समय के साथ मैं चुदक्कड़ बनती गई-5

नीनू 2011-02-14 Comments

प्रेषिका : नीनू

“हाँ भगतनी, मेरी सेविकाओं ने इसका मुआयना किया, पूरी पूरी आस है बच्चा होने की ! बस जब जब कहूँ पूजा करवाने भेजती रहना !”

शाम को सासू माँ बोली- जा !

मैंने कहा- मुझे यह सब पाखंड लगते हैं, वो पाखंडी है, मुझे नहीं जाना वहाँ।

“तेरी माँ भी जायेगी कुतिया ! चल उठ, यह थाल पकड़ और निकल जा !”

जब मैं पहुँची वहाँ कोई भगत नहीं था, उनके दरवाज़े के बाहर गनमैन थे, वो मेरी तरफ नशीली आँखों से देखने लगे।

“स्वामी जी हैं क्या?”

बोले- हाँ हाँ ! जा तेरा इंतज़ार हो रहा है !

जैसे वो जानते हों कि मेरी किस चीज़ की पूजा स्वामी करेगा।

स्वामी अपने बेडरूम में था, उसके हाथ में दारु का पैग था- आ गई भगतनी !

“हाँ !”

वो बड़ी सी कुर्सी पर बैठा था, झूल रहा था। मैं उसके करीब गई, उसका जाम पकड़ा, पूरा जाम दो घूँट में खींच गई, चुन्नी उतार दी, टाँगें फैला कर उसकी जांघों पर बैठ गई। मेरे दोनों उभारों का दबाव स्वामी के गले और होंठों के पास था, उसके बिना कहे कमीज़ उतार दी, ब्रा खोल दी।

वो मेरे दोनों मम्मे दबाने लगा, फिर निप्पल चूसने लगा। मैं उसके लौड़े को खड़ा होते महसूस करने लगी।

मैंने सलवार उतार दी और बिस्तर पर नागिन की तरह बल डाल लेट गई, काली चड्डी में मेरी गोरी जांघें देख स्वामी ने लुंगी उतार दी और बिस्तर पर आ गया।

मैंने उसका अंडरवीयर उतारा और लौड़ा चूसने लगी। स्वामी ने मेरी चड्डी भी उतार दी।

“हाय ! क्या फ़ुद्दी है कमीनी तेरी !”

वो चाटने लगा, मैं पगलाने लगी, मचलने लगी, वो और जोर जोर से चाटने लगा तो मैंने उसके लौड़े को हाथ में कस लिया और बोली- स्वामी जी, अब मत तड़पाओ, गुफा में घुसा डालो !

उसका लौड़ा नौ-दस इंच था। जैसे ही वो घुसाने लगा, इतनी चुदी होने के बावजूद मैं तकलीफ महसूस कर रही थी, लंबाई में ज्यादा था, मेरी बच्चेदानी से रगड़ रहा था, मैं मदहोश होकर स्वामी का साथ देने लगी।

“हाय मेरी जान ! तू साली गश्ती है ! पक्की रंडी बोले तो ! तेरी गांड मार सकता हूँ !”

स्वामी जी गांड तो मरवा लेती हूँ लेकिन आपका लौड़ा बहुत बड़ा है, उसमें दर्द देगा !”

“प्यार से डालूँगा !”

“अगली बार घुसा लेना !”

बोला- घोड़ी बन जा, उससे मेरा माल अच्छे से तेरी फ़ुद्दी में निकलेगा और बच्चेदानी तक जाएगा जिससे तेरा पेट बढ़ने के आसार होंगे। घोड़ी बना कर स्वामी ने फ़ुद्दी में घुसा दिया पूरा लौड़ा ! बच्चेदानी के मुँह पर रगड़ा मार रहा था। वो तेज़ हो गया, पौने घंटे से वो मुझे रगड रहा था तब जाकर उसने अपना अमृत मेरी बच्चेदानी के द्वार पर निकाला, उसके लौड़े से पानी बहुत निकलता था।

स्वामी मुझे आये दिन बुलाता, मेरी फ़ुद्दी का सत्यानाश कर दिया। उधर पति पर मेरा कोई ध्यान नहीं था, मुझे छोटे लौड़े बिल्कुल पसंद नहीं आते थे, अभेय का तो मुझे बच्चे की लूली लगने लगा था। मेरा दिल था कि एक साथ चार-पांच मर्द मुझे एक साथ एक बिस्तर पर ठोकें, सभी के लौड़े बड़े हों।

वो भी हुआ, स्वामी को दिल्ली जाना था, वहाँ उसने शिविर लगाना था, मैं उसकी ख़ास भगतनी बन गई थी, वो मुझे बोल कर गया कि पीछे से आश्रम का सारा कामकाज तुम देखोगी।

उसको तीन दिन के लिए जाना था, मेरी मदद के लिए उसके हटटे कटे सेवादार मौजूद थे जिनकी बाँहों में मैं पिसना चाहती थी।

उसके जितने सेवादार थे, सभी तो मानो पहलवान थे।

सासू माँ ने जब यह सुना कि स्वामी ने मुझे आश्रम सौंप दिया बहुत खुश थी, बोली- तू वहीं रुकना और दिल से आश्रम संभालना ताकि स्वामी लौट कर खुश हो कर तुझे वर दे डाले बच्चे का !

दिन में मैं देखती रही कि कौन सा सेवक कहाँ है और किस किस को चुन कर मैं एक साथ कई मर्दों के साथ चुदने का अपना सपना पूरा करूँ।

शाम हुई, मैं बिना बताये पूरे आश्रम का चक्कर लगाने निकली सेवकों के कमरों की तरफ। एक कमरे में मुझे हंसने की आवाजें सुनाई दी। जब उधर गई तो कमरे में बैठे चार सेवादार दारु पी रहे थे। मुझे देख सभी सीधे हो गए।

“यह क्या हो रहा है?”

“कुछ नहीं जी ! गलती हो गई।”

“क्या गलती हो गई? यह आश्रम है या बियर बार?”

एक बोला- आपके लिहाज से देखा जाए तो यह रंडीखाना भी है, रोज़ स्वामी आपको लेकर घुस जाते हैं तो बस या आगे बोलूँ?”

“मादरचोद, जुबां कैंची सी चलती है तेरी ! तुम भी मर्द हो ! तुम भी मुझे लेकर घुस जाओ ना !” अपना होंठ काटती हुई मैंने होंठों पर जुबां फेरी, आँख मारी, बोली- दारु लेकर थोड़ी देर में मेरे कमरे में आ जाना, तुम्हें भी सब को रंडीखाना दिखा दूँ, !

“यहाँ क्या है?”

“नहीं, कोई स्टेंडर्ड भी रखना चाहिए !”

मैं नाईटी लेकर बाथरूम में घुस गई, दरवाज़ा बंद किये बिना साफा लपेट नहाने लगी। मुझे पता था कि वो आने वाले हैं, पानी की आवाज़ सुनते हुए वो इधर आ गए, मुझे नहाती देख सबकी आँखें फटी रह गई।

“आ जाओ कमीनो ! मुझे नहलाने में मदद करो !”

“साफा भी उतार दे साली ! खुलकर नहा !”

चारों ने कपड़े उतार दिए, एक बोला- यहीं पैग पियोगी क्या?”हाँ, यहीं ले आओ !”

पैग खींच कर मैं बोली- बाकी सब तो ठीक है पर सबके कच्छे मैं एक एक कर उतारूंगी ! समझे?

“पहले तुम आओ राजा, क्या नाम है?

बोला- बिरजू लाल !

“हाय मेरे लाल !” उसका कच्छा खिसकाया तो काले रंग का हब्शी जैसा लौड़ा निकल हिलने लगा। मैंने उस पर पानी डाला और उसका सुपारा चूमा।

दूसरे को बुलाया- तेरा नाम?

बोला- बिश्नोई !

“मैं तेरे साथ सोई !”

उसकी इलास्टिक खिसकाई, एक और सांवला लौड़ा था, उसको धोकर चूमा।

तीसरा बोला- मैं विनोद हूँ !

उसका लौड़ा बहुत बड़ा था, मैंने चूमा।

चौथा बोला- मैं हूँ सरजू ! उसका लौड़ा भी हब्शी जैसा था।

शावर चला कर मैं बैठ गई, चारों के लौड़े बारी बारी चूसने लगी।

इतने में पांचवा भी आ गया, बोला- मैं कीमती लाल !

उसका बहुत बड़ा था।

“मुझे उठाओ और बिस्तर पर ले जाओ !”

कीमती ने मुझे उठाया और बिस्तर पर पटक दिया।

“एक फ़ुद्दी चाटो, दूसरा गांड चाटो, बाकी अपने लौड़े मेरे मुँह में बारी बारी से दो, मजे लो !”

विनोद बोला- साली तेरी गांड भी कोई गंगा से कम नहीं ! इसको चाटकर मैं धन्य हो जाऊँगा।

विनोद के बाद बिरजू बोला- तेरी चूत किसी धार्मिक गुफा से कम ना है ! इसको चाट अमृत मिलेगा।

बाकी तीनों के लौड़े चूस मेरा जबड़ा दुखने लगा, घोड़ी बन कर बोली- कीमती मेरी गांड में उतार दे !

जोर से झटका देकर उसने मेरी गांड फाड़ डाली।

“जोर जोर से पटको मुझे !”

कोई मेरा मम्मा चूसने लगा, कोई जाँघें !

सच में स्वाद आ रहा था पांचों से मुझे !

पूरी रात पेला सबने मुझे, सुबह मैं चलने लायक नहीं बची थी, फ़ुद्दी का मुँह खुला हुआ था, पाँच पाँच हब्शियों ने दो दो बार मुझे इस कदर चोदा कि क्या बताऊँ।

दोस्तो, इन दिनों मैं पेट से हूँ, ना जाने बच्चा किसका है, गिनती-मिनती करके देखा है तो लगता यही है कि यह स्वामी का है, सौ में से नब्बे परसेंट चांस स्वामी का है, जब बच्चा होगा उसके बाद जब चुदने लगूंगी।

तब फिर से आपके संग जुड़ जाऊँगी। मेरी यह पाँच किश्तों की चुदाई एकदम सच्ची सुच्ची है !

मेरे बच्चा देने तक सबको टाटा ! बाय !

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top