाएगी. मैं वहां चला गया.

मैंने दो घंटे वेट किया, लेकिन कोई बस नहीं आयी. मैंने पूछा तो कुछ लोगों ने बोला कि ट्रक वालों से भी पूछ लो, वे भी ले जा सकते हैं.

ट्रक की बात सुनकर मैं थोड़ा डर गया, क्योंकि मैंने कभी ट्रक में सफर नहीं किया था. अब इतना लंबा रास्ता सोच कर मैं सहम सा गया था. फिर भी अब जाना ही था, तो मैंने ट्रक वालों को पूछना शुरू किया. मैं ट्रक वाले का नंबर प्लेट देख कर ही उसे आवाज लगाता था.

तकरीबन पैंतालीस मिनट्स बीत गए थे. मैं थक गया था, फिर वहां एक ट्रक आकर रुका. मैंने आवाज दी, तो ड्राइवर ने बाहर मुँह निकाला. मैंने देखा कि वो लगभग तेइस साल का बहुत गोरा चिट्टा युवक था. वो आंखों पर काला चश्मा पहने हुए था. उसकी हल्की दाढ़ी भी थी. वो बहुत ही क्यूट सा लड़का था.

मैं उसको देख कर देखता ही रह गया. मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था. मैंने उससे बेवकूफी भरा सवाल पूछ लिया कि आप ही ट्रक ड्राइवर हो?
वो बोला- ड्राइवर सीट पर तो मैं ही बैठा हूँ, तो शायद मैं ही ड्राइवर हूँ.
उसके जबाव से मैं शर्मा गया, तो वो भी हंसने लगा.

फिर उसने पूछा- कहां जाना है?
मैंने बोल दिया- उदयपुर.
वो बोला- ट्रक उधर ही जा रहा, तो चलो साथ में … रास्ता लंबा है, तो रात को खाना बनाने के लिए और सोने के लिए कहीं रुकेंगे.
मैं तो बस उसका चेहरा देख कर हां ही करता रहा, मैंने कहा- ठीक है.

मैंने ऊपर चढ़ने के लिए उसे अपना हाथ दिया, तो उसने मेरा हाथ पकड़ा. आह क्या मजबूत हाथ था उसका … मुझे उसने ट्रक के अन्दर खींचने के लिए हाथ दिया, तो मैंने उसका हाथ जोर से पकड़ा और ऊपर चढ़ने लगा.

उसने कहा- यार तुम्हारा हाथ तो एकदम मलाई के जैसा नर्म है, कहीं तुम लड़की तो नहीं हो?
मैं थोड़ा शर्मा गया, तो वो बोला- वाह क्या शर्माना है.
ये कह कर वो हंसने लगा.

मैं जैसे ही ट्रक के अन्दर घुसा, तो अन्दर देखा कि उससे भी सुन्दर बीस साल का एक और लड़का अन्दर बैठा था. वो भी एकदम फैशनेबुल बाल संवार के बैठा था. मैंने उसकी ओर देखा, तो मेरी अंडरवियर में गीलापन महसूस होने लगा. वो लौंडा भी बहुत सुंदर, लंबा था. थोड़ी सी सैट की हुई दाड़ी, कान में बाली, चौड़ा सीना, मोटे मोटे मसल्स वाले हाथ … मैं तो उसे देख कर एकदम मदहोश होने लगा. वो लौंडा उस ट्रक वाले का खलासी था, शायद दोनों दोस्त थे.

खैर ड्राईवर लड़के ने ट्रक स्टार्ट किया. मैं पहली बार ट्रक में बैठा था, तो उसने जैसे ही स्टार्ट किया, तो गियर के झटके से मैं एकदम गिरने सा लगा.

उसके दोस्त ने मेरा हाथ पकड़ कर बिठा दिया और कहा- संभल के … पहले कभी ट्रक में बैठे नहीं क्या?
मैंने कहा- आपने झटका ही इतनी जोर से दिया कि मैं डर गया.
मेरी ये सेक्सी बात उन दोनों की समझ में नहीं आई.

फिर हम जयपुर से बाहर निकलने लगे, मैं उन दोनों से और बातें करने लगा. बातों ही बातों में पता चला कि वो हफ्ते में तीन बार जयपुर से उदयपुर ट्रक लेकर जाते हैं.

ट्रक अपनी रफ़्तार में चलने लगा. साथ ही हम लोग इधर उधर की बातें करने लगे. ड्राइवर का नाम सनी था और खलासी का नाम बंटी था. वे दोनों आपस में पक्के दोस्त थे, बचपन से साथ में रहे थे. वे हर बात एक दूसरे से शेयर करते थे, यहाँ तक की पहली बार सेक्स भी एक दूसरे को बता कर किया था.

उन दोनों से इतनी खुली बातें होने के बाद मेरा मन धीरे धीरे फिसलने लगा था कि कैसे इनको बोलूं कि मेरा मन क्या चाहता है.
मैंने पूछा- एक ट्रिप मैं कितना टाइम लग जाता है?
मेरा मतलब ये था कि लगातार वे लोग कितने दिन तक ट्रक के फेरे लगाते रहते हैं.
वो बोला कि दो से तीन सप्ताह से लेकर डेढ़ महीना भी लग जाता है. तभी घर जाना हो पाता है.

मैंने पूछा- फिर आप जैसे जवान लड़के कैसे मन लगाते हो?
उसने पूछा- क्या मतलब?
मैंने कहा- अरे यार आपके जैसे सेक्सी और तगड़े लड़कों का बिना सेक्स किये कैसे टाइम निकलता है?
मेरी ये बात सुनकर वो दोनों एक दूसरे को देख कर शर्मा गए.

फिर ड्राईवर बोला- क्या यार, तुम भी ओपन बात करते हो, पर तुम बोलते बहुत प्यारा हो. एकदम लड़की जैसे स्टाइल है तुम्हारा.
मैंने कहा- सोचो अगर मैं लड़की होता इस ट्रक में अकेला तो कब का …
ये कह के मैं रुक गया, तो वो दोनों बोले- तो क्या करते बताओ बताओ?
मैं समझ गया कि मेरा काम हो जाएगा. मैंने कहा- अगर मैं लड़की होता तो अन्दर आते ही आपसे चिपक जाता.
वो दोनों एक साथ बोले- फिर?

मैंने कहा- मैं आगे बोलूं … आप बुरा तो नहीं मानोगे?
उन्होंने कहा- नहीं … बोलो यार हमको अपना दोस्त ही समझो और खुल के बोलो.
मैंने कहा- मैं आते ही बंटी जी से चिपक जाता, उनके गालों पे किस करता, फिर उनके होंठों पर किस करता और अपना हाथ उनके लंड तक पंहुचा देता … फिर धीरे धीरे उसको सहलाने लगता.
बंटी बोला- फिर आगे?
“फिर मैं नीचे आ जाता और आपका लंड बाहर निकाल कर धीरे से लंड की टोपी पे अपनी जुबान फेरने लगता.”

मैंने देखा कि दोनों की चड्डी में से आठ इंच के लंड टाइट हो गए थे. मेरा काम बन गया था.
मैंने कहा- बोलो … सही कहा न मैंने! बताओ आप क्या करते मेरे साथ?
वो बोला- तुम्हें लड़की ही होना चाहिए था.

ये कह के दोनों ने एक दूसरे की देखा और एक कातिल स्माइल दी. खैर रात के आठ बज गए थे. उन्होंने ट्रक एक सुनसान जगह पे रोक दिया.

सनी जी बोले- खाना खाने का टाइम आ गया और आज रात को यहीं रुकेंगे.
मैं बार बार उनसे पूछता रहा- बताओ यार, मैं लड़की होता तो क्या करते.
वो मेरी बात को टालते रहे और हंसते रहे.

मैंने कहा- तुम मुझे लड़की ही समझो, तो वो फिर से हंसने लगे.

कुछ देर में ही हम तीनों ने खाना खाया, फिर ट्रक के अन्दर आकर लेट गए.

ट्रक के अन्दर जगह कम होती है, तो हम लोग सिकुड़ कर लेट गए. सनी जी आगे और बंटी जी पीछे थे. दोनों ने अपने टी-शर्ट निकाल दिए थे. दोनों की गोरी टाइट बॉडी देख के मैं पागल हो रहा था. बड़े सॉलिड मसल्स, एकदम चिकनी बॉडी और बहुत गोरी स्किन.

मैं सनी जी की तरफ मुँह करके लेटा था, पीछे बंटी जी थे.

मैंने लास्ट ट्राय करने के इरादे से पूछा- सोचो मैं लड़की हूँ.
वो दोनों फिर से हंसे और बोले- सो जाओ.
मैं दुखी मन से सोने लगा.

थोड़ी देर में मुझे पीछे अपनी गांड पे कुछ टच होता फील हुआ. इससे पहले मैं पीछे देखता, उससे पहले बंटी जी ने मुझे पीछे खींचते हुए चिपका लिया और बोले- अब बोलो क्या करते आप?
मेरा पूरा बदन पीछे उनसे सटा हुआ था. उनका आठ इंच का लंड मेरी गांड से चिपका हुआ था.

इतने मैं आगे से सनी जी भी आ गए और बोले- तुम्हारे पास पूरी रात है … बताओ क्या क्या करते तुम?

मुझे विश्वास नहीं हुआ, वो दो इतने सुन्दर और बॉडी वाले लड़के मुझसे चिपके हुए थे. वे दोनों अपने लंड मेरे आगे पीछे रगड़ने लगे. मैं सनी जी को किस करने लगा, तो बंटी जी मेरा मुँह अपनी अपनी तरफ खींचा और मेरे होंठों को चूसने लगे.
मैंने उनकी बॉडी पे हाथ फेरता हुआ अपने हाथ को नीचे पहुंचा दिया. सनी जी का आठ इंच का और बंटी जी का तो नौ इंच का लंड था. मैंने लंड हाथ में लेकर रगड़ने लगा.

तभी दोनों ने मुझे नीचे धक्का दे दिया और बोले- लंड चूसो … जब तक हम ना नहीं कहें.
मैंने नीचे हो गया. दोनों के लंड मोटे मोटे थे, एक लंड में ही मेरा मुँह भर गया था.

मैंने पहले लंड का टोपा चूसा और उसको किस करने लगा. मैं दोनों लंड के टोपों को एक एक करके कुल्फी की तरह चूसने लगा.
दोनों के मुँह से आह निकल गयी. दोनों ही बोले- मजा आ रहा है.

अभी सन्नी जी ने मेरे बाल पकड़े और अपना लंड मेरे मुँह में मेरे गले तक घुसाने लगे. वो जोर जोर से धक्का देने लगे, पर तभी बंटी जी ने मुझे अपनी तरफ मोड़ा और अपना लंड मेरे मुँह में घुसा दिया. मैं भी मस्त लप लप करके चूस रहा था.

फिर मैं अपनी जुबान उनकी बॉल्स (गोलियों) पे ले गया. मैंने लंड की गोलियों को भी खूब चूसा. बड़ी मस्त बड़ी बड़ी बॉल्स थीं. जब मैं लंड की गोलियां चूस रहा था, तो सनी जी ने उल्टा हो कर अपनी गांड मेरी तरफ कर दी.
उन्होंने कहा- मेरी गांड के छेद को भी चूस जरा.

सनी जी थोड़े भड़के हुए थे. मैंने अपनी जुबान उनके छेद से लड़ा दी और धीरे धीरे उनके छेद पर जीभ घुमाने लगा. उन्होंने अपने हाथ से जोर से पकड़ के मेरा पूरा मुँह उनकी गांड की दरार पर घुसा दिया और बोले- चूस जोर जोर से चूस भैनचोद.
वो उत्तेजित हो गए थे. मैंने अपनी जुबान उनकी गांड के छेद में घुसा घुसा खूब मजे से चूसा.

इतने में बंटी जी भी मेरे पास अपना नौ इंच का मूसल लंड लेके आ गए. बंटी जी बोले- तू तो मेरा ही चूस.
मैं कुछ मिनट तक लंड चूसता रहा. फिर मैं उनके पैरों में आ गया और बोला- आज मैं आपकी दासी हूँ, मुझे अपने पैर चूसने दीजिये.
वो हां कह के बोले- आज्ञा है दासी.

मैं उनके पैरों में आ गया और उनके अंगूठे को चूसने लगा. उनको बहुत मजा आया. फिर मैं किस करते करते वापस लंड तक आया और बोला- आज की रात आप मुझ पर बिल्कुल दया मत करना, मेरी गांड फाड़ दो, चोद दो मुझे.
फिर क्या था … बंटी जी मेरी गांड पकड़ कर सनी जी को कहा- चुसाया तुमने पहले था … अब इसकी गांड पहले मैं मारूँगा.

यह कह के उन्होंने मेरे छेद पर थूका और बोला- आज तो तेरी गांड फाड़ के ही रहूँगा. ऐसा कह के उन्होंने मुझे उल्टा लेटाया और अपना लंड मेरे छेद पर लगा दिया.
मैंने कहा- प्लीज थोड़ा धीरे डालना.
वो बोले- ओके … चिंता मत कर.

यह कहते ही मेरे कंधे अपने हाथ से रोक के अपना लंड मेरे छेद पे टच करते हुए एक जोर का झटका दे मारा. अपना पूरा का पूरा नौ इंच का हब्शी लंड मेरी गांड के अन्दर घुसेड़ दिया. मैं जोर से चिल्लाया ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ तो सनी जी अपना लंड मेरे मुँह में घुसा दिया. नौ इंच का लंड मेरी गांड में था और आठ इंच का मेरे मुँह में था.

बंटी जी ने धक्के देने शुरू कर दिया. कुछ ही देर में बंटी जी तेज हो गए. वे अपना पूरा मूसल मेरी गांड से बाहर निकालते, फिर अन्दर डाल देते. हर बार और तेज दम लगाते. बंटी जी का लंड सटासट मेरी गांड में घुसना निकलना तेज हो गया था. वे सुपारे तक लंड को पूरा बाहर निकालते, फिर दम लगाते हुए अन्दर डाल देते. हर बार बंटी जी अपनी दम को बढ़ाते हुए मेरी गांड मार रहे थे. पूरे ट्रक में धम धम की आवाज आ रही थी.

करीब दस मिनट तक ये खेल चला, फिर सनी जी ने बंटी जी को इशारा किया और अपना लंड मेरे मुँह से निकाल कर सीधा मेरी गांड की तरफ आ गए. बंटी जी उठ गए और सनी जी ने सीधा जोर से कूदते हुए अपना लंड एक सेकंड में अन्दर पेल दिया.

सनी जी का एक इंच लम्बा कम भले ही था, पर बंटी जी के नौ इंच के लंड से कहीं ज्यादा मोटा था.

मैं गांड में मूसल लिए चिल्लाता, उससे पहले सनी जी ने मुझे डॉगी (कुत्ते वाली) स्टाइल में बिठा दिया. अब सनी जी पीछे से मुझे धाम धाम करके चोदने लगे. अभी आगे से बंटी जी मेरा मुँह चोद रहे थे.

ऐसा दस मिनट चला. फिर बंटी जी नीचे लेट गए और मुझे अपने लंड के ऊपर बैठने को कहा. मैं गांड पसार कर लंड पर बैठ गया. बंटी जी का लंड मेरी गांड के अन्दर था. उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और फिर सनी जी को कुछ इशारा किया, तो सनी जी पीछे से आ गये. उन्होंने एक ही झटके में अपना लंड भी पीछे से घुसा दिया.

मैं चिल्ला उठा, वो मेरे होंठों को चूसने लगे और बोले- दासी खुश कर दे हमें!

दोनों ने मिल के बीस मिनट तक मेरी गांड मारी, एक साथ दोनों लंड मेरे अन्दर मेरी गांड का भरता बना रहे थे. फिर दोनों एकदम उठे, मुझे नीचे बिठाया और खड़े हो गए.
मैं समझ गया कि इन दोनों का रस छूटने वाला है, मैं मुँह खोल कर बैठ गया और बोला- दासी प्यासी है … हुजूर रस पिला दो अपना.

तब उन दोनों ने अपने लंड झटके से मुँह में डाल कर अपने अपने लंड के वीर्य मेरे मुँह में छोड़ दिए. इतना सारा वीर्य मेरे मुँह में भर गया था. मैं गुटक गुटक करके दो तीन बार में गुटक सारा रस पी गया. उन्होंने पांच मिनट तक लंड मेरे मुँह में ही रखे, फिर बाहर निकाल कर पौंछने लगे.

मैंने कहा- दासी को लंड साफ करने तो दो.

उन्होंने लंड ढीले छोड़ दिए. अभी भी वो दोनों लंड टाइट थे. मैंने अपनी जुबान से चाट चाट के लंड और गोलियां साफ़ कर दीं. फिर मैंने वीर्य का स्वाद लेते हुए अपने होंठों पर जीभ घुमाई और पूछा- कैसा लगा?
तो वो दोनों शर्मा गए.

मैंने कहा कि अब क्या शर्माना, अब तो आपके बच्चे (वीर्य) मेरे अन्दर हैं.
यह बात उनके दिल को लग गयी, उन्होंने मुझे उठा कर गले से लगा लिया. हम पांच मिनट तक ऐसे ही चिपके रहे. फिर साफ़ सफाई करने के लिए पानी देखने लगे.

मैंने कहा- मेरी एक और इच्छा है.
उन्होंने पूछा- बताओ जान.
मैंने कहा- मुझे आपके पेशाब से नहाना है और मूत्र पीना है.

पहले तो वे मना करने लगे, लेकिन बंटी जी ने कहा- सनी भाई मान लो इसकी बात … देखो अभी मजा आया कि नहीं … लगता है इसके पास ढेर सारे आईडिया हैं.

दोनों मान गए, तो हम तीनों ट्रक से बाहर निकले. इस समय हम तीनों नंगे थे. वहीं बिल्कुल पास में एक तालाब था. वहां उन्होंने मुझे बिठाया और कहा कि हमने कभी ये नहीं किया, आपको जो करवाना है … वो हमको बता दो.

मैंने उनका लंड लिए और मुँह में ले कर बोला- अब आप पेशाब करो. जब भी वीर्य निकलता है, उसके बाद के पहले पेशाब में भी थोड़ा वीर्य आता है. मैं वो पीना चाहता हूँ.

उन दोनों ने दम लगाया तो पेशाब निकल आया. मैंने मस्त नमकीन पेशाब को पिया और फिर उनके लंड अपने फेस पर लगा लिए. अब उनकी पेशाब मेरे मुँह से होते हुए मेरे पूरे शरीर को गीला करता हुआ नीचे गया. मैं उन दोनों की पेशाब से खूब जम के नहाया.

उन दोनों ने मुझे देखा और कहा- क्या हम तुम्हें इतने अच्छे लगे?
मैंने कहा कि ये पेशाब पीना और वीर्य पीना, ये सब दिलों को और करीब लाता है.

उन्होंने मुझे फिर गले लगाया, फिर हम तालाब पे नहाये और आके लेट गए. उन दोनों के लंड अभी भी तने हुए थे.
मैंने कहा कि क्या मैं रात को आप दोनों लंड मुँह में ले कर सो सकता हूँ?
उन्होंने कहा- अब पूछने की जरूरत नहीं, बस करो जो भी करना है.

मैं उन दोनों के पैरों के बीच में आ गया. दोनों के लंड मुँह में ले के सो गया.

सुबह पांच बजे दोनों के लंड फिर से टाइट हो गए थे. उन दोनों ने फिर मुझे ठोका, फिर नहा धो के हम आगे चल दिए.

मैंने उनका फ़ोन नंबर ले लिया और अब जब भी उदयपुर जाना होता है, तो उनको कॉल कर देता हूँ. वो जब भी जयपुर आते हैं, तो मेरे रूम में ही रुकते हैं. हम सेक्स पार्टनर से ज्यादा दोस्त बन गए हैं.

भाइयों बताओ … कैसा लगा मेरा गांड चुदाई का किस्सा, ये सच्ची कहानी है. आप अपने ईमेल भेजिएगा.
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