सेक्स स्टोरी नहीं, मेरे किये काण्ड-2

(Sex Story Nahi, Mere Kiye Kaand- Part 2)

मनीष 2017-11-27 Comments

हेलो दोस्तो, देर से आने के लिए माफी! काफी बिजी था इस बीच काम धाम में। पैसा अब ज्यादा कमाना पड़ता है क्योंकि आजकल फ्री की चूत मिलनी लगभग बन्द सी हो गयी है और पिछले दो महीने से पैसे देकर काम चल रहा है। खैर ये जिंदगी का रंडी रोना तो चलता रहेगा, और मैं अकेला नहीं इसमें, और भी मेरे जैसे लाखों होंगे।
चलो अब रियल सेक्स स्टोरी पर वापस आता हूँ।

जैसा कि पहली स्टोरी
सेक्स स्टोरी नहीं, मेरे किये काण्ड-1
में बताया मेरे और पारुल के बारे में। अप्सरा जैसे बदन की मालकिन वो लड़की, जिसको अब मैं अपने साथ सोचता था, याद करता था। साला पहले और सच्चे प्यार की एक सबसे बड़ी कमी ये है कि उस समय आप दुनिया के सबसे अच्छे लड़के बन जाते हो, लड़की आपके साथ होती है मगर आप उसे इधर उधर छूना नहीं चाहते, मन में उसे चोदने के ख्याल आना तो दूर उसके लिए किसी से एक गलत शब्द भी नहीं सुन सकते।
कुल मिला कर लड़की चुदना भी चाहती हो तो खुद नहीं चोदते। और बाद में जब अहसास होता है कि ये सबसे बड़ी गलती है तब तक बहुत देर हो जाती है। और इसी हालात से कहावत बनती है खड़े लंड पर धोखा।
तो ऐसे गलती मत करना अब कोई। अगर लड़की तैयार है तो पहले चूत भोगो… उसके बाद प्यार बढ़ाओ।

खैर दो दिन मेरे गांड फटी रही क्योंकि उधर से कोई रिप्लाई ही नहीं आया। मुझे लगा घर में बता दिया होगा और मुझे लगा अब सबको बता देगी और मोहल्ले में बनी बनाई सारी इज्जत अब मिट्टी में मिल जाएगी।
मैं अपने मोहल्ले का सबसे सीधा लड़का माना जाता था क्योंकि मैं कभी किसी लड़के को छेड़ा नहीं और सिर्फ अपने काम से काम रखता था।

लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं, किस्मत ने साथ दिया और उसने शाम को इशारे से मुझे घर बुलाया और मैं डरते डरते उसकी घर की तरफ बढ़ने लगा।
कई सारी चीजें एक साथ दिमाग में चल रही थी कि क्या वो हां कहेगी और गले से लग जायेगी, शायद गाल पर एक किस भी दे दे, और ना जाने क्या क्या, और एक तरफ फट भी रही थी कि कहीं मना करके सीधे गाल पर एक झापड़ ना मारे और बोले तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई। वही सब जो फिल्मों में होता है।

ऐसा लग रहा था कि आहट चल रहा है और मैं किसी भूतिया घर में जाने वाला हूँ। सब कुछ शांत 5 मिनट के लिए, कुछ समय के लिए तो खुद की धड़कन भी सुनाई दी, शायद डर से। फिर उधर से खामोशी टूटी, सरगम बजी, पायल जैसे आवाज़ खनकी।

खैर घर पहुँचा तो उसके बाकी के सारे घर वाले छत पर थे क्योंकि गर्मियों के दिन थे, और वो नीचे पढ़ाई का बहाना बना कर बैठी हुई थी। मैं डरते डरते पूछा उससे- क्यों बुलाया है?
उधर से कोई जवाब नहीं, शांति चारों तरफ, जैसे बॉर्डर पर कई दिनों से लड़ाई चलने के बाद सीज फायर हुआ हो!
और कोई शोर नहीं।

फिर आखिरकार खामोशी टूटी, पायल खनकी और उसने बोला- दीपू, तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि मैं भी तुमसे प्यार करूंगी, हम रिश्ते में भाई बहन जैसे हैं, दूर के सही!
और ना जाने क्या क्या।
मैं बिना कुछ बोले चुपचाप उसके पास गया और धीरे से उसका हाथ पकड़ लिया, थैंक्स तो ‘यशराज फिल्म्स!’ और प्यार से बोला- पारुल, मुझे दुनिया की फिक्र नहीं, मैं तुम्हें चाहता हूँ और हम सगे तो दूर रिश्ते में भी नहीं है तो भाई बहन कैसे? मुझे बस तुम्हारी मर्जी से फर्क पड़ता है।
कई सारे फिल्मी डायलॉग मारे, आज सोचता हूँ तो हंसी आती है कि लड़की के लिए कैसे कैसे काम कर जाते हैं लोग।

उसने भी फिर प्यार का इजहार कर ही दिया दोस्तो! पहली बार में लड़की हाँ कर दे वो भी वो लड़की जिसे आप इतना चाहते हो।
दुनिया में सब अच्छा लगने लगा था हम दोनों को, हर चीज रोमांटिक लगती थी, गर्मी का पसीना भी अच्छा लगता था, दिन की धूप भी नहीं पता चलती थी साथ में, लू में भी साथ बैठ कर वो ठंडक मिलती थी वो आज पहाड़ों में जाकर भी नहीं नसीब होती।
अजीब सी हालात हो जाती है साला प्यार में।

तो हमारे प्यार की गाड़ी आगे बढ़ने लगी, हम रोज़ मिलने लगे, कभी कभी स्कूल बंक करके बाहर घूमने भी जाने लगे, एक दूसरे की कसमें खाना, प्यार में जीने मरने की बातें करना बस ये सब चलने लगा।
कुल मिला कर वो सब चुतियापा किया जो लड़के करते हैं, उसमें उसका रिचार्ज करवाना भी शामिल था।

खैर इन सब चुतियापा के बाद फाइनली वो दिन आ ही गया जब हम एक दूसरे में समा गए। पूरी तरह नहीं मगर काफी हद तक। पारुल के एक मामा थे जिनकी अच्छी खासी जमीन थी और उन्होंने शादी नहीं की थी, तो पारुल के घर वाले वो जमीन हथियाना चाहते थे, जोर जबरदस्ती से नहीं मगर चाहते थे कि वो जमीन मामा उनके नाम कर दें. पर उसके लिए जरूरी था कि मामा की देखभाल करके उन्हें ये यकीन दिलाया जाए कि ये उनके सगे हैं।

उसी बीच में इनके मामा की तबियत खराब हुई और पारुल के मम्मी पापा उन्हें देखने गांव चले गए। और रवि पहले से ही रात में घर नहीं रहता था, वो कहीं नाईट शिफ्ट में जॉब करता था।
उस रात सब कुछ अलग था हमारे लिए, मैं रात में उसके घर पहुँचा, हर बार की तरह चाय पी और फिर बातें करने लगे।

अचानक मैंने उसके गले में पड़ा लॉकेट पकड़ा और उसे खींचा तो वो टूट गया। थोड़ा गुस्सा होकर वो बोली- क्या करते हो यार? अब सही करो इसे।
मैंने लॉकेट पकड़ा और उसके गले में डालकर पीछे से बांधना शुरू किया, उस समय पारुल रात में ब्रा नहीं पहनती थी, शमीज़ पहनकर रहती थी और ऊपर या तो शर्ट या टीशर्ट। उस दिन एक
डीप नेक वाला सूट था और उसका गला भी काफी डीप था।
मैं लॉकेट बांधते बांधते धीरे धीरे अपनी उंगलियां उसकी गर्दन पर घुमा रहा था जिससे उसे गुदगुदी और सनसनी एक साथ हो रही थी।

अगर किसी लड़की को मजबूर करना हो कि वो आपसे प्यार करने को व्याकुल हो जाये तो उसकी गर्दन, कान के निचले हिस्से और नाभि पर हल्के से किस और लिक करो तो शर्तिया वो मन से और नीचे से मिलने को मान जाएगी।
मैंने भी वही किया।

वो धीरे धीरे कसमसा रही थी, फिर मैंने उसे गर्दन पर किस किया और हल्के से उसके पेट पर हाथ फेर रहा था। उसने ना आगे बढ़ कुछ मदद की और ना पीछे हटकर मना किया. मैं धीरे धीरे उसके पेट से हाथ आगे बढ़ा रहा था और किस करता जा रहा था। फिर मैंने उसे आगे की तरफ किया और धीरे से एक किस गाल पर किया. अब तक उसके हाथ भी मेरी पीठ पर थे.
फिर मैंने सोचा बेटा मौका अच्छा है चौका मारने का… मैंने आहिस्ता से उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये, उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और मैं धीरे धीरे उसे किस करता रहा और अपने हाथ
उसके पीठ पर चलाता रहा और धीरे से उसकी चैन भी अनज़िप कर रहा था, वो बस मजे ले रही थी, वो तैयार थी मगर दिखा नहीं रही थी, करना सब चाहती थी मगर कर नहीं पा रही थी।

उस समय तक मैंने चोरी छुपे मर्डर मूवी देख ली थी और वैसे ही कुछ करने की कोशिश कर रहा था। पारुल को पता नहीं चला कि कब मैंने उसकी पूरी जीप ओपन कर दी थी और अब मैं उसकी नंगी पीठ अपने हाथों से महसूस कर रहा था।

मैंने फिर पारुल को सीधा किया और उसे एक डीप किस दी और उसने भी इस बार उसने भी पूरा साथ दिया। मैंने आहिस्ता से उसके शर्ट को उतारने की कोशिश की मगर उसने मना कर दिया। मैंने फिर से कोशिश की उसने फिर से मना किया मगर वो किस करती रही। मैंने फिर से कोशिश की और इस बार मैदान मेरे पाले में… उसने कोई प्रतिरोध नहीं किया और शर्ट उसके शरीर से अलग!

अब मैंने धीरे से उसके बदन से उसकी काली रंग की शमीज़ भी अलग की, उसने अपने हाथों से अपने बूब्स छिपा लिए और पैर मोड़ कर अपने आप में सिमट गई।
दोस्तो दूध से भी गोरा शरीर था उसका, हल्की रोशनी में भी एकदम चमक रहा था। मैंने उसके हाथ अलग किये और मेरे सामने कायनात की सबसे खूबसूरत चीज थी। एकदम नापे तुले राउंड शेप के बूब्स… प्यारे से छोटे छोटे निप्पल जो इस समय एकदम तने हुए थे।
एक पल के लिए तो विश्वास ही नहीं हुआ कि मैं सच में ऐसा कुछ देख रहा हूँ। मैं धीरे से उसके ऊपर झुका और उसे किस करने लगा। आहिस्ता आहिस्ता नीचे आते हुए उसके बूब्स पर जीभ लगा दी और उसके मुख से एक हल्की से सिसकारी निकली और हल्का सा उसने कमर उठा कर के आह किया।

अब मैं धीरे धीरे उसके निप्पल को अपनी जीभ से गोल गोल घुमाकर मजे दे रहा था और उनकी आवाज़ और शरीर अकड़ने से समझ में आ रहा था कि उसे पूरा मजा आ रहा है। अब उसने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया और जो भी उसे मिल रहा था उसे पूरी तरह फील करना चाहती थी।

मैं आहिस्ता आहिस्ता उसके बूब्स को चूस रहा था, निप्पल पर जीभ फिराता था और एक हाथ से हल्के हल्के उसकी चूत को सहलाने की कोशिश भी करता जा रहा था। जो कि वो करने
नहीं देती थी।
इस सब कामलीला के बीच में मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया था और उसे ये पता नहीं था। मैं फिर आहिस्ते आहिस्ते नीचे बढ़ते हुए उसके पेट पर किस कर रहा था।

एक बात बताना चाहूंगा कि चूत में लंड डालने का नाम सेक्स नहीं होता है। वो मजा सिर्फ ओर्गास्म के समय मिलता है जो कि 1 मिनट से ज्यादा का नहीं होता। पूरा सेक्स भी 10 मिनट से ज्यादा कोई नहीं कर सकता। असली मजा होता है जब लड़की गर्म हो रही हो, उसकी सांसें ऊपर नीचे हो रही हों। तो उस वक्त उसकी सांसों के साथ ऊपर नीचे होता पेट, हल्के हल्के से हिलते बूब्स, निप्पल टच करते ही बॉडी में होनी वाली सिहरन…
इन सब का अपना अलग मजा है दोस्तो! इसे मिस मत करना।

खैर मैं भी इन सब चीजों का मजा लेते हुए आहिस्ते आहिस्ते नीचे पहुँच गया और मैंने उसकी सलवार अलग करने की कोशिश की। उसने मना किया मगर दो तीन बार की कोशिश के बाद उसने खुद अपनी कमर उठा कर मेरी मदद की इस शर्त के साथ कि हम कुछ करेंगे नहीं बस देखेंगे आज एक दूसरे को… जिसे मैंने मान लिया था क्योंकि शुरुआत ऐसे ही होती है, छोटे शहरों की लड़कियां एकदम से सेक्स के लिए राजी नहीं होती और अगर सीधे सेक्स के लिए बोलोगे तो मना भी करेगी और शायद दुबारा इतना भी करने नहीं देगी।
तो दोस्तो, गो स्लो।

सलवार अलग होते मेरे सामने थी गुलाबी कलर की एक पैंटी जिस पर कई सारे फूल बने थे। आज तक जितनी लड़कियों की पैंटी उतारी है उनमें से 80% ने फूलों के प्रिंट वाली पैंटी ही पहनी हुई थी। शायद इसलिए लड़कों को भंवरा बोलते हैं।
बाकी कोई खास कारण हो तो लड़कियाँ बता सकती हैं।

सलवार के बाद मैंने वो बगीचे वाली पैंटी अलग की। ऐसा लगा कि कसम से जन्नत में आ गया। पाव रोटी जैसी फूली चूत, उफ्फ… शब्दों में बताना मुश्किल है, बस इतना कहूंगा कि वो लड़का जिसे ऐसे फूली हुई चूत देखने को मिली हो, चोदने को मिली हो और वो लड़की जो ऐसे चूत की मालकिन हो वो दोनों बहुत ही लकी होते हैं।

मैं अपनी किस्मत पर फूला नहीं समा रहा था, ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत में हूँ और अप्सरा पैर फैलाये सामने पड़ी है।
मैं थोड़ी देर तो बस पारुल की चूत को देखता रहा, पलक झपकाना भी भूल गया।

पारुल की आवाज़ सुनकर जागा और सीधे उसे किस करने लगा। फिर मैं हल्के हल्के उसकी चूत को सहलाने लगा और नीचे की तरफ जाने लगा।
पारुल लम्बी लम्बी सांसें ले रही थी, उसके दूध ऊपर नीचे हो रहे थे। मैं उसकी चूत के आसपास किस करने लगा, पारुल ने अभी तक अपने तरफ से कुछ शुरू नहीं किया था मगर इस किस के बाद उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे कपड़े उतार डाले।

मैं सिर्फ जांघिया में था, मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखा जो उसने पीछे खींच लिया।

मैं फिर से एक बार नीचे गया और चूत के ऊपर सीधा चूत पर एक किस दाग दिया। पारुल की चूत बहुत पानी छोड़ रही थी और वो पानी मेरे मुँह में लगा जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं आया और मैंने तुरंत मुँह हटा लिया.
मगर तभी मेरी नजर पारुल के चेहरे पर गयी, वो आंख बंद करके ना जाने कौन सी दुनिया में खोई थी, वो देख कर मुझे उस दिन अहसास हुआ कि चूत चाटने में लड़के को कोई मजा नहीं मिलता मगर लड़कियों को जो मजा आता है, वो ब्यान करना मुश्किल है।

लड़कियाँ जिनकी चूत अच्छे से चाटी गयी होगी, वो मेरे से पूरे तरह सहमत होंगी।

वो चेहरा देखकर मैं फिर से पारुल की चूत चाटने लगा और वो पानी का दरिया बहाती रही। फूली हुई चूत, प्यार से बंद होंठ, नीचे एक चने के दाने से भी छोटा छेद जो सिर्फ उसकी सांसों के साथ खुलता था। कुल मिलाकर ऐसा नजारा था कि एक बार जान देने को भी मना ना करता अगर जरूरत पड़ती।

मैंने अब हल्के से अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रगड़ना शुरू किया लंड का अहसास पाते उसने आंख खोली और बड़ी मासूम और भोली से आवाज़ में पूछा- दीपू, लगेगा तो नहीं ना?
मुझे कोई अहसास नहीं था कि लगेगा या नहीं, लगेगा तो कितना मगर मैंने कहा- नहीं लगेगा जान!

उसने हल्के से सहमति दे दी और मैंने कोशिश की। पहली बार में घंटा किसी का लंड एक बार में अंदर नहीं जाता, कुंवारी चूत में तो बिल्कुल नहीं, मेरा भी नहीं गया बल्कि उसे दर्द हुआ और उसने अपनी चूत पीछे कर ली.
3-4 बार ऐसा ही हुआ, वो चूत पीछे कर लेती और लंड बाहर फिसल जाता। फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत के मुख पर रखा और इस बार खुद हाथ से पकड़े रहा और एक धक्का लगाया और उसकी चीख निकल गयी।
वो रोने लगी और मुझे डांटने लगी।
मुझसे यारो, उसके आंसू देखे नहीं गए और मैंने लंड बाहर निकाल लिया और दुबारा उसे चोदने की कोशिश नहीं की।

हम रात भर उस दिन नंगे एक दूसरे के साथ सोते रहे। किस करते रहे, दूध पीते रहे, बीच बीच में चूत भी चाट लेता था उसकी और उसने कई बार मेरे लंड के टोपे पर किस किया उससे ज्यादा नहीं।

तो दोस्तो, यह थी मेरी पहली आधी अधूरी चुदाई की कहानी। चूत नहीं मिली मगर उस रात का अहसास आज भी चेहरे पर मुस्कान ला देता है, आज भी सनसनी फैला देता है।
उस रात अगर चुदाई हो जाती तो शायद बाद में दिक्कत भी हो जाती क्योंकि उस समय प्रोटेक्शन वगैरह का पता नहीं था और पुलआउट विधि भी नहीं पता था।
तो एक तरह से अच्छा भी हुआ।

जब लंड तना हो और चूत गीली तो इन सबका ध्यान नहीं रहता जो कि बाद में समस्या भी बन जाते हैं। जैसे मेरी दीदी की ननद के साथ हुआ था।
वो कहानी अगले हफ्ते… तब तक के लिए विदा।
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