मेरे गांडू जीवन की कहानी-23

(Mere Gandu Jiwan Ki Kahani- Part 23)

This story is part of a series:

अभी तक आपने पढ़ा कि मैं रवि के जन्मदिन पर उसे सरप्राइज़ गिफ्ट देने के लिए दोबारा हिसार चला गया। लेकिन रवि मुझे अपने घर नहीं बल्कि शहर में एक दोस्त के फ्लैट पर पार्टी करता हुआ मिला जहां पर 5-6 लड़कों के साथ संदीप भी मौजूद था। संदीप ने जब जग्गी और राजू के साथ नेवली खुर्द में मेरी गांड मारी थी तो चुपके से उसने मेरी वीडियो बना ली थी जो मुझे रवि के जन्मदिन वाले दिन उसी फ्लैट पर दिखाई गई। ये वीडियो ही रवि और मेरे रिश्ते में आग लगाने के लिए काफी थी। मैं सारी बात समझ चुका था कि अब मेरे और रवि के बीच कुछ नहीं बचेगा। क्योंकि अगर मैं अपने मुंह से उसको संदीप की करतूतों के बारे में बताता तो वो शायद कुछ हद तक मुझे फिर भी अपना दोस्त बना कर रख लेता लेकिन मेरी चुदाई की वीडियो उसे किसी और के पास से मिले… इस घटना के बाद मैंने सारी उम्मीद छोड़ दी थी।

मैं वहां से वापस निकलने लगा तो रवि ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
रवि बोला- आज मेरा लंड लिए बिना ही चला जाएगा क्या?
यह बात सुनकर वे सारे लड़के ठहाका मारकर हंसने लगे। मैं दुनिया की हर बेइज्जती बर्दाश्त कर सकता था लेकिन रवि के सामने संदीप ने मेरा वो हाल किया जिसका घाव शायद इस जन्म में तो भरने वाला नहीं था। लेकिन फिलहाल मुझे कुछ नहीं सूझ रहा था।

मैंने रवि से कहा- मुझे जाने दो।
वो बोला- तू मुझसे प्यार करता है ना…
मैं उसकी बात का कोई जवाब नहीं दे रहा था और अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ाने की कोशिश कर रहा था। ऐसा नहीं था कि मुझे उसकी बातों का बुरा लग रहा था…वो तो मेरी जान भी ले लेता फिर भी मैं उफ्फ तक ना करता…लेकिन इस वक्त वो नशे में था और जो वीडियो उसने देखी है उसका रवि पर क्या असर हुआ है ये भी मैं अच्छी तरह जानता था। इसलिए मैं वहां से बस निकल जाना चाहता था।

लेकिन रवि ने मेरा हाथ नहीं छोड़ा, मैं छटपटाता रहा।
संदीप ने कहा- रवि, तू इस गांडू के साथ इंजॉय कर रात भर… लंड लेने का बहुत शौक है इसे… आज इसकी सारी कसर निकाल दे। हम लोग चलते हैं, सुबह फ्लैट की चाबी मैं तेरे घर से ले लूंगा।
कह कर उन सबने अपनी अपनी शर्ट पहनी और हल्ला करते हुए कमरे से बाहर निकल गए।

रवि ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया। मैं अपने साथ में जो सामान लेकर आया था वो फर्श पर पड़ा हुआ था। उसने पॉलीबैग को खोला और शर्ट निकालकर देखी और एक तरफ फेंक दी। मेरे अरमानों पर पानी फिर रहा था… कहां मैं उसको सरप्राइज़ देने के लिए आया था और मुझे ही इतना ज़हरीला तोहफा मिल रहा था।

उसने सेंट की बोतल निकाली और उसे भी एक तरफ फेंक दिया। उसके बाद थैली में टटोला तो शहद की शीशी निकली। उसे देखकर वो इस तरह मुस्कुराया जैसे कह रहा हो- चोर शायद चोरी करना छोड़ सकता है लेकिन गांडू अपनी गांड मरवाना नहीं छोड़ सकता।
आज उसकी ये मुस्कुराहट मेरे दिल में सुकून पैदा करने की बजाए मुझे खून के आंसू रुला रही थी। मुझे लग रहा था मैंने उसे खो ही दिया। अब वो मेरी बात का यकीन कभी नहीं करेगा।

उसने शहद की शीशी नीचे पड़े गद्दे पर फेंकी और मेरी तरफ बढ़ा। उसने शर्ट निकाली हुई थी, उसकी छाती बिल्कुल नंगी थी और वो पसीने से तर बतर हो रहा था। बिखरे हुए बालों के नीचे माथे पर पसीना और लाल आंखें जिनमें बदला और टूटे हुए दिल का दर्द साफ साफ दिखाई दे रहा था मुझे।

उसने मुझे पीछे की तरफ धक्का दिया और मैं गद्दे के पास फर्श पर चूतड़ों के बल जा गिरा। मेरे पास आकर उसने मेरे सिर को पकड़ा और अपनी फेडड डार्क ब्लू जींस की जिप के आस पास मेरे मुंह को रगड़ने लगा। वो दोनों हाथों से मेरे मुंह को अपनी जींस की जिप के अगल बगल घुसाए जा रहा था।

आज उसकी पकड़ मुझे दर्द दे रही थी।

2 मिनट बाद उसकी जींस में उसका लंड अपनी शेप में आना शुरु हो गया और धीरे धीरे उसके लंड ने अपना पूरा आकार ले लिया और वो जींस में तन कर झटके मारने लगा। उसकी जींस के बटन के पास पेट पर पसीने की बूंदें बहकर अंदर बटन के ऊपर दिख रहे अंडरवियर के इलास्टिक को भिगा चुकी थीं। वो मेरे होठों को जबरदस्ती अपने तने हुए लंड पर रगड़ता ही जा रहा था।

मैं उस वक्त हालात के दलदल में ऐसा फंसा हुआ था कि जितना निकलने की कोशिश करूं उतना ही अंदर धंसता जाऊं… और निकालने वाला और कोई नहीं… खुद रवि था जिसका भरोसा मुझ पर से उठ चुका था।
अब तो मैंने हाथ-पैर मारना बंद कर दिया था और बस रवि की मजबूत पकड़ के नीचे दबी गर्दन का कबूतर बनकर उसके गुस्से के सैलाब में तैरने की नाकामयाब कोशिश कर रहा था।

रवि ने मेरे होठों को जींस पर बेरहमी से रगड़ने के बाद अपनी जींस का मोटा बटन खोल दिया और जिप को नीचे करके जॉकी की ग्रे फ्रेंची में तने लौड़े को मेरे होठों पर फिराने लगा। आज मैं ना तो मन से उसका साथ दे रहा था और ना ही तन से, वो जो कर रहा था बस करता जा रहा था।

मेरी अंतर्वासना तो घायल मन के कोने में कहीं पड़ी हुई एक घूंट पानी भी नहीं मांग रही थी। मेरी आंखों में ना आंसू थे और ना कोई भाव…

रवि ने अपनी फ्रेंची निकाली और लंड को निकाल कर सीधा मेरे मुंह में दे दिया और ज़ोर-ज़ोर से मेरे मुंह में धक्के मारने लगा। मेरा गला उसके लंड के टोपे से चोक होकर मेरी सांस घुटने लगी। लेकिन रवि मेरे मुंह में लग रहे धक्कों के बहाने जैसे कह रहा हो- मेरे सिवा किसी और के पास चुदने क्यों गया साले..
आज मुझे अहसास हो रहा था कि खुद पर कंट्रोल न करने का अंजाम कितना भयानक हो सकता है। अब मैं पछता रहा था.. कि ना मैं बस में संदीप के लंड की तरफ आकर्षित हुआ होता… ना उससे बात होती… और ना ही वो मेरी मजबूरी का फायदा उठाता.
मेरी वो एक गलती मेरे प्यार को मुझसे मीलों दूर ले गई।

रवि मेरे मुंह में लंड को ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर कर रहा था। एक तरफ मेरा गला छिल कर दर्द करने लगा था तो वहीं रवि के लंड का टोपा भी टमाटर की तरह लाल हो चुका था। उसने मेरे मुंह से लंड निकाला और मेरी शर्ट के बटन फाड़ दिए. उसके बाद उसने मेरी पैंट के हुक को खोल कर मुझे नीचे से भी नंगा कर दिया। मेरी गर्दन पकड़ कर मुझे गद्दे पर घोड़ी बना दिया और मेरा सिर दीवार से सटा कर पास में पड़ी शहद की शीशी उठा ली। उसने थोड़ा सा शहद अपनी उंगली से निकाल कर मेरी गांड पर लगाया, दोबारा थोड़ा सा शहद अपने लंड पर और अपने घुटनों को थोड़ा मोड़ते हुए अपने लंड का टोपा मेरी गांड पर लगा कर इतना ज़ोर से धक्का मारा कि मेरी रूह तक हिल गई, दर्द के मारे मेरी टांगें कांपने लगी।

उसने अपनी उंगलियां मेरे होठों की बगल में फंसा कर मेरे मुंह में डाल दीं। उसने मेरे चेहरे पर अपनी पकड़ बनाई और मेरी गांड में अपने लंड को पेलना शुरु कर दिया। आज उसका हर एक धक्का मुझे अपने गांडूपन का अहसास करवा रहा था कि गांडू की जिंदगी होती कैसी है.

एक तो दारू का नशा और ऊपर से उसका टूटा हुआ दिल… दोनों ही रवि को मेरी गांड फाड़ने के लिए मजबूर कर रहे थे। वो जो़र ज़ोर से धक्का मार रहा था और उसकी उंगलियां मेरे होठों को बगल से फाड़ रही थीं। उसकी मजबूत पकड़ के बावजूद उसके धक्कों का फोर्स इतना ज्यादा था कि मेरा सिर दीवार से टकरा कर धम्म धम्म कर रहा था।
उसने 15-20 मिनट तक मेरी ऐसे ही चुदाई की। मेरी गांड में दर्द इतना था कि मुझे पता नहीं चला कि वो झड़ा भी या नहीं… वो धीरे-धीरे स्पीड कम करते हुए रूक गया और हांफता हुआ वहीं गद्दे पर गिर गया।

मैं भी उसी पोज़िशन में घुटने पेट में सिकोड़ कर दीवार के साथ लग कर गिर गया। मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा तो उसकी आंखें बंद थी और हांफती सांसों के कारण उसका पेट तेज़ी से ऊपर नीचे होता हुआ दिखाई दे रहा था। उसकी जींस उसके घुटनों के नीचे पिंडलियों में जाकर फंसी हुई थी और उसकी फ्रेंची घुटनों के ठीक ऊपर उसकी मोटी मांसल बालों वाली जांघों पर आकर फंसी हुई थी। उसका लंड आधी सोई हुई अवस्था में एक तरफ गिर कर धीरे धीरे सिकुड़ रहा था। उसके हाथ उसके सिर की बगल में पड़े हुए थे और हथेलियां छत की तरफ आधी खुली हुई थीं।

मैं उसको बिना किसी भाव के देखे जा रहा था, उसके चेहरे पर शांति थी और मेरे चेहरे पर शून्य… मेरी आंख में ना आंसू थे और ना माथे पर कोई शिकन।

कुछ देर बाद रवि खर्राटें लेने लगा और उसे देखते देखते मुझे भी नींद आ गई।

रात के करीब 3-4 बजे अचानक मेरी आंख खुली तो मैंने देखा रवि बैठा हुआ मेरे चेहरे को देख रहा था।
मैं एकदम से उठकर बैठा और इससे पहले की कुछ बोलता उसने एक ज़ोर का थप्पड़ मेरे मुंह पर जड़ दिया, मुझे लगा जैसे मेरी गर्दन घूम गई हो, मेरी आंखों से तुरंत आंसू गिरने लगे। मैंने रवि की तरफ देखा तो उसके चेहरे पर गुस्से और दया के मिले जुले भाव थे।

मैंने उससे कुछ कहने की बजाए उसके सामने हाथ जोड़ लिए। वो मेरे हाथों को पकड़ कर अपने हाथों में लेता हुआ मेरे पास आया और मुझे अपनी गोद में लेटा लिया… उसकी गोद में आकर मैं अपने सारे दर्द भूल कर उससे लिपट गया और बिना आवाज़ किये फूट फूट कर रोने लगा।
मैंने रोते हुए उससे कहा- मुझे माफ कर दे भाई… मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। मुझे पता है तू मेरी बात का यकीन नहीं करेगा, लेकिन मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूं। अगर तूने भी मुझे छोड़ दिया तो मैं सच में मर जाऊंगा.

वो मेरी कमर पर हाथ फिराते हुए मुझे बाहों में भर कर मुझे अपनी छाती से लगा कर प्यार करने लगा। मुझे पता था कि उसने मेरे साथ जो भी किया वो सब गुस्से में किया और अब उसे इसका पछतावा हो रहा है।
वो बोला- तेरा वो वीडियो संदीप ने कब और कैसे बनाया था?
उसका ये सवाल सुन कर मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया, मैं एकदम से चुप हो गया।

उसने मुझे उठाया और मेरी आंखों में आंखें डालते हुए पूछा- मैं कुछ पूछ रहा हूं तुझसे अंश, तेरा वो वीडियो संदीप ने कब और कैसे बनाया?
मैं घबरा गया… अब क्या जवाब दूं इसे… अगर मैंने बस वाली बात बताई तो क्या होगा। ये पहले ही गुस्से में है… अगर वो सच्चाई इसे पता चली तो उसका अंजाम और भी बुरा हो सकता है.

मैंने कहा- गलती मेरी ही थी। जब मैं पहली बार तुझसे मिलने हिसार आया था तो संदीप मुझे वहीं बस स्टैंड पर मिल गया था। वो अपने किसी दोस्त को ड्रॉप करने आया था। मैंने इसको टॉयलेट की तरफ जाते देखा तो खुद पर काबू नहीं रख पाया। मैं भी इसके साथ ही टॉयलेट में घुस गया और इसके लंड को देखने लगा। संदीप ने देखा कि मैं इसके लंड को देख रहा हूं तो इसका लंड खड़ा होने लगा और वो अपने लंड को मेरी तरफ देख कर हिलाने लगा। इसका लंड काफी बड़ा था तो मेरा मन किया मैं इसके लंड को चूस लूं। संदीप ने पूछा ‘कहां जाएगा?’ तो मैंने तुम्हारे गांव का नाम बता दिया। वो बोला ‘ठीक है, मेरे साथ चल…’ मैं रास्ते में तुझे अपना लंड भी चुसा दूंगा और तू आगे चले जाना… बस वहीं पर रास्ते में इसने मुझे उस कोठरी में अपना लंड चुसवाया और मेरी चुदाई की वीडियो बना ली।

रवि ने मेरी आंखों में देखा- तो मैंने नज़रें झुका लीं।
उसने पूछा- तू सच बोल रहा है?
मैंने कहा- मैं तुमसे झूठ क्यों बोलूंगा..
वो बोला- ठीक है फिर आज के बाद मुझे कभी अपनी शक्ल मत दिखाना..
मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया…

उसने फिर कहा- सुन रहा है ना मैं क्या कह रहा हूं…
मैंने मुंडी हिलाते हुए हामी भर दी।

उसने दो मिनट तक मेरे चेहरे के भावों को देखा और बोला- चल उठ तुझे बस स्टैंड पर पटक देता हूं। और आइंदा कभी हिसार की सीमा में दाखिल हुआ तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।

मैंने चुपचाप उठकर कपड़े पहन लिए, चलते हुए मेरी नज़र कमरे के कोने में गई जहां पर वो शर्ट पड़ी हुई थी जिसको मैं उसे गिफ्ट करने के लिए लेकर आया था। मेरी आंखों से पानी छलकने ही वाला था लेकिन मैंने दिल मजबूत करते हुए उसे अंदर ही रोक लिया और रवि के पीछे-पीछे कमरे से बाहर निकल गया।

उसने रूम लॉक किया और हम गाड़ी में आकर बैठ गए। मैं बुत बनकर चुपचाप उसके साथ बैठा हुआ था।

5-7 मिनट में बस स्टैंड आ गया। सुबह के लगभग 5 बजे का टाइम हो गया था और बस स्टैंड पर लोगों की चहल पहल चालू हो चुकी थी। रवि ने गाड़ी बस स्टैंड के अंदर रोक कर मुझे उतरने के लिए कहा।
मैं चुपचाप नीचे उतर गया और दिल्ली साइड वाले स्टैंड की तरफ बढ़ चला। मैंने मुड़ कर देखा तो रवि गाड़ी को स्पीड में दौड़ा कर स्टैंड से बाहर लेकर निकल गया। उसके बाद ना तो कभी उसका फोन आया और ना ही मैंने उसे फोन करने की कोशिश की।

मैं जिंदा लाश की तरह अपना टाइम पास करता रहा। दो साल बीत गए उसकी याद में…

फरवरी 2015 में मौसी के घर से फोन आया, आकाश की बीवी यानि मौसी की बहू ने लड़के को जन्म दिया था। मौसी ने हमें सोनीपत बुलाया था। मैं वहां जाना तो नहीं चाहता था लेकिन मां की बात रखने के लिए मैं चलने के लिए तैयार हो गया।

आकाश की शादी और मौसी के घर से मेरे प्यार के तार जुड़े थे। घर पहुंच कर मैं हर चीज़ को ऐसे देखता जैसे अपने पिछले जन्म को जी रहा हूं। रवि की यादें वहां जाकर फिर से ताज़ा हो गईं। लेकिन इस बार सिर्फ उसके ख्याल थे..वो नहीं।

हम फंक्शन के दो दिन पहले पहुंच गए थे, 14 को फंक्शन था..हम 12 को ही चले गए थे। मैं यहां वहां अपना टाइम पास करता रहता, 14 फरवरी को खाने के लिए टैंट लग गया, घर में गहमा गहमी थी लेकिन मेरे लिए सब फीका… मैं ऐसे ही घर के मेन गेट पर खड़ा हो कर टाइम पास कर रहा था।

अचानक एक गाड़ी घर के सामने आकर रुकी, मैंने नम्बर प्लेट देखी तो मेरी धड़कन रुक गई, वो रवि की गाड़ी थी। मैं एकदम से पीछे हट कर दरवाज़े की साइड में जाकर दीवार के साथ लग गया। बाहर देखने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी।
गाड़ी की खिड़की धम्म से बंद होने की आवाज़ हुई और कुछ ही सेकेण्ड्स में रवि मेन गेट से अंदर दाखिल हुआ।

मैं भौंचक्का सा वहीं दीवार से सटा खड़ा था। जैसे ही उसने अंदर कदम रखे, उसकी निगाहें मुझ पर पड़ीं… मैंने उसे देखा और उसने मुझे।
उसने मेरी तरफ ऐसे देखा मानो आंखों ही आंखों में मुझसे कह रहा हो- मुझे माफ कर दे अंश…
वो देख कर आगे बढ़़ गया।

अंदर जाकर मौसी से मिला और 5 मिनट बाद मेरे पास वापस आया। वो मेरा हाथ पकड़ कर गाड़ी की तरफ ले गया, मुझे गाड़ी में बैठाया और पास की नहर पर ले गया। वहां पर हम दोनों के बीच जो बातें हुईं वो मैं साइट पर सार्वजनिक रूप से नहीं लिख सकता हूं क्योंकि ये किसी की इज्जत और किसी परिवार के मान का सवाल है।

फंक्शन के बाद रवि वापस हिसार चला गया और मैं अपने घर।

इससे आगे जो कुछ हुआ वो मुझमें लिखने की हिम्मत नहीं है।
मैं अंश जाखड़ बजाज.. और ये थी मेरी कहानी।
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