मौसम की करवट-1

(Mausam Ki Karvat-1)

विकास जैन 2011-03-02 Comments

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नमस्कार मित्रो,

मैं हूँ विकास, उम्र 20 साल, 5’11”, मैं औरंगाबाद, महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ। लगभग 4 साल से अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ रहा हूँ।

मैंने सारी कहानियाँ पढ़ी है और अब चाहता हूँ कि इस विशाल कथा संग्रह में मैं भी अपना योगदान दूँ !

यह कहानी एकदम सच्ची है और मेरी अपनी है जो मेरे साथ तब घटी जब मेरा लंड जवान हो रहा था। यह कहानी मेरे प्यार की कहानी है, उम्मीद करता हूँ कि आपको पसंद आएगी… आप अपनी राय मुझे मेल करके जरूर बताईयेगा…

अन्य लड़कों की तरह मैं भी अपने लंड को लेके काफी आकर्षित था, लंड का बार बार बड़ा होना, फिर उसका चिपचिपा होना मुझे बहुत पसंद आने लगा था इसलिए मैं अपना लंड हाथ में लेकर मजे लेता था।

ऐसे ही एक दिन मैं अपने बिस्तर पर लेटा अपने लंड को सहला रहा था, तब मुझे लगा कि कोई मुझे देख रहा है। लेकिन देखता कौन? घर में तो कोई नहीं था, सब लोग बाहर गए थे…

मुझे थोड़ा डर लगने लगा…मैंने अपने कपड़े ठीक किये और देखने के लिए उठा तो वहाँ कोई नहीं था…

हमारा घर काफी बड़ा है इसलिए मुझे खोजने में वक्त लग रहा था। जब मैं पीछे गार्डन की ओर गया तो मुझे घर की घण्टी बजने की आवाज आई। मैं देखने गया तो वहाँ प्रिया खड़ी थी।

प्रिया मेरी रिश्तेदार, एक सुन्दर अप्सरा, उम्र 18 साल, गोरी, लंबी, कद 5’9″ स्तन ३४” और सबसे ज्यादा प्यारी उसकी कमर 24″ चूतड़ 34″ के… कुल मिला कर एकदम सुन्दर लड़की, नैन नक्श भी कातिलाना हैं।

जब मैंने उसको देखा तो मैं थोड़ा डर गया कि कहीं प्रिया ने तो नहीं देखा था मुझे?

वो मुझे देखकर थोड़ा शरमाई और घर के अंदर चली गई। मैं भी उसके पीछे पीछे चला गया। वो हॉल में सोफ़े पर बैठ गई। मैं थोड़ा डरा हुआ था।

तब उसने बात चालू की, उसने पूछा- सब लोग कहाँ हैं?

मैं- सब बाहर गए हैं…पड़ोस में शादी है।

“आप क्यों नहीं गए?”

मैं- यार, मुझे शादियों में जाना पसंद नहीं है, तुम्हें पता है ना…

“तो यहाँ पर क्या कर रहे थे?”

तब मुझे पता चल गया कि बेटा, तुझे इसने देख लिया है… मैंने सोचा कि अब तो तू गया…

मैं- मैं क्या?…कुछ भी तो नहीं…तुमने कुछ देखा क्या?

“हाँ…बहुत कुछ…!”

असल बात यह है कि प्रिया और मेरी शादी बचपन में ही तय हो गई थी और हम दोनों एक दूसरे को मन ही मन पसंद भी करते थे। लेकिन इस बारे में कभी बात कभी नहीं की थी।

मुझे डर लग रहा था कि वो क्या सोचेगी मेरे बारे में?

तब मैं बोला- प्लीज तुम बुरा मत मानो लेकिन मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था, इसलिए…सॉरी…

वो बोली- अरे नहीं, मैं नाराज नहीं हूँ कि तुम ऐसा कर रहे थे…बस थोड़ा बुरा लग रहा है।

मैं बोला- बुरा क्यों लग रहा है?

तब उसने बोला- मुझसे तुम्हारी यह तड़प देखी नहीं जा रही… मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ…कोई अपने प्यार को तड़पता देख सकता है क्या?

मेरा मुँह खुला का खुला रह गया…वो आकर मेरी गोद में बैठ गई और अपनी बाहों को एक हार की तरह मेरे गले में डाल दिया। मैंने भी उसको अपनी बाहों में लिया और हमारी प्रेम कहानी शुरू हो गई…

उसने अपने नर्म गुलाबी होंठ मेरे होंठों पर रख दिए, हम दोनों हमारे पहले चुम्बन का लुत्फ़ उठा रहे थे, मैं तो जैसे जन्नत मैं था। वो भी बहुत उत्तेजित लग रही थी… वो पूरे मजे लेकर मुझे चूम रही थी… लेकिन यह मजा हम ज्यादा देर नहीं उठा पाए… घर के सभी लोग वापिस आ गये थे और हम प्यासे रह गए…

वो मेरी मम्मी की लाडली है, उसको देख कर मम्मी खुश हो गई…

रात होने वाली थी तो मम्मी ने उसको घर पर ही रोक लिया। हम दोनों तो जैसे खुशी से पागल हो गये… हमने साथ में खाना खाया और सोने के लिए मैं अपने कमरे में जा रहा था तभी मुझे मम्मी ने आवाज लगाई और कहा- आज प्रिया को तेरे कमरे में सोने दे और तू हॉल में सो जा…

तब मैंने अपना बिस्तर हॉल में लगाया और मैं सो गया या यह कहो कि सोने का नाटक कर रहा था…

अब मैं कुछ होने का इंतज़ार कर रहा था… लेकिन बहुत देर हो गई थी और प्रिया ने अपना यानि मेरे कमरे का दरवाजा भी नहीं खोला था… इंतज़ार करते करते मैं 11 बजे सो गया क्योंकि मुझे रोज जल्दी सोने की आदत थी…

लगभग दो घंटे बाद मैंने अपने पास किसी को लेटा हुआ महसूस किया… रात का समय था और ऐ.सी भी चालू था तो मुझे काफी ठण्ड लग रही थी…

मैंने अपनी करवट बदली तो देखा कि प्रिया पास लेटी है, उसकी पीठ मेरी तरफ थी। मैंने A.C. बंद करने के लिए रिमोट उठाया।

तभी उसने अपनी करवट बदली और बोली -रहने दो ना प्लीज, मुझे ठण्ड में सोना बहुत पसंद है।

इतना कहकर उसने अपनी करवट बदली या यूँ कहो कि ठण्ड के मौसम ने करवट बदली और उसने मुझे अपनी बाहों में ले लिया। वो जानती तो थी कि मैं बहुत शर्मीला हूँ इसलिए पहल उसको ही करनी पड़ेगी…

फिर हम दोनो एक साथ एक बिस्तर में एक कम्बल में लेटकर एक दूसरे के साथ मस्ती करने लगे… वो मुझे चूम रही थी और मेरे होठों को काट भी रही थी…

मैं भी पीछे नहीं रहा, मैं उसका पूरा साथ दे रहा था… उसकी बाहों मे मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा था। हम दोनों अब अपने रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहते थे…

उसने मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने स्तन पर रख दिया…

फिर क्या था, मैं तो बस सातवें आसमान में उड़ने लगा, मेरी सारी शर्म खुल गई… मैं उसके स्तन धीरे धीरे दबाने लगा… वो सिसकारियाँ ले रही थी, उसको बहुत मजा आ रहा था। फिर मैंने उसका टॉप उसके बदन से अलग कर दिया, वो और ज्यादा रोमांटिक हो गई और उसने भी मेरा टी-शर्ट निकाल दिया और हम आलिंगनबद्ध हो गये…एक दूसरे को सहलाना फिर मेरा उसके स्तन को काटना,

दबाना और निप्पल्स को छेड़ना उसे बहुत रोमांचित कर रहा था।

फिर मैंने उसकी जीन्स भी निकाल दी, ऐसा लग रहा था कि वो पूरी तैयारी के साथ आई थी क्योंकि उसने ना तो ब्रा पहनी थी और ना ही… आप तो समझ ही गये होंगे…

मुझे काफी आसानी हुई उसकी योनि तक जाने में… उसकी योनि काफी गीली हो गई थी। मैंने उसकी योनि में अपनी एक उंगली से गुदगुदी की… वो थोड़ा मचल उठी, उसकी योनि बिल्कुल कुंवारी थी… जो उसने मुझे पेश कर दी उस रात खेलने के लिए।

वो बोली- विकास, मेरा सब कुछ सिर्फ आप का है… आप जो चाहे कर सकते हैं…

मैं बोला- ठीक है लेकिन एक शर्त पर…

वो बोली- कैसी शर्त..?

मैं बोला- तुम मुझे विकास नहीं, जानू बोलो और आप नहीं तुम कह कर बुलाओ…

वो बहुत खुश हो गई और बोली- ठीक है मेरे जानू…तुम बहुत अच्छे हो, आई लव यू।

फिर मैं बोला- अच्छी तो तुम हो…मेरा भी सब कुछ तुम्हारा है… आई लव यू टू !

फिर मैंने भी अपने बाकी के सारे कपड़े उतार दिए…मेरा लिंग उसकी योनि को स्पर्श रहा था…

उसने मेरा लिंग अपने कोमल हाथों में लिया और बोली- इसने आपको बहुत तड़पाया है ना.. अब नहीं तड़पायेगा कभी…

और वो उसको सहलाने लगी… वो मुझे बहुत अच्छे से समझती थी, उसने अब मेरे लिंग को थोड़ा दबाना और आगे पीछे करना चालू किया…

मुझे बहुत मजा आ रहा था…मैं भी उसके स्तन दबा रहा था और दूसरे हाथ से उसकी योनि को गुदगुदा रहा था… वो बीच बीच में तब सिसकारियाँ लेती जब मैं उसकी योनि को छेद देता या जब उसके निप्पल काट देता…

अब थोड़ा और आगे बढ़ने का समय था… मैंने उसकी योनि को नीचे जाकर चूम लिया… उसकी योनि को अपने होठों से दबा रहा था…

और वो मचल रही थी… मेरे बालों में हाथ फेर रही थी…

फिर मैंने उसकी भगनासा पर अपने होंठ रख दिए… वो काफी उत्तेजित हो गई थी…उसकी योनि लगातार चिपचिपी होती जा रही थी… फिर मैं ऊपर आया…. हम दोनों फिर से आलिंगनबद्ध हुए…

फिर वो मुझे चूमते चूमते नीचे गई… आखिर में उसने मेरे लिंग को चूम लिया और उसको अपने मुख में ले लिया…

अपने सर को वो आगे-पीछे करने लगी, मुझे बहुत मजा आ रहा था… उसने मेरा पूरा लिंग अपने मुख-रस से गीला कर दिया…

अब वो एक होना चाहती थी… उसकी तड़प साफ़ झलक रही थी… उसने अपने नीचे एक स्कार्फ बिछा लिया जो वो पहनकर आई थी…

मैं समझ गया कि ऐसा क्यों किया उसने…

फिर वो लेट गई और मैं उसकी टांगों के बीच आ गया… मेरा लिंग और उसकी योनि दोनों ही बहुत गीले थे… मैंने अपना लिंग उसकी योनिद्वार पर रखा और थोड़ा जोर लगाया…

लिंग थोड़ा अंदर तो चला गया लेकिन प्रिया दर्द से तड़प उठी…

परन्तु वो बोली- रुकना मत जानू ! आपको मेरी कसम है… मैं दर्द सह लूंगी…

तो मैंने दो मिनट रुक कर और थोड़ा जोर लगाया इस वक्त मुझे अपने लिंग के पास काफी गर्माहट महसूस हुई….इसका मतलब था कि उसका कौमार्य-पट टूट गया था… उसने अपने नाखून मेरी पीठ पर गड़ा दिए… मैं थोड़ा रुक गया उसके सामान्य होने की इंतजार करने लगा…

फिर वो बोली- जानू, मुझे अब दर्द नहीं ही रहा आप थोड़ा और डाल दो अंदर…

मैंने भी जोश में आकर एक और धक्का लगा दिया… अब मेरा पूरा का पूरा लिंग उसके अंदर था और उसके आँसू निकल रहे थे…

मैंने अपने होंठ उसकी आँखों पर रखे और उसके आँसू पी गया…फिर हमने एक लंबा चुम्बन किया..और उसकी कमर चलने लगी…

हम इस ठण्ड के मौसम में गर्मी का एहसास कर रहे थे।

मैं अपने लिंग को उसकी योनि में अंदर-बाहर कर रहा था… अब हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था… मेरी स्पीड धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी… साथ ही साथ मैं उसको चूम भी लेता और उसके स्तन तो मैंने १ मिनट के लिए भी नहीं छोड़े थे…

फिर वो मेरे ऊपर आ गई और मुझे मजा देने लगी… वो पूरी तरह से मिलन में खो चुकी थी… वो अपने बालों को पकड़ काफी सेक्सी मुद्राएँ बना रही थी जिससे मैं बहुत उत्तेजित हो रहा था… आखिर में वो मेरे ऊपर लेट गई और एक लय बद्ध तरीके से अपने कूल्हे चलाने लगी, थोड़ी देर में ही उसने स्पीड बढ़ा दी तो मैं समझ गया था कि वो झड़ चुकी है…

तब मैंने उसको अपने नीचे लिया और प्यार से सम्भोग करता रहा क्योंकि वो थक गई थी इसलिए मैंने धक्के थोड़े धीमे कर दिए…

जब मुझे लगा कि मैं छुटने वाला हूँ तब मैंने धक्के बढ़ा दिए…

वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी और आखिर में वो पल आ ही गया… मैंने अपना वीर्य उसकी योनि में ही निकाल दिया और उसके ऊपर ही लेट गया…

हम दोनों सुस्त हो गये थे क्योंकि यह हम दोनों का पहला सेक्स था…

वो मुझे बहुत प्यार कर रही थी… अपने सीने से लगा कर बालों में हाथ फेर रही थी… मैं भी उसको सहला रहा था… फिर हम दोनों उठे और समय देखा तो साढ़े चार बज रहे थे। हमने करीब दो घंटे प्रणय-मिलन किया था…

हम दोनों फिर बाथरूम चले गए जो मेरे कमरे से जुड़ा था.. वहाँ उसने मुझे वो स्कार्फ और मेरा लिंग दिखाया जो उसके योनि रक्त से पूरा लाल हो चुका था…

मैंने बोला- यह स्कार्फ धो डालो !

लेकिन उसने मना कर दिया, कहा- नहीं, यह हमारे प्यार की निशानी है, मैं इसे मरते दम तक संभाल कर रखूंगी…

यह सुन कर मैं भी बहुत भावुक हो गया… हम दोनों ने फिर से एक दूसरे को आलिंगन किया और खुद को साफ़ करके मैंने उसे अपने कमरे में सुला दिया..

मैं उसके चेहरे पर एक संतुष्टिभाव दिख रहा था… जैसे उसको सब कुछ मिल गया हो…

फिर वो मेरी बाहों में समा गई… कुछ देर बाद मैं उठ कर अपनी जगह पर चला गया।

वो सुबह मुझसे मिली, वो आज भी बहुत खुश थी.. जाते जाते उसने मुझे कहा- जानू, आपने मुझे बहुत बड़ी खुशी दी है…एक वादा करो.. कि आप हमेशा मेरे साथ रहोगे… मैं आपको बहुत प्यार करती हूँ…

मैंने भी वादा किया और उसे खुशी से विदा किया… उसका भाई उसको लेने आया था… मेरा साला पता नहीं साला क्यों आ गया…

मैं जाना चाहता था उसको घर छोड़ने….

खैर जो भी हुआ अच्छा हुआ… मैं भी बहुत खुश था के मुझे भी कोई मिल गया समझने वाला…

उस दिन के बाद हम लोग हमेशा मिलते रहे घर पर बाहर, कभी उसके घर…

हमारी कहानी ऐसे ही आगे बढ़ रही थी कभी अचानक एक हादसा सा हुआ मेरी जिंदगी में…

मेरी पूरी जिंदगी बदल गई… प्रिया तो हमेशा साथ रहेगी… वो मुझे बहुत चाहती है… लेकिन जो हुआ वो भी काफी रोमांचक था…

अगर आप सभी पाठकों को मेरी यह कहानी पसंद आई तो उस किस्से के बारे में मैं अपनी अगली कहानी मैं लिखूंगा…

मुझे आप आपकी राय जरूर बताइएगा…

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