जिस्मानी रिश्तों की चाह -19

जूजाजी 2016-07-03 Comments

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अब तक आपने पढ़ा..

हम दोनों भाई कंप्यूटर पर ट्रिपल एक्स मूवी देख रहे थे कि अचानक दरवाजा खुला और आपी अन्दर आईं।
और हमारे पास पड़े हुए सोफे पर जा बैठीं।
आपी बोलीं- फरहान दरवाज़ा बंद कर दो।

अब आगे..

फरहान उठा और जाकर दरवाज़ा बंद कर दिया।
‘लॉक भी लगा दो..’
फरहान ने लॉक भी लगाया और वापस आकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया।

‘हाँ मुझे तुम्हारे कंप्यूटर में कुछ फ़िल्में वाकयी ही बहुत अच्छी लगी हैं.. तो मैं सोच रही हूँ कि आज रियल ही क्यूँ ना देख लूँ.. चलो शुरू करो.. जो तुम लोग मेरे आने से पहले करने जा रहे थे।’
‘बिल्कुल नहीं..’
फरहान ने चिल्ला कर कहा- आप ऐसा कैसे कर सकती हैं.. आप हमारी सग़ी बड़ी बहन हैं।

आपी तंज़िया अंदाज़ में बोलीं- अच्छाआ.. देखो देखो ज़रा.. अब कौन.. मिस्टर मौलवी.. बन रहा है.. उस रात तो बहुत मज़े ले-लेकर चूस रहे थे.. क्या वो तुम्हारा सगा बड़ा भाई नहीं था?

मैं काफ़ी देर से खामोश होकर उनकी बातें सुन रहा था। मैंने हाथ उठा कर दोनों को खामोश होने का इशारा करते हुए खड़ा हुआ और फरहान से कहा- चलो यार फरहान.. अब बस करो.. हमारी कोई बात ऐसी नहीं है जो आपी को ना पता हो.. वो पहले ही सब जानती हैं। फिर बहस का क्या फ़ायदा?

मेरा लण्ड पहले से ही पूरा खड़ा था.. मैंने अपने कपड़े उतारे और फरहान का हाथ पकड़ कर बिस्तर की तरफ चल पड़ा।

आपी की नजरें मेरे नंगे लण्ड पर ही जमी हुई थीं.. वो सोफे से उठीं और कंप्यूटर कुर्सी पर बैठते हुए उन्होंने मॉनिटर भी ऑन कर दिया.. जहाँ मूवी पहले से ही चल रही थी।

फरहान अभी भी झिझक रहा था.. मैंने फरहान को खड़ा किया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगा।

अपनी एक आँख मैंने मुस्तक़िल आपी पर रखी हुई थी.. क्योंकि मैं आपी का रिएक्शन देखना चाहता था।

अपने एक हाथ से मैंने फरहान का शॉर्ट नीचे किया और उसका लण्ड उछल कर बाहर निकल आया। फरहान का लण्ड भी थोड़ी सख्ती पकड़ चुका था.. शायद फरहान भी आपी की यहाँ मौजूदगी से एग्ज़ाइटेड हो रहा था।

मैंने फरहान के होंठों से अपने होंठों को अलग किया और फरहान की शर्ट और शॉर्ट मुकम्मल उतार दिए।

अब हम दोनों बिल्कुल नंगे हो चुके थे, दोनों आपी की तरफ घूम गए।
आपी के गाल सुर्ख हो रहे थे और उनकी आँखें भी नशीली हो चुकी थीं।

‘आपी कैसा लग रहा है आपको.. अपने सगे भाइयों को नंगा देख कर.. और उनके लण्ड देख कर.. क्या आप एंजाय कर रही हैं?’ मैंने मुस्कुराते हो कहा।

‘शटअप.. बकवास मत करो और अपना काम जारी रखो..’

यह बोल कर आपी ने मुझे आँखों से इशारा किया कि प्लीज़ ये मत करो.. शायद आपी अभी जहनी तौर पर मुकम्मल तैयार नहीं थीं और उन में अभी काफ़ी झिझक बाक़ी थी।

मैंने फिर फरहान के होंठों को चूसना शुरू कर दिया और फरहान को घुमा दिया, अब आपी की तरफ फरहान की पीठ थी, मैंने अपने एक हाथ से फरहान के कूल्हों को रगड़ना और दबोचना शुरू कर दिया।

कुछ देर बाद मैंने अपने दोनों हाथों से फरहान के दोनों कूल्हों को खोल दिया.. ताकि आपी फरहान की गाण्ड के सुराख को साफ देख सकें।
आपी को दिखाते हुए मैंने अपनी एक उंगली को अपने मुँह में लेकर गीला किया और फरहान की गाण्ड के सुराख में डाल दी।
फरहान हल्का सा मचला.. लेकिन मैंने किसिंग जारी रखी और अपनी ऊँगली को अन्दर-बाहर करने लगा।

आपी आँखें फाड़-फाड़ कर मेरी ऊँगली को अन्दर-बाहर होता देख रही थीं। मैंने फरहान के होंठों से होंठ हटाए और उसकी गर्दन को चूमते और ज़ुबान से सहलाते नीचे जाने लगा।
मैंने फरहान के निप्पल को बारी-बारी से चूसा और फिर ज़मीन पर घुटने टेक कर बैठ गया। अब मैंने ऊँगली फरहान की गाण्ड से निकाल कर आपी को दिखाते हुए फरहान की गाण्ड के सुराख पर फेरी।

मैंने फरहान के लण्ड को हाथ में लिया और अपना चेहरा लण्ड के पास ला कर एक नज़र आपी पर डाली।

आपी की नजरें मेरी नजरों से मिलीं तो मैंने देखा.. कि आपी बहुत एग्ज़ाइटेड हो रही थीं.. शायद वो समझ गईं थीं कि मेरा अगला अमल क्या होगा।

फिर मैंने फरहान के लण्ड को अपने मुँह में लिया और आहिस्ता-आहिस्ता 3-4 बार मुँह आगे-पीछे करने के बाद मैंने एक हल्के से झटके से फरहान का लण्ड जड़ तक अपने मुँह में ले लिया।
उसकी टोपी मेरे हलक़ में टच हो रही थी।

मैंने इसी हालत में रुकते हुए आपी को देखा.. तो वो बहुत ज्यादा बेचैन नज़र आ रही थीं.. वो बार-बार अपनी पोजीशन चेंज कर रही थीं, शायद वो अपनी टाँगों के दरमियान वाली जगह को अपने हाथ से रगड़ना चाह रही थीं.. लेकिन अपने आपको रोके हुए थीं।

मैं कुछ देर तेज-तेज फरहान के लण्ड को अपने मुँह में अन्दर-बाहर करता रहा और फिर लण्ड मुँह से निकालते हुए खड़ा हुआ और फरहान को इशारा किया कि अब वो चूसे।

फरहान मेरी टाँगों के दरमियान बैठा और मेरे लण्ड को चूसने लगा। कुछ देर मेरा लण्ड चूसने के बाद फरहान ने मुँह नीचे किया और मेरी बॉल्स को अपने मुँह में भर लिया।

वाउ.. फरहान की इस हरकत ने मेरे अन्दर मज़े की एक नई लहर पैदा कर दी। फरहान नर्मी से मेरी बॉल्स को चूसने लगा।

मैंने आपी को देखा तो वो भी एकटक नज़रें जमाए फरहान को मेरे बॉल्स चूसते देख रही थीं। मैं जानता था कि आपी को मेरी बॉल्स बहुत अच्छी लगी थीं.. इसलिए भी आपी को फरहान की ये हरकत बहुत पसन्द आई थी।
फरहान ने मेरी बॉल्स को मुँह से निकाला और मेरे पीछे जाकर मेरे कूल्हों को दोनों हाथों में लेकर खोला और मेरी गाण्ड के सुराख पर अपनी ज़ुबान फेरने लगा।

‘एवव.. फरहान.. तुम तो बहुत ही गंदे हो..’ आपी ने बुरा सा मुँह बना कर कहा.. लेकिन अपनी नज़र नहीं हटाई।
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फरहान आपी को कुछ कहना चाहता था लेकिन मैंने फरहान के सिर को वापस अपनी गाण्ड पर दबा दिया। मैंने अपने लण्ड को अपने हाथ में लिया और बहुत स्पीड से लण्ड पर हाथ को आगे-पीछे करने लगा।

आपी बिल्कुल मेरे सामने थीं.. मैं डाइरेक्ट आपी की आँखों में देख रहा था और लण्ड पर अपना हाथ चला रहा था।

आपी भी कुछ देर मेरी आँखों में देखती रहीं और फिर अपना चेहरा फेर लिया। मैं भी घूमा और फिर फरहान को किसिंग करने लगा। अब हम दोनों की नजरें आपी पर नहीं थीं। मैंने आँखों के कॉर्नर से देखा.. आपी ने अपना एक हाथ टाँगों के दरमियान रख लिया था और मसलने लगी थीं।

ये नज़ारा देखते ही मेरे लण्ड को झटका सा लगा.. जैसे ही हम आपी की तरफ घूमे, उन्होंने फ़ौरन हाथ अपनी टाँगों के दरमियान से हटा लिया।

अब मैं डॉगी पोजीशन में झुका सा हुआ और फरहान मेरे पीछे आ गया। उसने अपने लण्ड पर और मेरी गाण्ड के सुराख पर तेल लगाना शुरू किया।
मेरी नजरें आपी पर थीं और मुझे यक़ीन था कि आपी हर एक सेकेंड को एंजाय कर रही हैं।

फरहान ने आहिस्ता से अपना लण्ड मेरे अन्दर डाला और अपना लण्ड मेरी गाण्ड में अन्दर-बाहर करने लगा।

मेरे मुँह से कुछ आवाजें तो वैसे ही मज़े और दर्द से निकल रही थीं और कुछ मैं खुद भी माहौल को सेक्सी बनाने और आपी को सुनाने के लिए निकालने लगा।

‘आ ह.. हाँ.. फरहान ज़ोर से धक्का मारो.. ज़ोर से.. हाँ पूरा डालो… अहह और ज़ोर से.. चोदो अपने सगे भाई को.. ज़ोर से.. झटका मारो.. हाँ फाड़ दो अपने बड़े भाई की गाण्ड..’

मेरे ये अल्फ़ाज़ आपी पर जादू कर रहे थे और बार-बार बेसाख्ता उनका हाथ उनकी टाँगों के दरमियान चला जाता और वो अपना हाथ वापस खींच लेतीं।

मैं चाहता था कि आपी पूरा मज़ा लें.. इसलिए मैंने फरहान से पोजीशन चेंज करने को कहा।
अब हम दोनों की बैक आपी की तरफ थी और फरहान मेरे ऊपर था। आपी हम दोनों की गाण्ड और मेरी गाण्ड में अन्दर-बाहर होता फरहान का लण्ड साफ देख सकती थीं और हम आपी को डाइरेक्ट नहीं देख सकते थे।

लेकिन दीवार पर लगे आईने में हम अपनी पोजीशन भी देख सकते थे.. और आपी को भी साफ देख रहे थे।

अब आपी के सामने उनका बहुत पसंदीदा नजारा था, उन्होंने हमारी गाण्ड पर नज़र जमाए हुए अपने हाथ को अपनी टाँगों के दरमियान रखा और बहुत तेज-तेज रगड़ने लगीं।
वो नहीं जानती थीं कि हम उन्हें आईने में साफ देख सकते हैं। आपी को ऐसे देखना मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था।

मैंने सरगोशी करते हुए फरहान को बुलाया और आईने की तरफ इशारा किया.. जैसे ही फरहान ने आईने में देखा.. मैंने महसूस किया कि उसके बाद उसकी मेरी गाण्ड में लण्ड अन्दर-बाहर करने की स्पीड बढ़ती जा रही थी।

कुछ ही देर बाद उसके लण्ड ने मेरी गाण्ड में ही गर्म पानी छोड़ दिया।
उसके रुकने पर मैंने तेज आवाज़ में कहा- आह्ह.. अब तुम आ जाओ नीचे.. अब मेरी बारी है करने की..

आपी ने यह सुना तो फ़ौरन अपना हाथ टाँगों के दरमियान से निकाल लिया।

फरहान और मैंने अपनी जगहें चेंज कर लीं, अब फरहान डॉगी पोजीशन में था और मैंने उसकी गाण्ड में अपना लण्ड डाल दिया था। मैंने आहिस्ता-आहिस्ता लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।

मुझे फरहान का पानी अब भी अपनी गाण्ड में महसूस हो रहा था.. जो बाहर निकलना चाह रहा था.. लेकिन मैंने अपनी गाण्ड के सुराख को भींचते हुए पानी को बाहर आने से रोक लिया और अपनी स्पीड को बढ़ाने लगा। मैंने आईने में देखा तो आपी अपना हाथ वापस अपनी टाँगों के दरमियान ला चुकी थीं और रगड़ना शुरू कर दिया था।

ये वाकिया जारी है।
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