नादान उम्र में जवान चूत चोद दी

(Nadan Umar Me Jawan Choot Chod di)

जुनैद खान 2016-12-13 Comments

हाय दोस्तो, मेरा नाम जुनैद खान उर्फ़ जैक है। मेरी उम्र 20 साल है.. मैं दिखने में एकदम सुन्दर और आकर्षक हूँ। मेरी लम्बाई 5.9″ की है मेरी और मेरे नवाब की लम्बाई और मोटाई भी किसी भी चुदासी बेगम की चूत के लिए एकदम परफेक्ट है।

मैंने यहाँ बहुत सी सेक्स कहानियां पढ़ी हैं। मुझे लगता है कि मुझे भी अपने साथ घटी घटना आपको बतानी चाहिए।

ये तब हुआ जब मेरा नवाब मतलब मेरा लंड ज्यादा समझदार नहीं था। बस मैं थोड़ी बहुत हाथ से मस्ती करके ही खुश हो जाता था। ये बात है तब कि जब मैं 12 वीं क्लास में पढ़ता था।

हमारा घर पड़ोसी के घर से एकदम जुड़ा हुआ था, उस घर में एक लड़की रहती थी, उसका नाम आशिमा था।
आशिमा बहुत ही भरे हुए शरीर वाली लड़की थी, उसके मोटे-मोटे बोबे थे.. उस पर गली के सारे लड़के मरते थे। उसकी गांड के जलवे तो क्या बताऊँ आपको.. साली ऐसे निकली हुए थी कि लौड़ा बागी हो उठता था।
वो ऐसे चलती थी तो लगता था जैसे उसकी पिछाड़ी डांस कर रही हो। इतना भरा हुआ शरीर था उसका.. कि जो उसको देखता.. उसका लंड अकड़ जाता था।

तो ये किस्सा तब हुआ जब मेरे एग्जाम चल रहे थे। मैं पढ़ाई में होशियार था.. और वो कमज़ोर थी। वो छत पे सुबह-सुबह पढ़ने आ जाती थी और मुझे आवाज देकर बुला लेती थी।

एक बार जब मैं उसको पढ़ाई को लेकर कुछ समझा रहा था.. तो वो मेरी तरफ देखती ही जा रही थी।
मैंने उसे बोला- मुझे मत देख.. नीचे देख।
तो वो हड़बड़ा गई..

उसकी ये हरकत देखकर मेरा मन भी मचल गया। थोड़ी देर बाद मैंने उसकी जाँघों पर हाथ रखा और इंतजार करने लगा कि वो क्या करती है.. पर उसने कोई रिएक्शन नहीं दिया.. सब नार्मल था।

फिर मैंने एक उंगली से धीरे से उसकी जाँघ को दबाया.. तो उसने मेरी तरफ देखकर नीचे मुँह कर लिया।
यह देखकर मुझमें हिम्मत आई, मैं धीरे-धीरे उसकी चूत तक हाथ ले गया.. और उसकी चूत के पास की हड्डी पर हाथ लगाया तो वो उसे ढीली-टाइट कर रही थी।

मुझे लगा कि इसे मज़ा आ रहा होगा इसलिए कर रही होगी। फिर मैंने उसकी चूत पर हाथ फिराया.. बहुत देर तक बहुत मैंने मज़े लिए।

हालांकि अब वो बार-बार बोल रही थी- कोई आ जाएगा.. कोई आ जाएगा।
पर मैं ऐसे ही करता रहा.. ज़िन्दगी में पहली बार कर रहा था तो अलग ही मज़ा मिल रहा था।
थोड़ी देर में उसकी चूत गीली हो गई थी। मैं भी कितना नादान था।

मैंने उससे बोल दिया- हट गन्दी.. तू सू सू क्यों कर रही है।

उसने कुछ नहीं बोला.. फिर ये सब बहुत दिन तक चलता रहा।

एक दिन क्या हुआ कि मेरी माँ और सब घर वाले बाहर गए हुए थे। मैं स्कूल से घर आया हुआ था। टिफ़िन में देखा तो रोटी नहीं थी। तो मुझे लगा कि उस लड़की के घर से ले आता हूँ। तो मैं उसके घर ऊपर से छत से होकर गया क्योंकि हमारा घर उसके घर से मिला हुआ था।

जैसे ही मैं उसके घर में गया.. वहाँ कोई नहीं था। मैंने आवाज दी.. तो किचन से आवाज आई- हाँ क्या हुआ?
ये आवाज उसकी ही थी। मैं किचन में गया.. तो वो बर्तन साफ़ कर रही थी।
मैंने पूछा- सब कहाँ गए?
तो वो बोली- तुम्हारे और हमारे घर वाले खाना खाने गए हुए हैं.. तेरी अम्मी बोल कर गई हैं कि तू आ जाए तो तुझे बोल दूँ.. कि उधर ही जाकर खाना खा आए।

मैं सब भूल गया था, पीछे से क्या लग रही थी वो… सामने उसके जैसी किसी की गांड हो.. और किसी मर्द का लंड उसको देखकर फनफना नहीं जाए.. तो समझो वो मर्द ही नहीं।

मैं बिना कुछ बोले पीछे से उसके बोबे दबाने लगा। पूछो मत इतना मज़ा आ रहा था ना कि मेरा नबाव मुझसे लड़ाई पर उतारू हो गया था।

वो चुपचाप बर्तन धोती जा रही थी। वहीं खड़े-खड़े मैं उसकी चूत को भी सहला रहा था। उसकी सिसकारियां मुझे पागल बना रही थीं।

जैसे ही उसके बर्तन पूरे धुल गए.. हम दोनों पागलों की तरह एक-दूसरे को चाटने लगे।

मैं उसके बोबे दबा रहा था.. चूत को सहला रहा था। उसने अचानक खुद ही सलवार का नाड़ा खोल दिया और मेरे लंड को पकड़ लिया।

जैसे ही उसकी सलवार नीचे गई.. मैंने देखा कि उसने पैन्टी नहीं पहन रखी थी। सलवार के हटते ही उसकी चिकनी चूत नज़र आ गई।

सच बताऊँ.. उस वक़्त मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था। मैं ज्यादा समझदार नहीं था। तो मैं फिर भी बस ऊपर से ही उसकी चूत सहला रहा था।

हम दोनों कमरे में आ गए।
वो बिस्तर पर लेट गई और उसने मुझसे बोला- मुझे कर।
मैंने बोला- करता हूँ।
मैं उसके बोबे चूसने में लग गया।

उसने बोला- अब अन्दर डाल।
मैंने बोला- मुझे नहीं आता।
उसने खुद ही मेरे नवाब को पकड़ा और डालने लगी।

फिर एकदम से वो बैठ गई और बोली- रुक अभी.. कुछ और भी करना है।
वो नीचे झुकी मेरे नवाब को मुँह में ठूंस लिया और एक हाथ से आगे-पीछे करने लगी.. साथ ही चूसने भी लगी।

सच बताऊँ दोस्तों मुझे पता भी नहीं था कि ये सब क्या हो रहा है.. पर मेरा हाथ उसके बालों में था और मैं सिसकारियां ले रहा था।
वो चूसती रही.. और वो मुँह से थूक निकाल कर मेरे लौड़े पर डाल-डाल कर चूस रही थी.. मैं झड़ गया था।

फिर कुछ मिनट बाद वो लेट गई और मैं उसके ऊपर चढ़ गया। उसने मेरे लौड़े को पकड़ा और चूत के छेद पर लगा लिया, तब वो बोली- झटका मार!

मैंने झटका मारा तो वो अन्दर गया ही नहीं.. दुबारा उसने ऐसा ही किया और मैंने जोरदार झटका मार दिया.. तो वो थोड़ा सा अन्दर चला गया।

अब वो जोर-जोर से चीखने लगी- आईई.. उईईइ.. निकाल।

मुझे भी उसकी ये आवाज सुनकर जोश आ गया.. मैंने नहीं निकाला.. तो उसने पैर से धक्का देकर मुझको हटा दिया।
थोड़ी देर बाद मैंने वापस से कोशिश की तो चला गया। उसने थोड़ा रुकने के लिए बोला।

वो हाँफ रही थी और अब मुझे मज़ा आ रहा था, फिर उसने बोला- अब धीरे से धक्का दे।

मैंने सोचा कि धीरे से दूँगा तो ये फिर से चिल्लाएगी और बाहर निकाल देगी। मैंने जोरदार धक्का दिया और उसकी गुफा में मेरा लौड़ा पूरा का पूरा फिट हो गया। इस बार उसकी तो हालत देखने लायक थी। न तो बोली.. न चिल्लाई.. बस मुँह को फुला कर मेरे पेट को पकड़ के ‘उहह..’ करने लगी।

मैं बोला- क्या हुआ?
तो मरी कुतिया सी आवाज में बोली- मर गई नीच..
मैं हँसा और बोला- फिर नाड़ा क्यों खोला था।

थोड़ी देर बाद वो नार्मल फील कर रही थी। अब मैं भी आगे-पीछे होने लगा.. झटके देने लगा। उसके हाथ पेट से हटकर मेरे चूतड़ों पर आ गए थे और उछल-उछल कर मेरा साथ दे रही थी।

मैं जोर-जोर से उसको झटके देने लगा वो ‘उह्ह.. उह्ह्ह..’ करके मेरी तरफ देख रही थी और मैं भी उसे देखता हुआ धकापेल चोदे जा रहा था।

तभी वो एकदम से ‘आअह्ह उह्ह्ह्ह..’ करने लगी और मुझे जोर से कस के पकड़ लिया। मैं डर गया कि ये ऐसे क्यों कर रही है।

मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- अजीब सा मज़ा आया एकदम से।
उस वक़्त मैं ज्यादा समझता नहीं था मैंने ज्यादा गौर नहीं किया और फिर से झटके देने में चालू हो गया।

उसकी हालत देखने लायक थी, वो झड़ चुकी थी।

शुरू में एक बार तो उसने मेरा माल चूस कर ही निकाल दिया था.. तो मेरा तो चुदाई में वक़्त थोड़ा ज्यादा लग रहा था।
कई मिनट बाद मेरा निकलने वाला था.. उसको पता चल गया था। मुझे नहीं पता वो ये सब कैसे जानती थी।

जैसे ही उसको पता चला कि मैं झड़ने वाला हूँ। मैं बस ‘हूँ..ऊण.. हु.. ऊँ..’ करके झटके दे रहा था.. तो उसने मुझे एकदम से हटाया और मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, मैंने उसका सर पकड़ा और उसके मुँह को चोदने लगा।
थोड़ी देर बाद मैं ‘आह.. उह्ह्ह..’ करते हुआ झड़ गया और उसके पास लेट गया।

फिर थोड़ी देर बाद मैं उठा और कपड़े पहन कर घर चला गया। इसके बाद तो हर रोज कैसे न कैसे करके उसको चोद ही लेता था।

सच में वो बहुत अच्छे दिन थे। फिर मैं पढ़ने के लिए बाहर चला गया।

अब मैं जयपुर में रहता हूँ। यहाँ आने के बाद भी मैंने जो जो चूत चोदी हैं उसके बारे में आपको अगली कहानी में बताऊँगा। ये कहानी आपको कैसी लगी.. मुझे मेरे मेल पर मुझे जरूर बताईए।

तब तक के लिए सभी लौड़े वालों को और चूत की रानियों को गुड बाय।

मुझे मेल करना ना भूलें..
[email protected]

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